कोलकाता, 14 जून (आईएएनएस)। राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस द्वारा राज्य के 11 विश्वविद्यालयों में नियुक्त अंतरिम कुलपतियों के वेतन और भत्तों का भुगतान रोकने के पश्चिम बंगाल सरकार के फैसले की राजभवन के साथ-साथ शैक्षणिक हलकों ने कड़ी आलोचना की है।
मामले में अपना रुख स्पष्ट करते हुए राजभवन ने एक बयान जारी कर दावा किया है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय में मामला दायर होने के बाद से राज्य सरकार ने जल्दबाजी में काम किया है।
राजभवन ने कहा कि अदालत की अनदेखी कर जल्दबाजी में ऐसा फैसला लेने के लिए राज्य सरकार को बाद में पछताना पड़ेगा।
जादवपुर यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (जुटा) के महासचिव पार्थ प्रतिम रॉय के अनुसार, कुलपतियों के वेतन भुगतान पर रोक लगाने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा दबाव की रणनीति के माध्यम से उच्च शिक्षा संस्थानों पर पूर्ण नियंत्रण हासिल करने के बेशर्म प्रयास को दर्शाता है।
उन्होंने कहा, इससे शैक्षिक संस्थानों पर राज्य सरकार का पूर्ण नियंत्रण हो सकता है, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार नहीं होगा। राजभवन और राज्य शिक्षा विभाग के बीच का झगड़ा अंतत: राज्य में शिक्षा क्षेत्र के माहौल को खराब कर रहा है।
कलकत्ता विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के महासचिव सनातन चट्टोपाध्याय के प्रतिध्वनि रॉय ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुलपति राजभवन और राज्य सचिवालय के बीच की खींचतान के शिकार हो गए हैं।
उन्होंने कहा, राज्य का शिक्षा क्षेत्र लंबे समय से इस अवांछित झगड़े के कारण पीड़ित था। शिक्षा प्रणाली को इस झगड़े से मुक्त करने की जरूरत है। वेतन और भत्तों का भुगतान रोकने का निर्णय निंदनीय है।
राज्य सरकार और राजभवन के बीच तनाव जल्द ही बढ़ने लगा, जब राज्यपाल ने सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होने के नाते 11 राज्य विश्वविद्यालयों के लिए कुलपति नियुक्त किए। राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने तुरंत इन 11 कुलपतियों से ड्यूटी नहीं करने की अपील जारी की, क्योंकि उनकी नियुक्तियां राज्य शिक्षा विभाग की सहमति के बिना की गई थीं।
हालांकि, उनकी अपील को नजरअंदाज करते हुए 11 में से 10 कुलपतियों ने राज्य के शिक्षा मंत्री की दलील को नजरअंदाज कर दिया और गवर्नर हाउस के निर्देशानुसार अपनी ड्यूटी शुरू कर दी। राज्य के शिक्षा मंत्री ने तुरंत मीडिया हाउस को बताया कि उनका विभाग इन नियुक्तियों को मंजूरी नहीं देता है।
इस बीच, इन कुलपतियों की नियुक्तियों को चुनौती देते हुए एक सेवानिवृत्त कॉलेज शिक्षक द्वारा कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका भी दायर की गई है।
–आईएएनएस
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