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Home ताज़ा समाचार

कांग्रेस के लिए दशकों से खुला रहा है धीरज साहू के परिवार का खजाना, बदले में पावर कॉरिडोर में मिलती रही ऊंची रसूख

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December 11, 2023
in ताज़ा समाचार
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रांची, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। सांसद धीरज प्रसाद साहू के ठिकानों से 355 करोड़ से भी ज्यादा कैश की बरामदगी के मामले में कांग्रेस ने भले उनसे किनारा कर लिया हो, लेकिन सच्चाई यह है कि साहू का धनाढ्य परिवार अपने खजाने से पार्टी को समय से नवाजता रहा है और इसकी एवज में कांग्रेस भी इस परिवार के सदस्यों को पावर कॉरिडोर में ऊंचे रसूख देकर उपकृत करती रही है।

खुद धीरज साहू ही इसके उदाहरण हैं, जो दो-दो बार लोकसभा का चुनाव हारने के बावजूद कांग्रेस के लिए इतने अहम रहे कि पार्टी ने उन्हें एक नहीं लगातार तीन बार राज्यसभा पहुंचाया। उनके बड़े भाई शिवप्रसाद साहू भी दो बार रांची लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस सांसद चुने गए थे। वर्ष 2001 में उनका निधन हो गया।

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धीरज साहू के एक अन्य भाई गोपाल साहू को कांग्रेस एक बार रांची विधानसभा क्षेत्र और एक बार हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से टिकट दे चुकी है। हालांकि वह कोई भी चुनाव जीतने में सफल नहीं रहे। वह झारखंड प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष भी रहे हैं।

धीरज प्रसाद साहू के पिता बलदेव साहू पुराने कांग्रेसी, स्वतंत्रता सेनानी और तत्कालीन बिहार के प्रमुख व्यवसायियों में एक रहे। उन्हें ब्रितानी हुकूमत से राय साहब की उपाधि मिली थी। नेहरू, इंदिरा तक इस परिवार के दौलतखाने पर तशरीफ ला चुके हैं। आजादी के पहले और उसके बाद भी डॉ राजेंद्र प्रसाद, जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे नेताओं ने राय बलदेव साहू का आतिथ्य स्वीकारा था। फिल्मी हस्तियां तो अक्सर इस परिवार की पार्टियों और समारोहों का हिस्सा बनती रही हैं।

साहू परिवार झारखंड के लोहरदगा का रहने वाला है। इस परिवार ने बेशक सबसे ज्यादा कमाई शराब के कारोबार से की, लेकिन आज इनका दखल रियल इस्टेट, होटल, हॉस्पिटल, स्कूल, ट्रैवल से लेकर कई तरह के व्यवसायों में है। झारखंड के अलावा ओडिशा, बंगाल और कई अन्य राज्यों में इनका कारोबार फैला है। परिवार के पास अब 80 से अधिक माइक्रो डिस्टिलरीज हैं जहां महुआ फूल से शराब बनाई जाती है और खुदरा दुकानों में बेची जाती है।

इसके अलावा, इसके पास ओडिशा और झारखंड में आईएमएफएल के लिए बॉटलिंग प्लांट भी है। साहू परिवार की बौध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड नामक जिस इंडस्ट्रियल इकाई के ठिकाने से सबसे ज्यादा कैश बरामद हुआ है, उसकी वेबसाइट में बताया गया है, “परिवार 125 साल से भी ज्यादा वक्त से शराब के कारोबार में है और इसने सफलता की कई कहानियां गढ़ी हैं। शुरुआत स्वर्गीय राय साहेब बलदेव साहू के वंशजों से शुरू हुई, जो तत्कालीन छोटानागपुर (बिहार राज्य का प्रभाग, अब झारखंड) के अग्रणी और प्रतिष्ठित व्यवसायियों में से एक थे। वे जानते थे कि उन्हें सफल होना है और देशी शराब को अगले स्तर पर ले जाना है।“

साहू ग्रुप की कुछ प्रमुख कंपनियों में कंपनियों में बौध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड, बलदेव साहू इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड (फ्लाई ऐश ब्रिक्स,) क्वालिटी बॉटलर्स प्राइवेट लिमिटेड (आईएमएफएल बॉटलिंग) और किशोर प्रसाद बिजय प्रसाद बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड आदि शामिल हैं।

रांची में साहू के भाई-भतीजे और परिवार के लोग आर्या होटल, सफायर इंटरनेशनल स्कूल, सेंटेविटा हॉस्पिटल जैसे कई संस्थान-प्रतिष्ठान संचालित करते हैं। धीरज साहू के पिता बलदेव साहू के नाम पर लोहरदगा में बीएस साहू डिग्री कॉलेज भी है। हालांकि यह अब सरकारी तौर पर संचालित होता है।

23 जनवरी 1955 को जन्मे धीरज साहू ने बीए तक की पढ़ाई की है। उन्होंने एनएसयूआई के जरिए राजनीति में कदम रखा था। वह 1977 में लोहरदगा में यूथ कांग्रेस से जुड़े। इसके बाद जिला और प्रदेश कांग्रेस कमेटी में विभिन्न पदों पर रहे। उन्होंने 2009 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चतरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। लेकिन करीब डेढ़ महीने बाद ही कांग्रेस ने राज्यसभा के लिए हुए उपचुनाव में उन्हें उतारा और वे उच्च सदन पहुंचे।

उन्हें पहली बार राज्यसभा का टिकट दिलाने में झारखंड कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष प्रदीप बलमुचू का अहम रोल माना जाता है। वह 2010 में दूसरी बार राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए और 2018 में तीसरी बार। राज्यसभा सदस्य के रूप में उनका यह कार्यकाल 2024 तक है।

आईटी छापों के बाद धीरज साहू की कई तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिनमें वह कहीं राइफल के साथ दिख रहे हैं तो कहीं चीते और बाघ के साथ पोज दे रहे हैं। उनकी अपनी एक वेबसाइट है, जिसमें बताया गया है कि वे वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी और बोटिंग के शौकीन हैं। इसके अलावा वह शूटिंग में भी हाथ आजमाते रहे हैं। वह लोहरदगा में अक्सर वृहत स्तर पर धार्मिक प्रवचन का कार्यक्रम करवाते रहे हैं। साहू परिवार का रांची स्थित आवास सुशीला निकेतन रेडियम रोड में स्थित है, जो इस शहर का सबसे भव्य बंगला माना जाता है।

