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Home ताज़ा समाचार

कवि कुमार विश्‍वास ने परिवार सहित गंगा की आरती की, सिद्धपीठ मां चंडी देवी के भी किए दर्शन

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October 29, 2023
in ताज़ा समाचार
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हरिद्वार, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)। कवि डॉ. कुमार विश्‍वास ने बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ धाम में दर्शन किए उसके बाद हरिद्वार पंहुचे, जहां उन्होंने अपने परिवार के साथ मां गंगा की आरती की। इसके बाद उन्होंने सिद्धपीठ मां चंडी देवी के दर्शन भी किए।

इस दौरान निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्‍वर कैलाशानंद गिरि और खानपुर विधायक उमेश कुमार भी मौजूद रहे। उन्होंने सनातन धर्म के खिलाफ बोलने वालों के लिए कहा कि हिंदू वो धर्म है, जिसमें ईश्‍वर उनको शरण भी देता है और क्षमा भी करता है।

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कुमार विश्‍वास ने हरिद्वार में गंगा आरती में भाग लेने के बाद एक भजन भी सुनाया। उन्‍होंने कहा, “यह मेरे पुण्यों का उद्भव है कि आज मैं अपने माता-पिता के साथ, जो मैंने विश्‍वविद्यालय बनाने का संकल्प लिया है, उसकी अनुमति लेने के लिए बदरी विशाल- बाबा केदार और हरिद्वार में मां गंगा के दर पर आया हूं। हरकी पैड़ी पर गंगासभा के सौजन्य से गंगा आरती में पुण्य प्राप्त करने का शोभाग्य प्राप्त हुआ’।”

उन्होंने कहा कि गंगा कोई नदी नहीं है, बल्कि भारत की संस्कृति की रेखा है, जिसके दोनों किनारों पर यह देश स्तंभित है। वहीं सनातन धर्म के सवाल पर कवि विश्‍वास ने कहा, “मैं इस विषय पर कोई ज्यादा टिप्पणी नहीं करूंगा, क्योंकि मेरा मानना है कि एक ऐसी चिरंजीवी विचारधारा, जो हजारों वर्षों से इस तरह खड़ी हुई है, जिस पर इतने प्रकार के हमले हुए हैं, लेकिन उसके बाद भी विश्‍वभर में उसकी कीर्ति, उसको गाने वाले, उसमें आस्था रखने वाले, उसमें जन्म लेकर स्वयं विलीन हो जाने वाले करोड़ों- करोड़ों लोग युगों-युगों से हैं। किसी के बयान देने या किसी के कुछ कहने से मुझ जैसे व्यक्ति को नहीं लगता कि उसके लिए कोई टिप्पणी करनी चाहिए। मैं तो उस धर्म में हूं, जहां धर्म के विपरीत बोलने वालों को भी ईश्‍वर शरण देता है और उनको क्षमा करता है।”

–आईएएनएस

स्मिता/एसजीके

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हरिद्वार, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)। कवि डॉ. कुमार विश्‍वास ने बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ धाम में दर्शन किए उसके बाद हरिद्वार पंहुचे, जहां उन्होंने अपने परिवार के साथ मां गंगा की आरती की। इसके बाद उन्होंने सिद्धपीठ मां चंडी देवी के दर्शन भी किए।

इस दौरान निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्‍वर कैलाशानंद गिरि और खानपुर विधायक उमेश कुमार भी मौजूद रहे। उन्होंने सनातन धर्म के खिलाफ बोलने वालों के लिए कहा कि हिंदू वो धर्म है, जिसमें ईश्‍वर उनको शरण भी देता है और क्षमा भी करता है।

कुमार विश्‍वास ने हरिद्वार में गंगा आरती में भाग लेने के बाद एक भजन भी सुनाया। उन्‍होंने कहा, “यह मेरे पुण्यों का उद्भव है कि आज मैं अपने माता-पिता के साथ, जो मैंने विश्‍वविद्यालय बनाने का संकल्प लिया है, उसकी अनुमति लेने के लिए बदरी विशाल- बाबा केदार और हरिद्वार में मां गंगा के दर पर आया हूं। हरकी पैड़ी पर गंगासभा के सौजन्य से गंगा आरती में पुण्य प्राप्त करने का शोभाग्य प्राप्त हुआ’।”

