कोलकाता, 23 अप्रैल (आईएएनएस)। कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने मुख्य सचिव को स्कूल में नौकरी के बदले नकदी घोटाला मामले में शामिल सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने को कहा था, लेकिन मुख्य सचिव ने ऐसा कुछ नहीं किया।
कोर्ट ने कहा कि यदि 2 मई तक सीबीआई को मंजूरी देने के मामले पर फैसला नहीं लिया गया, तो कोर्ट कार्रवाई करेगी।
न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति गौरांग कंठ की खंडपीठ ने कहा, “यदि मुख्य सचिव उस समय सीमा के भीतर फैसला लेने में विफल रहते हैं, तो उनके खिलाफ ‘अदालत की अवमानना’ का मामला चलेगा।”
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने पहले के रुख को दोहराया कि मुख्य सचिव लोकसभा चुनाव के बीच अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण इस मुद्दे पर विचार नहीं कर सकते।
इससे नाराज न्यायमूर्ति बागची ने कहा, ”यह देखना कोर्ट का काम है कि जांच और ट्रायल प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है या नहीं। अगर ऐसा लगता है कि इस संबंध में कोई बाधा आ रही है तो हमें उसे दूर करने के लिए काम करना होगा, यह हमारी जिम्मेदारी है।”
उन्होंने आगे कहा, “मुख्य सचिव के व्यस्त चुनाव कार्यक्रम का इस मामले में निर्णय लेने से कोई संबंध नहीं है। मुख्य सचिव बेवजह फैसले में देरी कर रहे हैं। क्या वह मामले की गंभीरता को समझने में विफल रहे हैं? क्या हमें यह मान लेना चाहिए कि ये आरोपी इतने प्रभावशाली हैं कि मुख्य सचिव भी मुकदमा शुरू करने का अंतिम निर्णय लेने से झिझक रहे हैं?”
–आईएएनएस
एफजेड/एसकेपी
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कोलकाता, 23 अप्रैल (आईएएनएस)। कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने मुख्य सचिव को स्कूल में नौकरी के बदले नकदी घोटाला मामले में शामिल सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने को कहा था, लेकिन मुख्य सचिव ने ऐसा कुछ नहीं किया।
कोर्ट ने कहा कि यदि 2 मई तक सीबीआई को मंजूरी देने के मामले पर फैसला नहीं लिया गया, तो कोर्ट कार्रवाई करेगी।
न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति गौरांग कंठ की खंडपीठ ने कहा, “यदि मुख्य सचिव उस समय सीमा के भीतर फैसला लेने में विफल रहते हैं, तो उनके खिलाफ ‘अदालत की अवमानना’ का मामला चलेगा।”
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने पहले के रुख को दोहराया कि मुख्य सचिव लोकसभा चुनाव के बीच अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण इस मुद्दे पर विचार नहीं कर सकते।
इससे नाराज न्यायमूर्ति बागची ने कहा, ”यह देखना कोर्ट का काम है कि जांच और ट्रायल प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है या नहीं। अगर ऐसा लगता है कि इस संबंध में कोई बाधा आ रही है तो हमें उसे दूर करने के लिए काम करना होगा, यह हमारी जिम्मेदारी है।”
उन्होंने आगे कहा, “मुख्य सचिव के व्यस्त चुनाव कार्यक्रम का इस मामले में निर्णय लेने से कोई संबंध नहीं है। मुख्य सचिव बेवजह फैसले में देरी कर रहे हैं। क्या वह मामले की गंभीरता को समझने में विफल रहे हैं? क्या हमें यह मान लेना चाहिए कि ये आरोपी इतने प्रभावशाली हैं कि मुख्य सचिव भी मुकदमा शुरू करने का अंतिम निर्णय लेने से झिझक रहे हैं?”
