कोलकाता, 20 जनवरी (आईएएनएस)। कलकत्ता मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की एक आंतरिक समिति ने अपनी रिपोर्ट में देश के दो वरिष्ठ स्नातकोत्तर प्रशिक्षुओं (पीजीटी) को जूनियर छात्रों की रैगिंग में शामिल होने का दोषी ठहराया है।
मामले के जानकार सूत्रों ने बताया कि दोषी पाए गए ये दोनों पीजीटी मेडिकल कॉलेज के आर्थोपेडिक विभाग से जुड़े हैं।
वे द्वितीय वर्ष में हैं और प्रथम वर्ष के कुछ छात्र इनकी रैगिंग का शिकार हुए थे।
सूत्रों ने कहा कि ऐसे मामलों में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की सिफारिशों के अनुसार उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
इस महीने की शुरुआत में दो जूनियर स्नातकोत्तर प्रशिक्षुओं ने इन दो वरिष्ठ पीजीटी द्वारा शारीरिक उत्पीड़न की शिकायत की थी।
दो पीड़ितों में से एक ने तो यहां तक आरोप लगाया कि पिछले चार महीनों से उसके साथ जबरदस्त शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रैगिंग की जा रही थी, जिसके परिणामस्वरूप उसे मनोवैज्ञानिक से भी परामर्श लेना पड़ा।
इस घटनाक्रम ने राज्य के अकादमिक जगत में हलचल पैदा कर दी, खासकर पिछले साल अगस्त में जादवपुर विश्वविद्यालय के एक छात्र की रैगिंग से संबंधित आत्महत्या की पृष्ठभूमि में।
मामले की जांच से पता चला कि परिसर के भीतर, विशेषकर छात्रों के छात्रावासों में रैगिंग की समस्या को रोकने में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के दिशानिर्देशों का पालन करने में विश्वविद्यालय अधिकारियों की ओर से घोर लापरवाही हुई थी। उस मामले में विश्वविद्यालय के कई वर्तमान और पूर्व छात्रों को कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार किया था और वे फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
–आईएएनएस
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