उन्होंने कहा कि गंगा कोई नदी नहीं है, बल्कि भारत की संस्कृति की रेखा है, जिसके दोनों किनारों पर यह देश स्तंभित है। वहीं सनातन धर्म के सवाल पर कवि विश्‍वास ने कहा, “मैं इस विषय पर कोई ज्यादा टिप्पणी नहीं करूंगा, क्योंकि मेरा मानना है कि एक ऐसी चिरंजीवी विचारधारा, जो हजारों वर्षों से इस तरह खड़ी हुई है, जिस पर इतने प्रकार के हमले हुए हैं, लेकिन उसके बाद भी विश्‍वभर में उसकी कीर्ति, उसको गाने वाले, उसमें आस्था रखने वाले, उसमें जन्म लेकर स्वयं विलीन हो जाने वाले करोड़ों- करोड़ों लोग युगों-युगों से हैं। किसी के बयान देने या किसी के कुछ कहने से मुझ जैसे व्यक्ति को नहीं लगता कि उसके लिए कोई टिप्पणी करनी चाहिए। मैं तो उस धर्म में हूं, जहां धर्म के विपरीत बोलने वालों को भी ईश्‍वर शरण देता है और उनको क्षमा करता है।”

–आईएएनएस

स्मिता/एसजीके

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हरिद्वार, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)। कवि डॉ. कुमार विश्‍वास ने बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ धाम में दर्शन किए उसके बाद हरिद्वार पंहुचे, जहां उन्होंने अपने परिवार के साथ मां गंगा की आरती की। इसके बाद उन्होंने सिद्धपीठ मां चंडी देवी के दर्शन भी किए।

इस दौरान निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्‍वर कैलाशानंद गिरि और खानपुर विधायक उमेश कुमार भी मौजूद रहे। उन्होंने सनातन धर्म के खिलाफ बोलने वालों के लिए कहा कि हिंदू वो धर्म है, जिसमें ईश्‍वर उनको शरण भी देता है और क्षमा भी करता है।

कुमार विश्‍वास ने हरिद्वार में गंगा आरती में भाग लेने के बाद एक भजन भी सुनाया। उन्‍होंने कहा, “यह मेरे पुण्यों का उद्भव है कि आज मैं अपने माता-पिता के साथ, जो मैंने विश्‍वविद्यालय बनाने का संकल्प लिया है, उसकी अनुमति लेने के लिए बदरी विशाल- बाबा केदार और हरिद्वार में मां गंगा के दर पर आया हूं। हरकी पैड़ी पर गंगासभा के सौजन्य से गंगा आरती में पुण्य प्राप्त करने का शोभाग्य प्राप्त हुआ’।”

उन्होंने कहा कि गंगा कोई नदी नहीं है, बल्कि भारत की संस्कृति की रेखा है, जिसके दोनों किनारों पर यह देश स्तंभित है। वहीं सनातन धर्म के सवाल पर कवि विश्‍वास ने कहा, “मैं इस विषय पर कोई ज्यादा टिप्पणी नहीं करूंगा, क्योंकि मेरा मानना है कि एक ऐसी चिरंजीवी विचारधारा, जो हजारों वर्षों से इस तरह खड़ी हुई है, जिस पर इतने प्रकार के हमले हुए हैं, लेकिन उसके बाद भी विश्‍वभर में उसकी कीर्ति, उसको गाने वाले, उसमें आस्था रखने वाले, उसमें जन्म लेकर स्वयं विलीन हो जाने वाले करोड़ों- करोड़ों लोग युगों-युगों से हैं। किसी के बयान देने या किसी के कुछ कहने से मुझ जैसे व्यक्ति को नहीं लगता कि उसके लिए कोई टिप्पणी करनी चाहिए। मैं तो उस धर्म में हूं, जहां धर्म के विपरीत बोलने वालों को भी ईश्‍वर शरण देता है और उनको क्षमा करता है।”

–आईएएनएस

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हरिद्वार, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)। कवि डॉ. कुमार विश्‍वास ने बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ धाम में दर्शन किए उसके बाद हरिद्वार पंहुचे, जहां उन्होंने अपने परिवार के साथ मां गंगा की आरती की। इसके बाद उन्होंने सिद्धपीठ मां चंडी देवी के दर्शन भी किए।

इस दौरान निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्‍वर कैलाशानंद गिरि और खानपुर विधायक उमेश कुमार भी मौजूद रहे। उन्होंने सनातन धर्म के खिलाफ बोलने वालों के लिए कहा कि हिंदू वो धर्म है, जिसमें ईश्‍वर उनको शरण भी देता है और क्षमा भी करता है।

कुमार विश्‍वास ने हरिद्वार में गंगा आरती में भाग लेने के बाद एक भजन भी सुनाया। उन्‍होंने कहा, “यह मेरे पुण्यों का उद्भव है कि आज मैं अपने माता-पिता के साथ, जो मैंने विश्‍वविद्यालय बनाने का संकल्प लिया है, उसकी अनुमति लेने के लिए बदरी विशाल- बाबा केदार और हरिद्वार में मां गंगा के दर पर आया हूं। हरकी पैड़ी पर गंगासभा के सौजन्य से गंगा आरती में पुण्य प्राप्त करने का शोभाग्य प्राप्त हुआ’।”