–आईएएनएस

एसएनसी/एकेजे

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रांची, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। सांसद धीरज प्रसाद साहू के ठिकानों से 355 करोड़ से भी ज्यादा कैश की बरामदगी के मामले में कांग्रेस ने भले उनसे किनारा कर लिया हो, लेकिन सच्चाई यह है कि साहू का धनाढ्य परिवार अपने खजाने से पार्टी को समय से नवाजता रहा है और इसकी एवज में कांग्रेस भी इस परिवार के सदस्यों को पावर कॉरिडोर में ऊंचे रसूख देकर उपकृत करती रही है।

खुद धीरज साहू ही इसके उदाहरण हैं, जो दो-दो बार लोकसभा का चुनाव हारने के बावजूद कांग्रेस के लिए इतने अहम रहे कि पार्टी ने उन्हें एक नहीं लगातार तीन बार राज्यसभा पहुंचाया। उनके बड़े भाई शिवप्रसाद साहू भी दो बार रांची लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस सांसद चुने गए थे। वर्ष 2001 में उनका निधन हो गया।

धीरज साहू के एक अन्य भाई गोपाल साहू को कांग्रेस एक बार रांची विधानसभा क्षेत्र और एक बार हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से टिकट दे चुकी है। हालांकि वह कोई भी चुनाव जीतने में सफल नहीं रहे। वह झारखंड प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष भी रहे हैं।

धीरज प्रसाद साहू के पिता बलदेव साहू पुराने कांग्रेसी, स्वतंत्रता सेनानी और तत्कालीन बिहार के प्रमुख व्यवसायियों में एक रहे। उन्हें ब्रितानी हुकूमत से राय साहब की उपाधि मिली थी। नेहरू, इंदिरा तक इस परिवार के दौलतखाने पर तशरीफ ला चुके हैं। आजादी के पहले और उसके बाद भी डॉ राजेंद्र प्रसाद, जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे नेताओं ने राय बलदेव साहू का आतिथ्य स्वीकारा था। फिल्मी हस्तियां तो अक्सर इस परिवार की पार्टियों और समारोहों का हिस्सा बनती रही हैं।

साहू परिवार झारखंड के लोहरदगा का रहने वाला है। इस परिवार ने बेशक सबसे ज्यादा कमाई शराब के कारोबार से की, लेकिन आज इनका दखल रियल इस्टेट, होटल, हॉस्पिटल, स्कूल, ट्रैवल से लेकर कई तरह के व्यवसायों में है। झारखंड के अलावा ओडिशा, बंगाल और कई अन्य राज्यों में इनका कारोबार फैला है। परिवार के पास अब 80 से अधिक माइक्रो डिस्टिलरीज हैं जहां महुआ फूल से शराब बनाई जाती है और खुदरा दुकानों में बेची जाती है।

इसके अलावा, इसके पास ओडिशा और झारखंड में आईएमएफएल के लिए बॉटलिंग प्लांट भी है। साहू परिवार की बौध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड नामक जिस इंडस्ट्रियल इकाई के ठिकाने से सबसे ज्यादा कैश बरामद हुआ है, उसकी वेबसाइट में बताया गया है, “परिवार 125 साल से भी ज्यादा वक्त से शराब के कारोबार में है और इसने सफलता की कई कहानियां गढ़ी हैं। शुरुआत स्वर्गीय राय साहेब बलदेव साहू के वंशजों से शुरू हुई, जो तत्कालीन छोटानागपुर (बिहार राज्य का प्रभाग, अब झारखंड) के अग्रणी और प्रतिष्ठित व्यवसायियों में से एक थे। वे जानते थे कि उन्हें सफल होना है और देशी शराब को अगले स्तर पर ले जाना है।“

साहू ग्रुप की कुछ प्रमुख कंपनियों में कंपनियों में बौध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड, बलदेव साहू इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड (फ्लाई ऐश ब्रिक्स,) क्वालिटी बॉटलर्स प्राइवेट लिमिटेड (आईएमएफएल बॉटलिंग) और किशोर प्रसाद बिजय प्रसाद बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड आदि शामिल हैं।

रांची में साहू के भाई-भतीजे और परिवार के लोग आर्या होटल, सफायर इंटरनेशनल स्कूल, सेंटेविटा हॉस्पिटल जैसे कई संस्थान-प्रतिष्ठान संचालित करते हैं। धीरज साहू के पिता बलदेव साहू के नाम पर लोहरदगा में बीएस साहू डिग्री कॉलेज भी है। हालांकि यह अब सरकारी तौर पर संचालित होता है।

23 जनवरी 1955 को जन्मे धीरज साहू ने बीए तक की पढ़ाई की है। उन्होंने एनएसयूआई के जरिए राजनीति में कदम रखा था। वह 1977 में लोहरदगा में यूथ कांग्रेस से जुड़े। इसके बाद जिला और प्रदेश कांग्रेस कमेटी में विभिन्न पदों पर रहे। उन्होंने 2009 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चतरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। लेकिन करीब डेढ़ महीने बाद ही कांग्रेस ने राज्यसभा के लिए हुए उपचुनाव में उन्हें उतारा और वे उच्च सदन पहुंचे।

उन्हें पहली बार राज्यसभा का टिकट दिलाने में झारखंड कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष प्रदीप बलमुचू का अहम रोल माना जाता है। वह 2010 में दूसरी बार राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए और 2018 में तीसरी बार। राज्यसभा सदस्य के रूप में उनका यह कार्यकाल 2024 तक है।

आईटी छापों के बाद धीरज साहू की कई तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिनमें वह कहीं राइफल के साथ दिख रहे हैं तो कहीं चीते और बाघ के साथ पोज दे रहे हैं। उनकी अपनी एक वेबसाइट है, जिसमें बताया गया है कि वे वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी और बोटिंग के शौकीन हैं। इसके अलावा वह शूटिंग में भी हाथ आजमाते रहे हैं। वह लोहरदगा में अक्सर वृहत स्तर पर धार्मिक प्रवचन का कार्यक्रम करवाते रहे हैं। साहू परिवार का रांची स्थित आवास सुशीला निकेतन रेडियम रोड में स्थित है, जो इस शहर का सबसे भव्य बंगला माना जाता है।

