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केंद्रीय मंत्री शेखावत बोले : राजस्थान के सीएम मेरा राजनीतिक चरित्र खत्म करना चाहते हैं

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February 21, 2023
in राष्ट्रीय
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केंद्रीय मंत्री शेखावत बोले :  राजस्थान के सीएम मेरा राजनीतिक चरित्र खत्म करना चाहते हैं
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जयपुर, 20 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोमवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर पलटवार करते हुए कहा कि वह उनके चरित्र की हत्या कर उन्हें राजनीतिक रूप से कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं और जांच एजेंसी का इस्तेमाल एक औजार के रूप में कर रहे हैं।

शेखावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और कई अन्य राज्यों में संचालित होती है।

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केंद्रीय मंत्री ने कहा, जब सोसायटी का रजिस्ट्रेशन हुआ था, उस वक्त राजस्थान और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। 2013 में सोसायटी को मल्टी स्टेट कैटेगरी का दर्जा भी मिला था, उस वक्त भी दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी।

कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए शेखावत ने कहा कि 2018 में क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के निदेशक और घोटाले के मुख्य आरोपी पचपदरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की पूरी कोशिश कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के खिलाफ 23 अगस्त, 2019 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और राजस्थान सरकार के अधीन काम करने वाली पुलिस ने मामले की जांच की थी।

इस मामले में पहली चार्जशीट दिसंबर 2019, दूसरी फरवरी 2020 और तीसरी 7 फरवरी 2023 को दाखिल की गई थी।

शेखावत ने आगे कहा, इन हजारों पन्नों की चार्जशीट में न तो मुझे और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य को आरोपी बनाया गया है, ऐसे में क्या मुख्यमंत्री सरेआम झूठ बोलकर पुलिस को कोई संकेत दे रहे हैं?

उन्होंने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री गहलोत अपने बेटे की हार का गुस्सा निकाल रहे हैं?

गहलोत ने रविवार को शेखावत को जेड-सुरक्षा दिए जाने पर हमला बोला था।

उन्होंने कहा था, गजेंद्र सिंह शेखावत ने केंद्र सरकार से जेड सुरक्षा ली है। क्या जरूरत थी कि उन्हें जेड सुरक्षा दी गई? अगर उन्हें किसी से खतरा था, तो उन्हें इस संबंध में हमें पहले बताना चाहिए था, हम उन्हें सुरक्षा प्रदान करते। ऐसा लगता है कि इस मामले में एसओजी द्वारा गिरफ्तारी के डर से उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई गई है।

शेखावत ने गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा, अदालत के आदेश के बावजूद उन्होंने मुझे भगोड़ा कहा और कहा कि मैं जांच में सहयोग नहीं कर रहा हूं। मुझे कई संज्ञाएं दीं, मुझे नालायक, अक्षम और यहां तक कि कायर भी कहा। उन्होंने मुझे वो सारी संज्ञाएं दे दीं, जो उन्होंने कोविड-19 में अपनी पार्टी के नेता को दी थी।

उन्होंने कहा, साढ़े तीन से चार साल की जांच के दौरान एसओजी ने मुझ पर आरोप नहीं लगाया, लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने साढ़े तीन घंटे के भाषण में मुझ पर आरोप लगाया।

शेखावत ने मुख्यमंत्री गहलोत के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने निवेशकों का पैसा वापस पाने के लिए कानून में संशोधन की बात कही थी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री को किसी भी तरह के कानून में संशोधन की जरूरत नहीं है। देश की संसद ने 2019 में एक कानून पारित किया है, जिसे केवल लागू करने की जरूरत है।

2019 में संसद ने अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम, 2019 पारित किया था। संसद में पारित होने के बाद इस कानून को पूरे देश में लागू किया गया।

इस अधिनियम के तहत कंपनी, सोसायटी, चिटफंड कंपनी आदि द्वारा की गई धोखाधड़ी में निवेशकों का पैसा वापस लाना सुनिश्चित किया गया है।

अधिनियम में ऐसे मामलों में प्राथमिकी दर्ज होते ही सक्षम प्राधिकारी को सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं। देश के कई राज्यों ने एक सक्षम प्राधिकारी नियुक्त किया है, लेकिन अब तक राजस्थान सरकार ऐसा नहीं कर पाई है।

