नई दिल्ली, 1 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली के चार्टर्ड अकाउंटेंट वेद जैन ने बुधवार को कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया गया केंद्रीय बजट पूरे समाज के नजरिए से अच्छा नहीं हो सकता है।
उन्होंने कहा कि जब बजट बनाया जाता है तो कवायद की जाती है कि महंगाई की दर कितनी है और टैक्स में क्या रियायत दी जा सकती है। चूंकि चुनाव नजदीक हैं, इसलिए सरकार ने सोचा कि वह मध्यम वर्ग के करदाताओं को कैसे राहत दे सकती है, अन्यथा कर संग्रह और मुद्रास्फीति भी ऐसे कारक हैं जिन्हें ध्यान में रखा जाना चाहिए।
जैन ने आईएएनएस से बातचीत में कहा- लेकिन मेरा मानना है कि यह टैक्स छूट टैक्सपेयर्स के लिए मददगार नहीं होगी। करदाता को अपने भविष्य की स्थिति, सेवानिवृत्ति, सामाजिक सुरक्षा, चिकित्सा आदि का ध्यान रखना चाहिए, इस बजट से हमें जो छूट मिलेगी वह केवल सामाजिक सुरक्षा बनाने के लिए है। जब कोई व्यक्ति पीएफ, बीमा में निवेश करता है, तो यह सब उसके भविष्य के लिए सामाजिक सुरक्षा बनाने के लिए होता है। अब वे कहते हैं कि आपको कम टैक्स देना चाहिए, इन सामाजिक सुरक्षा उपायों को अपनाए बिना, शायद समग्र समाज के नजरिए से अच्छा नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि जरा सोचिए कि पंद्रह-सोलह साल बाद क्या होगा जब इंसान बूढ़ा हो जाएगा और उसके पास कमाई का कोई जरिया नहीं होगा तो पैसा कहां से आएगा। मैं लोगों से कहना चाहूंगा कि भविष्य में किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार रहें। जैन ने कहा कि वह इस बात से सहमत हैं कि यह बजट भारतीय अर्थव्यवस्था की मदद करेगा क्योंकि करदाताओं के हाथ में पैसा होगा, इससे क्रय शक्ति में वृद्धि होगी और अंतत: यह अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा।
जैन ने कहा- लगभग सात करोड़ करदाताओं में से लगभग चार करोड़ करदाता 15 लाख रुपये के दायरे में आएंगे और प्रत्येक व्यक्ति के हाथ में एक लाख रुपये अतिरिक्त आ रहे हैं, तो इसका मतलब होगा 54 लाख करोड़ रुपये। तो अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए यह पर्याप्त राशि होगी।
–आईएएनएस
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