उन्होंने कहा कि गंगा कोई नदी नहीं है, बल्कि भारत की संस्कृति की रेखा है, जिसके दोनों किनारों पर यह देश स्तंभित है। वहीं सनातन धर्म के सवाल पर कवि विश्‍वास ने कहा, “मैं इस विषय पर कोई ज्यादा टिप्पणी नहीं करूंगा, क्योंकि मेरा मानना है कि एक ऐसी चिरंजीवी विचारधारा, जो हजारों वर्षों से इस तरह खड़ी हुई है, जिस पर इतने प्रकार के हमले हुए हैं, लेकिन उसके बाद भी विश्‍वभर में उसकी कीर्ति, उसको गाने वाले, उसमें आस्था रखने वाले, उसमें जन्म लेकर स्वयं विलीन हो जाने वाले करोड़ों- करोड़ों लोग युगों-युगों से हैं। किसी के बयान देने या किसी के कुछ कहने से मुझ जैसे व्यक्ति को नहीं लगता कि उसके लिए कोई टिप्पणी करनी चाहिए। मैं तो उस धर्म में हूं, जहां धर्म के विपरीत बोलने वालों को भी ईश्‍वर शरण देता है और उनको क्षमा करता है।”

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इस दौरान निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्‍वर कैलाशानंद गिरि और खानपुर विधायक उमेश कुमार भी मौजूद रहे। उन्होंने सनातन धर्म के खिलाफ बोलने वालों के लिए कहा कि हिंदू वो धर्म है, जिसमें ईश्‍वर उनको शरण भी देता है और क्षमा भी करता है।

कुमार विश्‍वास ने हरिद्वार में गंगा आरती में भाग लेने के बाद एक भजन भी सुनाया। उन्‍होंने कहा, “यह मेरे पुण्यों का उद्भव है कि आज मैं अपने माता-पिता के साथ, जो मैंने विश्‍वविद्यालय बनाने का संकल्प लिया है, उसकी अनुमति लेने के लिए बदरी विशाल- बाबा केदार और हरिद्वार में मां गंगा के दर पर आया हूं। हरकी पैड़ी पर गंगासभा के सौजन्य से गंगा आरती में पुण्य प्राप्त करने का शोभाग्य प्राप्त हुआ’।”

उन्होंने कहा कि गंगा कोई नदी नहीं है, बल्कि भारत की संस्कृति की रेखा है, जिसके दोनों किनारों पर यह देश स्तंभित है। वहीं सनातन धर्म के सवाल पर कवि विश्‍वास ने कहा, “मैं इस विषय पर कोई ज्यादा टिप्पणी नहीं करूंगा, क्योंकि मेरा मानना है कि एक ऐसी चिरंजीवी विचारधारा, जो हजारों वर्षों से इस तरह खड़ी हुई है, जिस पर इतने प्रकार के हमले हुए हैं, लेकिन उसके बाद भी विश्‍वभर में उसकी कीर्ति, उसको गाने वाले, उसमें आस्था रखने वाले, उसमें जन्म लेकर स्वयं विलीन हो जाने वाले करोड़ों- करोड़ों लोग युगों-युगों से हैं। किसी के बयान देने या किसी के कुछ कहने से मुझ जैसे व्यक्ति को नहीं लगता कि उसके लिए कोई टिप्पणी करनी चाहिए। मैं तो उस धर्म में हूं, जहां धर्म के विपरीत बोलने वालों को भी ईश्‍वर शरण देता है और उनको क्षमा करता है।”

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इस दौरान निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्‍वर कैलाशानंद गिरि और खानपुर विधायक उमेश कुमार भी मौजूद रहे। उन्होंने सनातन धर्म के खिलाफ बोलने वालों के लिए कहा कि हिंदू वो धर्म है, जिसमें ईश्‍वर उनको शरण भी देता है और क्षमा भी करता है।

कुमार विश्‍वास ने हरिद्वार में गंगा आरती में भाग लेने के बाद एक भजन भी सुनाया। उन्‍होंने कहा, “यह मेरे पुण्यों का उद्भव है कि आज मैं अपने माता-पिता के साथ, जो मैंने विश्‍वविद्यालय बनाने का संकल्प लिया है, उसकी अनुमति लेने के लिए बदरी विशाल- बाबा केदार और हरिद्वार में मां गंगा के दर पर आया हूं। हरकी पैड़ी पर गंगासभा के सौजन्य से गंगा आरती में पुण्य प्राप्त करने का शोभाग्य प्राप्त हुआ’।”

