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कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस ने उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद की रेस से क‍िया बाहर : संजय निरुपम

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September 16, 2024
in राष्ट्रीय
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कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस ने उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद की रेस से क‍िया बाहर : संजय निरुपम
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मुंबई, 16 सितंबर (आईएएनएस)। शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बयान दिया कि वह महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं। उनके इस बयान को लेकर शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता संजय निरुपम ने कहा कि उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर किया गया है।

संजय निरुपम ने कहा, “महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री बनने का जो सपना था, वह अब चकनाचूर हो गया है। उनके कहने का मतलब यह है कि वह मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर हो गए हैं, लेकिन सच्चाई तो यह है कि उन्हें सीएम पद की रेस से बाहर निकाला गया है और इसके पीछे उनके सहयोगी दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार) के नेताओं का हाथ है।”

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उन्होंने उद्धव ठाकरे के दिल्ली दौरे का जिक्र करते हुए कहा, “आपने बीते दिनों देखा होगा कि उद्धव ठाकरे पूरे दल-बल के साथ दिल्ली गए थे। यहां उन्होंने कांग्रेस नेताओं से मुलाकात कर उनसे गुजारिश की थी कि उनके नाम को मुख्यमंत्री पद के रूप में घोषित किया जाए। लेकिन, कांग्रेस ने साफ तौर पर मना कर दिया। शरद पवार ने भी साफ किया कि वह सीएम पद के लिए किसी नाम की घोषणा नहीं करेंगे। चुनाव के बाद जो नतीजे आएंगे, उसके आधार पर फैसला लिया जाएगा।”

उन्होंने कहा, “उद्धव ठाकरे ने षणमुखानंद हॉल में आयोजित एक सभा के दौरान कहा था कि मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान किया जाए, मगर किसी ने भी उनकी नहीं सुनी। जब वह निराश हो गए तो उन्होंने खुद ही सीएम पद की रेस से बाहर होने का ऐलान कर दिया।”

संजय निरुपम ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बारे में बात करते हुए कहा, “राज्य में जब चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाएगा, तो एमवीए में फूट खुलकर सामने आ जाएगी। तीनों दलों के बीच महाराष्ट्र में सीट बंटवारे और सरकार बनाने को लेकर बहुत सारे झगड़े होने वाले हैं। इसके बाद तीनों दल एक-दूसरे को कमजोर करने में लग जाएंगे।”

शिवसेना नेता ने दावा करते हुए कहा, “महाराष्ट्र में महायुति के बीच एक सहमति यह है कि एकनाथ शिंदे की लोकप्रियता राज्य में काफी अधिक है, इसलिए महायुति राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में उतरेगी। हालांकि, चुनाव के बाद नतीजों के आधार पर तीनों पार्टियों के नेता एक साथ बैठेंगे और आगामी रणनीति पर फैसला लेंगे। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से भी इस पर राय ली जाएगी। आज की तारीख में एकनाथ शिंदे राज्य के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री है और उनके नेतृत्व में महाराष्ट्र में महायुति की फिर से सरकार बन सकती है।”

–आईएएनएस

सीबीटी/

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मुंबई, 16 सितंबर (आईएएनएस)। शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बयान दिया कि वह महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं। उनके इस बयान को लेकर शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता संजय निरुपम ने कहा कि उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर किया गया है।

संजय निरुपम ने कहा, “महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री बनने का जो सपना था, वह अब चकनाचूर हो गया है। उनके कहने का मतलब यह है कि वह मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर हो गए हैं, लेकिन सच्चाई तो यह है कि उन्हें सीएम पद की रेस से बाहर निकाला गया है और इसके पीछे उनके सहयोगी दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार) के नेताओं का हाथ है।”

उन्होंने उद्धव ठाकरे के दिल्ली दौरे का जिक्र करते हुए कहा, “आपने बीते दिनों देखा होगा कि उद्धव ठाकरे पूरे दल-बल के साथ दिल्ली गए थे। यहां उन्होंने कांग्रेस नेताओं से मुलाकात कर उनसे गुजारिश की थी कि उनके नाम को मुख्यमंत्री पद के रूप में घोषित किया जाए। लेकिन, कांग्रेस ने साफ तौर पर मना कर दिया। शरद पवार ने भी साफ किया कि वह सीएम पद के लिए किसी नाम की घोषणा नहीं करेंगे। चुनाव के बाद जो नतीजे आएंगे, उसके आधार पर फैसला लिया जाएगा।”

उन्होंने कहा, “उद्धव ठाकरे ने षणमुखानंद हॉल में आयोजित एक सभा के दौरान कहा था कि मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान किया जाए, मगर किसी ने भी उनकी नहीं सुनी। जब वह निराश हो गए तो उन्होंने खुद ही सीएम पद की रेस से बाहर होने का ऐलान कर दिया।”

संजय निरुपम ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बारे में बात करते हुए कहा, “राज्य में जब चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाएगा, तो एमवीए में फूट खुलकर सामने आ जाएगी। तीनों दलों के बीच महाराष्ट्र में सीट बंटवारे और सरकार बनाने को लेकर बहुत सारे झगड़े होने वाले हैं। इसके बाद तीनों दल एक-दूसरे को कमजोर करने में लग जाएंगे।”

