वाराणसी, 11 जनवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के दो किलोमीटर के दायरे में मांस-मछली की बिक्री पर नगर निगम ने प्रतिबंध लगा दिया है। कोई दुकानदार मांस-मछली बेचते पकड़ा गया तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी। नगर निगम की कार्यकारिणी बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अब मंदिर से दो किलोमीटर के क्षेत्र में किसी भी तरह की मांस-मछली की दुकान खोले जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हालांकि स्थानीय दुकानदारों ने इस फैसले का विरोध किया है।
इसके बाद नगर निगम ने काशी विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र के दो किलोमीटर एरिया में मौजूद मांस-मछली की दुकानों को नोटिस भेजे हैं। नोटिस में यह कहा गया है कि निरीक्षण के दौरान पाया गया कि इन दुकानों का संचालन अवैध रूप से किया जा रहा है और इनमें कोई लाइसेंस भी नहीं है। इसके अलावा, इन दुकानों में साफ-सफाई का भी ध्यान नहीं रखा गया था।
नगर निगम द्वारा भेजे गए नोटिस पर कुछ दुकानदारों ने नगर निगम के नियमों का हवाला देते हुए आरोप लगाए हैं। यह निर्णय कुंभ मेला के दौरान शहर में सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाने और श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। यह आदेश स्थायी रूप से लागू किया गया है ताकि भविष्य में इस क्षेत्र में मांस-मछली की दुकानें न खोली जा सकें।
वाराणसी के मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने आईएएनएस को बताया, “यह हमारी नगर निगम की कार्यकारिणी का निर्णय था, जिसमें हमारे माननीय पार्षदों ने मिलकर वाराणसी में आने वाले श्रद्धालुओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया है। इस फैसले को लागू करने का कार्य जारी है। यह निर्णय लिया गया है कि मांस, मुर्गा, मछली आदि की दुकानों को काशी विश्वनाथ मंदिर के दो किलोमीटर दायरे से बाहर स्थानांतरित किया जाए। इसके लिए व्यापारियों के साथ बैठक भी हो चुकी है और अब कार्यकारिणी द्वारा पास किए गए प्रस्ताव को लागू किया जा रहा है। हमारा पूरा प्रयास है कि यह बदलाव कल तक पूरा हो जाए।”
उन्होंने कहा, “इसके साथ ही फूड सेफ्टी के निर्देशों के अनुसार, इन दुकानों को कटा हुआ मांस खुले में प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं होगी। जानवरों के मांस या मछली को खुले में लटकाकर बेचना भी निषेध रहेगा। फूड सेफ्टी और लाइसेंसिंग के तहत जो निर्देश दिए गए हैं, उनका पालन अब सख्ती से कराया जा रहा है। पहले श्रद्धालुओं की कमी के कारण इन नियमों का पालन ढीला था, लेकिन अब इन निर्देशों को पूरी तरह से लागू किया जा रहा है।”
वाराणसी के मेयर अशोक तिवारी ने बताया, “पिछले साल सदन और कार्यकारिणी की बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि काशी विश्वनाथ मंदिर के दो किलोमीटर के दायरे में कोई भी मांस या मांसाहारी उत्पादों की दुकान नहीं होनी चाहिए। एक साल पहले इन दुकानदारों को नोटिस भेजा गया था और एक प्रतिनिधिमंडल ने हमसे मुलाकात करके वादा किया था कि वे 30 दिनों में अपनी दुकानों को हटा लेंगे। लेकिन एक साल बाद भी उन दुकानदारों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब नगर निगम ने पुनः इन्हें नोटिस दिया है और कहा है कि इन दुकानों को हटाया जाए क्योंकि ये सभी दुकानें अवैध हैं और इनका कोई लाइसेंस नहीं है। काशी में लाखों श्रद्धालु हर रोज बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने आते हैं और खुले में मांस या मछली बेचना काशी की प्रतिष्ठा के लिए उचित नहीं है।”
उन्होंने कहा कि जो दुकानदार अपने व्यापार को नहीं हटाएंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। नगर निगम पूरी कोशिश कर रहा है कि श्रद्धालु एक अच्छा अनुभव लेकर लौटें और काशी की संस्कृति और धार्मिक महत्व को सम्मान मिले।
स्थानीय दुकानदार मेराज अहमद ने इस फैसले पर विरोध जताते हुए आईएएनएस से कहा, “समस्या यह है कि हमारी दुकान करीब 30 साल पुरानी है, जहां हम चिकन बेचते हैं, और अब तक हम नियमित रूप से लाइसेंस शुल्क जमा करते आ रहे हैं। लेकिन पिछले दो-तीन साल से यह समस्या उत्पन्न हो रही है, क्योंकि अब तक शासन से कोई आदेश नहीं आया है। नगर निगम के मेयर साहब या अन्य कोई अधिकारी कहें तो हम नियमों का पालन करने को तैयार हैं, लेकिन हम अपनी दुकान बंद नहीं करना चाहते। हमें जो नोटिस मिला है, उसमें साफ-सफाई का मुद्दा उठाया गया है और हमें दो किलोमीटर दूर जाने के लिए कहा गया है। हालांकि, शासन से ऐसा कोई आधिकारिक आदेश नहीं आया है, और यह निर्णय नगर निगम का निजी फैसला है।”
उन्होंने कहा, “हम मेयर साहब और नगर आयुक्त साहब से निवेदन करेंगे कि इस आदेश को वापस लिया जाए। हम अपनी दुकानों को साफ-सुथरा रखने का पूरा प्रयास करेंगे, और यदि दुकानें हटानी ही हैं तो हमें नई जगह आवंटित की जाए। कृपया हमें यह स्पष्ट करें कि हमें दो किलोमीटर या चार किलोमीटर दूर कितनी दूरी पर दुकानें लगाने की अनुमति दी जाएगी, ताकि हमारी आजीविका चल सके।”
–आईएएनएस
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