कोलकाता, 21 दिसंबर (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने गुरुवार दोपहर एक बयान जारी कर कलकत्ता हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील और न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा के पति प्रताप चंद्र डे को परेशान करने के आरोपों से इनकार किया है।
सीआईडी का यह बयान प्रताप चंद्र डे द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजी गई विज्ञप्ति के ठीक एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने सीआईडी अधिकारियों पर उनकी पत्नी के खिलाफ बयान देने के लिए दबाव डालने का आरोप लगाया था।
उन्होंने शिकायत विज्ञप्ति की कॉपियां केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंदा बोस, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कोलकाता मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट के बार एसोसिएशन को भी भेजी थीं।
प्रताप चंद्र डे ने सीआईडी अधिकारियों पर उन्हें एक मामले में गवाह के रूप में बुलाने और उसके बाद उनकी पत्नी के खिलाफ बयान देने के लिए दबाव डालने का आरोप लगाया था।
सीआईडी ने जो गुरुवार को बयान जारी किया है उसकी कॉपी आईएएनएस के पास उपलब्ध है। बयान में एजेंसी के अधिकारियों ने दावा किया कि प्रताप चंद्र डे को एक मामले में पूछताछ के लिए 1 दिसंबर और 16 दिसंबर को बुलाया गया था, जिसकी जांच सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद की जा रही है।
सीआईडी अधिकारियों ने प्रताप चंद्र डे पर पेशी के लिए देर से आने का आरोप लगाया और यह भी दावा किया कि उन्होंने देर से आने के बारे में कोई पूर्व सूचना नहीं दी थी।
सीआईडी ने दावा किया कि पूछताछ के दौरान उनके साथ अच्छा व्यवहार किया गया। प्रताप चंद्र डे को चाय और पानी की पेशकश की गई और उनसे बिल्कुल भी पूछताछ नहीं की गई।
सीआईडी के बयान में कहा गया है कि प्रासंगिक रूप से पूरी जांच पड़ताल और सीआईडी के परिसर के भीतर उसकी गतिविधियां या तो वीडियो रिकॉर्डिंग में या सीसीटीवी में दर्ज की गई, उन क्षेत्रों को छोड़कर जहां कोई सीसीटीवी नहीं लगाया गया जैसे ब्रेक-रूम/शौचालय आदि।
सीआईडी अधिकारियों ने यह भी दावा किया कि प्रताप चंद्र डे से केवल उस मामले के संबंध में पूछताछ की गई थी जिसके लिए उन्हें बुलाया गया था। सीआईडी ने यह भी दावा किया है कि सीआईडी के खिलाफ आरोप एजेंसी की इमेज को खराब करने के प्रयास थे, जो न केवल दुर्भावनापूर्ण थे बल्कि जांच प्रक्रिया के प्रयासों को पटरी से उतारने के एकमात्र इरादे से थे।
–आईएएनएस
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