नई दिल्ली, 25 सितंबर (आईएएनएस) राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य डेलिना खोंगडुप ने कहा कि कंपनियों को कार्यस्थल पर उत्पीड़न और मातृत्व लाभ की कमी पर कर्मचारियों द्वारा उठाई गई चिंताओं का तुरंत समाधान करना चाहिए।
एसोचैम के 5वें विविधता और समावेश उत्कृष्टता पुरस्कार और कॉन्क्लेव 2024 को संबोधित करते हुए खोंगडुप ने कार्यस्थल में विविधता और समावेश की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, ”महिलाओं और सभी के अधिकार के लिए संगठनों में यह एक निरंतर अभ्यास होना चाहिए। समाज के सभी क्षेत्रों के लिए लैंगिक विविधता हासिल करना एक मानवीय और सामाजिक जिम्मेदारी है। भारत में विविधता बहुत अधिक है और सभी संभव स्थानों पर समावेश की भावना होनी चाहिए।”
हालांकि निदेशक मंडल में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए कंपनी अधिनियम में संशोधन किया गया है, लेकिन वास्तविकता यह है कि भारतीय कार्यबल में सीईओ स्तर पर महिलाओं की संख्या 5 प्रतिशत से भी कम है।
खोंगडुप ने कहा, “कॉर्पोरेट भारत को इस समावेश को पहचानना चाहिए और कार्यस्थलों में लैंगिक संतुलन संबंध को पाटना चाहिए। कार्यस्थल में उत्पीड़न और मातृत्व लाभ का भुगतान न करने की समस्या को बेहतर बनाने के लिए तुरंत संबोधित किया जाना चाहिए। हमें विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।”
खोंगडुप की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब ऑडिट फर्म अर्न्स्ट एंड यंग में काम करने वाली युवा सीए अन्ना सेबेस्टियन की पुणे में काम के अत्यधिक दबाव के कारण मौत हो गई।
उसकी मां अनीता ने दावा किया था, ”अन्ना (26) का 21 जुलाई को काम के बोझ और तनाव के कारण निधन हो गया।”
ऑगस्टीन ने चेयरमैन राजीव मेमानी को लिखे एक हृदय विदारक पत्र में लिखा है कि अन्ना ने अकाउंटिंग फर्म में चार महीने तक काम किया।
एसोचैम नेशनल सीएसआर के सह-अध्यक्ष रवि भटनागर ने कार्यस्थलों पर कर्मचारियों की भलाई को मान्यता देने के महत्व पर प्रकाश डाला, ताकि लैंगिक विविधता को केंद्र में रखा जा सके।
–आईएएनएस
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