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कोलकाता, 23 अप्रैल (आईएएनएस)। कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने मुख्य सचिव को स्कूल में नौकरी के बदले नकदी घोटाला मामले में शामिल सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने को कहा था, लेकिन मुख्य सचिव ने ऐसा कुछ नहीं किया।
कोर्ट ने कहा कि यदि 2 मई तक सीबीआई को मंजूरी देने के मामले पर फैसला नहीं लिया गया, तो कोर्ट कार्रवाई करेगी।
न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति गौरांग कंठ की खंडपीठ ने कहा, “यदि मुख्य सचिव उस समय सीमा के भीतर फैसला लेने में विफल रहते हैं, तो उनके खिलाफ ‘अदालत की अवमानना’ का मामला चलेगा।”
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने पहले के रुख को दोहराया कि मुख्य सचिव लोकसभा चुनाव के बीच अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण इस मुद्दे पर विचार नहीं कर सकते।
इससे नाराज न्यायमूर्ति बागची ने कहा, ”यह देखना कोर्ट का काम है कि जांच और ट्रायल प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है या नहीं। अगर ऐसा लगता है कि इस संबंध में कोई बाधा आ रही है तो हमें उसे दूर करने के लिए काम करना होगा, यह हमारी जिम्मेदारी है।”
उन्होंने आगे कहा, “मुख्य सचिव के व्यस्त चुनाव कार्यक्रम का इस मामले में निर्णय लेने से कोई संबंध नहीं है। मुख्य सचिव बेवजह फैसले में देरी कर रहे हैं। क्या वह मामले की गंभीरता को समझने में विफल रहे हैं? क्या हमें यह मान लेना चाहिए कि ये आरोपी इतने प्रभावशाली हैं कि मुख्य सचिव भी मुकदमा शुरू करने का अंतिम निर्णय लेने से झिझक रहे हैं?”
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कोलकाता, 23 अप्रैल (आईएएनएस)। कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने मुख्य सचिव को स्कूल में नौकरी के बदले नकदी घोटाला मामले में शामिल सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने को कहा था, लेकिन मुख्य सचिव ने ऐसा कुछ नहीं किया।
कोर्ट ने कहा कि यदि 2 मई तक सीबीआई को मंजूरी देने के मामले पर फैसला नहीं लिया गया, तो कोर्ट कार्रवाई करेगी।
न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति गौरांग कंठ की खंडपीठ ने कहा, “यदि मुख्य सचिव उस समय सीमा के भीतर फैसला लेने में विफल रहते हैं, तो उनके खिलाफ ‘अदालत की अवमानना’ का मामला चलेगा।”
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने पहले के रुख को दोहराया कि मुख्य सचिव लोकसभा चुनाव के बीच अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण इस मुद्दे पर विचार नहीं कर सकते।
इससे नाराज न्यायमूर्ति बागची ने कहा, ”यह देखना कोर्ट का काम है कि जांच और ट्रायल प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है या नहीं। अगर ऐसा लगता है कि इस संबंध में कोई बाधा आ रही है तो हमें उसे दूर करने के लिए काम करना होगा, यह हमारी जिम्मेदारी है।”
उन्होंने आगे कहा, “मुख्य सचिव के व्यस्त चुनाव कार्यक्रम का इस मामले में निर्णय लेने से कोई संबंध नहीं है। मुख्य सचिव बेवजह फैसले में देरी कर रहे हैं। क्या वह मामले की गंभीरता को समझने में विफल रहे हैं? क्या हमें यह मान लेना चाहिए कि ये आरोपी इतने प्रभावशाली हैं कि मुख्य सचिव भी मुकदमा शुरू करने का अंतिम निर्णय लेने से झिझक रहे हैं?”
