deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home राष्ट्रीय

कांग्रेस समेत 19 समान विचारधारा वाले दल नए संसद भवन के उद्घाटन का करेंगे बहिष्कार

by
May 24, 2023
in राष्ट्रीय
0
0
SHARES
1
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 24 मई (आईएएनएस)। कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि समान विचारधारा वाले 19 दलों ने 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला किया है।

एक संयुक्त बयान में इन दलों ने कहा, जब संसद से लोकतंत्र की आत्मा निचोड़ ली गई है, तो हमें नए भवन का कोई महत्व नहीं दिखता है। हम नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के अपने सामूहिक फैसले की घोषणा करते हैं।

READ ALSO

पाकिस्तान ने अपना लहजा नहीं बदला तो उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा : जगदंबिका पाल

देशभर में संघर्ष विराम का स्वागत, सेना के शौर्य और केंद्र की कूटनीति की तारीफ

बयान में कहा गया है, हम इस सत्तावादी प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ ..लड़ाई जारी रखेंगे और अपना संदेश सीधे भारत के लोगों तक ले जाएंगे।

बयान में यह भी कहा गया है कि नए संसद भवन का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण अवसर है। इसमें कहा गया है, हमारे इस विश्वास के बावजूद कि सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है, और जिस निरंकुश तरीके से नए संसद भवन का निर्माण किया गया था उस पर हमारी अस्वीकृति के बावजूद, हम अपने मतभेदों को दूर कर इस अवसर में भागीदार बनने के लिए तैयार थे।

बयान में कहा गया है, लेकिन, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह दरकिनार करते हुए नए संसद भवन का खुद उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का फैसला न केवल घोर अपमान बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है, जिसके लिए उचित प्रतिक्रिया जरूरी है।

संविधान के अनुच्छेद 79 का हवाला देते हुए विपक्षी दलों ने कहा कि मुर्मू न केवल देशी की प्रमुख हैं, बल्कि संसद का अभिन्न अंग भी हैं।

बयान में कहा गया है, वह संसद का सत्र बुलाती हैं, सत्रावसान करती हैं और उसे संबोधित करती है। संसद के किसी भी विधेयक के प्रभावी होने के लिए उनकी मंजूरी जरूरी है। संक्षेप में, संसद राष्ट्रपति के बिना कार्य नहीं कर सकती। फिर भी, प्रधानमंत्री ने उनके बिना नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्णय लिया है।

विपक्ष के संयुक्त बयान में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सांसद के रूप में अयोग्यता और तीन विवादास्पद कृषि बिलों को पारित करने को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा गया है। इसमें कहा गया है, प्रधानमंत्री के लिए अलोकतांत्रिक कृत्य कोई नई बात नहीं है, जिन्होंने लगातार संसद को खोखला किया है। संसद के विपक्षी सदस्यों ने जब देश के लोगों का मुद्दा उठाना चाहा तो उन्हें अयोग्य, निलंबित और म्यूट कर दिया गया।

सत्तारूढ़ दल के सांसदों ने संसद को बाधित किया है। तीन कृषि कानूनों सहित कई विवादास्पद विधेयक लगभग बिना किसी बहस के पारित किए गए हैं, और संसदीय समितियों को व्यावहारिक तौर पर निष्क्रिय कर दिया गया है। नया संसद भवन भारी खर्च पर उस समय बनाया गया है जब सदी में एक बार आने वाली महामारी फैली हुई थी। देश के लोगों या सांसदों – जिनके लिए यह बनाया जा रहा है – के साथ कोई परामर्श नहीं किया गया।

इस बयान पर हस्ताक्षर करने वाले दलों में द्रमुक और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल हैं। दोनों क्रमश: तमिलनाडु और महाराष्ट्र में कांग्रेस की सहयोगी हैं। इस पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी हस्ताक्षर किया है जो 2024 के आम चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयास में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक सहित तमाम विपक्षी नेताओं से बात कर रहे हैं।

इसके अलावा हस्ताक्षर करने वालों की सूची में भाकपा और माकपा, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाला शिवसेना गुट (कांग्रेस का सहयोगी), उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी) और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (राष्ट्रीय जनता दल) शामिल हैं।

झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, केरल कांग्रेस (मणि), वीसीके, राष्ट्रीय लोकदल, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक और उमर अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस, एमडीएमके और रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी भी समारोह का बहिष्कार करेंगे।

बीजू जनता दल ने अब तक इस बयान पर हस्ताक्षर नहीं किया है और न ही बहिष्कार की घोषणा की है।

पीएम मोदी द्वारा 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है।

पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इसका क्षेत्रफल 64,500 वर्ग मीटर है। यह त्रिकोणीय त्रिकोणीय आकार की चार मंजिला इमारत है।

नए संसद भवन का निर्माण 15 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था और इसे अगस्त 2022 तक पूरा किया जाना था।

नई इमारत में 1,224 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी।

इसमें एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष और भोजन कक्ष हैं।

टाटा प्रोजेक्ट्स ने 970 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से नए संसद भवन का निर्माण किया है।

–आईएएनएस

एकेजे

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 24 मई (आईएएनएस)। कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि समान विचारधारा वाले 19 दलों ने 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला किया है।

