चेन्नई, 11 जून (आईएएनएस)। कलानिधि मारन द्वारा संचालित लोकप्रिय तमिल अखबार दिनाकरन ने मई 2006 में एक जनमत सर्वेक्षण कराया था कि करुणानिधि का उत्तराधिकारी कौन होगा। इसमें 70 प्रतिशत उत्तरदाता एम.के. स्टालिन का समर्थन कर रहे थे। मात्र 2 प्रतिशत ने स्टालिन के बड़े भाई एम.के. अजगिरी का समर्थन किया। 20 प्रतिशत ने दूसरों का समर्थन किया, कलानिधि मारन के छोटे भाई दयानिधि मारन का परोक्ष संदर्भ।
इस सवेक्षण से अपने आधार मदुरै से दक्षिण तमिलनाडु को प्रभावित करने वाले एम.के. अजगिरी नाराज हो गए। उनके समर्थकों ने मदुरै में दिनाकरन कार्यालय में तोड़फोड़ की और पेट्रोल बम फेंका। इससे तीन लोगों की मौत हो गई।
मदुरै में सन टीवी नेटवर्क के कार्यालय पर भी हमला किया गया और तोड़फोड़ की गई।
डीएमके में यह पहला खुला सत्ता संघर्ष था। करुणानिधि का परिवार और वरिष्ठ नेता मामले में चुप रहे।
करुणानिधि ने तीन शादियां की थी। पहली पत्नी पद्मावती के साथ उनको एक बेटा एम.के. मुथु, फिल्म अभिनेता थे। करुणानिधि ने उन्हें पर्दे पर एमजीआर के प्रतिद्वंद्वी के रूप में लाने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुए।
करुणानिधि की दूसरी पत्नी दयालु अम्मल थीं। उनसे एम.के. अझागिरी, एम.के. तमिलारासु, एम.के. स्टालिन और एक बेटी एम. के. सेल्वी हैं।
अपनी तीसरी पत्नी, रजति अम्मल से, करुणानिधि की एक बेटी, डीएमके नेता और संसद सदस्य, कनिमोझी करुणानिधि हैं। वह पत्रकार से नेता बनी हैं।
करुणानिधि के छह बच्चों और दो पोतों में से चार एम.के. स्टालिन, एम.के. अलगिरी, कनिमोझी करुणानिधि और उनके पोते दयानिधि मारन राजनीति में हैं।
पार्टी में शीर्ष स्थान के लिए स्टालिन और अझागिरी के बीच लड़ाई थी। 3 फरवरी, 2021 को आयोजित डीएमके राज्य परिषद की बैठक में इस बात पर गरमागरम बहस हुई कि करुणानिधि का उत्तराधिकारी कौन होगा।
लेकिन दक्षिण तमिलनाडु में 2011 के आम चुनावों में डीएमके की हार के बाद, जिसे अझागिरी का गढ़ माना जाता है, उनके उत्तराधिकार की योजना पर रोक लगा दी थी। दूसरी ओर स्टालिन को आपातकाल के दौरान कैदी होने का लाभ मिला, जिन्होंने सेल में क्रूर पुलिस यातना का सामना किया। स्टालिन को यातना से बचाने की कोशिश करते हुए डीएमके के एक कार्यकर्ता चित्तबाबू की मौत हो गई।
स्टालिन को को तमिलनाडु में करुणानिधि सरकार में शामिल किया गया थाञ चौथी बार विधायक बनने के बाद वे अपने पिता के मंत्रिमंडल में मंत्री बने।
स्टालिन की एक विनम्र नेता होने की प्रतिष्ठा है, जबकि अजगिरी एक कठोर और सख्त व्यक्ति हैं और उन पर एक राजनीतिक हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया गया था, साथ ही दिनाकरन अखबार पर भी हमला किया गया था।
अलग-अलग माताओं से पैदा होने के बावजूद कनिमोझी करुणानिधि, एम. के. स्टालिन की तुलना में बड़े भाई अजगिरी के अधिक निकट हैं।
हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद से एक के बाद एक जीत दर्ज करने के बाद स्टालिन के शक्तिशाली होने के साथ, अझागिरी का समर्थन आधार कम हो गया है और यहां तक कि कनिमोझी भी कमजोर हो गईं।
डीएमके अब एम.के. के साथ एक पारिवारिक व्यवसाय में बदल गई है। स्टालिन निर्विवाद नेता हैं, जबकि उनके सभी भाई-बहन डीएमके में राजनीति के खेल में या तो मौन हैं या मूक दर्शक हैं। स्टालिन ने अपने बेटे उदयनिधि स्टालिन को अपने उत्तराधिकारी के रूप में लाया है और खबरें हैं कि उन्हें जल्द ही उपमुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया जाएगा। डीएमके के सभी नेता इसके लिए जोर-शोर से अभियान चला रहे हैं।
स्टालिन के मुख्यमंत्री अच्छा प्रदर्शन करने के साथ ही एआईएडीएमके के विभाजित होने से, उनका कोई विरोध नहीं है।
ऐसे राजनीतिक हालात में भले ही अझागिरी, कनिमोझी और दयानिधि मारन जैसे परिवार के सदस्य खुश नहीं हैं, लेकिन डीएमके में उनकी कोई आवाज नहीं है। उन्हें या तो लाइन में लगना होगा या राजनीतिक विस्मरण का सामना करना होगा, जो कि वर्तमान में अझगिरी के मामले में है।
–आईएएनएस
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