हुबली, 21 सितंबर (आईएएनएस)। कर्नाटक में जाति जनगणना को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर हिंदू समाज को तोड़ने का आरोप लगाते हुए कड़ा विरोध जताया है, जबकि सत्ताधारी कांग्रेस इसे सामाजिक-आर्थिक न्याय का जरूरी कदम बता रही है।
हुबली में मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा, “कांग्रेस पार्टी हमेशा हिंदू विरोधी रही है और समस्याएं पैदा करती रहती है। क्या आपने कभी लिंगायत ईसाई, ब्राह्मण ईसाई, कुरुबा ईसाई, एससी ईसाई या हरिजन ईसाई के बारे में सुना है?”
प्रल्हाद जोशी ने आरोप लगाए कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के मार्गदर्शन में सिद्धारमैया का उद्देश्य हिंदू समाज को तोड़ना है क्योंकि वह एक अति-वामपंथी और हिंदू विरोधी हैं।
भाजपा विधायक अरविंद बेल्लाड ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सिद्धारमैया सरकार रोजाना नए विवाद खड़े कर रही है ताकि लोगों का ध्यान विकास कार्यों से भटके। उन्होंने नवंबर में जारी होने वाली जाति जनगणना रिपोर्ट का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि यह सर्वेक्षण वामपंथी विचारधारा से प्रेरित है और इसका मकसद हिंदू समाज को बांटना है।
इससे पहले, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक बीवाई विजयेंद्र ने कहा कि कर्नाटक सरकार ने लोगों को उनके धर्म के आधार पर बांटने का खतरनाक काम शुरू कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यों के पास जाति जनगणना कराने का अधिकार नहीं है, फिर भी कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने इसे आगे बढ़ाया है और 47 नई जातियां भी बनाई हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि ईसाई लिंगायत, ईसाई वोक्कालिगा, ईसाई बुनकर और ईसाई अनुसूचित जाति व जनजाति जैसी श्रेणियां भ्रम पैदा करने के लिए गढ़ी गई हैं। इस दौरान, लोगों से अपील करते हुए विजयेंद्र ने कहा कि राष्ट्र और राज्य के हित में यह जरूरी है कि लोग अपना धर्म हिंदू लिखें।
भाजपा के आरोपों के बीच कर्नाटक सरकार के मुख्य सचेतक सलीम अहमद ने जातीय जनगणना के फैसले को सराहा है। उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि पार्टी ने मेनिफेस्टो में जातीय जनगणना का वादा किया था। सरकार पहले एक सर्वे करा चुकी है। यह री-सर्वे है, जो सोमवार से शुरू होगा। यह एक अच्छा फैसला है।
–आईएएनएस
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