एक संयुक्त बयान में इन दलों ने कहा, जब संसद से लोकतंत्र की आत्मा निचोड़ ली गई है, तो हमें नए भवन का कोई महत्व नहीं दिखता है। हम नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के अपने सामूहिक फैसले की घोषणा करते हैं।

बयान में कहा गया है, हम इस सत्तावादी प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ ..लड़ाई जारी रखेंगे और अपना संदेश सीधे भारत के लोगों तक ले जाएंगे।

बयान में यह भी कहा गया है कि नए संसद भवन का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण अवसर है। इसमें कहा गया है, हमारे इस विश्वास के बावजूद कि सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है, और जिस निरंकुश तरीके से नए संसद भवन का निर्माण किया गया था उस पर हमारी अस्वीकृति के बावजूद, हम अपने मतभेदों को दूर कर इस अवसर में भागीदार बनने के लिए तैयार थे।

बयान में कहा गया है, लेकिन, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह दरकिनार करते हुए नए संसद भवन का खुद उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का फैसला न केवल घोर अपमान बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है, जिसके लिए उचित प्रतिक्रिया जरूरी है।

संविधान के अनुच्छेद 79 का हवाला देते हुए विपक्षी दलों ने कहा कि मुर्मू न केवल देशी की प्रमुख हैं, बल्कि संसद का अभिन्न अंग भी हैं।

बयान में कहा गया है, वह संसद का सत्र बुलाती हैं, सत्रावसान करती हैं और उसे संबोधित करती है। संसद के किसी भी विधेयक के प्रभावी होने के लिए उनकी मंजूरी जरूरी है। संक्षेप में, संसद राष्ट्रपति के बिना कार्य नहीं कर सकती। फिर भी, प्रधानमंत्री ने उनके बिना नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्णय लिया है।

विपक्ष के संयुक्त बयान में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सांसद के रूप में अयोग्यता और तीन विवादास्पद कृषि बिलों को पारित करने को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा गया है। इसमें कहा गया है, प्रधानमंत्री के लिए अलोकतांत्रिक कृत्य कोई नई बात नहीं है, जिन्होंने लगातार संसद को खोखला किया है। संसद के विपक्षी सदस्यों ने जब देश के लोगों का मुद्दा उठाना चाहा तो उन्हें अयोग्य, निलंबित और म्यूट कर दिया गया।

सत्तारूढ़ दल के सांसदों ने संसद को बाधित किया है। तीन कृषि कानूनों सहित कई विवादास्पद विधेयक लगभग बिना किसी बहस के पारित किए गए हैं, और संसदीय समितियों को व्यावहारिक तौर पर निष्क्रिय कर दिया गया है। नया संसद भवन भारी खर्च पर उस समय बनाया गया है जब सदी में एक बार आने वाली महामारी फैली हुई थी। देश के लोगों या सांसदों – जिनके लिए यह बनाया जा रहा है – के साथ कोई परामर्श नहीं किया गया।

इस बयान पर हस्ताक्षर करने वाले दलों में द्रमुक और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल हैं। दोनों क्रमश: तमिलनाडु और महाराष्ट्र में कांग्रेस की सहयोगी हैं। इस पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी हस्ताक्षर किया है जो 2024 के आम चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयास में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक सहित तमाम विपक्षी नेताओं से बात कर रहे हैं।

इसके अलावा हस्ताक्षर करने वालों की सूची में भाकपा और माकपा, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाला शिवसेना गुट (कांग्रेस का सहयोगी), उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी) और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (राष्ट्रीय जनता दल) शामिल हैं।

झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, केरल कांग्रेस (मणि), वीसीके, राष्ट्रीय लोकदल, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक और उमर अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस, एमडीएमके और रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी भी समारोह का बहिष्कार करेंगे।

बीजू जनता दल ने अब तक इस बयान पर हस्ताक्षर नहीं किया है और न ही बहिष्कार की घोषणा की है।

पीएम मोदी द्वारा 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है।

पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इसका क्षेत्रफल 64,500 वर्ग मीटर है। यह त्रिकोणीय त्रिकोणीय आकार की चार मंजिला इमारत है।

नए संसद भवन का निर्माण 15 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था और इसे अगस्त 2022 तक पूरा किया जाना था।

नई इमारत में 1,224 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी।

इसमें एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष और भोजन कक्ष हैं।

टाटा प्रोजेक्ट्स ने 970 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से नए संसद भवन का निर्माण किया है।

–आईएएनएस

एकेजे

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 24 मई (आईएएनएस)। कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि समान विचारधारा वाले 19 दलों ने 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला किया है।

एक संयुक्त बयान में इन दलों ने कहा, जब संसद से लोकतंत्र की आत्मा निचोड़ ली गई है, तो हमें नए भवन का कोई महत्व नहीं दिखता है। हम नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के अपने सामूहिक फैसले की घोषणा करते हैं।

बयान में कहा गया है, हम इस सत्तावादी प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ ..लड़ाई जारी रखेंगे और अपना संदेश सीधे भारत के लोगों तक ले जाएंगे।

