कोलकाता, 5 दिसंबर (आईएएनएस)। कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल में स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति में पारदर्शिता की कमी पर सवाल उठाया।
यह पूछते हुए कि क्या राज्य में शिक्षकों की पोस्टिंग के मामले में चापलूसी पात्रता कारक को खत्म कर देते हैं, न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा ने राज्य सरकार और जिला प्राथमिक विद्यालय परिषद (डीपीएससी) को 18 दिसंबर तक राज्य में मौजूदा पोस्टिंग नीति के संबंध में एक हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया, जब मामले की सुनवाई होगी।
न्यायमूर्ति मंथा ने यह भी कहा कि अगर चापलूसी और प्रभाव पोस्टिंग का निर्धारण करने वाले प्रमुख कारक हैं, तो भविष्य में नए शिक्षक भी अपने निवास या अपने मंगेतर के निवास के पास पोस्टिंग के लिए अनुरोध कर सकते हैं।
वह पूर्वी मिदनापुर जिले में शिक्षकों की नियुक्ति में अनियमितता का आरोप लगाने वाली सात शिक्षकों की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि जिले में शिक्षकों की पोस्टिंग में ऐसी अनियमितताएं हुईं क्योंकि कुछ प्रभावशाली राजनीतिक हस्तियों ने मामले में हस्तक्षेप किया।
उन्होंने यह भी कहा कि इस संबंध में राज्य में मौजूदा दिशानिर्देशों के बारे में सवाल उठाने के अलावा शिक्षकों की पोस्टिंग के संबंध में विशिष्ट दिशानिर्देश होने चाहिए।
डीपीएससी प्रतिनिधि इस संबंध में कोई विशेष स्पष्टीकरण देने में विफल रहने के बाद, न्यायमूर्ति मंथा ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख तक हलफनामा जमा करने का आदेश दिया।
उन्होंने यह भी सवाल किया कि पूर्वी मिदनापुर जिले में पोस्टिंग के लिए काउंसलिंग क्यों नहीं हो रही है, जबकि कुछ अन्य जिलों में भी ऐसा ही हो रहा है।
इस पर डीपीएससी प्रतिनिधि ने अदालत को बताया कि पोस्टिंग संबंधी काउंसलिंग के संबंध में कोई विशेष दिशानिर्देश नहीं है।
–आईएएनएस
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