शिवसेना नेता ने दावा करते हुए कहा, “महाराष्ट्र में महायुति के बीच एक सहमति यह है कि एकनाथ शिंदे की लोकप्रियता राज्य में काफी अधिक है, इसलिए महायुति राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में उतरेगी। हालांकि, चुनाव के बाद नतीजों के आधार पर तीनों पार्टियों के नेता एक साथ बैठेंगे और आगामी रणनीति पर फैसला लेंगे। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से भी इस पर राय ली जाएगी। आज की तारीख में एकनाथ शिंदे राज्य के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री है और उनके नेतृत्व में महाराष्ट्र में महायुति की फिर से सरकार बन सकती है।”

–आईएएनएस

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मुंबई, 16 सितंबर (आईएएनएस)। शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बयान दिया कि वह महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं। उनके इस बयान को लेकर शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता संजय निरुपम ने कहा कि उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर किया गया है।

संजय निरुपम ने कहा, “महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री बनने का जो सपना था, वह अब चकनाचूर हो गया है। उनके कहने का मतलब यह है कि वह मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर हो गए हैं, लेकिन सच्चाई तो यह है कि उन्हें सीएम पद की रेस से बाहर निकाला गया है और इसके पीछे उनके सहयोगी दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार) के नेताओं का हाथ है।”

उन्होंने उद्धव ठाकरे के दिल्ली दौरे का जिक्र करते हुए कहा, “आपने बीते दिनों देखा होगा कि उद्धव ठाकरे पूरे दल-बल के साथ दिल्ली गए थे। यहां उन्होंने कांग्रेस नेताओं से मुलाकात कर उनसे गुजारिश की थी कि उनके नाम को मुख्यमंत्री पद के रूप में घोषित किया जाए। लेकिन, कांग्रेस ने साफ तौर पर मना कर दिया। शरद पवार ने भी साफ किया कि वह सीएम पद के लिए किसी नाम की घोषणा नहीं करेंगे। चुनाव के बाद जो नतीजे आएंगे, उसके आधार पर फैसला लिया जाएगा।”

उन्होंने कहा, “उद्धव ठाकरे ने षणमुखानंद हॉल में आयोजित एक सभा के दौरान कहा था कि मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान किया जाए, मगर किसी ने भी उनकी नहीं सुनी। जब वह निराश हो गए तो उन्होंने खुद ही सीएम पद की रेस से बाहर होने का ऐलान कर दिया।”

संजय निरुपम ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बारे में बात करते हुए कहा, “राज्य में जब चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाएगा, तो एमवीए में फूट खुलकर सामने आ जाएगी। तीनों दलों के बीच महाराष्ट्र में सीट बंटवारे और सरकार बनाने को लेकर बहुत सारे झगड़े होने वाले हैं। इसके बाद तीनों दल एक-दूसरे को कमजोर करने में लग जाएंगे।”

शिवसेना नेता ने दावा करते हुए कहा, “महाराष्ट्र में महायुति के बीच एक सहमति यह है कि एकनाथ शिंदे की लोकप्रियता राज्य में काफी अधिक है, इसलिए महायुति राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में उतरेगी। हालांकि, चुनाव के बाद नतीजों के आधार पर तीनों पार्टियों के नेता एक साथ बैठेंगे और आगामी रणनीति पर फैसला लेंगे। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से भी इस पर राय ली जाएगी। आज की तारीख में एकनाथ शिंदे राज्य के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री है और उनके नेतृत्व में महाराष्ट्र में महायुति की फिर से सरकार बन सकती है।”

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संजय निरुपम ने कहा, “महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री बनने का जो सपना था, वह अब चकनाचूर हो गया है। उनके कहने का मतलब यह है कि वह मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर हो गए हैं, लेकिन सच्चाई तो यह है कि उन्हें सीएम पद की रेस से बाहर निकाला गया है और इसके पीछे उनके सहयोगी दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार) के नेताओं का हाथ है।”

उन्होंने उद्धव ठाकरे के दिल्ली दौरे का जिक्र करते हुए कहा, “आपने बीते दिनों देखा होगा कि उद्धव ठाकरे पूरे दल-बल के साथ दिल्ली गए थे। यहां उन्होंने कांग्रेस नेताओं से मुलाकात कर उनसे गुजारिश की थी कि उनके नाम को मुख्यमंत्री पद के रूप में घोषित किया जाए। लेकिन, कांग्रेस ने साफ तौर पर मना कर दिया। शरद पवार ने भी साफ किया कि वह सीएम पद के लिए किसी नाम की घोषणा नहीं करेंगे। चुनाव के बाद जो नतीजे आएंगे, उसके आधार पर फैसला लिया जाएगा।”

उन्होंने कहा, “उद्धव ठाकरे ने षणमुखानंद हॉल में आयोजित एक सभा के दौरान कहा था कि मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान किया जाए, मगर किसी ने भी उनकी नहीं सुनी। जब वह निराश हो गए तो उन्होंने खुद ही सीएम पद की रेस से बाहर होने का ऐलान कर दिया।”