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कोर्ट ने कहा कि यदि 2 मई तक सीबीआई को मंजूरी देने के मामले पर फैसला नहीं लिया गया, तो कोर्ट कार्रवाई करेगी।
न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति गौरांग कंठ की खंडपीठ ने कहा, “यदि मुख्य सचिव उस समय सीमा के भीतर फैसला लेने में विफल रहते हैं, तो उनके खिलाफ ‘अदालत की अवमानना’ का मामला चलेगा।”
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने पहले के रुख को दोहराया कि मुख्य सचिव लोकसभा चुनाव के बीच अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण इस मुद्दे पर विचार नहीं कर सकते।
इससे नाराज न्यायमूर्ति बागची ने कहा, ”यह देखना कोर्ट का काम है कि जांच और ट्रायल प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है या नहीं। अगर ऐसा लगता है कि इस संबंध में कोई बाधा आ रही है तो हमें उसे दूर करने के लिए काम करना होगा, यह हमारी जिम्मेदारी है।”
उन्होंने आगे कहा, “मुख्य सचिव के व्यस्त चुनाव कार्यक्रम का इस मामले में निर्णय लेने से कोई संबंध नहीं है। मुख्य सचिव बेवजह फैसले में देरी कर रहे हैं। क्या वह मामले की गंभीरता को समझने में विफल रहे हैं? क्या हमें यह मान लेना चाहिए कि ये आरोपी इतने प्रभावशाली हैं कि मुख्य सचिव भी मुकदमा शुरू करने का अंतिम निर्णय लेने से झिझक रहे हैं?”
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कोर्ट ने कहा कि यदि 2 मई तक सीबीआई को मंजूरी देने के मामले पर फैसला नहीं लिया गया, तो कोर्ट कार्रवाई करेगी।
न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति गौरांग कंठ की खंडपीठ ने कहा, “यदि मुख्य सचिव उस समय सीमा के भीतर फैसला लेने में विफल रहते हैं, तो उनके खिलाफ ‘अदालत की अवमानना’ का मामला चलेगा।”
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने पहले के रुख को दोहराया कि मुख्य सचिव लोकसभा चुनाव के बीच अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण इस मुद्दे पर विचार नहीं कर सकते।
इससे नाराज न्यायमूर्ति बागची ने कहा, ”यह देखना कोर्ट का काम है कि जांच और ट्रायल प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है या नहीं। अगर ऐसा लगता है कि इस संबंध में कोई बाधा आ रही है तो हमें उसे दूर करने के लिए काम करना होगा, यह हमारी जिम्मेदारी है।”
उन्होंने आगे कहा, “मुख्य सचिव के व्यस्त चुनाव कार्यक्रम का इस मामले में निर्णय लेने से कोई संबंध नहीं है। मुख्य सचिव बेवजह फैसले में देरी कर रहे हैं। क्या वह मामले की गंभीरता को समझने में विफल रहे हैं? क्या हमें यह मान लेना चाहिए कि ये आरोपी इतने प्रभावशाली हैं कि मुख्य सचिव भी मुकदमा शुरू करने का अंतिम निर्णय लेने से झिझक रहे हैं?”
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कोर्ट ने कहा कि यदि 2 मई तक सीबीआई को मंजूरी देने के मामले पर फैसला नहीं लिया गया, तो कोर्ट कार्रवाई करेगी।
न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति गौरांग कंठ की खंडपीठ ने कहा, “यदि मुख्य सचिव उस समय सीमा के भीतर फैसला लेने में विफल रहते हैं, तो उनके खिलाफ ‘अदालत की अवमानना’ का मामला चलेगा।”
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने पहले के रुख को दोहराया कि मुख्य सचिव लोकसभा चुनाव के बीच अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण इस मुद्दे पर विचार नहीं कर सकते।
इससे नाराज न्यायमूर्ति बागची ने कहा, ”यह देखना कोर्ट का काम है कि जांच और ट्रायल प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है या नहीं। अगर ऐसा लगता है कि इस संबंध में कोई बाधा आ रही है तो हमें उसे दूर करने के लिए काम करना होगा, यह हमारी जिम्मेदारी है।”
उन्होंने आगे कहा, “मुख्य सचिव के व्यस्त चुनाव कार्यक्रम का इस मामले में निर्णय लेने से कोई संबंध नहीं है। मुख्य सचिव बेवजह फैसले में देरी कर रहे हैं। क्या वह मामले की गंभीरता को समझने में विफल रहे हैं? क्या हमें यह मान लेना चाहिए कि ये आरोपी इतने प्रभावशाली हैं कि मुख्य सचिव भी मुकदमा शुरू करने का अंतिम निर्णय लेने से झिझक रहे हैं?”
