बेंगलुरू, 13 मई (आईएएनएस)। कर्नाटक में शीर्ष नेतृत्व के लिए चुनाव परिणाम महत्वपूर्ण हैं। वे परिणाम घोषित होने के बाद बड़ी भूमिकाओं के लिए होड़ में हैं। जीत और हार का सीधा असर विपक्ष के नेता सिद्धारमैया, कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार, पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार, पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी और मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई सहित अन्य बड़े नेताओं के राजनीतिक करियर पर पड़ेगा।
विपक्ष के नेता सिद्धारमैया की जीत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह मुख्यमंत्री पद के आकांक्षी हैं। बीजेपी ने वरुणा सीट पर उनके खिलाफ वी सोमन्ना के रूप में एक मजबूत उम्मीदवार खड़ा किया है। सिद्धारमैया की हार उन्हें मुख्यमंत्री की दौड़ से बाहर कर देगी।
एग्जिट पोल में कांग्रेस के सबसे बड़े दल के रूप में उभरने की भविष्यवाणी के साथ सिद्धारमैया के लिए दांव ऊंचे चल रहे हैं। नतीजों का सीधा असर आवास मंत्री वी. सोमन्ना के राजनीतिक करियर पर भी पड़ेगा। सोमन्ना को सिद्धारमैया को हराने पर पार्टी आलाकमान द्वारा उप मुख्यमंत्री पद का वादा किया गया है। सोमन्ना मैसूर की हाई वोल्टेज वरुणा सीट और पड़ोसी चामराजनगर की चामराजनगर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
वरुणा में 84.74 फीसदी वोटिंग हुई है। सिद्धारमैया ने घोषणा की है कि वह 30 हजार मतों से जीतेंगे, जबकि सोमन्ना ने दावा किया है कि वह आराम से जीतेंगे।
सभी की निगाहें हुबली-धारवाड़ सेंट्रल सीट पर भी हैं, जहां से कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार चुनाव लड़ रहे हैं। महत्वपूर्ण मोड़ पर उनके दलबदल से बौखलाए भाजपा ने उन्हें उन्हीं के क्षेत्र में हराने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। छह बार के विधायक शेट्टार का मुकाबला एक नए चेहरे और कभी उनके दाहिने हाथ माने जाने वाले महेश तेंगिनाकायी से है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हुबली में कई बैठकें की थीं।
लक्ष्मण सावदी, जो भाजपा से कांग्रेस में चले गए, बेलगावी जिले में अथानी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं और परिणामों का कांग्रेस में उनके भविष्य के राजनीतिक करियर पर सीधा असर पड़ेगा। दोनों नेताओं ने दावा किया है कि भाजपा नेतृत्व द्वारा अपमानित किए जाने के कारण उन्हें भगवा पार्टी छोड़नी पड़ी।
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई हावेरी जिले की शिगगांव सीट से फिर से चुनाव लड़ रहे हैं और उनकी जीत भाजपा में उनके भविष्य के करियर के लिए भी महत्वपूर्ण है। भाजपा के पूर्व मंत्री सी.पी. योगेश्वर का मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी। कुमारस्वामी ने 2019 में ऑपरेशन कमल में सक्रिय भूमिका निभाने वाले और कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन सरकार का पतन सुनिश्चित करने वाले योगेश्वर के राजनीतिक करियर को समाप्त करने की शपथ ली है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता एस. सुरेश कुमार को बेंगलुरु की राजाजीनगर सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार पुत्तन्ना से कड़ी टक्कर मिल रही है। भाजपा बेंगलुरु की चामराजपेट सीट कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बी.जेड. जमीर अहमद खान, जिनकी जड़ें बहुत गहरी हैं। भगवा पार्टी ने उनके खिलाफ बेंगलुरु के पूर्व पुलिस कमिश्नर भास्कर राव को मैदान में उतारा है।
यह चुनाव जनार्दन रेड्डी के लिए अस्तित्व का सवाल है, जिन्होंने कल्याण राज्य प्रगति पक्ष (केआरपीपी) का गठन किया था और भाजपा को चुनौती दी है। वह रायचूर जिले की गंगावती सीट से चुनाव लड़ रहे हैं और उनकी पत्नी अरुणा लक्ष्मी बल्लारी जिले में अपने बहनोई सोमशेखर रेड्डी के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं। रेड्डी पहले ही कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान कर चुके है। उनकी पार्टी का अस्तित्व उनकी जीत पर निर्भर करता है।
दक्षिण कन्नड़ जिले के पुत्तूर निर्वाचन क्षेत्र के नतीजों का भी बेसब्री से इंतजार है। सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) ने भाजपा कार्यकर्ता प्रवीण कुमार नेतरे हत्याकांड के आरोपी शफी बेलारे को अपना उम्मीदवार बनाया है। वह जेल से चुनाव लड़ रहे हैं।
कांग्रेस के पूर्व मंत्री और सिद्धारमैया के करीबी विनय कुलकर्णी धारवाड़ सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा कार्यकर्ता योगेश गौड़ा की हत्या के मामले में आरोपी कुलकर्णी को अदालत द्वारा अपने निर्वाचन क्षेत्र में प्रवेश करने पर प्रतिबंध का सामना करना पड़ रहा है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे और भाजपा प्रत्याशी मणिकांत राठौड़ के बीच मुकाबला और तीखी जुबानी जंग ने कलबुर्गी जिले के चित्तपुरा निर्वाचन क्षेत्र में उत्सुकता बढ़ा दी है।
–आईएएनएस
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