संजय निरुपम ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बारे में बात करते हुए कहा, “राज्य में जब चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाएगा, तो एमवीए में फूट खुलकर सामने आ जाएगी। तीनों दलों के बीच महाराष्ट्र में सीट बंटवारे और सरकार बनाने को लेकर बहुत सारे झगड़े होने वाले हैं। इसके बाद तीनों दल एक-दूसरे को कमजोर करने में लग जाएंगे।”

शिवसेना नेता ने दावा करते हुए कहा, “महाराष्ट्र में महायुति के बीच एक सहमति यह है कि एकनाथ शिंदे की लोकप्रियता राज्य में काफी अधिक है, इसलिए महायुति राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में उतरेगी। हालांकि, चुनाव के बाद नतीजों के आधार पर तीनों पार्टियों के नेता एक साथ बैठेंगे और आगामी रणनीति पर फैसला लेंगे। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से भी इस पर राय ली जाएगी। आज की तारीख में एकनाथ शिंदे राज्य के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री है और उनके नेतृत्व में महाराष्ट्र में महायुति की फिर से सरकार बन सकती है।”

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मुंबई, 16 सितंबर (आईएएनएस)। शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बयान दिया कि वह महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं। उनके इस बयान को लेकर शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता संजय निरुपम ने कहा कि उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर किया गया है।

संजय निरुपम ने कहा, “महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री बनने का जो सपना था, वह अब चकनाचूर हो गया है। उनके कहने का मतलब यह है कि वह मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर हो गए हैं, लेकिन सच्चाई तो यह है कि उन्हें सीएम पद की रेस से बाहर निकाला गया है और इसके पीछे उनके सहयोगी दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार) के नेताओं का हाथ है।”

उन्होंने उद्धव ठाकरे के दिल्ली दौरे का जिक्र करते हुए कहा, “आपने बीते दिनों देखा होगा कि उद्धव ठाकरे पूरे दल-बल के साथ दिल्ली गए थे। यहां उन्होंने कांग्रेस नेताओं से मुलाकात कर उनसे गुजारिश की थी कि उनके नाम को मुख्यमंत्री पद के रूप में घोषित किया जाए। लेकिन, कांग्रेस ने साफ तौर पर मना कर दिया। शरद पवार ने भी साफ किया कि वह सीएम पद के लिए किसी नाम की घोषणा नहीं करेंगे। चुनाव के बाद जो नतीजे आएंगे, उसके आधार पर फैसला लिया जाएगा।”

उन्होंने कहा, “उद्धव ठाकरे ने षणमुखानंद हॉल में आयोजित एक सभा के दौरान कहा था कि मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान किया जाए, मगर किसी ने भी उनकी नहीं सुनी। जब वह निराश हो गए तो उन्होंने खुद ही सीएम पद की रेस से बाहर होने का ऐलान कर दिया।”

संजय निरुपम ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बारे में बात करते हुए कहा, “राज्य में जब चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाएगा, तो एमवीए में फूट खुलकर सामने आ जाएगी। तीनों दलों के बीच महाराष्ट्र में सीट बंटवारे और सरकार बनाने को लेकर बहुत सारे झगड़े होने वाले हैं। इसके बाद तीनों दल एक-दूसरे को कमजोर करने में लग जाएंगे।”

शिवसेना नेता ने दावा करते हुए कहा, “महाराष्ट्र में महायुति के बीच एक सहमति यह है कि एकनाथ शिंदे की लोकप्रियता राज्य में काफी अधिक है, इसलिए महायुति राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में उतरेगी। हालांकि, चुनाव के बाद नतीजों के आधार पर तीनों पार्टियों के नेता एक साथ बैठेंगे और आगामी रणनीति पर फैसला लेंगे। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से भी इस पर राय ली जाएगी। आज की तारीख में एकनाथ शिंदे राज्य के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री है और उनके नेतृत्व में महाराष्ट्र में महायुति की फिर से सरकार बन सकती है।”

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संजय निरुपम ने कहा, “महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री बनने का जो सपना था, वह अब चकनाचूर हो गया है। उनके कहने का मतलब यह है कि वह मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर हो गए हैं, लेकिन सच्चाई तो यह है कि उन्हें सीएम पद की रेस से बाहर निकाला गया है और इसके पीछे उनके सहयोगी दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार) के नेताओं का हाथ है।”

उन्होंने उद्धव ठाकरे के दिल्ली दौरे का जिक्र करते हुए कहा, “आपने बीते दिनों देखा होगा कि उद्धव ठाकरे पूरे दल-बल के साथ दिल्ली गए थे। यहां उन्होंने कांग्रेस नेताओं से मुलाकात कर उनसे गुजारिश की थी कि उनके नाम को मुख्यमंत्री पद के रूप में घोषित किया जाए। लेकिन, कांग्रेस ने साफ तौर पर मना कर दिया। शरद पवार ने भी साफ किया कि वह सीएम पद के लिए किसी नाम की घोषणा नहीं करेंगे। चुनाव के बाद जो नतीजे आएंगे, उसके आधार पर फैसला लिया जाएगा।”

उन्होंने कहा, “उद्धव ठाकरे ने षणमुखानंद हॉल में आयोजित एक सभा के दौरान कहा था कि मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान किया जाए, मगर किसी ने भी उनकी नहीं सुनी। जब वह निराश हो गए तो उन्होंने खुद ही सीएम पद की रेस से बाहर होने का ऐलान कर दिया।”