बयान में यह भी कहा गया है कि नए संसद भवन का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण अवसर है। इसमें कहा गया है, हमारे इस विश्वास के बावजूद कि सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है, और जिस निरंकुश तरीके से नए संसद भवन का निर्माण किया गया था उस पर हमारी अस्वीकृति के बावजूद, हम अपने मतभेदों को दूर कर इस अवसर में भागीदार बनने के लिए तैयार थे।

बयान में कहा गया है, लेकिन, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह दरकिनार करते हुए नए संसद भवन का खुद उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का फैसला न केवल घोर अपमान बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है, जिसके लिए उचित प्रतिक्रिया जरूरी है।

संविधान के अनुच्छेद 79 का हवाला देते हुए विपक्षी दलों ने कहा कि मुर्मू न केवल देशी की प्रमुख हैं, बल्कि संसद का अभिन्न अंग भी हैं।

बयान में कहा गया है, वह संसद का सत्र बुलाती हैं, सत्रावसान करती हैं और उसे संबोधित करती है। संसद के किसी भी विधेयक के प्रभावी होने के लिए उनकी मंजूरी जरूरी है। संक्षेप में, संसद राष्ट्रपति के बिना कार्य नहीं कर सकती। फिर भी, प्रधानमंत्री ने उनके बिना नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्णय लिया है।

विपक्ष के संयुक्त बयान में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सांसद के रूप में अयोग्यता और तीन विवादास्पद कृषि बिलों को पारित करने को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा गया है। इसमें कहा गया है, प्रधानमंत्री के लिए अलोकतांत्रिक कृत्य कोई नई बात नहीं है, जिन्होंने लगातार संसद को खोखला किया है। संसद के विपक्षी सदस्यों ने जब देश के लोगों का मुद्दा उठाना चाहा तो उन्हें अयोग्य, निलंबित और म्यूट कर दिया गया।

सत्तारूढ़ दल के सांसदों ने संसद को बाधित किया है। तीन कृषि कानूनों सहित कई विवादास्पद विधेयक लगभग बिना किसी बहस के पारित किए गए हैं, और संसदीय समितियों को व्यावहारिक तौर पर निष्क्रिय कर दिया गया है। नया संसद भवन भारी खर्च पर उस समय बनाया गया है जब सदी में एक बार आने वाली महामारी फैली हुई थी। देश के लोगों या सांसदों – जिनके लिए यह बनाया जा रहा है – के साथ कोई परामर्श नहीं किया गया।

इस बयान पर हस्ताक्षर करने वाले दलों में द्रमुक और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल हैं। दोनों क्रमश: तमिलनाडु और महाराष्ट्र में कांग्रेस की सहयोगी हैं। इस पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी हस्ताक्षर किया है जो 2024 के आम चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयास में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक सहित तमाम विपक्षी नेताओं से बात कर रहे हैं।

इसके अलावा हस्ताक्षर करने वालों की सूची में भाकपा और माकपा, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाला शिवसेना गुट (कांग्रेस का सहयोगी), उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी) और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (राष्ट्रीय जनता दल) शामिल हैं।

झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, केरल कांग्रेस (मणि), वीसीके, राष्ट्रीय लोकदल, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक और उमर अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस, एमडीएमके और रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी भी समारोह का बहिष्कार करेंगे।

बीजू जनता दल ने अब तक इस बयान पर हस्ताक्षर नहीं किया है और न ही बहिष्कार की घोषणा की है।

पीएम मोदी द्वारा 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है।

पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इसका क्षेत्रफल 64,500 वर्ग मीटर है। यह त्रिकोणीय त्रिकोणीय आकार की चार मंजिला इमारत है।

नए संसद भवन का निर्माण 15 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था और इसे अगस्त 2022 तक पूरा किया जाना था।

नई इमारत में 1,224 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी।

इसमें एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष और भोजन कक्ष हैं।

टाटा प्रोजेक्ट्स ने 970 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से नए संसद भवन का निर्माण किया है।

–आईएएनएस

एकेजे

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 24 मई (आईएएनएस)। कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि समान विचारधारा वाले 19 दलों ने 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला किया है।

एक संयुक्त बयान में इन दलों ने कहा, जब संसद से लोकतंत्र की आत्मा निचोड़ ली गई है, तो हमें नए भवन का कोई महत्व नहीं दिखता है। हम नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के अपने सामूहिक फैसले की घोषणा करते हैं।

बयान में कहा गया है, हम इस सत्तावादी प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ ..लड़ाई जारी रखेंगे और अपना संदेश सीधे भारत के लोगों तक ले जाएंगे।

बयान में यह भी कहा गया है कि नए संसद भवन का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण अवसर है। इसमें कहा गया है, हमारे इस विश्वास के बावजूद कि सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है, और जिस निरंकुश तरीके से नए संसद भवन का निर्माण किया गया था उस पर हमारी अस्वीकृति के बावजूद, हम अपने मतभेदों को दूर कर इस अवसर में भागीदार बनने के लिए तैयार थे।

बयान में कहा गया है, लेकिन, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह दरकिनार करते हुए नए संसद भवन का खुद उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का फैसला न केवल घोर अपमान बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है, जिसके लिए उचित प्रतिक्रिया जरूरी है।