–आईएएनएस

एसएनसी/एकेजे

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रांची, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। सांसद धीरज प्रसाद साहू के ठिकानों से 355 करोड़ से भी ज्यादा कैश की बरामदगी के मामले में कांग्रेस ने भले उनसे किनारा कर लिया हो, लेकिन सच्चाई यह है कि साहू का धनाढ्य परिवार अपने खजाने से पार्टी को समय से नवाजता रहा है और इसकी एवज में कांग्रेस भी इस परिवार के सदस्यों को पावर कॉरिडोर में ऊंचे रसूख देकर उपकृत करती रही है।

खुद धीरज साहू ही इसके उदाहरण हैं, जो दो-दो बार लोकसभा का चुनाव हारने के बावजूद कांग्रेस के लिए इतने अहम रहे कि पार्टी ने उन्हें एक नहीं लगातार तीन बार राज्यसभा पहुंचाया। उनके बड़े भाई शिवप्रसाद साहू भी दो बार रांची लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस सांसद चुने गए थे। वर्ष 2001 में उनका निधन हो गया।

धीरज साहू के एक अन्य भाई गोपाल साहू को कांग्रेस एक बार रांची विधानसभा क्षेत्र और एक बार हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से टिकट दे चुकी है। हालांकि वह कोई भी चुनाव जीतने में सफल नहीं रहे। वह झारखंड प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष भी रहे हैं।

धीरज प्रसाद साहू के पिता बलदेव साहू पुराने कांग्रेसी, स्वतंत्रता सेनानी और तत्कालीन बिहार के प्रमुख व्यवसायियों में एक रहे। उन्हें ब्रितानी हुकूमत से राय साहब की उपाधि मिली थी। नेहरू, इंदिरा तक इस परिवार के दौलतखाने पर तशरीफ ला चुके हैं। आजादी के पहले और उसके बाद भी डॉ राजेंद्र प्रसाद, जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे नेताओं ने राय बलदेव साहू का आतिथ्य स्वीकारा था। फिल्मी हस्तियां तो अक्सर इस परिवार की पार्टियों और समारोहों का हिस्सा बनती रही हैं।

साहू परिवार झारखंड के लोहरदगा का रहने वाला है। इस परिवार ने बेशक सबसे ज्यादा कमाई शराब के कारोबार से की, लेकिन आज इनका दखल रियल इस्टेट, होटल, हॉस्पिटल, स्कूल, ट्रैवल से लेकर कई तरह के व्यवसायों में है। झारखंड के अलावा ओडिशा, बंगाल और कई अन्य राज्यों में इनका कारोबार फैला है। परिवार के पास अब 80 से अधिक माइक्रो डिस्टिलरीज हैं जहां महुआ फूल से शराब बनाई जाती है और खुदरा दुकानों में बेची जाती है।

इसके अलावा, इसके पास ओडिशा और झारखंड में आईएमएफएल के लिए बॉटलिंग प्लांट भी है। साहू परिवार की बौध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड नामक जिस इंडस्ट्रियल इकाई के ठिकाने से सबसे ज्यादा कैश बरामद हुआ है, उसकी वेबसाइट में बताया गया है, “परिवार 125 साल से भी ज्यादा वक्त से शराब के कारोबार में है और इसने सफलता की कई कहानियां गढ़ी हैं। शुरुआत स्वर्गीय राय साहेब बलदेव साहू के वंशजों से शुरू हुई, जो तत्कालीन छोटानागपुर (बिहार राज्य का प्रभाग, अब झारखंड) के अग्रणी और प्रतिष्ठित व्यवसायियों में से एक थे। वे जानते थे कि उन्हें सफल होना है और देशी शराब को अगले स्तर पर ले जाना है।“

साहू ग्रुप की कुछ प्रमुख कंपनियों में कंपनियों में बौध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड, बलदेव साहू इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड (फ्लाई ऐश ब्रिक्स,) क्वालिटी बॉटलर्स प्राइवेट लिमिटेड (आईएमएफएल बॉटलिंग) और किशोर प्रसाद बिजय प्रसाद बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड आदि शामिल हैं।

रांची में साहू के भाई-भतीजे और परिवार के लोग आर्या होटल, सफायर इंटरनेशनल स्कूल, सेंटेविटा हॉस्पिटल जैसे कई संस्थान-प्रतिष्ठान संचालित करते हैं। धीरज साहू के पिता बलदेव साहू के नाम पर लोहरदगा में बीएस साहू डिग्री कॉलेज भी है। हालांकि यह अब सरकारी तौर पर संचालित होता है।

23 जनवरी 1955 को जन्मे धीरज साहू ने बीए तक की पढ़ाई की है। उन्होंने एनएसयूआई के जरिए राजनीति में कदम रखा था। वह 1977 में लोहरदगा में यूथ कांग्रेस से जुड़े। इसके बाद जिला और प्रदेश कांग्रेस कमेटी में विभिन्न पदों पर रहे। उन्होंने 2009 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चतरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। लेकिन करीब डेढ़ महीने बाद ही कांग्रेस ने राज्यसभा के लिए हुए उपचुनाव में उन्हें उतारा और वे उच्च सदन पहुंचे।

उन्हें पहली बार राज्यसभा का टिकट दिलाने में झारखंड कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष प्रदीप बलमुचू का अहम रोल माना जाता है। वह 2010 में दूसरी बार राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए और 2018 में तीसरी बार। राज्यसभा सदस्य के रूप में उनका यह कार्यकाल 2024 तक है।

आईटी छापों के बाद धीरज साहू की कई तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिनमें वह कहीं राइफल के साथ दिख रहे हैं तो कहीं चीते और बाघ के साथ पोज दे रहे हैं। उनकी अपनी एक वेबसाइट है, जिसमें बताया गया है कि वे वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी और बोटिंग के शौकीन हैं। इसके अलावा वह शूटिंग में भी हाथ आजमाते रहे हैं। वह लोहरदगा में अक्सर वृहत स्तर पर धार्मिक प्रवचन का कार्यक्रम करवाते रहे हैं। साहू परिवार का रांची स्थित आवास सुशीला निकेतन रेडियम रोड में स्थित है, जो इस शहर का सबसे भव्य बंगला माना जाता है।