संजय निरुपम ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बारे में बात करते हुए कहा, “राज्य में जब चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाएगा, तो एमवीए में फूट खुलकर सामने आ जाएगी। तीनों दलों के बीच महाराष्ट्र में सीट बंटवारे और सरकार बनाने को लेकर बहुत सारे झगड़े होने वाले हैं। इसके बाद तीनों दल एक-दूसरे को कमजोर करने में लग जाएंगे।”

शिवसेना नेता ने दावा करते हुए कहा, “महाराष्ट्र में महायुति के बीच एक सहमति यह है कि एकनाथ शिंदे की लोकप्रियता राज्य में काफी अधिक है, इसलिए महायुति राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में उतरेगी। हालांकि, चुनाव के बाद नतीजों के आधार पर तीनों पार्टियों के नेता एक साथ बैठेंगे और आगामी रणनीति पर फैसला लेंगे। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से भी इस पर राय ली जाएगी। आज की तारीख में एकनाथ शिंदे राज्य के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री है और उनके नेतृत्व में महाराष्ट्र में महायुति की फिर से सरकार बन सकती है।”

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संजय निरुपम ने कहा, “महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री बनने का जो सपना था, वह अब चकनाचूर हो गया है। उनके कहने का मतलब यह है कि वह मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर हो गए हैं, लेकिन सच्चाई तो यह है कि उन्हें सीएम पद की रेस से बाहर निकाला गया है और इसके पीछे उनके सहयोगी दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार) के नेताओं का हाथ है।”

उन्होंने उद्धव ठाकरे के दिल्ली दौरे का जिक्र करते हुए कहा, “आपने बीते दिनों देखा होगा कि उद्धव ठाकरे पूरे दल-बल के साथ दिल्ली गए थे। यहां उन्होंने कांग्रेस नेताओं से मुलाकात कर उनसे गुजारिश की थी कि उनके नाम को मुख्यमंत्री पद के रूप में घोषित किया जाए। लेकिन, कांग्रेस ने साफ तौर पर मना कर दिया। शरद पवार ने भी साफ किया कि वह सीएम पद के लिए किसी नाम की घोषणा नहीं करेंगे। चुनाव के बाद जो नतीजे आएंगे, उसके आधार पर फैसला लिया जाएगा।”

उन्होंने कहा, “उद्धव ठाकरे ने षणमुखानंद हॉल में आयोजित एक सभा के दौरान कहा था कि मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान किया जाए, मगर किसी ने भी उनकी नहीं सुनी। जब वह निराश हो गए तो उन्होंने खुद ही सीएम पद की रेस से बाहर होने का ऐलान कर दिया।”

संजय निरुपम ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बारे में बात करते हुए कहा, “राज्य में जब चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाएगा, तो एमवीए में फूट खुलकर सामने आ जाएगी। तीनों दलों के बीच महाराष्ट्र में सीट बंटवारे और सरकार बनाने को लेकर बहुत सारे झगड़े होने वाले हैं। इसके बाद तीनों दल एक-दूसरे को कमजोर करने में लग जाएंगे।”

शिवसेना नेता ने दावा करते हुए कहा, “महाराष्ट्र में महायुति के बीच एक सहमति यह है कि एकनाथ शिंदे की लोकप्रियता राज्य में काफी अधिक है, इसलिए महायुति राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में उतरेगी। हालांकि, चुनाव के बाद नतीजों के आधार पर तीनों पार्टियों के नेता एक साथ बैठेंगे और आगामी रणनीति पर फैसला लेंगे। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से भी इस पर राय ली जाएगी। आज की तारीख में एकनाथ शिंदे राज्य के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री है और उनके नेतृत्व में महाराष्ट्र में महायुति की फिर से सरकार बन सकती है।”

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मुंबई, 16 सितंबर (आईएएनएस)। शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बयान दिया कि वह महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं। उनके इस बयान को लेकर शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता संजय निरुपम ने कहा कि उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर किया गया है।

संजय निरुपम ने कहा, “महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री बनने का जो सपना था, वह अब चकनाचूर हो गया है। उनके कहने का मतलब यह है कि वह मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर हो गए हैं, लेकिन सच्चाई तो यह है कि उन्हें सीएम पद की रेस से बाहर निकाला गया है और इसके पीछे उनके सहयोगी दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार) के नेताओं का हाथ है।”

उन्होंने उद्धव ठाकरे के दिल्ली दौरे का जिक्र करते हुए कहा, “आपने बीते दिनों देखा होगा कि उद्धव ठाकरे पूरे दल-बल के साथ दिल्ली गए थे। यहां उन्होंने कांग्रेस नेताओं से मुलाकात कर उनसे गुजारिश की थी कि उनके नाम को मुख्यमंत्री पद के रूप में घोषित किया जाए। लेकिन, कांग्रेस ने साफ तौर पर मना कर दिया। शरद पवार ने भी साफ किया कि वह सीएम पद के लिए किसी नाम की घोषणा नहीं करेंगे। चुनाव के बाद जो नतीजे आएंगे, उसके आधार पर फैसला लिया जाएगा।”

