नई दिल्ली, 11 अगस्त (आईएएनएस)। एक शोध में यह बात सामने आई है कि प्रोटीन से भरपूर आहार लेने से क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) से पीड़ित लोगों में मृत्यु का जोखिम कम हो सकता है।
ऐसा अनुमान है कि विश्व भर में लगभग 850 मिलियन लोग गुर्दे की बीमारी से पीड़ित हैं। पीड़ित लोगों में से अधिकांश लोग निम्न-आय तथा निम्न-मध्यम-आय वाले देशों में रहते हैं।
स्वीडन में कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट और स्टॉकहोम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन से पता चला है कि हल्के या मध्यम क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) वाले वृद्धों को प्रोटीन लेने से फायदा हो सकता है। प्रोटीन का सेवन जीवन में सुधार ला सकता है और मौत को टालने में मददगार साबित हो सकता है।
शोध के लिए टीम ने मार्च 2001 और जून 2017 के बीच 60 और उससे अधिक उम्र के 8,543 वयस्कों को शामिल किया। दिसंबर 2021 से जनवरी 2024 तक मृत्यु दर के लिए उन्हें फॉलो किया गया।
जेएएमए नेटवर्क ओपन पत्रिका में प्रकाशित परिणामों से पता चला कि पशु और वनस्पति प्रोटीन का अधिक सेवन करने वाले 60 या उससे अधिक उम्र के लोगों की मृत्यु दर कम थी। ये वो थे जिन्हें हल्का या मध्यम सीकेडी था।
टीम ने कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि सीकेडी से पीड़ित न होने वाले प्रतिभागियों में यह दर अधिक था।
शोधकर्ताओं ने बताया कि प्रोटीन सप्लीमेंटेशन और ब्रांच्ड चेन एमिनो एसिड के स्तर को बढ़ाकर वृद्ध व्यक्तियों में मृत्यु का जोखिम कम होता है। प्रोटीन का सेवन मांसपेशियों को ताकतवर बनाता है, हड्डियों को होने वाले नुकसान को भी काफी हद तक कम करता है। साथ ही हड्डियों को कमजोर नहीं होने देता। इसके अलावा यह हृदय पर भी बेहतर तरीके से काम करता है। यह कई बीमारियों (घाव भरने सहित) को भी ठीक करने में मदद करता है।
दूसरी ओर प्रोटीन की कमी वाले वृद्धों में मांसपेशियों में कमजोरी के साथ ही इम्यून सिस्टम पर भी असर पड़ता है।
हैदराबाद के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉ. सुधीर कुमार ने सोशल मीडिया एक्स पर कहा कि प्रोटीन से भरपूर आहार गुर्दे को नुकसान नहीं पहुंचाएगा।
प्रोटीन का सेवन गुर्दे के लिए सुरक्षित है।
एक आम भारतीय आहार में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है, लेकिन प्रोटीन अक्सर थाली से गायब रहता है। इसको लेकर डॉक्टर ने प्रति किलोग्राम वास्तविक शारीरिक वजन पर लगभग 1 ग्राम प्रोटीन (यदि आप एक स्वस्थ व्यक्ति हैं) लेने का सुझाव दिया है।
न्यूरोलॉजिस्ट ने कहा, ”प्रोटीन की आवश्यकता आपकी शारीरिक गतिविधियों या किसी बीमारी के आधार पर भिन्न हो सकती है।”
–आईएएनएस
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