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रांची, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। सांसद धीरज प्रसाद साहू के ठिकानों से 355 करोड़ से भी ज्यादा कैश की बरामदगी के मामले में कांग्रेस ने भले उनसे किनारा कर लिया हो, लेकिन सच्चाई यह है कि साहू का धनाढ्य परिवार अपने खजाने से पार्टी को समय से नवाजता रहा है और इसकी एवज में कांग्रेस भी इस परिवार के सदस्यों को पावर कॉरिडोर में ऊंचे रसूख देकर उपकृत करती रही है।

खुद धीरज साहू ही इसके उदाहरण हैं, जो दो-दो बार लोकसभा का चुनाव हारने के बावजूद कांग्रेस के लिए इतने अहम रहे कि पार्टी ने उन्हें एक नहीं लगातार तीन बार राज्यसभा पहुंचाया। उनके बड़े भाई शिवप्रसाद साहू भी दो बार रांची लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस सांसद चुने गए थे। वर्ष 2001 में उनका निधन हो गया।

धीरज साहू के एक अन्य भाई गोपाल साहू को कांग्रेस एक बार रांची विधानसभा क्षेत्र और एक बार हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से टिकट दे चुकी है। हालांकि वह कोई भी चुनाव जीतने में सफल नहीं रहे। वह झारखंड प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष भी रहे हैं।

धीरज प्रसाद साहू के पिता बलदेव साहू पुराने कांग्रेसी, स्वतंत्रता सेनानी और तत्कालीन बिहार के प्रमुख व्यवसायियों में एक रहे। उन्हें ब्रितानी हुकूमत से राय साहब की उपाधि मिली थी। नेहरू, इंदिरा तक इस परिवार के दौलतखाने पर तशरीफ ला चुके हैं। आजादी के पहले और उसके बाद भी डॉ राजेंद्र प्रसाद, जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे नेताओं ने राय बलदेव साहू का आतिथ्य स्वीकारा था। फिल्मी हस्तियां तो अक्सर इस परिवार की पार्टियों और समारोहों का हिस्सा बनती रही हैं।

साहू परिवार झारखंड के लोहरदगा का रहने वाला है। इस परिवार ने बेशक सबसे ज्यादा कमाई शराब के कारोबार से की, लेकिन आज इनका दखल रियल इस्टेट, होटल, हॉस्पिटल, स्कूल, ट्रैवल से लेकर कई तरह के व्यवसायों में है। झारखंड के अलावा ओडिशा, बंगाल और कई अन्य राज्यों में इनका कारोबार फैला है। परिवार के पास अब 80 से अधिक माइक्रो डिस्टिलरीज हैं जहां महुआ फूल से शराब बनाई जाती है और खुदरा दुकानों में बेची जाती है।

इसके अलावा, इसके पास ओडिशा और झारखंड में आईएमएफएल के लिए बॉटलिंग प्लांट भी है। साहू परिवार की बौध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड नामक जिस इंडस्ट्रियल इकाई के ठिकाने से सबसे ज्यादा कैश बरामद हुआ है, उसकी वेबसाइट में बताया गया है, “परिवार 125 साल से भी ज्यादा वक्त से शराब के कारोबार में है और इसने सफलता की कई कहानियां गढ़ी हैं। शुरुआत स्वर्गीय राय साहेब बलदेव साहू के वंशजों से शुरू हुई, जो तत्कालीन छोटानागपुर (बिहार राज्य का प्रभाग, अब झारखंड) के अग्रणी और प्रतिष्ठित व्यवसायियों में से एक थे। वे जानते थे कि उन्हें सफल होना है और देशी शराब को अगले स्तर पर ले जाना है।“

साहू ग्रुप की कुछ प्रमुख कंपनियों में कंपनियों में बौध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड, बलदेव साहू इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड (फ्लाई ऐश ब्रिक्स,) क्वालिटी बॉटलर्स प्राइवेट लिमिटेड (आईएमएफएल बॉटलिंग) और किशोर प्रसाद बिजय प्रसाद बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड आदि शामिल हैं।

रांची में साहू के भाई-भतीजे और परिवार के लोग आर्या होटल, सफायर इंटरनेशनल स्कूल, सेंटेविटा हॉस्पिटल जैसे कई संस्थान-प्रतिष्ठान संचालित करते हैं। धीरज साहू के पिता बलदेव साहू के नाम पर लोहरदगा में बीएस साहू डिग्री कॉलेज भी है। हालांकि यह अब सरकारी तौर पर संचालित होता है।

23 जनवरी 1955 को जन्मे धीरज साहू ने बीए तक की पढ़ाई की है। उन्होंने एनएसयूआई के जरिए राजनीति में कदम रखा था। वह 1977 में लोहरदगा में यूथ कांग्रेस से जुड़े। इसके बाद जिला और प्रदेश कांग्रेस कमेटी में विभिन्न पदों पर रहे। उन्होंने 2009 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चतरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। लेकिन करीब डेढ़ महीने बाद ही कांग्रेस ने राज्यसभा के लिए हुए उपचुनाव में उन्हें उतारा और वे उच्च सदन पहुंचे।

उन्हें पहली बार राज्यसभा का टिकट दिलाने में झारखंड कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष प्रदीप बलमुचू का अहम रोल माना जाता है। वह 2010 में दूसरी बार राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए और 2018 में तीसरी बार। राज्यसभा सदस्य के रूप में उनका यह कार्यकाल 2024 तक है।

आईटी छापों के बाद धीरज साहू की कई तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिनमें वह कहीं राइफल के साथ दिख रहे हैं तो कहीं चीते और बाघ के साथ पोज दे रहे हैं। उनकी अपनी एक वेबसाइट है, जिसमें बताया गया है कि वे वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी और बोटिंग के शौकीन हैं। इसके अलावा वह शूटिंग में भी हाथ आजमाते रहे हैं। वह लोहरदगा में अक्सर वृहत स्तर पर धार्मिक प्रवचन का कार्यक्रम करवाते रहे हैं। साहू परिवार का रांची स्थित आवास सुशीला निकेतन रेडियम रोड में स्थित है, जो इस शहर का सबसे भव्य बंगला माना जाता है।

