नई दिल्ली, 6 अगस्त (आईएएनएस)। राज्यसभा में कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला और दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ ‘ब्रीच ऑफ प्रिविलेज मोशन मूव’ किया है। इसके लिए कांग्रेस सांसदों ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को नियम संख्या 187 और 188 के तहत नोटिस दिया है।
इस विषय पर जानकारी देते हुए रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सदन को भ्रामक बातों से गुमराह करने का काम किया है। कृषि मंत्री ने न केवल सदन, बल्कि किसानों को भी अपनी बातों से गुमराह करने की कोशिश की है। जो किसानों की आजीविका को छेड़ेगा, उसकी जबाबदेही तो होगी। सदन को गुमराह करने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाया गया है।
कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि एक तरफ केंद्र सरकार ने सदन में कहा कि वह लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा देंगे और आरोप लगाया कि कांग्रेस ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को कूड़ेदान में डाल दिया था। दूसरी तरफ मोदी सरकार ने 6 फरवरी 2015 को सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा कि किसान को लागत पर कभी भी 50 प्रतिशत मुनाफा नहीं दिया जा सकता और कांग्रेस ने स्वामीनाथन आयोग की 175 सिफारिशों को लागू कर दिया था। ऐसे में सच क्या है और झूठ क्या है।
अब कांग्रेस ने केंद्रीय कृषि मंत्री पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए विशेषाधिकार के तहत यह मुद्दा उठाने का फैसला किया है।
कांग्रेस का कहना है कि कृषि मंत्री झूठ बोलकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। राज्यसभा सांसद और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के उस दावे को खारिज किया, जिसमें उन्होंने सदन के भीतर कहा था कि कांग्रेस सरकार ने किसानों को कोई कर्जमाफी नहीं दी।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने लगभग 37 लाख किसानों का कर्ज माफ किया था। शिवराज सरकार के कृषि मंत्री का बयान भी आया था कि कांग्रेस के समय किसानों का कर्ज माफ हुआ है। लेकिन, सदन में चौहान ने कहा कि कांग्रेस को जब मौका मिला, तब किसानों का कर्ज माफ नहीं किया गया। ये बिल्कुल झूठ है। इसका प्रमाण हमारे पास है।
उन्होंने चौहान के इस दावे को भी खारिज किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि दिग्विजय सिंह ने जब वर्ष 2003 में मुख्यमंत्री का पद छोड़ा था, तब मध्य प्रदेश में केवल साढ़े सात लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित थी। दिग्विजय सिंह ने कहा कि वास्तव में 1997-98 में राज्य में 33 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित थी।
–आईएएनएस
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