उन्होंने कहा कि गंगा कोई नदी नहीं है, बल्कि भारत की संस्कृति की रेखा है, जिसके दोनों किनारों पर यह देश स्तंभित है। वहीं सनातन धर्म के सवाल पर कवि विश्‍वास ने कहा, “मैं इस विषय पर कोई ज्यादा टिप्पणी नहीं करूंगा, क्योंकि मेरा मानना है कि एक ऐसी चिरंजीवी विचारधारा, जो हजारों वर्षों से इस तरह खड़ी हुई है, जिस पर इतने प्रकार के हमले हुए हैं, लेकिन उसके बाद भी विश्‍वभर में उसकी कीर्ति, उसको गाने वाले, उसमें आस्था रखने वाले, उसमें जन्म लेकर स्वयं विलीन हो जाने वाले करोड़ों- करोड़ों लोग युगों-युगों से हैं। किसी के बयान देने या किसी के कुछ कहने से मुझ जैसे व्यक्ति को नहीं लगता कि उसके लिए कोई टिप्पणी करनी चाहिए। मैं तो उस धर्म में हूं, जहां धर्म के विपरीत बोलने वालों को भी ईश्‍वर शरण देता है और उनको क्षमा करता है।”

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इस दौरान निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्‍वर कैलाशानंद गिरि और खानपुर विधायक उमेश कुमार भी मौजूद रहे। उन्होंने सनातन धर्म के खिलाफ बोलने वालों के लिए कहा कि हिंदू वो धर्म है, जिसमें ईश्‍वर उनको शरण भी देता है और क्षमा भी करता है।

कुमार विश्‍वास ने हरिद्वार में गंगा आरती में भाग लेने के बाद एक भजन भी सुनाया। उन्‍होंने कहा, “यह मेरे पुण्यों का उद्भव है कि आज मैं अपने माता-पिता के साथ, जो मैंने विश्‍वविद्यालय बनाने का संकल्प लिया है, उसकी अनुमति लेने के लिए बदरी विशाल- बाबा केदार और हरिद्वार में मां गंगा के दर पर आया हूं। हरकी पैड़ी पर गंगासभा के सौजन्य से गंगा आरती में पुण्य प्राप्त करने का शोभाग्य प्राप्त हुआ’।”

उन्होंने कहा कि गंगा कोई नदी नहीं है, बल्कि भारत की संस्कृति की रेखा है, जिसके दोनों किनारों पर यह देश स्तंभित है। वहीं सनातन धर्म के सवाल पर कवि विश्‍वास ने कहा, “मैं इस विषय पर कोई ज्यादा टिप्पणी नहीं करूंगा, क्योंकि मेरा मानना है कि एक ऐसी चिरंजीवी विचारधारा, जो हजारों वर्षों से इस तरह खड़ी हुई है, जिस पर इतने प्रकार के हमले हुए हैं, लेकिन उसके बाद भी विश्‍वभर में उसकी कीर्ति, उसको गाने वाले, उसमें आस्था रखने वाले, उसमें जन्म लेकर स्वयं विलीन हो जाने वाले करोड़ों- करोड़ों लोग युगों-युगों से हैं। किसी के बयान देने या किसी के कुछ कहने से मुझ जैसे व्यक्ति को नहीं लगता कि उसके लिए कोई टिप्पणी करनी चाहिए। मैं तो उस धर्म में हूं, जहां धर्म के विपरीत बोलने वालों को भी ईश्‍वर शरण देता है और उनको क्षमा करता है।”

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इस दौरान निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्‍वर कैलाशानंद गिरि और खानपुर विधायक उमेश कुमार भी मौजूद रहे। उन्होंने सनातन धर्म के खिलाफ बोलने वालों के लिए कहा कि हिंदू वो धर्म है, जिसमें ईश्‍वर उनको शरण भी देता है और क्षमा भी करता है।

कुमार विश्‍वास ने हरिद्वार में गंगा आरती में भाग लेने के बाद एक भजन भी सुनाया। उन्‍होंने कहा, “यह मेरे पुण्यों का उद्भव है कि आज मैं अपने माता-पिता के साथ, जो मैंने विश्‍वविद्यालय बनाने का संकल्प लिया है, उसकी अनुमति लेने के लिए बदरी विशाल- बाबा केदार और हरिद्वार में मां गंगा के दर पर आया हूं। हरकी पैड़ी पर गंगासभा के सौजन्य से गंगा आरती में पुण्य प्राप्त करने का शोभाग्य प्राप्त हुआ’।”