उन्होंने कहा, “उद्धव ठाकरे ने षणमुखानंद हॉल में आयोजित एक सभा के दौरान कहा था कि मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान किया जाए, मगर किसी ने भी उनकी नहीं सुनी। जब वह निराश हो गए तो उन्होंने खुद ही सीएम पद की रेस से बाहर होने का ऐलान कर दिया।”

संजय निरुपम ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बारे में बात करते हुए कहा, “राज्य में जब चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाएगा, तो एमवीए में फूट खुलकर सामने आ जाएगी। तीनों दलों के बीच महाराष्ट्र में सीट बंटवारे और सरकार बनाने को लेकर बहुत सारे झगड़े होने वाले हैं। इसके बाद तीनों दल एक-दूसरे को कमजोर करने में लग जाएंगे।”

शिवसेना नेता ने दावा करते हुए कहा, “महाराष्ट्र में महायुति के बीच एक सहमति यह है कि एकनाथ शिंदे की लोकप्रियता राज्य में काफी अधिक है, इसलिए महायुति राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में उतरेगी। हालांकि, चुनाव के बाद नतीजों के आधार पर तीनों पार्टियों के नेता एक साथ बैठेंगे और आगामी रणनीति पर फैसला लेंगे। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से भी इस पर राय ली जाएगी। आज की तारीख में एकनाथ शिंदे राज्य के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री है और उनके नेतृत्व में महाराष्ट्र में महायुति की फिर से सरकार बन सकती है।”

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संजय निरुपम ने कहा, “महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री बनने का जो सपना था, वह अब चकनाचूर हो गया है। उनके कहने का मतलब यह है कि वह मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर हो गए हैं, लेकिन सच्चाई तो यह है कि उन्हें सीएम पद की रेस से बाहर निकाला गया है और इसके पीछे उनके सहयोगी दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार) के नेताओं का हाथ है।”

उन्होंने उद्धव ठाकरे के दिल्ली दौरे का जिक्र करते हुए कहा, “आपने बीते दिनों देखा होगा कि उद्धव ठाकरे पूरे दल-बल के साथ दिल्ली गए थे। यहां उन्होंने कांग्रेस नेताओं से मुलाकात कर उनसे गुजारिश की थी कि उनके नाम को मुख्यमंत्री पद के रूप में घोषित किया जाए। लेकिन, कांग्रेस ने साफ तौर पर मना कर दिया। शरद पवार ने भी साफ किया कि वह सीएम पद के लिए किसी नाम की घोषणा नहीं करेंगे। चुनाव के बाद जो नतीजे आएंगे, उसके आधार पर फैसला लिया जाएगा।”

उन्होंने कहा, “उद्धव ठाकरे ने षणमुखानंद हॉल में आयोजित एक सभा के दौरान कहा था कि मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान किया जाए, मगर किसी ने भी उनकी नहीं सुनी। जब वह निराश हो गए तो उन्होंने खुद ही सीएम पद की रेस से बाहर होने का ऐलान कर दिया।”

संजय निरुपम ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बारे में बात करते हुए कहा, “राज्य में जब चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाएगा, तो एमवीए में फूट खुलकर सामने आ जाएगी। तीनों दलों के बीच महाराष्ट्र में सीट बंटवारे और सरकार बनाने को लेकर बहुत सारे झगड़े होने वाले हैं। इसके बाद तीनों दल एक-दूसरे को कमजोर करने में लग जाएंगे।”

शिवसेना नेता ने दावा करते हुए कहा, “महाराष्ट्र में महायुति के बीच एक सहमति यह है कि एकनाथ शिंदे की लोकप्रियता राज्य में काफी अधिक है, इसलिए महायुति राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में उतरेगी। हालांकि, चुनाव के बाद नतीजों के आधार पर तीनों पार्टियों के नेता एक साथ बैठेंगे और आगामी रणनीति पर फैसला लेंगे। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से भी इस पर राय ली जाएगी। आज की तारीख में एकनाथ शिंदे राज्य के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री है और उनके नेतृत्व में महाराष्ट्र में महायुति की फिर से सरकार बन सकती है।”

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मुंबई, 16 सितंबर (आईएएनएस)। शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बयान दिया कि वह महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं। उनके इस बयान को लेकर शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता संजय निरुपम ने कहा कि उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर किया गया है।

संजय निरुपम ने कहा, “महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री बनने का जो सपना था, वह अब चकनाचूर हो गया है। उनके कहने का मतलब यह है कि वह मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर हो गए हैं, लेकिन सच्चाई तो यह है कि उन्हें सीएम पद की रेस से बाहर निकाला गया है और इसके पीछे उनके सहयोगी दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार) के नेताओं का हाथ है।”

उन्होंने उद्धव ठाकरे के दिल्ली दौरे का जिक्र करते हुए कहा, “आपने बीते दिनों देखा होगा कि उद्धव ठाकरे पूरे दल-बल के साथ दिल्ली गए थे। यहां उन्होंने कांग्रेस नेताओं से मुलाकात कर उनसे गुजारिश की थी कि उनके नाम को मुख्यमंत्री पद के रूप में घोषित किया जाए। लेकिन, कांग्रेस ने साफ तौर पर मना कर दिया। शरद पवार ने भी साफ किया कि वह सीएम पद के लिए किसी नाम की घोषणा नहीं करेंगे। चुनाव के बाद जो नतीजे आएंगे, उसके आधार पर फैसला लिया जाएगा।”