संविधान के अनुच्छेद 79 का हवाला देते हुए विपक्षी दलों ने कहा कि मुर्मू न केवल देशी की प्रमुख हैं, बल्कि संसद का अभिन्न अंग भी हैं।

बयान में कहा गया है, वह संसद का सत्र बुलाती हैं, सत्रावसान करती हैं और उसे संबोधित करती है। संसद के किसी भी विधेयक के प्रभावी होने के लिए उनकी मंजूरी जरूरी है। संक्षेप में, संसद राष्ट्रपति के बिना कार्य नहीं कर सकती। फिर भी, प्रधानमंत्री ने उनके बिना नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्णय लिया है।

विपक्ष के संयुक्त बयान में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सांसद के रूप में अयोग्यता और तीन विवादास्पद कृषि बिलों को पारित करने को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा गया है। इसमें कहा गया है, प्रधानमंत्री के लिए अलोकतांत्रिक कृत्य कोई नई बात नहीं है, जिन्होंने लगातार संसद को खोखला किया है। संसद के विपक्षी सदस्यों ने जब देश के लोगों का मुद्दा उठाना चाहा तो उन्हें अयोग्य, निलंबित और म्यूट कर दिया गया।

सत्तारूढ़ दल के सांसदों ने संसद को बाधित किया है। तीन कृषि कानूनों सहित कई विवादास्पद विधेयक लगभग बिना किसी बहस के पारित किए गए हैं, और संसदीय समितियों को व्यावहारिक तौर पर निष्क्रिय कर दिया गया है। नया संसद भवन भारी खर्च पर उस समय बनाया गया है जब सदी में एक बार आने वाली महामारी फैली हुई थी। देश के लोगों या सांसदों – जिनके लिए यह बनाया जा रहा है – के साथ कोई परामर्श नहीं किया गया।

इस बयान पर हस्ताक्षर करने वाले दलों में द्रमुक और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल हैं। दोनों क्रमश: तमिलनाडु और महाराष्ट्र में कांग्रेस की सहयोगी हैं। इस पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी हस्ताक्षर किया है जो 2024 के आम चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयास में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक सहित तमाम विपक्षी नेताओं से बात कर रहे हैं।

इसके अलावा हस्ताक्षर करने वालों की सूची में भाकपा और माकपा, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाला शिवसेना गुट (कांग्रेस का सहयोगी), उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी) और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (राष्ट्रीय जनता दल) शामिल हैं।

झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, केरल कांग्रेस (मणि), वीसीके, राष्ट्रीय लोकदल, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक और उमर अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस, एमडीएमके और रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी भी समारोह का बहिष्कार करेंगे।

बीजू जनता दल ने अब तक इस बयान पर हस्ताक्षर नहीं किया है और न ही बहिष्कार की घोषणा की है।

पीएम मोदी द्वारा 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है।

पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इसका क्षेत्रफल 64,500 वर्ग मीटर है। यह त्रिकोणीय त्रिकोणीय आकार की चार मंजिला इमारत है।

नए संसद भवन का निर्माण 15 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था और इसे अगस्त 2022 तक पूरा किया जाना था।

नई इमारत में 1,224 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी।

इसमें एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष और भोजन कक्ष हैं।

टाटा प्रोजेक्ट्स ने 970 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से नए संसद भवन का निर्माण किया है।

–आईएएनएस

एकेजे

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 24 मई (आईएएनएस)। कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि समान विचारधारा वाले 19 दलों ने 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला किया है।

एक संयुक्त बयान में इन दलों ने कहा, जब संसद से लोकतंत्र की आत्मा निचोड़ ली गई है, तो हमें नए भवन का कोई महत्व नहीं दिखता है। हम नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के अपने सामूहिक फैसले की घोषणा करते हैं।

बयान में कहा गया है, हम इस सत्तावादी प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ ..लड़ाई जारी रखेंगे और अपना संदेश सीधे भारत के लोगों तक ले जाएंगे।

बयान में यह भी कहा गया है कि नए संसद भवन का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण अवसर है। इसमें कहा गया है, हमारे इस विश्वास के बावजूद कि सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है, और जिस निरंकुश तरीके से नए संसद भवन का निर्माण किया गया था उस पर हमारी अस्वीकृति के बावजूद, हम अपने मतभेदों को दूर कर इस अवसर में भागीदार बनने के लिए तैयार थे।

बयान में कहा गया है, लेकिन, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह दरकिनार करते हुए नए संसद भवन का खुद उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का फैसला न केवल घोर अपमान बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है, जिसके लिए उचित प्रतिक्रिया जरूरी है।

संविधान के अनुच्छेद 79 का हवाला देते हुए विपक्षी दलों ने कहा कि मुर्मू न केवल देशी की प्रमुख हैं, बल्कि संसद का अभिन्न अंग भी हैं।

बयान में कहा गया है, वह संसद का सत्र बुलाती हैं, सत्रावसान करती हैं और उसे संबोधित करती है। संसद के किसी भी विधेयक के प्रभावी होने के लिए उनकी मंजूरी जरूरी है। संक्षेप में, संसद राष्ट्रपति के बिना कार्य नहीं कर सकती। फिर भी, प्रधानमंत्री ने उनके बिना नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्णय लिया है।

