भुवनेश्वर,1 मई (आईएएनएस)। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में बुधवार को जातिगत जनगणना कराने का फैसला लिया गया है। केंद्र के इस फैसले पर बीजू जनता दल (बीजेडी) के वरिष्ठ नेता भृगु बक्शीपात्रा ने कहा कि यह कदम देश की सामाजिक संरचना को समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण शुरुआत है। उन्होंने इसे विपक्षी दलों के लंबे समय से चल रहे दबाव का नतीजा बताया।
भृगु बक्शीपात्रा ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि जैसा कि आप जानते हैं, बीजू जनता दल समेत देश के लगभग सभी विपक्षी दल केंद्र सरकार से लगातार जातिगत जनगणना कराने की मांग कर रहे थे। बीजेडी ने वर्ष 2011 में इस मुद्दे पर जोरदार तरीके से केंद्र सरकार पर दबाव बनाया था और तब से लेकर अब तक हमने पत्र लिखकर, विभिन्न मंचों पर आवाज उठाकर अपनी मांग को दोहराया है। ओडिशा में नवीन पटनायक सरकार के कार्यकाल में राज्य स्तर पर जातिगत सर्वेक्षण की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन उस वक्त केंद्र सरकार ने उस प्रयास को स्वीकार नहीं किया और कहा था कि सभी सर्वेक्षण केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार होने चाहिए।
केंद्र सरकार के फैसले को स्वागत योग्य करार देते हुए बक्शीपात्रा ने कहा कि यह खुशी की बात है कि केंद्र सरकार ने बीजेडी और अन्य राजनीतिक दलों के दबाव के आगे झुकते हुए आज की कैबिनेट बैठक में जातिगत जनगणना कराने का फैसला किया है। हालांकि, हम अब इस प्रक्रिया की विस्तृत रूपरेखा और दिशा-निर्देशों की प्रतीक्षा करेंगे। उन्होंने यह भी मांग की कि केंद्र सरकार सभी राजनीतिक दलों को चर्चा के लिए बुलाए और इस जनगणना की प्रक्रिया, उसके उद्देश्यों और क्रियान्वयन की रणनीति को साझा करे।
भृगु बक्शीपात्रा ने आगे कहा कि यह कोई नई मांग नहीं है, बल्कि देवेगौड़ा सरकार के समय भी इसे कैबिनेट में मंजूरी दी गई थी, लेकिन बाद की सरकारें इसे लागू करने में विफल रहीं। हम आशा करते हैं कि इस बार सरकार अपने फैसले पर कायम रहेगी और जातिगत जनगणना को साकार करेगी। जातिगत जनगणना देश के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को स्पष्ट करने में मदद करेगी और विभिन्न जातियों तक विकास योजनाओं को प्रभावी रूप से पहुंचाने में सहायक सिद्ध होगी। यह एक सकारात्मक कदम है और हम इसका स्वागत करते हैं।
–आईएएनएस
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