उन्होंने कहा, “उद्धव ठाकरे ने षणमुखानंद हॉल में आयोजित एक सभा के दौरान कहा था कि मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान किया जाए, मगर किसी ने भी उनकी नहीं सुनी। जब वह निराश हो गए तो उन्होंने खुद ही सीएम पद की रेस से बाहर होने का ऐलान कर दिया।”

संजय निरुपम ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बारे में बात करते हुए कहा, “राज्य में जब चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाएगा, तो एमवीए में फूट खुलकर सामने आ जाएगी। तीनों दलों के बीच महाराष्ट्र में सीट बंटवारे और सरकार बनाने को लेकर बहुत सारे झगड़े होने वाले हैं। इसके बाद तीनों दल एक-दूसरे को कमजोर करने में लग जाएंगे।”

शिवसेना नेता ने दावा करते हुए कहा, “महाराष्ट्र में महायुति के बीच एक सहमति यह है कि एकनाथ शिंदे की लोकप्रियता राज्य में काफी अधिक है, इसलिए महायुति राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में उतरेगी। हालांकि, चुनाव के बाद नतीजों के आधार पर तीनों पार्टियों के नेता एक साथ बैठेंगे और आगामी रणनीति पर फैसला लेंगे। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से भी इस पर राय ली जाएगी। आज की तारीख में एकनाथ शिंदे राज्य के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री है और उनके नेतृत्व में महाराष्ट्र में महायुति की फिर से सरकार बन सकती है।”

–आईएएनएस

सीबीटी/

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मुंबई, 16 सितंबर (आईएएनएस)। शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बयान दिया कि वह महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं। उनके इस बयान को लेकर शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता संजय निरुपम ने कहा कि उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर किया गया है।

संजय निरुपम ने कहा, “महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री बनने का जो सपना था, वह अब चकनाचूर हो गया है। उनके कहने का मतलब यह है कि वह मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर हो गए हैं, लेकिन सच्चाई तो यह है कि उन्हें सीएम पद की रेस से बाहर निकाला गया है और इसके पीछे उनके सहयोगी दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार) के नेताओं का हाथ है।”

उन्होंने उद्धव ठाकरे के दिल्ली दौरे का जिक्र करते हुए कहा, “आपने बीते दिनों देखा होगा कि उद्धव ठाकरे पूरे दल-बल के साथ दिल्ली गए थे। यहां उन्होंने कांग्रेस नेताओं से मुलाकात कर उनसे गुजारिश की थी कि उनके नाम को मुख्यमंत्री पद के रूप में घोषित किया जाए। लेकिन, कांग्रेस ने साफ तौर पर मना कर दिया। शरद पवार ने भी साफ किया कि वह सीएम पद के लिए किसी नाम की घोषणा नहीं करेंगे। चुनाव के बाद जो नतीजे आएंगे, उसके आधार पर फैसला लिया जाएगा।”

उन्होंने कहा, “उद्धव ठाकरे ने षणमुखानंद हॉल में आयोजित एक सभा के दौरान कहा था कि मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान किया जाए, मगर किसी ने भी उनकी नहीं सुनी। जब वह निराश हो गए तो उन्होंने खुद ही सीएम पद की रेस से बाहर होने का ऐलान कर दिया।”

संजय निरुपम ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बारे में बात करते हुए कहा, “राज्य में जब चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाएगा, तो एमवीए में फूट खुलकर सामने आ जाएगी। तीनों दलों के बीच महाराष्ट्र में सीट बंटवारे और सरकार बनाने को लेकर बहुत सारे झगड़े होने वाले हैं। इसके बाद तीनों दल एक-दूसरे को कमजोर करने में लग जाएंगे।”

शिवसेना नेता ने दावा करते हुए कहा, “महाराष्ट्र में महायुति के बीच एक सहमति यह है कि एकनाथ शिंदे की लोकप्रियता राज्य में काफी अधिक है, इसलिए महायुति राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में उतरेगी। हालांकि, चुनाव के बाद नतीजों के आधार पर तीनों पार्टियों के नेता एक साथ बैठेंगे और आगामी रणनीति पर फैसला लेंगे। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से भी इस पर राय ली जाएगी। आज की तारीख में एकनाथ शिंदे राज्य के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री है और उनके नेतृत्व में महाराष्ट्र में महायुति की फिर से सरकार बन सकती है।”

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संजय निरुपम ने कहा, “महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री बनने का जो सपना था, वह अब चकनाचूर हो गया है। उनके कहने का मतलब यह है कि वह मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर हो गए हैं, लेकिन सच्चाई तो यह है कि उन्हें सीएम पद की रेस से बाहर निकाला गया है और इसके पीछे उनके सहयोगी दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार) के नेताओं का हाथ है।”