उन्होंने कहा कि गंगा कोई नदी नहीं है, बल्कि भारत की संस्कृति की रेखा है, जिसके दोनों किनारों पर यह देश स्तंभित है। वहीं सनातन धर्म के सवाल पर कवि विश्‍वास ने कहा, “मैं इस विषय पर कोई ज्यादा टिप्पणी नहीं करूंगा, क्योंकि मेरा मानना है कि एक ऐसी चिरंजीवी विचारधारा, जो हजारों वर्षों से इस तरह खड़ी हुई है, जिस पर इतने प्रकार के हमले हुए हैं, लेकिन उसके बाद भी विश्‍वभर में उसकी कीर्ति, उसको गाने वाले, उसमें आस्था रखने वाले, उसमें जन्म लेकर स्वयं विलीन हो जाने वाले करोड़ों- करोड़ों लोग युगों-युगों से हैं। किसी के बयान देने या किसी के कुछ कहने से मुझ जैसे व्यक्ति को नहीं लगता कि उसके लिए कोई टिप्पणी करनी चाहिए। मैं तो उस धर्म में हूं, जहां धर्म के विपरीत बोलने वालों को भी ईश्‍वर शरण देता है और उनको क्षमा करता है।”

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हरिद्वार, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)। कवि डॉ. कुमार विश्‍वास ने बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ धाम में दर्शन किए उसके बाद हरिद्वार पंहुचे, जहां उन्होंने अपने परिवार के साथ मां गंगा की आरती की। इसके बाद उन्होंने सिद्धपीठ मां चंडी देवी के दर्शन भी किए।

इस दौरान निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्‍वर कैलाशानंद गिरि और खानपुर विधायक उमेश कुमार भी मौजूद रहे। उन्होंने सनातन धर्म के खिलाफ बोलने वालों के लिए कहा कि हिंदू वो धर्म है, जिसमें ईश्‍वर उनको शरण भी देता है और क्षमा भी करता है।

कुमार विश्‍वास ने हरिद्वार में गंगा आरती में भाग लेने के बाद एक भजन भी सुनाया। उन्‍होंने कहा, “यह मेरे पुण्यों का उद्भव है कि आज मैं अपने माता-पिता के साथ, जो मैंने विश्‍वविद्यालय बनाने का संकल्प लिया है, उसकी अनुमति लेने के लिए बदरी विशाल- बाबा केदार और हरिद्वार में मां गंगा के दर पर आया हूं। हरकी पैड़ी पर गंगासभा के सौजन्य से गंगा आरती में पुण्य प्राप्त करने का शोभाग्य प्राप्त हुआ’।”

उन्होंने कहा कि गंगा कोई नदी नहीं है, बल्कि भारत की संस्कृति की रेखा है, जिसके दोनों किनारों पर यह देश स्तंभित है। वहीं सनातन धर्म के सवाल पर कवि विश्‍वास ने कहा, “मैं इस विषय पर कोई ज्यादा टिप्पणी नहीं करूंगा, क्योंकि मेरा मानना है कि एक ऐसी चिरंजीवी विचारधारा, जो हजारों वर्षों से इस तरह खड़ी हुई है, जिस पर इतने प्रकार के हमले हुए हैं, लेकिन उसके बाद भी विश्‍वभर में उसकी कीर्ति, उसको गाने वाले, उसमें आस्था रखने वाले, उसमें जन्म लेकर स्वयं विलीन हो जाने वाले करोड़ों- करोड़ों लोग युगों-युगों से हैं। किसी के बयान देने या किसी के कुछ कहने से मुझ जैसे व्यक्ति को नहीं लगता कि उसके लिए कोई टिप्पणी करनी चाहिए। मैं तो उस धर्म में हूं, जहां धर्म के विपरीत बोलने वालों को भी ईश्‍वर शरण देता है और उनको क्षमा करता है।”

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इस दौरान निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्‍वर कैलाशानंद गिरि और खानपुर विधायक उमेश कुमार भी मौजूद रहे। उन्होंने सनातन धर्म के खिलाफ बोलने वालों के लिए कहा कि हिंदू वो धर्म है, जिसमें ईश्‍वर उनको शरण भी देता है और क्षमा भी करता है।

कुमार विश्‍वास ने हरिद्वार में गंगा आरती में भाग लेने के बाद एक भजन भी सुनाया। उन्‍होंने कहा, “यह मेरे पुण्यों का उद्भव है कि आज मैं अपने माता-पिता के साथ, जो मैंने विश्‍वविद्यालय बनाने का संकल्प लिया है, उसकी अनुमति लेने के लिए बदरी विशाल- बाबा केदार और हरिद्वार में मां गंगा के दर पर आया हूं। हरकी पैड़ी पर गंगासभा के सौजन्य से गंगा आरती में पुण्य प्राप्त करने का शोभाग्य प्राप्त हुआ’।”