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रांची, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। सांसद धीरज प्रसाद साहू के ठिकानों से 355 करोड़ से भी ज्यादा कैश की बरामदगी के मामले में कांग्रेस ने भले उनसे किनारा कर लिया हो, लेकिन सच्चाई यह है कि साहू का धनाढ्य परिवार अपने खजाने से पार्टी को समय से नवाजता रहा है और इसकी एवज में कांग्रेस भी इस परिवार के सदस्यों को पावर कॉरिडोर में ऊंचे रसूख देकर उपकृत करती रही है।

खुद धीरज साहू ही इसके उदाहरण हैं, जो दो-दो बार लोकसभा का चुनाव हारने के बावजूद कांग्रेस के लिए इतने अहम रहे कि पार्टी ने उन्हें एक नहीं लगातार तीन बार राज्यसभा पहुंचाया। उनके बड़े भाई शिवप्रसाद साहू भी दो बार रांची लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस सांसद चुने गए थे। वर्ष 2001 में उनका निधन हो गया।

धीरज साहू के एक अन्य भाई गोपाल साहू को कांग्रेस एक बार रांची विधानसभा क्षेत्र और एक बार हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से टिकट दे चुकी है। हालांकि वह कोई भी चुनाव जीतने में सफल नहीं रहे। वह झारखंड प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष भी रहे हैं।

धीरज प्रसाद साहू के पिता बलदेव साहू पुराने कांग्रेसी, स्वतंत्रता सेनानी और तत्कालीन बिहार के प्रमुख व्यवसायियों में एक रहे। उन्हें ब्रितानी हुकूमत से राय साहब की उपाधि मिली थी। नेहरू, इंदिरा तक इस परिवार के दौलतखाने पर तशरीफ ला चुके हैं। आजादी के पहले और उसके बाद भी डॉ राजेंद्र प्रसाद, जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे नेताओं ने राय बलदेव साहू का आतिथ्य स्वीकारा था। फिल्मी हस्तियां तो अक्सर इस परिवार की पार्टियों और समारोहों का हिस्सा बनती रही हैं।

साहू परिवार झारखंड के लोहरदगा का रहने वाला है। इस परिवार ने बेशक सबसे ज्यादा कमाई शराब के कारोबार से की, लेकिन आज इनका दखल रियल इस्टेट, होटल, हॉस्पिटल, स्कूल, ट्रैवल से लेकर कई तरह के व्यवसायों में है। झारखंड के अलावा ओडिशा, बंगाल और कई अन्य राज्यों में इनका कारोबार फैला है। परिवार के पास अब 80 से अधिक माइक्रो डिस्टिलरीज हैं जहां महुआ फूल से शराब बनाई जाती है और खुदरा दुकानों में बेची जाती है।

इसके अलावा, इसके पास ओडिशा और झारखंड में आईएमएफएल के लिए बॉटलिंग प्लांट भी है। साहू परिवार की बौध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड नामक जिस इंडस्ट्रियल इकाई के ठिकाने से सबसे ज्यादा कैश बरामद हुआ है, उसकी वेबसाइट में बताया गया है, “परिवार 125 साल से भी ज्यादा वक्त से शराब के कारोबार में है और इसने सफलता की कई कहानियां गढ़ी हैं। शुरुआत स्वर्गीय राय साहेब बलदेव साहू के वंशजों से शुरू हुई, जो तत्कालीन छोटानागपुर (बिहार राज्य का प्रभाग, अब झारखंड) के अग्रणी और प्रतिष्ठित व्यवसायियों में से एक थे। वे जानते थे कि उन्हें सफल होना है और देशी शराब को अगले स्तर पर ले जाना है।“

साहू ग्रुप की कुछ प्रमुख कंपनियों में कंपनियों में बौध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड, बलदेव साहू इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड (फ्लाई ऐश ब्रिक्स,) क्वालिटी बॉटलर्स प्राइवेट लिमिटेड (आईएमएफएल बॉटलिंग) और किशोर प्रसाद बिजय प्रसाद बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड आदि शामिल हैं।

रांची में साहू के भाई-भतीजे और परिवार के लोग आर्या होटल, सफायर इंटरनेशनल स्कूल, सेंटेविटा हॉस्पिटल जैसे कई संस्थान-प्रतिष्ठान संचालित करते हैं। धीरज साहू के पिता बलदेव साहू के नाम पर लोहरदगा में बीएस साहू डिग्री कॉलेज भी है। हालांकि यह अब सरकारी तौर पर संचालित होता है।

23 जनवरी 1955 को जन्मे धीरज साहू ने बीए तक की पढ़ाई की है। उन्होंने एनएसयूआई के जरिए राजनीति में कदम रखा था। वह 1977 में लोहरदगा में यूथ कांग्रेस से जुड़े। इसके बाद जिला और प्रदेश कांग्रेस कमेटी में विभिन्न पदों पर रहे। उन्होंने 2009 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चतरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। लेकिन करीब डेढ़ महीने बाद ही कांग्रेस ने राज्यसभा के लिए हुए उपचुनाव में उन्हें उतारा और वे उच्च सदन पहुंचे।

उन्हें पहली बार राज्यसभा का टिकट दिलाने में झारखंड कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष प्रदीप बलमुचू का अहम रोल माना जाता है। वह 2010 में दूसरी बार राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए और 2018 में तीसरी बार। राज्यसभा सदस्य के रूप में उनका यह कार्यकाल 2024 तक है।

आईटी छापों के बाद धीरज साहू की कई तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिनमें वह कहीं राइफल के साथ दिख रहे हैं तो कहीं चीते और बाघ के साथ पोज दे रहे हैं। उनकी अपनी एक वेबसाइट है, जिसमें बताया गया है कि वे वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी और बोटिंग के शौकीन हैं। इसके अलावा वह शूटिंग में भी हाथ आजमाते रहे हैं। वह लोहरदगा में अक्सर वृहत स्तर पर धार्मिक प्रवचन का कार्यक्रम करवाते रहे हैं। साहू परिवार का रांची स्थित आवास सुशीला निकेतन रेडियम रोड में स्थित है, जो इस शहर का सबसे भव्य बंगला माना जाता है।

