कोलकाता, 10 मार्च (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) से उचित सिफारिश पत्र के बिना राज्य के विभिन्न सरकारी स्कूलों में ग्रुप-सी कैटेगिरी में गैर-शिक्षण कर्मचारियों में 57 नियुक्तियों पर सवाल उठाया।
न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहा: यह कैसे मुमकिन है कि डब्ल्यूबीएसएससी की वैध सिफारिश के बिना ग्रुप-सी के 57 कर्मचारियों की भर्ती की गई। उस मामले में सवाल यह है कि भर्ती के लिए वास्तव में उनकी सिफारिश किसने की थी। क्या यह एसपी सिन्हा थे?
न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने आयोग को आदेश दिया कि इन 57 लोगों के नाम तत्काल आयोग की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाए जिसके बाद सुनवाई जारी रहेगी।
सिन्हा डब्ल्यूबीएसएससी स्क्रीनिंग कमेटी का नेतृत्व कर रहे थे, जिसका गठन आयोग ने राज्य के तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के कार्यकाल के दौरान किया था।
न्यायमूर्ति रंजीत कुमार बाग की अध्यक्षता वाली एक न्यायिक जांच समिति ने पाया कि स्क्रीनिंग कमेटी का गठन सभी मानदंडों का उल्लंघन करते हुए किया गया था और सिन्हा को सरकारी स्कूलों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की अवैध भर्ती को सुविधाजनक बनाने के लिए उस समिति का प्रमुख बनाया गया।
चटर्जी और सिन्हा दोनों इस समय घोटाले में कथित संलिप्तता के लिए न्यायिक हिरासत में हैं।
निर्धारित मानदंडों के अनुसार, हालांकि डब्ल्यूबीएसएससी शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों का चयन प्राधिकरण है, यह उसी के लिए नियुक्ति प्राधिकारी नहीं है। नियम के अनुसार, डब्ल्यूबीएसएससीचयनित श्रेणियों को नियुक्तियों की सिफारिशें देता है और उसके आधार पर, पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (डब्ल्यूबीएसएससी ) नियुक्ति करता है।
हालांकि, ग्रुप-सी कैटेगिरी के इन 57 मामलों में सभी को आयोग की सिफारिश के बिना नियुक्त किया गया था।
–आईएएनएस
पीके/एएनएम