उन्होंने कहा कि गंगा कोई नदी नहीं है, बल्कि भारत की संस्कृति की रेखा है, जिसके दोनों किनारों पर यह देश स्तंभित है। वहीं सनातन धर्म के सवाल पर कवि विश्‍वास ने कहा, “मैं इस विषय पर कोई ज्यादा टिप्पणी नहीं करूंगा, क्योंकि मेरा मानना है कि एक ऐसी चिरंजीवी विचारधारा, जो हजारों वर्षों से इस तरह खड़ी हुई है, जिस पर इतने प्रकार के हमले हुए हैं, लेकिन उसके बाद भी विश्‍वभर में उसकी कीर्ति, उसको गाने वाले, उसमें आस्था रखने वाले, उसमें जन्म लेकर स्वयं विलीन हो जाने वाले करोड़ों- करोड़ों लोग युगों-युगों से हैं। किसी के बयान देने या किसी के कुछ कहने से मुझ जैसे व्यक्ति को नहीं लगता कि उसके लिए कोई टिप्पणी करनी चाहिए। मैं तो उस धर्म में हूं, जहां धर्म के विपरीत बोलने वालों को भी ईश्‍वर शरण देता है और उनको क्षमा करता है।”

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इस दौरान निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्‍वर कैलाशानंद गिरि और खानपुर विधायक उमेश कुमार भी मौजूद रहे। उन्होंने सनातन धर्म के खिलाफ बोलने वालों के लिए कहा कि हिंदू वो धर्म है, जिसमें ईश्‍वर उनको शरण भी देता है और क्षमा भी करता है।

कुमार विश्‍वास ने हरिद्वार में गंगा आरती में भाग लेने के बाद एक भजन भी सुनाया। उन्‍होंने कहा, “यह मेरे पुण्यों का उद्भव है कि आज मैं अपने माता-पिता के साथ, जो मैंने विश्‍वविद्यालय बनाने का संकल्प लिया है, उसकी अनुमति लेने के लिए बदरी विशाल- बाबा केदार और हरिद्वार में मां गंगा के दर पर आया हूं। हरकी पैड़ी पर गंगासभा के सौजन्य से गंगा आरती में पुण्य प्राप्त करने का शोभाग्य प्राप्त हुआ’।”

उन्होंने कहा कि गंगा कोई नदी नहीं है, बल्कि भारत की संस्कृति की रेखा है, जिसके दोनों किनारों पर यह देश स्तंभित है। वहीं सनातन धर्म के सवाल पर कवि विश्‍वास ने कहा, “मैं इस विषय पर कोई ज्यादा टिप्पणी नहीं करूंगा, क्योंकि मेरा मानना है कि एक ऐसी चिरंजीवी विचारधारा, जो हजारों वर्षों से इस तरह खड़ी हुई है, जिस पर इतने प्रकार के हमले हुए हैं, लेकिन उसके बाद भी विश्‍वभर में उसकी कीर्ति, उसको गाने वाले, उसमें आस्था रखने वाले, उसमें जन्म लेकर स्वयं विलीन हो जाने वाले करोड़ों- करोड़ों लोग युगों-युगों से हैं। किसी के बयान देने या किसी के कुछ कहने से मुझ जैसे व्यक्ति को नहीं लगता कि उसके लिए कोई टिप्पणी करनी चाहिए। मैं तो उस धर्म में हूं, जहां धर्म के विपरीत बोलने वालों को भी ईश्‍वर शरण देता है और उनको क्षमा करता है।”

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इस दौरान निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्‍वर कैलाशानंद गिरि और खानपुर विधायक उमेश कुमार भी मौजूद रहे। उन्होंने सनातन धर्म के खिलाफ बोलने वालों के लिए कहा कि हिंदू वो धर्म है, जिसमें ईश्‍वर उनको शरण भी देता है और क्षमा भी करता है।

कुमार विश्‍वास ने हरिद्वार में गंगा आरती में भाग लेने के बाद एक भजन भी सुनाया। उन्‍होंने कहा, “यह मेरे पुण्यों का उद्भव है कि आज मैं अपने माता-पिता के साथ, जो मैंने विश्‍वविद्यालय बनाने का संकल्प लिया है, उसकी अनुमति लेने के लिए बदरी विशाल- बाबा केदार और हरिद्वार में मां गंगा के दर पर आया हूं। हरकी पैड़ी पर गंगासभा के सौजन्य से गंगा आरती में पुण्य प्राप्त करने का शोभाग्य प्राप्त हुआ’।”

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इस दौरान निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्‍वर कैलाशानंद गिरि और खानपुर विधायक उमेश कुमार भी मौजूद रहे। उन्होंने सनातन धर्म के खिलाफ बोलने वालों के लिए कहा कि हिंदू वो धर्म है, जिसमें ईश्‍वर उनको शरण भी देता है और क्षमा भी करता है।