विपक्ष के संयुक्त बयान में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सांसद के रूप में अयोग्यता और तीन विवादास्पद कृषि बिलों को पारित करने को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा गया है। इसमें कहा गया है, प्रधानमंत्री के लिए अलोकतांत्रिक कृत्य कोई नई बात नहीं है, जिन्होंने लगातार संसद को खोखला किया है। संसद के विपक्षी सदस्यों ने जब देश के लोगों का मुद्दा उठाना चाहा तो उन्हें अयोग्य, निलंबित और म्यूट कर दिया गया।

सत्तारूढ़ दल के सांसदों ने संसद को बाधित किया है। तीन कृषि कानूनों सहित कई विवादास्पद विधेयक लगभग बिना किसी बहस के पारित किए गए हैं, और संसदीय समितियों को व्यावहारिक तौर पर निष्क्रिय कर दिया गया है। नया संसद भवन भारी खर्च पर उस समय बनाया गया है जब सदी में एक बार आने वाली महामारी फैली हुई थी। देश के लोगों या सांसदों – जिनके लिए यह बनाया जा रहा है – के साथ कोई परामर्श नहीं किया गया।

इस बयान पर हस्ताक्षर करने वाले दलों में द्रमुक और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल हैं। दोनों क्रमश: तमिलनाडु और महाराष्ट्र में कांग्रेस की सहयोगी हैं। इस पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी हस्ताक्षर किया है जो 2024 के आम चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयास में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक सहित तमाम विपक्षी नेताओं से बात कर रहे हैं।

इसके अलावा हस्ताक्षर करने वालों की सूची में भाकपा और माकपा, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाला शिवसेना गुट (कांग्रेस का सहयोगी), उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी) और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (राष्ट्रीय जनता दल) शामिल हैं।

झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, केरल कांग्रेस (मणि), वीसीके, राष्ट्रीय लोकदल, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक और उमर अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस, एमडीएमके और रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी भी समारोह का बहिष्कार करेंगे।

बीजू जनता दल ने अब तक इस बयान पर हस्ताक्षर नहीं किया है और न ही बहिष्कार की घोषणा की है।

पीएम मोदी द्वारा 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है।

पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इसका क्षेत्रफल 64,500 वर्ग मीटर है। यह त्रिकोणीय त्रिकोणीय आकार की चार मंजिला इमारत है।

नए संसद भवन का निर्माण 15 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था और इसे अगस्त 2022 तक पूरा किया जाना था।

नई इमारत में 1,224 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी।

इसमें एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष और भोजन कक्ष हैं।

टाटा प्रोजेक्ट्स ने 970 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से नए संसद भवन का निर्माण किया है।

–आईएएनएस

एकेजे

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 24 मई (आईएएनएस)। कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि समान विचारधारा वाले 19 दलों ने 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला किया है।

एक संयुक्त बयान में इन दलों ने कहा, जब संसद से लोकतंत्र की आत्मा निचोड़ ली गई है, तो हमें नए भवन का कोई महत्व नहीं दिखता है। हम नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के अपने सामूहिक फैसले की घोषणा करते हैं।

बयान में कहा गया है, हम इस सत्तावादी प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ ..लड़ाई जारी रखेंगे और अपना संदेश सीधे भारत के लोगों तक ले जाएंगे।

बयान में यह भी कहा गया है कि नए संसद भवन का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण अवसर है। इसमें कहा गया है, हमारे इस विश्वास के बावजूद कि सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है, और जिस निरंकुश तरीके से नए संसद भवन का निर्माण किया गया था उस पर हमारी अस्वीकृति के बावजूद, हम अपने मतभेदों को दूर कर इस अवसर में भागीदार बनने के लिए तैयार थे।

बयान में कहा गया है, लेकिन, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह दरकिनार करते हुए नए संसद भवन का खुद उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का फैसला न केवल घोर अपमान बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है, जिसके लिए उचित प्रतिक्रिया जरूरी है।

संविधान के अनुच्छेद 79 का हवाला देते हुए विपक्षी दलों ने कहा कि मुर्मू न केवल देशी की प्रमुख हैं, बल्कि संसद का अभिन्न अंग भी हैं।

बयान में कहा गया है, वह संसद का सत्र बुलाती हैं, सत्रावसान करती हैं और उसे संबोधित करती है। संसद के किसी भी विधेयक के प्रभावी होने के लिए उनकी मंजूरी जरूरी है। संक्षेप में, संसद राष्ट्रपति के बिना कार्य नहीं कर सकती। फिर भी, प्रधानमंत्री ने उनके बिना नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्णय लिया है।

विपक्ष के संयुक्त बयान में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सांसद के रूप में अयोग्यता और तीन विवादास्पद कृषि बिलों को पारित करने को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा गया है। इसमें कहा गया है, प्रधानमंत्री के लिए अलोकतांत्रिक कृत्य कोई नई बात नहीं है, जिन्होंने लगातार संसद को खोखला किया है। संसद के विपक्षी सदस्यों ने जब देश के लोगों का मुद्दा उठाना चाहा तो उन्हें अयोग्य, निलंबित और म्यूट कर दिया गया।