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कोर्ट ने कहा कि यदि 2 मई तक सीबीआई को मंजूरी देने के मामले पर फैसला नहीं लिया गया, तो कोर्ट कार्रवाई करेगी।
न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति गौरांग कंठ की खंडपीठ ने कहा, “यदि मुख्य सचिव उस समय सीमा के भीतर फैसला लेने में विफल रहते हैं, तो उनके खिलाफ ‘अदालत की अवमानना’ का मामला चलेगा।”
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने पहले के रुख को दोहराया कि मुख्य सचिव लोकसभा चुनाव के बीच अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण इस मुद्दे पर विचार नहीं कर सकते।
इससे नाराज न्यायमूर्ति बागची ने कहा, ”यह देखना कोर्ट का काम है कि जांच और ट्रायल प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है या नहीं। अगर ऐसा लगता है कि इस संबंध में कोई बाधा आ रही है तो हमें उसे दूर करने के लिए काम करना होगा, यह हमारी जिम्मेदारी है।”
उन्होंने आगे कहा, “मुख्य सचिव के व्यस्त चुनाव कार्यक्रम का इस मामले में निर्णय लेने से कोई संबंध नहीं है। मुख्य सचिव बेवजह फैसले में देरी कर रहे हैं। क्या वह मामले की गंभीरता को समझने में विफल रहे हैं? क्या हमें यह मान लेना चाहिए कि ये आरोपी इतने प्रभावशाली हैं कि मुख्य सचिव भी मुकदमा शुरू करने का अंतिम निर्णय लेने से झिझक रहे हैं?”
–आईएएनएस
एफजेड/एसकेपी
कोलकाता, 23 अप्रैल (आईएएनएस)। कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने मुख्य सचिव को स्कूल में नौकरी के बदले नकदी घोटाला मामले में शामिल सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने को कहा था, लेकिन मुख्य सचिव ने ऐसा कुछ नहीं किया।
कोर्ट ने कहा कि यदि 2 मई तक सीबीआई को मंजूरी देने के मामले पर फैसला नहीं लिया गया, तो कोर्ट कार्रवाई करेगी।
न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति गौरांग कंठ की खंडपीठ ने कहा, “यदि मुख्य सचिव उस समय सीमा के भीतर फैसला लेने में विफल रहते हैं, तो उनके खिलाफ ‘अदालत की अवमानना’ का मामला चलेगा।”
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने पहले के रुख को दोहराया कि मुख्य सचिव लोकसभा चुनाव के बीच अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण इस मुद्दे पर विचार नहीं कर सकते।
इससे नाराज न्यायमूर्ति बागची ने कहा, ”यह देखना कोर्ट का काम है कि जांच और ट्रायल प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है या नहीं। अगर ऐसा लगता है कि इस संबंध में कोई बाधा आ रही है तो हमें उसे दूर करने के लिए काम करना होगा, यह हमारी जिम्मेदारी है।”
उन्होंने आगे कहा, “मुख्य सचिव के व्यस्त चुनाव कार्यक्रम का इस मामले में निर्णय लेने से कोई संबंध नहीं है। मुख्य सचिव बेवजह फैसले में देरी कर रहे हैं। क्या वह मामले की गंभीरता को समझने में विफल रहे हैं? क्या हमें यह मान लेना चाहिए कि ये आरोपी इतने प्रभावशाली हैं कि मुख्य सचिव भी मुकदमा शुरू करने का अंतिम निर्णय लेने से झिझक रहे हैं?”