एक्ट में ऐसे मामलों की जांच सीबीआई से कराने की बात कही गई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर राजस्थान सरकार निवेशकों का पैसा वापस लाने को लेकर गंभीर है, तो उसे संसद द्वारा पारित कानून को तुरंत लागू करना चाहिए।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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जयपुर, 20 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोमवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर पलटवार करते हुए कहा कि वह उनके चरित्र की हत्या कर उन्हें राजनीतिक रूप से कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं और जांच एजेंसी का इस्तेमाल एक औजार के रूप में कर रहे हैं।

शेखावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और कई अन्य राज्यों में संचालित होती है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, जब सोसायटी का रजिस्ट्रेशन हुआ था, उस वक्त राजस्थान और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। 2013 में सोसायटी को मल्टी स्टेट कैटेगरी का दर्जा भी मिला था, उस वक्त भी दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी।

कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए शेखावत ने कहा कि 2018 में क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के निदेशक और घोटाले के मुख्य आरोपी पचपदरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की पूरी कोशिश कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के खिलाफ 23 अगस्त, 2019 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और राजस्थान सरकार के अधीन काम करने वाली पुलिस ने मामले की जांच की थी।

इस मामले में पहली चार्जशीट दिसंबर 2019, दूसरी फरवरी 2020 और तीसरी 7 फरवरी 2023 को दाखिल की गई थी।

शेखावत ने आगे कहा, इन हजारों पन्नों की चार्जशीट में न तो मुझे और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य को आरोपी बनाया गया है, ऐसे में क्या मुख्यमंत्री सरेआम झूठ बोलकर पुलिस को कोई संकेत दे रहे हैं?

उन्होंने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री गहलोत अपने बेटे की हार का गुस्सा निकाल रहे हैं?

गहलोत ने रविवार को शेखावत को जेड-सुरक्षा दिए जाने पर हमला बोला था।

उन्होंने कहा था, गजेंद्र सिंह शेखावत ने केंद्र सरकार से जेड सुरक्षा ली है। क्या जरूरत थी कि उन्हें जेड सुरक्षा दी गई? अगर उन्हें किसी से खतरा था, तो उन्हें इस संबंध में हमें पहले बताना चाहिए था, हम उन्हें सुरक्षा प्रदान करते। ऐसा लगता है कि इस मामले में एसओजी द्वारा गिरफ्तारी के डर से उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई गई है।

शेखावत ने गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा, अदालत के आदेश के बावजूद उन्होंने मुझे भगोड़ा कहा और कहा कि मैं जांच में सहयोग नहीं कर रहा हूं। मुझे कई संज्ञाएं दीं, मुझे नालायक, अक्षम और यहां तक कि कायर भी कहा। उन्होंने मुझे वो सारी संज्ञाएं दे दीं, जो उन्होंने कोविड-19 में अपनी पार्टी के नेता को दी थी।

उन्होंने कहा, साढ़े तीन से चार साल की जांच के दौरान एसओजी ने मुझ पर आरोप नहीं लगाया, लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने साढ़े तीन घंटे के भाषण में मुझ पर आरोप लगाया।

शेखावत ने मुख्यमंत्री गहलोत के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने निवेशकों का पैसा वापस पाने के लिए कानून में संशोधन की बात कही थी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री को किसी भी तरह के कानून में संशोधन की जरूरत नहीं है। देश की संसद ने 2019 में एक कानून पारित किया है, जिसे केवल लागू करने की जरूरत है।

2019 में संसद ने अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम, 2019 पारित किया था। संसद में पारित होने के बाद इस कानून को पूरे देश में लागू किया गया।

इस अधिनियम के तहत कंपनी, सोसायटी, चिटफंड कंपनी आदि द्वारा की गई धोखाधड़ी में निवेशकों का पैसा वापस लाना सुनिश्चित किया गया है।

अधिनियम में ऐसे मामलों में प्राथमिकी दर्ज होते ही सक्षम प्राधिकारी को सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं। देश के कई राज्यों ने एक सक्षम प्राधिकारी नियुक्त किया है, लेकिन अब तक राजस्थान सरकार ऐसा नहीं कर पाई है।