सत्तारूढ़ दल के सांसदों ने संसद को बाधित किया है। तीन कृषि कानूनों सहित कई विवादास्पद विधेयक लगभग बिना किसी बहस के पारित किए गए हैं, और संसदीय समितियों को व्यावहारिक तौर पर निष्क्रिय कर दिया गया है। नया संसद भवन भारी खर्च पर उस समय बनाया गया है जब सदी में एक बार आने वाली महामारी फैली हुई थी। देश के लोगों या सांसदों – जिनके लिए यह बनाया जा रहा है – के साथ कोई परामर्श नहीं किया गया।

इस बयान पर हस्ताक्षर करने वाले दलों में द्रमुक और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल हैं। दोनों क्रमश: तमिलनाडु और महाराष्ट्र में कांग्रेस की सहयोगी हैं। इस पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी हस्ताक्षर किया है जो 2024 के आम चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयास में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक सहित तमाम विपक्षी नेताओं से बात कर रहे हैं।

इसके अलावा हस्ताक्षर करने वालों की सूची में भाकपा और माकपा, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाला शिवसेना गुट (कांग्रेस का सहयोगी), उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी) और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (राष्ट्रीय जनता दल) शामिल हैं।

झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, केरल कांग्रेस (मणि), वीसीके, राष्ट्रीय लोकदल, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक और उमर अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस, एमडीएमके और रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी भी समारोह का बहिष्कार करेंगे।

बीजू जनता दल ने अब तक इस बयान पर हस्ताक्षर नहीं किया है और न ही बहिष्कार की घोषणा की है।

पीएम मोदी द्वारा 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है।

पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इसका क्षेत्रफल 64,500 वर्ग मीटर है। यह त्रिकोणीय त्रिकोणीय आकार की चार मंजिला इमारत है।

नए संसद भवन का निर्माण 15 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था और इसे अगस्त 2022 तक पूरा किया जाना था।

नई इमारत में 1,224 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी।

इसमें एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष और भोजन कक्ष हैं।

टाटा प्रोजेक्ट्स ने 970 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से नए संसद भवन का निर्माण किया है।

–आईएएनएस

एकेजे

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 24 मई (आईएएनएस)। कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि समान विचारधारा वाले 19 दलों ने 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला किया है।

एक संयुक्त बयान में इन दलों ने कहा, जब संसद से लोकतंत्र की आत्मा निचोड़ ली गई है, तो हमें नए भवन का कोई महत्व नहीं दिखता है। हम नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के अपने सामूहिक फैसले की घोषणा करते हैं।

बयान में कहा गया है, हम इस सत्तावादी प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ ..लड़ाई जारी रखेंगे और अपना संदेश सीधे भारत के लोगों तक ले जाएंगे।

बयान में यह भी कहा गया है कि नए संसद भवन का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण अवसर है। इसमें कहा गया है, हमारे इस विश्वास के बावजूद कि सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है, और जिस निरंकुश तरीके से नए संसद भवन का निर्माण किया गया था उस पर हमारी अस्वीकृति के बावजूद, हम अपने मतभेदों को दूर कर इस अवसर में भागीदार बनने के लिए तैयार थे।

बयान में कहा गया है, लेकिन, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह दरकिनार करते हुए नए संसद भवन का खुद उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का फैसला न केवल घोर अपमान बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है, जिसके लिए उचित प्रतिक्रिया जरूरी है।

संविधान के अनुच्छेद 79 का हवाला देते हुए विपक्षी दलों ने कहा कि मुर्मू न केवल देशी की प्रमुख हैं, बल्कि संसद का अभिन्न अंग भी हैं।

बयान में कहा गया है, वह संसद का सत्र बुलाती हैं, सत्रावसान करती हैं और उसे संबोधित करती है। संसद के किसी भी विधेयक के प्रभावी होने के लिए उनकी मंजूरी जरूरी है। संक्षेप में, संसद राष्ट्रपति के बिना कार्य नहीं कर सकती। फिर भी, प्रधानमंत्री ने उनके बिना नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्णय लिया है।

विपक्ष के संयुक्त बयान में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सांसद के रूप में अयोग्यता और तीन विवादास्पद कृषि बिलों को पारित करने को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा गया है। इसमें कहा गया है, प्रधानमंत्री के लिए अलोकतांत्रिक कृत्य कोई नई बात नहीं है, जिन्होंने लगातार संसद को खोखला किया है। संसद के विपक्षी सदस्यों ने जब देश के लोगों का मुद्दा उठाना चाहा तो उन्हें अयोग्य, निलंबित और म्यूट कर दिया गया।

सत्तारूढ़ दल के सांसदों ने संसद को बाधित किया है। तीन कृषि कानूनों सहित कई विवादास्पद विधेयक लगभग बिना किसी बहस के पारित किए गए हैं, और संसदीय समितियों को व्यावहारिक तौर पर निष्क्रिय कर दिया गया है। नया संसद भवन भारी खर्च पर उस समय बनाया गया है जब सदी में एक बार आने वाली महामारी फैली हुई थी। देश के लोगों या सांसदों – जिनके लिए यह बनाया जा रहा है – के साथ कोई परामर्श नहीं किया गया।