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कोर्ट ने कहा कि यदि 2 मई तक सीबीआई को मंजूरी देने के मामले पर फैसला नहीं लिया गया, तो कोर्ट कार्रवाई करेगी।
न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति गौरांग कंठ की खंडपीठ ने कहा, “यदि मुख्य सचिव उस समय सीमा के भीतर फैसला लेने में विफल रहते हैं, तो उनके खिलाफ ‘अदालत की अवमानना’ का मामला चलेगा।”
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने पहले के रुख को दोहराया कि मुख्य सचिव लोकसभा चुनाव के बीच अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण इस मुद्दे पर विचार नहीं कर सकते।
इससे नाराज न्यायमूर्ति बागची ने कहा, ”यह देखना कोर्ट का काम है कि जांच और ट्रायल प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है या नहीं। अगर ऐसा लगता है कि इस संबंध में कोई बाधा आ रही है तो हमें उसे दूर करने के लिए काम करना होगा, यह हमारी जिम्मेदारी है।”
उन्होंने आगे कहा, “मुख्य सचिव के व्यस्त चुनाव कार्यक्रम का इस मामले में निर्णय लेने से कोई संबंध नहीं है। मुख्य सचिव बेवजह फैसले में देरी कर रहे हैं। क्या वह मामले की गंभीरता को समझने में विफल रहे हैं? क्या हमें यह मान लेना चाहिए कि ये आरोपी इतने प्रभावशाली हैं कि मुख्य सचिव भी मुकदमा शुरू करने का अंतिम निर्णय लेने से झिझक रहे हैं?”
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कोर्ट ने कहा कि यदि 2 मई तक सीबीआई को मंजूरी देने के मामले पर फैसला नहीं लिया गया, तो कोर्ट कार्रवाई करेगी।
न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति गौरांग कंठ की खंडपीठ ने कहा, “यदि मुख्य सचिव उस समय सीमा के भीतर फैसला लेने में विफल रहते हैं, तो उनके खिलाफ ‘अदालत की अवमानना’ का मामला चलेगा।”
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने पहले के रुख को दोहराया कि मुख्य सचिव लोकसभा चुनाव के बीच अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण इस मुद्दे पर विचार नहीं कर सकते।
इससे नाराज न्यायमूर्ति बागची ने कहा, ”यह देखना कोर्ट का काम है कि जांच और ट्रायल प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है या नहीं। अगर ऐसा लगता है कि इस संबंध में कोई बाधा आ रही है तो हमें उसे दूर करने के लिए काम करना होगा, यह हमारी जिम्मेदारी है।”
उन्होंने आगे कहा, “मुख्य सचिव के व्यस्त चुनाव कार्यक्रम का इस मामले में निर्णय लेने से कोई संबंध नहीं है। मुख्य सचिव बेवजह फैसले में देरी कर रहे हैं। क्या वह मामले की गंभीरता को समझने में विफल रहे हैं? क्या हमें यह मान लेना चाहिए कि ये आरोपी इतने प्रभावशाली हैं कि मुख्य सचिव भी मुकदमा शुरू करने का अंतिम निर्णय लेने से झिझक रहे हैं?”
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कोर्ट ने कहा कि यदि 2 मई तक सीबीआई को मंजूरी देने के मामले पर फैसला नहीं लिया गया, तो कोर्ट कार्रवाई करेगी।
न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति गौरांग कंठ की खंडपीठ ने कहा, “यदि मुख्य सचिव उस समय सीमा के भीतर फैसला लेने में विफल रहते हैं, तो उनके खिलाफ ‘अदालत की अवमानना’ का मामला चलेगा।”
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने पहले के रुख को दोहराया कि मुख्य सचिव लोकसभा चुनाव के बीच अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण इस मुद्दे पर विचार नहीं कर सकते।
इससे नाराज न्यायमूर्ति बागची ने कहा, ”यह देखना कोर्ट का काम है कि जांच और ट्रायल प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है या नहीं। अगर ऐसा लगता है कि इस संबंध में कोई बाधा आ रही है तो हमें उसे दूर करने के लिए काम करना होगा, यह हमारी जिम्मेदारी है।”
उन्होंने आगे कहा, “मुख्य सचिव के व्यस्त चुनाव कार्यक्रम का इस मामले में निर्णय लेने से कोई संबंध नहीं है। मुख्य सचिव बेवजह फैसले में देरी कर रहे हैं। क्या वह मामले की गंभीरता को समझने में विफल रहे हैं? क्या हमें यह मान लेना चाहिए कि ये आरोपी इतने प्रभावशाली हैं कि मुख्य सचिव भी मुकदमा शुरू करने का अंतिम निर्णय लेने से झिझक रहे हैं?”