कुमार विश्‍वास ने हरिद्वार में गंगा आरती में भाग लेने के बाद एक भजन भी सुनाया। उन्‍होंने कहा, “यह मेरे पुण्यों का उद्भव है कि आज मैं अपने माता-पिता के साथ, जो मैंने विश्‍वविद्यालय बनाने का संकल्प लिया है, उसकी अनुमति लेने के लिए बदरी विशाल- बाबा केदार और हरिद्वार में मां गंगा के दर पर आया हूं। हरकी पैड़ी पर गंगासभा के सौजन्य से गंगा आरती में पुण्य प्राप्त करने का शोभाग्य प्राप्त हुआ’।”

उन्होंने कहा कि गंगा कोई नदी नहीं है, बल्कि भारत की संस्कृति की रेखा है, जिसके दोनों किनारों पर यह देश स्तंभित है। वहीं सनातन धर्म के सवाल पर कवि विश्‍वास ने कहा, “मैं इस विषय पर कोई ज्यादा टिप्पणी नहीं करूंगा, क्योंकि मेरा मानना है कि एक ऐसी चिरंजीवी विचारधारा, जो हजारों वर्षों से इस तरह खड़ी हुई है, जिस पर इतने प्रकार के हमले हुए हैं, लेकिन उसके बाद भी विश्‍वभर में उसकी कीर्ति, उसको गाने वाले, उसमें आस्था रखने वाले, उसमें जन्म लेकर स्वयं विलीन हो जाने वाले करोड़ों- करोड़ों लोग युगों-युगों से हैं। किसी के बयान देने या किसी के कुछ कहने से मुझ जैसे व्यक्ति को नहीं लगता कि उसके लिए कोई टिप्पणी करनी चाहिए। मैं तो उस धर्म में हूं, जहां धर्म के विपरीत बोलने वालों को भी ईश्‍वर शरण देता है और उनको क्षमा करता है।”

–आईएएनएस

स्मिता/एसजीके

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हरिद्वार, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)। कवि डॉ. कुमार विश्‍वास ने बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ धाम में दर्शन किए उसके बाद हरिद्वार पंहुचे, जहां उन्होंने अपने परिवार के साथ मां गंगा की आरती की। इसके बाद उन्होंने सिद्धपीठ मां चंडी देवी के दर्शन भी किए।

इस दौरान निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्‍वर कैलाशानंद गिरि और खानपुर विधायक उमेश कुमार भी मौजूद रहे। उन्होंने सनातन धर्म के खिलाफ बोलने वालों के लिए कहा कि हिंदू वो धर्म है, जिसमें ईश्‍वर उनको शरण भी देता है और क्षमा भी करता है।

कुमार विश्‍वास ने हरिद्वार में गंगा आरती में भाग लेने के बाद एक भजन भी सुनाया। उन्‍होंने कहा, “यह मेरे पुण्यों का उद्भव है कि आज मैं अपने माता-पिता के साथ, जो मैंने विश्‍वविद्यालय बनाने का संकल्प लिया है, उसकी अनुमति लेने के लिए बदरी विशाल- बाबा केदार और हरिद्वार में मां गंगा के दर पर आया हूं। हरकी पैड़ी पर गंगासभा के सौजन्य से गंगा आरती में पुण्य प्राप्त करने का शोभाग्य प्राप्त हुआ’।”

उन्होंने कहा कि गंगा कोई नदी नहीं है, बल्कि भारत की संस्कृति की रेखा है, जिसके दोनों किनारों पर यह देश स्तंभित है। वहीं सनातन धर्म के सवाल पर कवि विश्‍वास ने कहा, “मैं इस विषय पर कोई ज्यादा टिप्पणी नहीं करूंगा, क्योंकि मेरा मानना है कि एक ऐसी चिरंजीवी विचारधारा, जो हजारों वर्षों से इस तरह खड़ी हुई है, जिस पर इतने प्रकार के हमले हुए हैं, लेकिन उसके बाद भी विश्‍वभर में उसकी कीर्ति, उसको गाने वाले, उसमें आस्था रखने वाले, उसमें जन्म लेकर स्वयं विलीन हो जाने वाले करोड़ों- करोड़ों लोग युगों-युगों से हैं। किसी के बयान देने या किसी के कुछ कहने से मुझ जैसे व्यक्ति को नहीं लगता कि उसके लिए कोई टिप्पणी करनी चाहिए। मैं तो उस धर्म में हूं, जहां धर्म के विपरीत बोलने वालों को भी ईश्‍वर शरण देता है और उनको क्षमा करता है।”

–आईएएनएस

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हरिद्वार, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)। कवि डॉ. कुमार विश्‍वास ने बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ धाम में दर्शन किए उसके बाद हरिद्वार पंहुचे, जहां उन्होंने अपने परिवार के साथ मां गंगा की आरती की। इसके बाद उन्होंने सिद्धपीठ मां चंडी देवी के दर्शन भी किए।