इस बयान पर हस्ताक्षर करने वाले दलों में द्रमुक और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल हैं। दोनों क्रमश: तमिलनाडु और महाराष्ट्र में कांग्रेस की सहयोगी हैं। इस पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी हस्ताक्षर किया है जो 2024 के आम चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयास में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक सहित तमाम विपक्षी नेताओं से बात कर रहे हैं।

इसके अलावा हस्ताक्षर करने वालों की सूची में भाकपा और माकपा, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाला शिवसेना गुट (कांग्रेस का सहयोगी), उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी) और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (राष्ट्रीय जनता दल) शामिल हैं।

झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, केरल कांग्रेस (मणि), वीसीके, राष्ट्रीय लोकदल, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक और उमर अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस, एमडीएमके और रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी भी समारोह का बहिष्कार करेंगे।

बीजू जनता दल ने अब तक इस बयान पर हस्ताक्षर नहीं किया है और न ही बहिष्कार की घोषणा की है।

पीएम मोदी द्वारा 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है।

पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इसका क्षेत्रफल 64,500 वर्ग मीटर है। यह त्रिकोणीय त्रिकोणीय आकार की चार मंजिला इमारत है।

नए संसद भवन का निर्माण 15 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था और इसे अगस्त 2022 तक पूरा किया जाना था।

नई इमारत में 1,224 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी।

इसमें एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष और भोजन कक्ष हैं।

टाटा प्रोजेक्ट्स ने 970 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से नए संसद भवन का निर्माण किया है।

–आईएएनएस

एकेजे

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 24 मई (आईएएनएस)। कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि समान विचारधारा वाले 19 दलों ने 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला किया है।

एक संयुक्त बयान में इन दलों ने कहा, जब संसद से लोकतंत्र की आत्मा निचोड़ ली गई है, तो हमें नए भवन का कोई महत्व नहीं दिखता है। हम नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के अपने सामूहिक फैसले की घोषणा करते हैं।

बयान में कहा गया है, हम इस सत्तावादी प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ ..लड़ाई जारी रखेंगे और अपना संदेश सीधे भारत के लोगों तक ले जाएंगे।

बयान में यह भी कहा गया है कि नए संसद भवन का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण अवसर है। इसमें कहा गया है, हमारे इस विश्वास के बावजूद कि सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है, और जिस निरंकुश तरीके से नए संसद भवन का निर्माण किया गया था उस पर हमारी अस्वीकृति के बावजूद, हम अपने मतभेदों को दूर कर इस अवसर में भागीदार बनने के लिए तैयार थे।

बयान में कहा गया है, लेकिन, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह दरकिनार करते हुए नए संसद भवन का खुद उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का फैसला न केवल घोर अपमान बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है, जिसके लिए उचित प्रतिक्रिया जरूरी है।

संविधान के अनुच्छेद 79 का हवाला देते हुए विपक्षी दलों ने कहा कि मुर्मू न केवल देशी की प्रमुख हैं, बल्कि संसद का अभिन्न अंग भी हैं।

बयान में कहा गया है, वह संसद का सत्र बुलाती हैं, सत्रावसान करती हैं और उसे संबोधित करती है। संसद के किसी भी विधेयक के प्रभावी होने के लिए उनकी मंजूरी जरूरी है। संक्षेप में, संसद राष्ट्रपति के बिना कार्य नहीं कर सकती। फिर भी, प्रधानमंत्री ने उनके बिना नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्णय लिया है।

विपक्ष के संयुक्त बयान में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सांसद के रूप में अयोग्यता और तीन विवादास्पद कृषि बिलों को पारित करने को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा गया है। इसमें कहा गया है, प्रधानमंत्री के लिए अलोकतांत्रिक कृत्य कोई नई बात नहीं है, जिन्होंने लगातार संसद को खोखला किया है। संसद के विपक्षी सदस्यों ने जब देश के लोगों का मुद्दा उठाना चाहा तो उन्हें अयोग्य, निलंबित और म्यूट कर दिया गया।

सत्तारूढ़ दल के सांसदों ने संसद को बाधित किया है। तीन कृषि कानूनों सहित कई विवादास्पद विधेयक लगभग बिना किसी बहस के पारित किए गए हैं, और संसदीय समितियों को व्यावहारिक तौर पर निष्क्रिय कर दिया गया है। नया संसद भवन भारी खर्च पर उस समय बनाया गया है जब सदी में एक बार आने वाली महामारी फैली हुई थी। देश के लोगों या सांसदों – जिनके लिए यह बनाया जा रहा है – के साथ कोई परामर्श नहीं किया गया।

इस बयान पर हस्ताक्षर करने वाले दलों में द्रमुक और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल हैं। दोनों क्रमश: तमिलनाडु और महाराष्ट्र में कांग्रेस की सहयोगी हैं। इस पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी हस्ताक्षर किया है जो 2024 के आम चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयास में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक सहित तमाम विपक्षी नेताओं से बात कर रहे हैं।