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कोर्ट ने कहा कि यदि 2 मई तक सीबीआई को मंजूरी देने के मामले पर फैसला नहीं लिया गया, तो कोर्ट कार्रवाई करेगी।
न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति गौरांग कंठ की खंडपीठ ने कहा, “यदि मुख्य सचिव उस समय सीमा के भीतर फैसला लेने में विफल रहते हैं, तो उनके खिलाफ ‘अदालत की अवमानना’ का मामला चलेगा।”
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने पहले के रुख को दोहराया कि मुख्य सचिव लोकसभा चुनाव के बीच अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण इस मुद्दे पर विचार नहीं कर सकते।
इससे नाराज न्यायमूर्ति बागची ने कहा, ”यह देखना कोर्ट का काम है कि जांच और ट्रायल प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है या नहीं। अगर ऐसा लगता है कि इस संबंध में कोई बाधा आ रही है तो हमें उसे दूर करने के लिए काम करना होगा, यह हमारी जिम्मेदारी है।”
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कोर्ट ने कहा कि यदि 2 मई तक सीबीआई को मंजूरी देने के मामले पर फैसला नहीं लिया गया, तो कोर्ट कार्रवाई करेगी।
न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति गौरांग कंठ की खंडपीठ ने कहा, “यदि मुख्य सचिव उस समय सीमा के भीतर फैसला लेने में विफल रहते हैं, तो उनके खिलाफ ‘अदालत की अवमानना’ का मामला चलेगा।”
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने पहले के रुख को दोहराया कि मुख्य सचिव लोकसभा चुनाव के बीच अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण इस मुद्दे पर विचार नहीं कर सकते।
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कोर्ट ने कहा कि यदि 2 मई तक सीबीआई को मंजूरी देने के मामले पर फैसला नहीं लिया गया, तो कोर्ट कार्रवाई करेगी।
न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति गौरांग कंठ की खंडपीठ ने कहा, “यदि मुख्य सचिव उस समय सीमा के भीतर फैसला लेने में विफल रहते हैं, तो उनके खिलाफ ‘अदालत की अवमानना’ का मामला चलेगा।”
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इससे नाराज न्यायमूर्ति बागची ने कहा, ”यह देखना कोर्ट का काम है कि जांच और ट्रायल प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है या नहीं। अगर ऐसा लगता है कि इस संबंध में कोई बाधा आ रही है तो हमें उसे दूर करने के लिए काम करना होगा, यह हमारी जिम्मेदारी है।”
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कोर्ट ने कहा कि यदि 2 मई तक सीबीआई को मंजूरी देने के मामले पर फैसला नहीं लिया गया, तो कोर्ट कार्रवाई करेगी।
न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति गौरांग कंठ की खंडपीठ ने कहा, “यदि मुख्य सचिव उस समय सीमा के भीतर फैसला लेने में विफल रहते हैं, तो उनके खिलाफ ‘अदालत की अवमानना’ का मामला चलेगा।”
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इससे नाराज न्यायमूर्ति बागची ने कहा, ”यह देखना कोर्ट का काम है कि जांच और ट्रायल प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है या नहीं। अगर ऐसा लगता है कि इस संबंध में कोई बाधा आ रही है तो हमें उसे दूर करने के लिए काम करना होगा, यह हमारी जिम्मेदारी है।”
उन्होंने आगे कहा, “मुख्य सचिव के व्यस्त चुनाव कार्यक्रम का इस मामले में निर्णय लेने से कोई संबंध नहीं है। मुख्य सचिव बेवजह फैसले में देरी कर रहे हैं। क्या वह मामले की गंभीरता को समझने में विफल रहे हैं? क्या हमें यह मान लेना चाहिए कि ये आरोपी इतने प्रभावशाली हैं कि मुख्य सचिव भी मुकदमा शुरू करने का अंतिम निर्णय लेने से झिझक रहे हैं?”