एक्ट में ऐसे मामलों की जांच सीबीआई से कराने की बात कही गई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर राजस्थान सरकार निवेशकों का पैसा वापस लाने को लेकर गंभीर है, तो उसे संसद द्वारा पारित कानून को तुरंत लागू करना चाहिए।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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जयपुर, 20 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोमवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर पलटवार करते हुए कहा कि वह उनके चरित्र की हत्या कर उन्हें राजनीतिक रूप से कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं और जांच एजेंसी का इस्तेमाल एक औजार के रूप में कर रहे हैं।

शेखावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और कई अन्य राज्यों में संचालित होती है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, जब सोसायटी का रजिस्ट्रेशन हुआ था, उस वक्त राजस्थान और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। 2013 में सोसायटी को मल्टी स्टेट कैटेगरी का दर्जा भी मिला था, उस वक्त भी दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी।

कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए शेखावत ने कहा कि 2018 में क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के निदेशक और घोटाले के मुख्य आरोपी पचपदरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की पूरी कोशिश कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के खिलाफ 23 अगस्त, 2019 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और राजस्थान सरकार के अधीन काम करने वाली पुलिस ने मामले की जांच की थी।

इस मामले में पहली चार्जशीट दिसंबर 2019, दूसरी फरवरी 2020 और तीसरी 7 फरवरी 2023 को दाखिल की गई थी।

शेखावत ने आगे कहा, इन हजारों पन्नों की चार्जशीट में न तो मुझे और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य को आरोपी बनाया गया है, ऐसे में क्या मुख्यमंत्री सरेआम झूठ बोलकर पुलिस को कोई संकेत दे रहे हैं?

उन्होंने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री गहलोत अपने बेटे की हार का गुस्सा निकाल रहे हैं?

गहलोत ने रविवार को शेखावत को जेड-सुरक्षा दिए जाने पर हमला बोला था।

उन्होंने कहा था, गजेंद्र सिंह शेखावत ने केंद्र सरकार से जेड सुरक्षा ली है। क्या जरूरत थी कि उन्हें जेड सुरक्षा दी गई? अगर उन्हें किसी से खतरा था, तो उन्हें इस संबंध में हमें पहले बताना चाहिए था, हम उन्हें सुरक्षा प्रदान करते। ऐसा लगता है कि इस मामले में एसओजी द्वारा गिरफ्तारी के डर से उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई गई है।

शेखावत ने गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा, अदालत के आदेश के बावजूद उन्होंने मुझे भगोड़ा कहा और कहा कि मैं जांच में सहयोग नहीं कर रहा हूं। मुझे कई संज्ञाएं दीं, मुझे नालायक, अक्षम और यहां तक कि कायर भी कहा। उन्होंने मुझे वो सारी संज्ञाएं दे दीं, जो उन्होंने कोविड-19 में अपनी पार्टी के नेता को दी थी।

उन्होंने कहा, साढ़े तीन से चार साल की जांच के दौरान एसओजी ने मुझ पर आरोप नहीं लगाया, लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने साढ़े तीन घंटे के भाषण में मुझ पर आरोप लगाया।

शेखावत ने मुख्यमंत्री गहलोत के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने निवेशकों का पैसा वापस पाने के लिए कानून में संशोधन की बात कही थी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री को किसी भी तरह के कानून में संशोधन की जरूरत नहीं है। देश की संसद ने 2019 में एक कानून पारित किया है, जिसे केवल लागू करने की जरूरत है।

2019 में संसद ने अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम, 2019 पारित किया था। संसद में पारित होने के बाद इस कानून को पूरे देश में लागू किया गया।

इस अधिनियम के तहत कंपनी, सोसायटी, चिटफंड कंपनी आदि द्वारा की गई धोखाधड़ी में निवेशकों का पैसा वापस लाना सुनिश्चित किया गया है।

अधिनियम में ऐसे मामलों में प्राथमिकी दर्ज होते ही सक्षम प्राधिकारी को सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं। देश के कई राज्यों ने एक सक्षम प्राधिकारी नियुक्त किया है, लेकिन अब तक राजस्थान सरकार ऐसा नहीं कर पाई है।

