बेलगावी (कर्नाटक), 7 दिसंबर (आईएएनएस)। इन अफवाहों के बीच कि कांग्रेस सरकार बेलगावी के सुवर्ण विधान सौध स्थित विधानसभा हॉल से हिंदुत्ववादी विचारक वीर सावरकर की तस्वीर हटा सकती है, कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष यू.टी. खादर ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि फिलहाल उनके सामने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।
इस मुद्दे पर पत्रकारों से बात करते हुए खादर ने बेलगावी स्थित सुवर्ण विधान सौध में कहा, “देखते हैं कि इस संबंध में प्रस्ताव मेरे सामने कब आता है। मेरे लिए मंत्री और विपक्षी नेता एक समान हैं।”
अध्यक्ष खादर ने इस बात पर भी जोर दिया कि उनके कार्य भारतीय संविधान के अनुरूप होंगे।
अफवाहों से पता चला कि मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के नेतृत्व वाली सरकार वीर सावरकर की तस्वीर के स्थान पर दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर लगाने पर विचार कर रही है।
इस बीच, आरडीपीआर, आईटी और बीटी मंत्री प्रियांक खड़गे ने वीर सावरकर पर भाजपा से चार सवाल पूछे और उन्हें हां या ना में जवाब देने की चुनौती दी।
वीर सावरकर की तस्वीर हटाने के बारे में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए प्रियांक खड़गे ने मांग की कि पहले भाजपा जवाब दे कि वीर सावरकर को ‘वीर’ की उपाधि किसने दी। उन्होंने कहा, “इसके बारे में कोई नहीं जानता, इसलिए उन्हें समझाने दीजिए।”
खड़गे ने आगे पूछा कि क्या सावरकर ने अंग्रेजों को लिखित दरखस्त देकर पेंशन की मांग की थी या नहीं, उन्होंने दावा किया कि उन्होंने इस मामले पर अंग्रेजों को चार या पांच बार दरखस्त लिखा था। इसके अलावा, मंत्री खड़गे ने सवाल किया कि क्या सावरकर के परिवार के सदस्यों ने उनकी पेंशन के बारे में अंग्रेजों को लिखा था।
उन्होंने कहा कि जिस समय सुभाष चंद्र बोस भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) का निर्माण कर रहे थे, उस समय सावरकर ने भारतीयों से ब्रिटिश सेना में शामिल होने का आह्वान क्यों किया था।
खड़गे ने कहा कि इन सवालों के जवाब देने के बाद ही भाजपा के नेता वीर सावरकर के बारे में बोल सकते हैं और उनकी प्रशंसा कर सकते हैं।
–आईएएनएस
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