उन्होंने उद्धव ठाकरे के दिल्ली दौरे का जिक्र करते हुए कहा, “आपने बीते दिनों देखा होगा कि उद्धव ठाकरे पूरे दल-बल के साथ दिल्ली गए थे। यहां उन्होंने कांग्रेस नेताओं से मुलाकात कर उनसे गुजारिश की थी कि उनके नाम को मुख्यमंत्री पद के रूप में घोषित किया जाए। लेकिन, कांग्रेस ने साफ तौर पर मना कर दिया। शरद पवार ने भी साफ किया कि वह सीएम पद के लिए किसी नाम की घोषणा नहीं करेंगे। चुनाव के बाद जो नतीजे आएंगे, उसके आधार पर फैसला लिया जाएगा।”

उन्होंने कहा, “उद्धव ठाकरे ने षणमुखानंद हॉल में आयोजित एक सभा के दौरान कहा था कि मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान किया जाए, मगर किसी ने भी उनकी नहीं सुनी। जब वह निराश हो गए तो उन्होंने खुद ही सीएम पद की रेस से बाहर होने का ऐलान कर दिया।”

संजय निरुपम ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बारे में बात करते हुए कहा, “राज्य में जब चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाएगा, तो एमवीए में फूट खुलकर सामने आ जाएगी। तीनों दलों के बीच महाराष्ट्र में सीट बंटवारे और सरकार बनाने को लेकर बहुत सारे झगड़े होने वाले हैं। इसके बाद तीनों दल एक-दूसरे को कमजोर करने में लग जाएंगे।”

शिवसेना नेता ने दावा करते हुए कहा, “महाराष्ट्र में महायुति के बीच एक सहमति यह है कि एकनाथ शिंदे की लोकप्रियता राज्य में काफी अधिक है, इसलिए महायुति राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में उतरेगी। हालांकि, चुनाव के बाद नतीजों के आधार पर तीनों पार्टियों के नेता एक साथ बैठेंगे और आगामी रणनीति पर फैसला लेंगे। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से भी इस पर राय ली जाएगी। आज की तारीख में एकनाथ शिंदे राज्य के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री है और उनके नेतृत्व में महाराष्ट्र में महायुति की फिर से सरकार बन सकती है।”

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संजय निरुपम ने कहा, “महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री बनने का जो सपना था, वह अब चकनाचूर हो गया है। उनके कहने का मतलब यह है कि वह मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर हो गए हैं, लेकिन सच्चाई तो यह है कि उन्हें सीएम पद की रेस से बाहर निकाला गया है और इसके पीछे उनके सहयोगी दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार) के नेताओं का हाथ है।”

उन्होंने उद्धव ठाकरे के दिल्ली दौरे का जिक्र करते हुए कहा, “आपने बीते दिनों देखा होगा कि उद्धव ठाकरे पूरे दल-बल के साथ दिल्ली गए थे। यहां उन्होंने कांग्रेस नेताओं से मुलाकात कर उनसे गुजारिश की थी कि उनके नाम को मुख्यमंत्री पद के रूप में घोषित किया जाए। लेकिन, कांग्रेस ने साफ तौर पर मना कर दिया। शरद पवार ने भी साफ किया कि वह सीएम पद के लिए किसी नाम की घोषणा नहीं करेंगे। चुनाव के बाद जो नतीजे आएंगे, उसके आधार पर फैसला लिया जाएगा।”

उन्होंने कहा, “उद्धव ठाकरे ने षणमुखानंद हॉल में आयोजित एक सभा के दौरान कहा था कि मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान किया जाए, मगर किसी ने भी उनकी नहीं सुनी। जब वह निराश हो गए तो उन्होंने खुद ही सीएम पद की रेस से बाहर होने का ऐलान कर दिया।”

संजय निरुपम ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बारे में बात करते हुए कहा, “राज्य में जब चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाएगा, तो एमवीए में फूट खुलकर सामने आ जाएगी। तीनों दलों के बीच महाराष्ट्र में सीट बंटवारे और सरकार बनाने को लेकर बहुत सारे झगड़े होने वाले हैं। इसके बाद तीनों दल एक-दूसरे को कमजोर करने में लग जाएंगे।”

शिवसेना नेता ने दावा करते हुए कहा, “महाराष्ट्र में महायुति के बीच एक सहमति यह है कि एकनाथ शिंदे की लोकप्रियता राज्य में काफी अधिक है, इसलिए महायुति राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में उतरेगी। हालांकि, चुनाव के बाद नतीजों के आधार पर तीनों पार्टियों के नेता एक साथ बैठेंगे और आगामी रणनीति पर फैसला लेंगे। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से भी इस पर राय ली जाएगी। आज की तारीख में एकनाथ शिंदे राज्य के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री है और उनके नेतृत्व में महाराष्ट्र में महायुति की फिर से सरकार बन सकती है।”

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संजय निरुपम ने कहा, “महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री बनने का जो सपना था, वह अब चकनाचूर हो गया है। उनके कहने का मतलब यह है कि वह मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर हो गए हैं, लेकिन सच्चाई तो यह है कि उन्हें सीएम पद की रेस से बाहर निकाला गया है और इसके पीछे उनके सहयोगी दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार) के नेताओं का हाथ है।”

