बिरसिंहपुर पाली, *आशीष कुमार दुबे* (देशबंधु ).आदिवासी विकास खंड पाली के बैगा बाहुल्य गांवों में करोड़ों रुपयों के वारे न्यारे होने के बाद भी आदिवासियों को बिजली सुलभ न हो पाना इस क्षेत्र के पंचायत के सचिवों के कार्य शैली की असलियत को उजागर करती है.
ध्यान देने योग्य है कि आदिवासी गांवों को अंधेरे के अगोस से उबरने के लिए इस क्षेत्र की लोकप्रिय विधायक और पूर्व में मंत्री रह चुकी सुश्री मीना सिंह ने ग्राम पंचायतों को आवश्यकता अनुरूप अनुसूचित अनुसूचित जनजाति सघन बस्ती विकास योजना से धन राशि उपलब्ध कराते हुए यह सपना संजोया था कि आदिवासियों को भी सहजता से अंधेरे से छुटकारा मिल जाएगा, लेकिन वर्षों पूर्व मिले इस धनराशि को खुर्द-बुर्द कर पंचायत के सचिवों ने आदिवासियों को अंधेरे में रहने के लिए मजबूर कर रखा है. दुर्भाग्य जनक कहा जाये कि प्रदेश से लेकर केंद्र तक भारतीय जनता पार्टी की सरकारें हैं और चहुंमुखी विकास के दावे किए जाते हैं जिसको देखते हुए लगता है कि विकास के दुशाले ओढ़े सरकार के माथे पर ग्राम पंचायतों के सचिवों के भ्रष्ट कार्य शैली का कलंक का टीका जगमगा रहा है , और सरकार और उसके नुमाइंदों ने सचिवों को इतनी छुट दे रखी है कि सरकार की योजनाएं भ्रष्टाचार की बलि चढ़ जाती हैं और उनका अभिशाप आदिवासियों को आज भी अंधेरे में रह कर चुकाना पड़ता है.
एक ऐसी ही सनसनीखेज मामला बेली ग्राम पंचायत के जमुहाई गांव का प्रकाश में आया है . जहां पर पूर्व आदिम जाति कल्याण विभाग मंत्री सुश्री मीना सिंह ने बेली ग्राम पंचायत कों 29 लाख रूपए देते हुए बिजली आपूर्ति कराने के आदेश दिए गए थे , लेकिन कार्यकाल बदला, मंत्री जी दुबारा इस क्षेत्र से चुनाव जीत कर विधायक बनी लेकिन आदिवासी मतदाताओं को बिजली सुलभ नहीं हो सकीं . बताया जाता है कि ग्राम पंचायत को मिली इस धनराशि से आदिवासियों को अंधेरे से छुटकारा भले नहीं मिला हों, लेकिन इस धनराशि से यहां पर पदस्थ सचिव और सरपंच की किस्मत ज़रूर बदल गयी . पैदल चलने वाले सरपंच पति को लाखों रूपयों की गाड़ी मिल गयी और सचिव महोदय के तों ठाठ ही निराले हैं.
बताया जाता है कि यहां पर पदस्थ महावीर सिंह को तो शासकीय धन राशि को खुर्द-बुर्द करने में महारत हासिल है , तभी तो अनुसूचित जनजाति सघन बस्ती विकास योजना में मिली लाखों रूपयों की धनराशि उड़ गई और गांव में अंधेरा ज्यों का त्यों पसरा हुआ है . विदित होवे कि इस मामले में बेली ग्राम पंचायत के बैगा बाहुल्य गांव जमुहाई में 100 के व्ही के चार टांसफार्मर लगाये गये है जिनकी अनुमानित लागत 28 लाख रूपए जो कि Rao MPKVVCL को भुगतान किए गए हैं ,यह भुगतान 7-5-24 कों किये जा चुके हैं , लेकिन अभी भी गांव में बिजली का प्रकाश देखने को नहीं मिला.
आश्चर्यजनक कहा जाये कि अभी हाल में बिजली विभाग द्वारा बिजली सप्लाई की टेस्ट करने के लिए चालू किया गया था कि नव टांसफार्मर जल गया . आखिर कार इस तरह के लगाये गये टांसफार्मर से गांव वालों का कितना भला होगा, यह सवाल हर एक के जेहन में छाया हुआ है . चाहे जो हो गांव के गांव अंधेरे में रहे, कोई जीये, कोई मरे, अपनी बला से , लेकिन सचिवो तो अपने मन मर्ज़ी से ही काम करना है . यह एक पंचायत की कहानी है ऐसे ही मामले कठ ई के चिनकी, सांस, गढरौला इत्यादि गांवों की बताई जाती है, साथ ही अन्य पंचायत इससे अछूती नहीं है . अपेक्षा है वरिष्ठ अधिकारी कुंभकर्णीय निद्रा से जाग इस मामले में आवश्यक पहल कर ग्रामीणो कों अंधेरे से छुटकारा दिलाने की कवायद करेंगे.