इसके अलावा हस्ताक्षर करने वालों की सूची में भाकपा और माकपा, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाला शिवसेना गुट (कांग्रेस का सहयोगी), उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी) और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (राष्ट्रीय जनता दल) शामिल हैं।

झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, केरल कांग्रेस (मणि), वीसीके, राष्ट्रीय लोकदल, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक और उमर अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस, एमडीएमके और रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी भी समारोह का बहिष्कार करेंगे।

बीजू जनता दल ने अब तक इस बयान पर हस्ताक्षर नहीं किया है और न ही बहिष्कार की घोषणा की है।

पीएम मोदी द्वारा 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है।

पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इसका क्षेत्रफल 64,500 वर्ग मीटर है। यह त्रिकोणीय त्रिकोणीय आकार की चार मंजिला इमारत है।

नए संसद भवन का निर्माण 15 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था और इसे अगस्त 2022 तक पूरा किया जाना था।

नई इमारत में 1,224 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी।

इसमें एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष और भोजन कक्ष हैं।

टाटा प्रोजेक्ट्स ने 970 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से नए संसद भवन का निर्माण किया है।

–आईएएनएस

एकेजे

Related Posts

पाकिस्तान ने अपना लहजा नहीं बदला तो उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा : जगदंबिका पाल
राष्ट्रीय

पाकिस्तान ने अपना लहजा नहीं बदला तो उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा : जगदंबिका पाल

May 10, 2025
देशभर में संघर्ष विराम का स्वागत, सेना के शौर्य और केंद्र की कूटनीति की तारीफ
राष्ट्रीय

देशभर में संघर्ष विराम का स्वागत, सेना के शौर्य और केंद्र की कूटनीति की तारीफ

May 10, 2025
भारत-पाकिस्तान युद्धविराम का स्वागत, लड़ाई किसी भी समस्या का हल नहीं: अबू आजमी
राष्ट्रीय

भारत-पाकिस्तान युद्धविराम का स्वागत, लड़ाई किसी भी समस्या का हल नहीं: अबू आजमी

May 10, 2025
भारत को जो संदेश देना था दे दिया है : रिटायर्ड मेजर जनरल हर्ष कक्कड़
राष्ट्रीय

भारत को जो संदेश देना था दे दिया है : रिटायर्ड मेजर जनरल हर्ष कक्कड़

May 10, 2025
राष्ट्रहित में भारत-पाकिस्तान युद्ध विराम का फैसला, बहादुर सैनिकों को सलाम: भगवानदास सबनानी
राष्ट्रीय

राष्ट्रहित में भारत-पाकिस्तान युद्ध विराम का फैसला, बहादुर सैनिकों को सलाम: भगवानदास सबनानी

May 10, 2025
पाकिस्तान को किसी भी अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म से वित्तीय सहायता देना सही नहीं : सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी
राष्ट्रीय

पाकिस्तान को किसी भी अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म से वित्तीय सहायता देना सही नहीं : सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी

May 10, 2025
Next Post
बॉलीवुड में करण जौहर के 25 साल पूरे, कल जन्मदिन के मौके पर रिलीज होगा रॉकी और रानी की प्रेम कहानी का फर्स्ट लुक

बॉलीवुड में करण जौहर के 25 साल पूरे, कल जन्मदिन के मौके पर रिलीज होगा रॉकी और रानी की प्रेम कहानी का फर्स्ट लुक

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

POPULAR NEWS

बंदा प्रकाश तेलंगाना विधान परिषद के उप सभापति चुने गए

बंदा प्रकाश तेलंगाना विधान परिषद के उप सभापति चुने गए

February 12, 2023
बीएसएफ ने मेघालय में 40 मवेशियों को छुड़ाया, 3 तस्कर गिरफ्तार

बीएसएफ ने मेघालय में 40 मवेशियों को छुड़ाया, 3 तस्कर गिरफ्तार

February 12, 2023
चीनी शताब्दी की दूर-दूर तक संभावना नहीं

चीनी शताब्दी की दूर-दूर तक संभावना नहीं

February 12, 2023

बंगाल के जलपाईगुड़ी में बाढ़ जैसे हालात, शहर में घुसने लगा नदी का पानी

August 26, 2023
राधिका खेड़ा ने छोड़ा कांग्रेस का दामन, प्राथमिक सदस्यता से दिया इस्तीफा

राधिका खेड़ा ने छोड़ा कांग्रेस का दामन, प्राथमिक सदस्यता से दिया इस्तीफा

May 5, 2024

EDITOR'S PICK

भारत में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस के मामलों में आ रही कमी

भारत में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस के मामलों में आ रही कमी

January 13, 2025

स्वाति मालीवाल के साथ हुई कथित मारपीट पर बांसुरी स्वराज ने साधा ‘आप’ पर निशाना

May 13, 2024

जानलेवा दुर्घटना से टी20 विश्व कप जीतने पर पंत ने कहा, ‘भगवान की अपनी योजना है’

July 3, 2024

बंधकों में से आखिरी के वापस आने तक जश्न नहीं मनाएंगे: मुक्त बंधकों के परिवार के सदस्य

November 25, 2023
ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

080875
Total views : 5870231
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Notifications