चेन्नई, 30 सितंबर (आईएएनएस)। अभिनेता से राजनेता बने विजय की तमिलग वेट्ट्री कजगम (टीवीके) के दो वरिष्ठ नेताओं को करूर भगदड़ मामले में 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इस हादसे में 41 लोगों की मौत हुई, जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। साथ ही, लगभग 60 लोग घायल हुए।
करूर पश्चिम जिला सचिव वी. पी. मथियालगन और करूर केंद्रीय जिला सचिव कासी पोनराज को करूर जिला क्रिमिनल कोर्ट में पेश किया गया और उन्हें 14 अक्टूबर तक हिरासत में रखने का आदेश दिया गया। पुलिस ने उन्हें एफआईआर में भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा उपायों में कथित लापरवाही के लिए नामजद किया है।
टीवीके के राज्य महासचिव बुसी आनंद और उप महासचिव निर्मल कुमार भी आरोपी हैं, लेकिन उन्हें अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।
आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता के तहत गंभीर धाराओं में मामला दर्ज है, जिनमें हत्या के इरादे के बिना हत्या का आरोप (धारा 105), हत्या के प्रयास का आरोप (धारा 110), दूसरों के जीवन को खतरे में डालना (धारा 125), और कानूनी आदेश का उल्लंघन (धारा 223) शामिल हैं।
जांचकर्ताओं के अनुसार, भीड़ 10,000 लोगों की घोषित संख्या से कहीं अधिक थी और सीमित प्रवेश द्वार व खराब बैरिकेडिंग हालात बिगड़ गए।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इस त्रासदी को हृदयविदारक बताया। उन्होंने घटना के कुछ घंटे बाद करूर का दौरा किया और पीड़ित परिवारों एवं घायलों से मिले। मुख्यमंत्री ने राज्य की ओर से मुआवजा देने की घोषणा की और कहा कि जांच में कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सरकार ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश अरुणा जगदीशन को एक सदस्यीय जांच आयोग का प्रमुख नियुक्त किया है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और मृतकों के परिजनों के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से 2 लाख रुपये और घायलों के लिए 50,000 रुपये की सहायता की घोषणा की। उन्होंने कहा कि केंद्र “तमिलनाडु के लोगों के गहरे दुःख में शामिल है” और ऐसी घटनाओं से सबक लेने की आवश्यकता है।
–आईएएनएस
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