बेंगलुरू, 29 दिसम्बर (आईएएनएस)। कर्नाटक सरकार ने गुरुवार को हाईकोर्ट में लिंगायत समुदाय के एक वर्ग को आरक्षण प्रदान करने के संबंध में पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट सौंपने के लिए समय मांगा है।
सरकार ने न्यायमूर्ति मोहम्मद नवाज और न्यायमूर्ति शिवशंकर गौड़ा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष यह बात रखी। बेंगलुरु निवासी एक डीजी राघवेंद्र ने मामले के संबंध में एक जनहित याचिका दायर की थी।
अधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी ने कहा कि रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सरकार को सौंप दी गई है। सरकार रिपोर्ट का सत्यापन करने के चरण में है, लेकिन उसने इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की है।
याचिकाकर्ता अधिवक्ता मंजूनाथ के वकील ने कहा कि आयोग द्वारा रिपोर्ट पहले ही पेश की जा चुकी है। इस संबंध में एक लेजिस्लेटर ने मीडिया से कहा था कि सरकार द्वारा समुदाय के एक वर्ग को आरक्षण देना लगभग तय है। उन्होंने कहा कि अदालत को सरकार को निर्देश देना चाहिए कि वह अदालत को रिपोर्ट पेश करे।
पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या जनहित याचिका में जनहित है। मामले की जांच जनवरी के पहले हफ्ते तक के लिए स्थगित कर दी। याचिकाकर्ता ने बताया कि पिछड़ा वर्ग आयोग ने 2000 में 2ए श्रेणी के तहत समुदाय के एक वर्ग को आरक्षण प्रदान करने की मांग को खारिज कर दिया था। सरकार अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण प्रदान करने के लिए तैयार है, जो कि अवैध है।
लिंगायत समुदाय के एक वर्ग के लोगों ने सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा आरक्षण प्रदान करने का आश्वासन देने के बाद अपना आंदोलन वापस ले लिया है। उन्होंने धमकी दी थी कि अगर आरक्षण नहीं दिया गया तो वह बेलगावी सुवर्ण विधान सौध का घेराव कर देंगे।
–आईएएनएस
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