कोलकाता, 14 जनवरी (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने तृणमूल कांग्रेस के विश्वासपात्र वकीलों द्वारा अपने साथी पेशेवरों को अदालत में प्रवेश करने से रोकने के प्रयासों के संबंध में न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के लिए तीन न्यायाधीशों की एक विशेष पीठ का गठन किया है।
न्यायमूर्ति मंथा की अदालत के सामने हंगामा आखिरकार बुधवार से समाप्त हो गया क्योंकि बाद में अदालत के नियम की अवमानना जारी की गई और इस मामले में स्वत: संज्ञान याचिका भी दायर की गई, हालांकि सरकारी वकीलों और लोक अभियोजकों के एक वर्ग ने उनकी अदालत का बहिष्कार जारी रखा है।
इस बीच, कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव द्वारा गठित तीन-न्यायाधीशों की पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति टी.एस. शिवज्ञानम, इंद्र प्रसन्ना मुखर्जी और चित्तरंजन दास है।
मामले की सुनवाई अगले हफ्ते कभी भी हो सकती है।
इस बीच, बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सोमवार और मंगलवार को हुए विरोध प्रदर्शनों की जांच के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय में तीन सदस्यीय टीम भेजने का फैसला किया है।
सुप्रीम कोर्ट के वकील रवींद्र कुमार रायजदा, इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस अशोक मेहता और दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारी समिति की सदस्य वंदना कौर ग्रोवर की टीम 17 जनवरी को एक रिपोर्ट सौंपेगी।
विकास पर प्रतिक्रिया देते हुए बार काउंसिल ऑफ वेस्ट बंगाल के अध्यक्ष और तृणमूल कांग्रेस के विधायक अशोक देब ने कहा है, बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने पश्चिम बंगाल की बार काउंसिल से परामर्श किए बिना तथ्यान्वेषी टीम भेजने का फैसला किया।
उस टीम में पश्चिम बंगाल का कोई प्रतिनिधि नहीं है। मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि तथ्यान्वेषी टीम के सदस्यों को अपने साथ पश्चिम बंगाल बार काउंसिल के किसी प्रतिनिधि को लिए बिना कोई स्वतंत्र जांच नहीं करनी चाहिए।
–आईएएनएस
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