उन्होंने उद्धव ठाकरे के दिल्ली दौरे का जिक्र करते हुए कहा, “आपने बीते दिनों देखा होगा कि उद्धव ठाकरे पूरे दल-बल के साथ दिल्ली गए थे। यहां उन्होंने कांग्रेस नेताओं से मुलाकात कर उनसे गुजारिश की थी कि उनके नाम को मुख्यमंत्री पद के रूप में घोषित किया जाए। लेकिन, कांग्रेस ने साफ तौर पर मना कर दिया। शरद पवार ने भी साफ किया कि वह सीएम पद के लिए किसी नाम की घोषणा नहीं करेंगे। चुनाव के बाद जो नतीजे आएंगे, उसके आधार पर फैसला लिया जाएगा।”

उन्होंने कहा, “उद्धव ठाकरे ने षणमुखानंद हॉल में आयोजित एक सभा के दौरान कहा था कि मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान किया जाए, मगर किसी ने भी उनकी नहीं सुनी। जब वह निराश हो गए तो उन्होंने खुद ही सीएम पद की रेस से बाहर होने का ऐलान कर दिया।”

संजय निरुपम ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बारे में बात करते हुए कहा, “राज्य में जब चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाएगा, तो एमवीए में फूट खुलकर सामने आ जाएगी। तीनों दलों के बीच महाराष्ट्र में सीट बंटवारे और सरकार बनाने को लेकर बहुत सारे झगड़े होने वाले हैं। इसके बाद तीनों दल एक-दूसरे को कमजोर करने में लग जाएंगे।”

शिवसेना नेता ने दावा करते हुए कहा, “महाराष्ट्र में महायुति के बीच एक सहमति यह है कि एकनाथ शिंदे की लोकप्रियता राज्य में काफी अधिक है, इसलिए महायुति राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में उतरेगी। हालांकि, चुनाव के बाद नतीजों के आधार पर तीनों पार्टियों के नेता एक साथ बैठेंगे और आगामी रणनीति पर फैसला लेंगे। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से भी इस पर राय ली जाएगी। आज की तारीख में एकनाथ शिंदे राज्य के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री है और उनके नेतृत्व में महाराष्ट्र में महायुति की फिर से सरकार बन सकती है।”

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संजय निरुपम ने कहा, “महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री बनने का जो सपना था, वह अब चकनाचूर हो गया है। उनके कहने का मतलब यह है कि वह मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर हो गए हैं, लेकिन सच्चाई तो यह है कि उन्हें सीएम पद की रेस से बाहर निकाला गया है और इसके पीछे उनके सहयोगी दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार) के नेताओं का हाथ है।”

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उन्होंने कहा, “उद्धव ठाकरे ने षणमुखानंद हॉल में आयोजित एक सभा के दौरान कहा था कि मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान किया जाए, मगर किसी ने भी उनकी नहीं सुनी। जब वह निराश हो गए तो उन्होंने खुद ही सीएम पद की रेस से बाहर होने का ऐलान कर दिया।”

संजय निरुपम ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बारे में बात करते हुए कहा, “राज्य में जब चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाएगा, तो एमवीए में फूट खुलकर सामने आ जाएगी। तीनों दलों के बीच महाराष्ट्र में सीट बंटवारे और सरकार बनाने को लेकर बहुत सारे झगड़े होने वाले हैं। इसके बाद तीनों दल एक-दूसरे को कमजोर करने में लग जाएंगे।”

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संजय निरुपम ने कहा, “महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री बनने का जो सपना था, वह अब चकनाचूर हो गया है। उनके कहने का मतलब यह है कि वह मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर हो गए हैं, लेकिन सच्चाई तो यह है कि उन्हें सीएम पद की रेस से बाहर निकाला गया है और इसके पीछे उनके सहयोगी दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार) के नेताओं का हाथ है।”

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उन्होंने कहा, “उद्धव ठाकरे ने षणमुखानंद हॉल में आयोजित एक सभा के दौरान कहा था कि मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान किया जाए, मगर किसी ने भी उनकी नहीं सुनी। जब वह निराश हो गए तो उन्होंने खुद ही सीएम पद की रेस से बाहर होने का ऐलान कर दिया।”

संजय निरुपम ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बारे में बात करते हुए कहा, “राज्य में जब चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाएगा, तो एमवीए में फूट खुलकर सामने आ जाएगी। तीनों दलों के बीच महाराष्ट्र में सीट बंटवारे और सरकार बनाने को लेकर बहुत सारे झगड़े होने वाले हैं। इसके बाद तीनों दल एक-दूसरे को कमजोर करने में लग जाएंगे।”

शिवसेना नेता ने दावा करते हुए कहा, “महाराष्ट्र में महायुति के बीच एक सहमति यह है कि एकनाथ शिंदे की लोकप्रियता राज्य में काफी अधिक है, इसलिए महायुति राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में उतरेगी। हालांकि, चुनाव के बाद नतीजों के आधार पर तीनों पार्टियों के नेता एक साथ बैठेंगे और आगामी रणनीति पर फैसला लेंगे। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से भी इस पर राय ली जाएगी। आज की तारीख में एकनाथ शिंदे राज्य के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री है और उनके नेतृत्व में महाराष्ट्र में महायुति की फिर से सरकार बन सकती है।”

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