जयपुर, 28 अक्टूबर (आईएएनएस)। कांग्रेस और भाजपा एक-दूसरे पर राजनीति में भाई-भतीजावाद का आरोप लगाते रहे हैं और बार-बार इसकी आलोचना करते रहे हैं। हालांकि, इस सार्वजनिक रुख के बावजूद, दोनों पार्टियों ने राजस्थान में अपने दिग्गज नेताओं के परिवार के सदस्यों को टिकट दिया है।
राजस्थान में करीब 81 सीटें हैं, जो कई नेताओं का गढ़ मानी जाती हैं। इनमें से 40 सीटें दशकों से कुछ नेताओं और उनके परिवारों की पॉकेट रही हैं।
दोनों दलों ने अपने वरिष्ठ नेताओं के रिश्तेदारों को 26 टिकट दिए हैं। इसमें दिग्गज नेताओं के 15 बेटे, छह बेटियां-पोतियां, तीन पत्नियां, एक बहू और एक रिश्तेदार शामिल हैं।
राजस्थान में अब तक बीजेपी ने 124 और कांग्रेस ने 76 टिकट बांटे हैं। इनमें से भाजपा ने 11 और कांग्रेस ने 15 ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिए जिनके परिवार के सदस्य विधायक, सांसद और मंत्री रहे हैं।
बीजेपी ने देवली-उनियारा से पूर्व सांसद प्रत्याशी किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे विजय बैंसला को टिकट दिया है। इसके बाद विद्याधर नगर से दीया कुमारी हैं जो पूर्व सांसद गायत्री देवी की पोती हैं और जयपुर के पूर्व शाही परिवार से आती हैं।
बीकानेर से सिद्धि कुमारी, जिनके दादा करणी सिंह 1952 से 1977 तक सांसद थे, को बीजेपी से टिकट मिला है। श्रीमाधोपुर से चार बार विधायक रहे हरलाल सिंह खर्रा के बेटे झाबर सिंह खर्रा को इस बार अपने पिता के निर्वाचन क्षेत्र से टिकट मिला है।
मंजीत चौधरी को मुंडावर से टिकट मिला है और वह पूर्व विधायक धर्मपाल चौधरी के बेटे हैं। पूर्व मंत्री दिगंबरसिंह के बेटे शैलेश सिंह को डीग कुम्हेर से टिकट मिला है।
इसी तरह नसीराबाद से रामस्वरूप लांबा को टिकट मिला है। वह पूर्व मंत्री और सांसद सांवरलाल जाट के बेटे हैं। पूर्व सांसद नाथूराम मिर्धा की पोती डॉ. ज्योति मिर्धा नागौर से बीजेपी के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगी।
धरियावद से कन्हैयालाल मीणा लड़ेंगे चुनाव। वह धरियावद के पूर्व विधायक गौतमलाल मीणा के बेटे हैं। दीप्ति माहेश्वरी राजसमंद से चुनाव लड़ेंगी और वह पूर्व मंत्री किरण माहेश्वरी की बेटी हैं।
सुमिता भींचर मकराना के पूर्व विधायक श्रीराम भींचर की बहू हैं और अब उसी सीट से चुनाव लड़ेंगी। भाजपा के ठीक बाद कांग्रेस ने भी पारिवारिक संपर्क वाले कई नेताओं को मैदान में उतारा है।
सुशीला डूडी पूर्व विपक्ष नेता रामेश्वर डूडी की पत्नी हैं, जो अब नोखा से कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगी। सरदार शहर से अनिल शर्मा पूर्व विधायक भवर लाल शर्मा के बेटे हैं, जबकि ब्रजेंद्र ओला पूर्व केंद्रीय मंत्री शीशराम ओला के बेटे हैं।
रामगढ़ से जिस जुबेर खान को टिकट दिया गया है, वह कांग्रेस विधायक सफिया जुबेर के पति हैं। सुजानगढ़ से उम्मीदवार बनाए गए मनोज मेघवाल पूर्व मंत्री भंवरलाल मेघवाल के बेटे हैं, जबकि रीटा चौधरी मंडावा से छह बार जीत चुके रामनारायण चौधरी की बेटी हैं।
सवाई माधोपुर से टिकट पाने वाले दानिश अबरार पूर्व राज्यसभा सांसद अबरार अहमद के बेटे हैं, जबकि टोंक से लड़ने वाले सचिन पायलट पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट और पूर्व विधायक-सांसद रमा पायलट के बेटे हैं।
डेगाना से चुनावी मैदान में उतरे विजयपाल मिर्धा, नाथूराम मिर्धा परिवार से हैं और पूर्व विधायक रिछपाल मिर्धा के बेटे हैं। ओसियां से दिव्या मदेरणा को भी टिकट दिया गया है। वह पूर्व विधानसभा अध्यक्ष परसराम मदेरणा की पोती और पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा की बेटी हैं।
लूणी से महेंद्र विश्नोई को टिकट दिया गया है। वह पूर्व मंत्री रामसिंह विश्नोई के पोते और पूर्व विधायक मलखान विश्नोई के बेटे हैं। वल्लभनगर से उम्मीदवार बनाई गईं प्रीति शक्तावत पूर्व मंत्री गुलाब सिंह शक्तावत की बहू और पूर्व विधायक गजेंद्र शक्तावत की पत्नी हैं।
मांडलगढ़ से टिकट पाने वाले विवेक धाकड़ कन्हैयालाल धाकड़ के बेटे हैं, जबकि, राजाखेड़ा से टिकट पाने वाले रोहित बोहरा पूर्व मंत्री प्रद्युम्न सिंह के बेटे हैं।
हैरानी की बात यह है कि कुछ दिन पहले कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधवाड़ा ने पार्टी में बढ़ते भाई-भतीजावाद पर चिंता जताई थी।
आईएएनएस से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा, ”भाई-भतीजावाद एक ऐसा फैक्टर है, जिसे हमें जांचने की जरूरत है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां हम काम करेंगे।” दरअसल, बीजेपी भी अपने खेमे में भाई-भतीजावाद को खत्म करने की कोशिश कर रही है।
–आईएएनएस
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