नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शुक्रवार को संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में बताया गया कि देश में मार्च 2024 तक ऑपरेशनल किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की संख्या 7.75 करोड़ थी और बकाया लोन की राशि 9.81 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई है।
केसीसी का बढ़ना दिखाता है कि सरकार द्वारा किसानों (छोटे और सीमांत किसान एवं समाज के कमजोर वर्ग) को पर्याप्त क्रेडिट सपोर्ट दिया रहा है। यह कृषि सेक्टर की उत्पादकता और आय बढ़ाने के लिए काफी जरूरी है।
आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया कि 1.24 लाख केसीसी और 44.40 लाख केसीसी मत्स्य पालन और पशुपालन गतिविधियों में शामिल लोगों को जारी किए गए हैं।
वित्त वर्ष 2024-25 की शुरुआत से संशोधित ब्याज सबवेंशन स्कीम (एमआईएसएस) दावों के तेज और अधिक कुशल कैप्चरिंग एवं निपटान के लिए एमआईएसएस के तहत क्लेम प्रोसेसिंग को किसान रिन पोर्टल (केआरपी) के माध्यम से डिजिटलीकृत किया गया है। 31 दिसंबर 2024 तक 1 लाख करोड़ से ज्यादा दावों का निपटारा किया जा चुका है। वर्तमान में एमआईएसएस-केसीसी योजना के तहत लगभग 5.9 करोड़ किसान लाभान्वित हो रहे हैं, उन्हें केआरपी के माध्यम से मैप किया गया है।
सरकार ने निर्देश दिया है कि छोटे और सीमांत किसानों को और अधिक समर्थन देने के लिए बैंकों को अपने समायोजित नेट बैंक क्रेडिट का 40 प्रतिशत या ऑफ-बैलेंस शीट एक्सपोजर की क्रेडिट समतुल्य राशि, जो भी अधिक हो, कृषि सहित प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को आवंटित करना होगा।
सर्वेक्षण में आगे कहा गया कि इन उपायों ने गैर-संस्थागत ऋण स्रोतों पर निर्भरता को 1950 में 90 प्रतिशत से घटाकर वित्त वर्ष 2022 में लगभग 25 प्रतिशत कर दिया है।
यह इस बात को भी दर्शाता है कि कृषि के लिए ग्राउंड-लेवल क्रेडिट (जीएलसी) में भी 2014-15 से 2024-25 तक 12.98 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) के साथ मजबूत वृद्धि देखी गई है। जीएलसी 2014-15 में 8.45 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 25.48 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इसमें छोटे और सीमांत किसानों की हिस्सेदारी 2014-15 से 2023-24 तक 3.46 लाख करोड़ रुपये (41 प्रतिशत) से बढ़कर 14.39 लाख करोड़ रुपये (57 प्रतिशत) हो गई है।
–आईएएनएस
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