–आईएएनएस

एसएनसी/एकेजे

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रांची, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। सांसद धीरज प्रसाद साहू के ठिकानों से 355 करोड़ से भी ज्यादा कैश की बरामदगी के मामले में कांग्रेस ने भले उनसे किनारा कर लिया हो, लेकिन सच्चाई यह है कि साहू का धनाढ्य परिवार अपने खजाने से पार्टी को समय से नवाजता रहा है और इसकी एवज में कांग्रेस भी इस परिवार के सदस्यों को पावर कॉरिडोर में ऊंचे रसूख देकर उपकृत करती रही है।

खुद धीरज साहू ही इसके उदाहरण हैं, जो दो-दो बार लोकसभा का चुनाव हारने के बावजूद कांग्रेस के लिए इतने अहम रहे कि पार्टी ने उन्हें एक नहीं लगातार तीन बार राज्यसभा पहुंचाया। उनके बड़े भाई शिवप्रसाद साहू भी दो बार रांची लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस सांसद चुने गए थे। वर्ष 2001 में उनका निधन हो गया।

धीरज साहू के एक अन्य भाई गोपाल साहू को कांग्रेस एक बार रांची विधानसभा क्षेत्र और एक बार हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से टिकट दे चुकी है। हालांकि वह कोई भी चुनाव जीतने में सफल नहीं रहे। वह झारखंड प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष भी रहे हैं।

धीरज प्रसाद साहू के पिता बलदेव साहू पुराने कांग्रेसी, स्वतंत्रता सेनानी और तत्कालीन बिहार के प्रमुख व्यवसायियों में एक रहे। उन्हें ब्रितानी हुकूमत से राय साहब की उपाधि मिली थी। नेहरू, इंदिरा तक इस परिवार के दौलतखाने पर तशरीफ ला चुके हैं। आजादी के पहले और उसके बाद भी डॉ राजेंद्र प्रसाद, जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे नेताओं ने राय बलदेव साहू का आतिथ्य स्वीकारा था। फिल्मी हस्तियां तो अक्सर इस परिवार की पार्टियों और समारोहों का हिस्सा बनती रही हैं।

साहू परिवार झारखंड के लोहरदगा का रहने वाला है। इस परिवार ने बेशक सबसे ज्यादा कमाई शराब के कारोबार से की, लेकिन आज इनका दखल रियल इस्टेट, होटल, हॉस्पिटल, स्कूल, ट्रैवल से लेकर कई तरह के व्यवसायों में है। झारखंड के अलावा ओडिशा, बंगाल और कई अन्य राज्यों में इनका कारोबार फैला है। परिवार के पास अब 80 से अधिक माइक्रो डिस्टिलरीज हैं जहां महुआ फूल से शराब बनाई जाती है और खुदरा दुकानों में बेची जाती है।

इसके अलावा, इसके पास ओडिशा और झारखंड में आईएमएफएल के लिए बॉटलिंग प्लांट भी है। साहू परिवार की बौध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड नामक जिस इंडस्ट्रियल इकाई के ठिकाने से सबसे ज्यादा कैश बरामद हुआ है, उसकी वेबसाइट में बताया गया है, “परिवार 125 साल से भी ज्यादा वक्त से शराब के कारोबार में है और इसने सफलता की कई कहानियां गढ़ी हैं। शुरुआत स्वर्गीय राय साहेब बलदेव साहू के वंशजों से शुरू हुई, जो तत्कालीन छोटानागपुर (बिहार राज्य का प्रभाग, अब झारखंड) के अग्रणी और प्रतिष्ठित व्यवसायियों में से एक थे। वे जानते थे कि उन्हें सफल होना है और देशी शराब को अगले स्तर पर ले जाना है।“

साहू ग्रुप की कुछ प्रमुख कंपनियों में कंपनियों में बौध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड, बलदेव साहू इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड (फ्लाई ऐश ब्रिक्स,) क्वालिटी बॉटलर्स प्राइवेट लिमिटेड (आईएमएफएल बॉटलिंग) और किशोर प्रसाद बिजय प्रसाद बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड आदि शामिल हैं।

रांची में साहू के भाई-भतीजे और परिवार के लोग आर्या होटल, सफायर इंटरनेशनल स्कूल, सेंटेविटा हॉस्पिटल जैसे कई संस्थान-प्रतिष्ठान संचालित करते हैं। धीरज साहू के पिता बलदेव साहू के नाम पर लोहरदगा में बीएस साहू डिग्री कॉलेज भी है। हालांकि यह अब सरकारी तौर पर संचालित होता है।

23 जनवरी 1955 को जन्मे धीरज साहू ने बीए तक की पढ़ाई की है। उन्होंने एनएसयूआई के जरिए राजनीति में कदम रखा था। वह 1977 में लोहरदगा में यूथ कांग्रेस से जुड़े। इसके बाद जिला और प्रदेश कांग्रेस कमेटी में विभिन्न पदों पर रहे। उन्होंने 2009 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चतरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। लेकिन करीब डेढ़ महीने बाद ही कांग्रेस ने राज्यसभा के लिए हुए उपचुनाव में उन्हें उतारा और वे उच्च सदन पहुंचे।

उन्हें पहली बार राज्यसभा का टिकट दिलाने में झारखंड कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष प्रदीप बलमुचू का अहम रोल माना जाता है। वह 2010 में दूसरी बार राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए और 2018 में तीसरी बार। राज्यसभा सदस्य के रूप में उनका यह कार्यकाल 2024 तक है।

आईटी छापों के बाद धीरज साहू की कई तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिनमें वह कहीं राइफल के साथ दिख रहे हैं तो कहीं चीते और बाघ के साथ पोज दे रहे हैं। उनकी अपनी एक वेबसाइट है, जिसमें बताया गया है कि वे वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी और बोटिंग के शौकीन हैं। इसके अलावा वह शूटिंग में भी हाथ आजमाते रहे हैं। वह लोहरदगा में अक्सर वृहत स्तर पर धार्मिक प्रवचन का कार्यक्रम करवाते रहे हैं। साहू परिवार का रांची स्थित आवास सुशीला निकेतन रेडियम रोड में स्थित है, जो इस शहर का सबसे भव्य बंगला माना जाता है।

