बीजिंग, 25 जनवरी (आईएएनएस)। दुनिया में जलवायु परिवर्तन और कार्बन उत्सर्जन की समस्या व्यापक है। इस पर नियंत्रण करने के लिए कई देश विभिन्न उपाय कर रहे हैं। विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में चीन लगातार इस दिशा में प्रयास कर रहा है, जो कि हमें राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर किए जा रहे उपायों से स्पष्ट तौर पर देखने को मिलते हैं।
चीन कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए कितना गंभीर है, इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि निम्न कार्बन वाले तत्वों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके कारण हरित और निम्न-कार्बन पेटेंट आदि के मामलों में इजाफा देखा गया है।
साल 2023 में इस बारे में एक रिपोर्ट जारी की गयी, जिसमें चीन द्वारा किए जा रहे कार्यों को लेकर जानकारी मिलती है। चीन के सर्वोच्च बौद्धिक संपदा नियामक के अनुसार देश में पिछले कुछ सालों में हरित और निम्न-कार्बन पेटेंट आदि के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। जिससे जाहिर होता है कि चीन वैश्विक स्तर पर नवाचार के मामले में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
बताया जाता है कि वर्ष 2016 से 2022 तक पूरी दुनिया में 5,58,000 हरित और निम्न-कार्बन पेटेंट को मान्यता दी गयी थी, जिनमें से चीन द्वारा इस क्षेत्र में किए गए अनुमोदित पेटेंट की संख्या 2 लाख से ज्यादा थी। इस तरह चीन का योगदान वैश्विक स्तर का 36.8 फीसदी था।
ध्यान रहे कि चीन हरित और कम-कार्बन व्यवस्था को लेकर बेहद सजग है, जो हमें सरकार के प्रयासों में दिखता है। चीन इस क्षेत्र में नए-नए प्रयोग कर रहा है, ताकि कार्बन उत्सर्जन की चुनौती से निपटा जा सके।
बताया जाता है कि इस अवधि में चीन में प्रस्तुत पेटेंट की संख्या में हर वर्ष लगभग 9.3 फीसदी का इजाफा हुआ। लेकिन इसके विपरीत अन्य देशों और क्षेत्रों पेटेंट की संख्या में गिरावट दर्ज की गयी। इससे पता चलता है कि चीन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
चीन में इन स्थानों पर पेटेंट और हरित कार्बन पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है, वे हैं राजधानी पेइचिंग, दक्षिणी प्रांत क्वांगतोंग और च्यांगसू। इसके साथ ही हमने देखा है कि चीनी नेता समय-समय कार्बन उत्सर्जन से निपटने के लिए कई उपायों और उपलब्धियों का ऐलान करते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि कोरोना महामारी के दौर और उसके बाद भी चीन अपने लक्ष्य से विचलित नहीं हुआ है।
गौरतलब है कि चीन बार-बार कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए प्रतिबद्धता जताता रहा है। जो कि अमेरिका और कनाडा जैसे विकसित देशों के लिए भी उदाहरण है।
(अनिल पांडेय, चाइना मीडिया ग्रुप, बीजिंग)
–आईएएनएस
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