इस दौरान निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्‍वर कैलाशानंद गिरि और खानपुर विधायक उमेश कुमार भी मौजूद रहे। उन्होंने सनातन धर्म के खिलाफ बोलने वालों के लिए कहा कि हिंदू वो धर्म है, जिसमें ईश्‍वर उनको शरण भी देता है और क्षमा भी करता है।

कुमार विश्‍वास ने हरिद्वार में गंगा आरती में भाग लेने के बाद एक भजन भी सुनाया। उन्‍होंने कहा, “यह मेरे पुण्यों का उद्भव है कि आज मैं अपने माता-पिता के साथ, जो मैंने विश्‍वविद्यालय बनाने का संकल्प लिया है, उसकी अनुमति लेने के लिए बदरी विशाल- बाबा केदार और हरिद्वार में मां गंगा के दर पर आया हूं। हरकी पैड़ी पर गंगासभा के सौजन्य से गंगा आरती में पुण्य प्राप्त करने का शोभाग्य प्राप्त हुआ’।”

उन्होंने कहा कि गंगा कोई नदी नहीं है, बल्कि भारत की संस्कृति की रेखा है, जिसके दोनों किनारों पर यह देश स्तंभित है। वहीं सनातन धर्म के सवाल पर कवि विश्‍वास ने कहा, “मैं इस विषय पर कोई ज्यादा टिप्पणी नहीं करूंगा, क्योंकि मेरा मानना है कि एक ऐसी चिरंजीवी विचारधारा, जो हजारों वर्षों से इस तरह खड़ी हुई है, जिस पर इतने प्रकार के हमले हुए हैं, लेकिन उसके बाद भी विश्‍वभर में उसकी कीर्ति, उसको गाने वाले, उसमें आस्था रखने वाले, उसमें जन्म लेकर स्वयं विलीन हो जाने वाले करोड़ों- करोड़ों लोग युगों-युगों से हैं। किसी के बयान देने या किसी के कुछ कहने से मुझ जैसे व्यक्ति को नहीं लगता कि उसके लिए कोई टिप्पणी करनी चाहिए। मैं तो उस धर्म में हूं, जहां धर्म के विपरीत बोलने वालों को भी ईश्‍वर शरण देता है और उनको क्षमा करता है।”

–आईएएनएस

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हरिद्वार, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)। कवि डॉ. कुमार विश्‍वास ने बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ धाम में दर्शन किए उसके बाद हरिद्वार पंहुचे, जहां उन्होंने अपने परिवार के साथ मां गंगा की आरती की। इसके बाद उन्होंने सिद्धपीठ मां चंडी देवी के दर्शन भी किए।

इस दौरान निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्‍वर कैलाशानंद गिरि और खानपुर विधायक उमेश कुमार भी मौजूद रहे। उन्होंने सनातन धर्म के खिलाफ बोलने वालों के लिए कहा कि हिंदू वो धर्म है, जिसमें ईश्‍वर उनको शरण भी देता है और क्षमा भी करता है।

कुमार विश्‍वास ने हरिद्वार में गंगा आरती में भाग लेने के बाद एक भजन भी सुनाया। उन्‍होंने कहा, “यह मेरे पुण्यों का उद्भव है कि आज मैं अपने माता-पिता के साथ, जो मैंने विश्‍वविद्यालय बनाने का संकल्प लिया है, उसकी अनुमति लेने के लिए बदरी विशाल- बाबा केदार और हरिद्वार में मां गंगा के दर पर आया हूं। हरकी पैड़ी पर गंगासभा के सौजन्य से गंगा आरती में पुण्य प्राप्त करने का शोभाग्य प्राप्त हुआ’।”

उन्होंने कहा कि गंगा कोई नदी नहीं है, बल्कि भारत की संस्कृति की रेखा है, जिसके दोनों किनारों पर यह देश स्तंभित है। वहीं सनातन धर्म के सवाल पर कवि विश्‍वास ने कहा, “मैं इस विषय पर कोई ज्यादा टिप्पणी नहीं करूंगा, क्योंकि मेरा मानना है कि एक ऐसी चिरंजीवी विचारधारा, जो हजारों वर्षों से इस तरह खड़ी हुई है, जिस पर इतने प्रकार के हमले हुए हैं, लेकिन उसके बाद भी विश्‍वभर में उसकी कीर्ति, उसको गाने वाले, उसमें आस्था रखने वाले, उसमें जन्म लेकर स्वयं विलीन हो जाने वाले करोड़ों- करोड़ों लोग युगों-युगों से हैं। किसी के बयान देने या किसी के कुछ कहने से मुझ जैसे व्यक्ति को नहीं लगता कि उसके लिए कोई टिप्पणी करनी चाहिए। मैं तो उस धर्म में हूं, जहां धर्म के विपरीत बोलने वालों को भी ईश्‍वर शरण देता है और उनको क्षमा करता है।”

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