–आईएएनएस

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रांची, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। सांसद धीरज प्रसाद साहू के ठिकानों से 355 करोड़ से भी ज्यादा कैश की बरामदगी के मामले में कांग्रेस ने भले उनसे किनारा कर लिया हो, लेकिन सच्चाई यह है कि साहू का धनाढ्य परिवार अपने खजाने से पार्टी को समय से नवाजता रहा है और इसकी एवज में कांग्रेस भी इस परिवार के सदस्यों को पावर कॉरिडोर में ऊंचे रसूख देकर उपकृत करती रही है।

खुद धीरज साहू ही इसके उदाहरण हैं, जो दो-दो बार लोकसभा का चुनाव हारने के बावजूद कांग्रेस के लिए इतने अहम रहे कि पार्टी ने उन्हें एक नहीं लगातार तीन बार राज्यसभा पहुंचाया। उनके बड़े भाई शिवप्रसाद साहू भी दो बार रांची लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस सांसद चुने गए थे। वर्ष 2001 में उनका निधन हो गया।

धीरज साहू के एक अन्य भाई गोपाल साहू को कांग्रेस एक बार रांची विधानसभा क्षेत्र और एक बार हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से टिकट दे चुकी है। हालांकि वह कोई भी चुनाव जीतने में सफल नहीं रहे। वह झारखंड प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष भी रहे हैं।

धीरज प्रसाद साहू के पिता बलदेव साहू पुराने कांग्रेसी, स्वतंत्रता सेनानी और तत्कालीन बिहार के प्रमुख व्यवसायियों में एक रहे। उन्हें ब्रितानी हुकूमत से राय साहब की उपाधि मिली थी। नेहरू, इंदिरा तक इस परिवार के दौलतखाने पर तशरीफ ला चुके हैं। आजादी के पहले और उसके बाद भी डॉ राजेंद्र प्रसाद, जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे नेताओं ने राय बलदेव साहू का आतिथ्य स्वीकारा था। फिल्मी हस्तियां तो अक्सर इस परिवार की पार्टियों और समारोहों का हिस्सा बनती रही हैं।

साहू परिवार झारखंड के लोहरदगा का रहने वाला है। इस परिवार ने बेशक सबसे ज्यादा कमाई शराब के कारोबार से की, लेकिन आज इनका दखल रियल इस्टेट, होटल, हॉस्पिटल, स्कूल, ट्रैवल से लेकर कई तरह के व्यवसायों में है। झारखंड के अलावा ओडिशा, बंगाल और कई अन्य राज्यों में इनका कारोबार फैला है। परिवार के पास अब 80 से अधिक माइक्रो डिस्टिलरीज हैं जहां महुआ फूल से शराब बनाई जाती है और खुदरा दुकानों में बेची जाती है।

इसके अलावा, इसके पास ओडिशा और झारखंड में आईएमएफएल के लिए बॉटलिंग प्लांट भी है। साहू परिवार की बौध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड नामक जिस इंडस्ट्रियल इकाई के ठिकाने से सबसे ज्यादा कैश बरामद हुआ है, उसकी वेबसाइट में बताया गया है, “परिवार 125 साल से भी ज्यादा वक्त से शराब के कारोबार में है और इसने सफलता की कई कहानियां गढ़ी हैं। शुरुआत स्वर्गीय राय साहेब बलदेव साहू के वंशजों से शुरू हुई, जो तत्कालीन छोटानागपुर (बिहार राज्य का प्रभाग, अब झारखंड) के अग्रणी और प्रतिष्ठित व्यवसायियों में से एक थे। वे जानते थे कि उन्हें सफल होना है और देशी शराब को अगले स्तर पर ले जाना है।“

साहू ग्रुप की कुछ प्रमुख कंपनियों में कंपनियों में बौध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड, बलदेव साहू इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड (फ्लाई ऐश ब्रिक्स,) क्वालिटी बॉटलर्स प्राइवेट लिमिटेड (आईएमएफएल बॉटलिंग) और किशोर प्रसाद बिजय प्रसाद बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड आदि शामिल हैं।

रांची में साहू के भाई-भतीजे और परिवार के लोग आर्या होटल, सफायर इंटरनेशनल स्कूल, सेंटेविटा हॉस्पिटल जैसे कई संस्थान-प्रतिष्ठान संचालित करते हैं। धीरज साहू के पिता बलदेव साहू के नाम पर लोहरदगा में बीएस साहू डिग्री कॉलेज भी है। हालांकि यह अब सरकारी तौर पर संचालित होता है।

23 जनवरी 1955 को जन्मे धीरज साहू ने बीए तक की पढ़ाई की है। उन्होंने एनएसयूआई के जरिए राजनीति में कदम रखा था। वह 1977 में लोहरदगा में यूथ कांग्रेस से जुड़े। इसके बाद जिला और प्रदेश कांग्रेस कमेटी में विभिन्न पदों पर रहे। उन्होंने 2009 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चतरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। लेकिन करीब डेढ़ महीने बाद ही कांग्रेस ने राज्यसभा के लिए हुए उपचुनाव में उन्हें उतारा और वे उच्च सदन पहुंचे।

उन्हें पहली बार राज्यसभा का टिकट दिलाने में झारखंड कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष प्रदीप बलमुचू का अहम रोल माना जाता है। वह 2010 में दूसरी बार राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए और 2018 में तीसरी बार। राज्यसभा सदस्य के रूप में उनका यह कार्यकाल 2024 तक है।

आईटी छापों के बाद धीरज साहू की कई तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिनमें वह कहीं राइफल के साथ दिख रहे हैं तो कहीं चीते और बाघ के साथ पोज दे रहे हैं। उनकी अपनी एक वेबसाइट है, जिसमें बताया गया है कि वे वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी और बोटिंग के शौकीन हैं। इसके अलावा वह शूटिंग में भी हाथ आजमाते रहे हैं। वह लोहरदगा में अक्सर वृहत स्तर पर धार्मिक प्रवचन का कार्यक्रम करवाते रहे हैं। साहू परिवार का रांची स्थित आवास सुशीला निकेतन रेडियम रोड में स्थित है, जो इस शहर का सबसे भव्य बंगला माना जाता है।

–आईएएनएस

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रांची, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। सांसद धीरज प्रसाद साहू के ठिकानों से 355 करोड़ से भी ज्यादा कैश की बरामदगी के मामले में कांग्रेस ने भले उनसे किनारा कर लिया हो, लेकिन सच्चाई यह है कि साहू का धनाढ्य परिवार अपने खजाने से पार्टी को समय से नवाजता रहा है और इसकी एवज में कांग्रेस भी इस परिवार के सदस्यों को पावर कॉरिडोर में ऊंचे रसूख देकर उपकृत करती रही है।

खुद धीरज साहू ही इसके उदाहरण हैं, जो दो-दो बार लोकसभा का चुनाव हारने के बावजूद कांग्रेस के लिए इतने अहम रहे कि पार्टी ने उन्हें एक नहीं लगातार तीन बार राज्यसभा पहुंचाया। उनके बड़े भाई शिवप्रसाद साहू भी दो बार रांची लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस सांसद चुने गए थे। वर्ष 2001 में उनका निधन हो गया।

धीरज साहू के एक अन्य भाई गोपाल साहू को कांग्रेस एक बार रांची विधानसभा क्षेत्र और एक बार हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से टिकट दे चुकी है। हालांकि वह कोई भी चुनाव जीतने में सफल नहीं रहे। वह झारखंड प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष भी रहे हैं।

धीरज प्रसाद साहू के पिता बलदेव साहू पुराने कांग्रेसी, स्वतंत्रता सेनानी और तत्कालीन बिहार के प्रमुख व्यवसायियों में एक रहे। उन्हें ब्रितानी हुकूमत से राय साहब की उपाधि मिली थी। नेहरू, इंदिरा तक इस परिवार के दौलतखाने पर तशरीफ ला चुके हैं। आजादी के पहले और उसके बाद भी डॉ राजेंद्र प्रसाद, जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे नेताओं ने राय बलदेव साहू का आतिथ्य स्वीकारा था। फिल्मी हस्तियां तो अक्सर इस परिवार की पार्टियों और समारोहों का हिस्सा बनती रही हैं।

साहू परिवार झारखंड के लोहरदगा का रहने वाला है। इस परिवार ने बेशक सबसे ज्यादा कमाई शराब के कारोबार से की, लेकिन आज इनका दखल रियल इस्टेट, होटल, हॉस्पिटल, स्कूल, ट्रैवल से लेकर कई तरह के व्यवसायों में है। झारखंड के अलावा ओडिशा, बंगाल और कई अन्य राज्यों में इनका कारोबार फैला है। परिवार के पास अब 80 से अधिक माइक्रो डिस्टिलरीज हैं जहां महुआ फूल से शराब बनाई जाती है और खुदरा दुकानों में बेची जाती है।

इसके अलावा, इसके पास ओडिशा और झारखंड में आईएमएफएल के लिए बॉटलिंग प्लांट भी है। साहू परिवार की बौध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड नामक जिस इंडस्ट्रियल इकाई के ठिकाने से सबसे ज्यादा कैश बरामद हुआ है, उसकी वेबसाइट में बताया गया है, “परिवार 125 साल से भी ज्यादा वक्त से शराब के कारोबार में है और इसने सफलता की कई कहानियां गढ़ी हैं। शुरुआत स्वर्गीय राय साहेब बलदेव साहू के वंशजों से शुरू हुई, जो तत्कालीन छोटानागपुर (बिहार राज्य का प्रभाग, अब झारखंड) के अग्रणी और प्रतिष्ठित व्यवसायियों में से एक थे। वे जानते थे कि उन्हें सफल होना है और देशी शराब को अगले स्तर पर ले जाना है।“

साहू ग्रुप की कुछ प्रमुख कंपनियों में कंपनियों में बौध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड, बलदेव साहू इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड (फ्लाई ऐश ब्रिक्स,) क्वालिटी बॉटलर्स प्राइवेट लिमिटेड (आईएमएफएल बॉटलिंग) और किशोर प्रसाद बिजय प्रसाद बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड आदि शामिल हैं।

रांची में साहू के भाई-भतीजे और परिवार के लोग आर्या होटल, सफायर इंटरनेशनल स्कूल, सेंटेविटा हॉस्पिटल जैसे कई संस्थान-प्रतिष्ठान संचालित करते हैं। धीरज साहू के पिता बलदेव साहू के नाम पर लोहरदगा में बीएस साहू डिग्री कॉलेज भी है। हालांकि यह अब सरकारी तौर पर संचालित होता है।

23 जनवरी 1955 को जन्मे धीरज साहू ने बीए तक की पढ़ाई की है। उन्होंने एनएसयूआई के जरिए राजनीति में कदम रखा था। वह 1977 में लोहरदगा में यूथ कांग्रेस से जुड़े। इसके बाद जिला और प्रदेश कांग्रेस कमेटी में विभिन्न पदों पर रहे। उन्होंने 2009 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चतरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। लेकिन करीब डेढ़ महीने बाद ही कांग्रेस ने राज्यसभा के लिए हुए उपचुनाव में उन्हें उतारा और वे उच्च सदन पहुंचे।

उन्हें पहली बार राज्यसभा का टिकट दिलाने में झारखंड कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष प्रदीप बलमुचू का अहम रोल माना जाता है। वह 2010 में दूसरी बार राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए और 2018 में तीसरी बार। राज्यसभा सदस्य के रूप में उनका यह कार्यकाल 2024 तक है।

आईटी छापों के बाद धीरज साहू की कई तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिनमें वह कहीं राइफल के साथ दिख रहे हैं तो कहीं चीते और बाघ के साथ पोज दे रहे हैं। उनकी अपनी एक वेबसाइट है, जिसमें बताया गया है कि वे वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी और बोटिंग के शौकीन हैं। इसके अलावा वह शूटिंग में भी हाथ आजमाते रहे हैं। वह लोहरदगा में अक्सर वृहत स्तर पर धार्मिक प्रवचन का कार्यक्रम करवाते रहे हैं। साहू परिवार का रांची स्थित आवास सुशीला निकेतन रेडियम रोड में स्थित है, जो इस शहर का सबसे भव्य बंगला माना जाता है।

–आईएएनएस

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