एक्ट में ऐसे मामलों की जांच सीबीआई से कराने की बात कही गई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर राजस्थान सरकार निवेशकों का पैसा वापस लाने को लेकर गंभीर है, तो उसे संसद द्वारा पारित कानून को तुरंत लागू करना चाहिए।

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जयपुर, 20 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोमवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर पलटवार करते हुए कहा कि वह उनके चरित्र की हत्या कर उन्हें राजनीतिक रूप से कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं और जांच एजेंसी का इस्तेमाल एक औजार के रूप में कर रहे हैं।

शेखावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और कई अन्य राज्यों में संचालित होती है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, जब सोसायटी का रजिस्ट्रेशन हुआ था, उस वक्त राजस्थान और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। 2013 में सोसायटी को मल्टी स्टेट कैटेगरी का दर्जा भी मिला था, उस वक्त भी दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी।

कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए शेखावत ने कहा कि 2018 में क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के निदेशक और घोटाले के मुख्य आरोपी पचपदरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की पूरी कोशिश कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के खिलाफ 23 अगस्त, 2019 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और राजस्थान सरकार के अधीन काम करने वाली पुलिस ने मामले की जांच की थी।

इस मामले में पहली चार्जशीट दिसंबर 2019, दूसरी फरवरी 2020 और तीसरी 7 फरवरी 2023 को दाखिल की गई थी।

शेखावत ने आगे कहा, इन हजारों पन्नों की चार्जशीट में न तो मुझे और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य को आरोपी बनाया गया है, ऐसे में क्या मुख्यमंत्री सरेआम झूठ बोलकर पुलिस को कोई संकेत दे रहे हैं?

उन्होंने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री गहलोत अपने बेटे की हार का गुस्सा निकाल रहे हैं?

गहलोत ने रविवार को शेखावत को जेड-सुरक्षा दिए जाने पर हमला बोला था।

उन्होंने कहा था, गजेंद्र सिंह शेखावत ने केंद्र सरकार से जेड सुरक्षा ली है। क्या जरूरत थी कि उन्हें जेड सुरक्षा दी गई? अगर उन्हें किसी से खतरा था, तो उन्हें इस संबंध में हमें पहले बताना चाहिए था, हम उन्हें सुरक्षा प्रदान करते। ऐसा लगता है कि इस मामले में एसओजी द्वारा गिरफ्तारी के डर से उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई गई है।

शेखावत ने गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा, अदालत के आदेश के बावजूद उन्होंने मुझे भगोड़ा कहा और कहा कि मैं जांच में सहयोग नहीं कर रहा हूं। मुझे कई संज्ञाएं दीं, मुझे नालायक, अक्षम और यहां तक कि कायर भी कहा। उन्होंने मुझे वो सारी संज्ञाएं दे दीं, जो उन्होंने कोविड-19 में अपनी पार्टी के नेता को दी थी।

उन्होंने कहा, साढ़े तीन से चार साल की जांच के दौरान एसओजी ने मुझ पर आरोप नहीं लगाया, लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने साढ़े तीन घंटे के भाषण में मुझ पर आरोप लगाया।

शेखावत ने मुख्यमंत्री गहलोत के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने निवेशकों का पैसा वापस पाने के लिए कानून में संशोधन की बात कही थी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री को किसी भी तरह के कानून में संशोधन की जरूरत नहीं है। देश की संसद ने 2019 में एक कानून पारित किया है, जिसे केवल लागू करने की जरूरत है।

2019 में संसद ने अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम, 2019 पारित किया था। संसद में पारित होने के बाद इस कानून को पूरे देश में लागू किया गया।

इस अधिनियम के तहत कंपनी, सोसायटी, चिटफंड कंपनी आदि द्वारा की गई धोखाधड़ी में निवेशकों का पैसा वापस लाना सुनिश्चित किया गया है।

अधिनियम में ऐसे मामलों में प्राथमिकी दर्ज होते ही सक्षम प्राधिकारी को सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं। देश के कई राज्यों ने एक सक्षम प्राधिकारी नियुक्त किया है, लेकिन अब तक राजस्थान सरकार ऐसा नहीं कर पाई है।

एक्ट में ऐसे मामलों की जांच सीबीआई से कराने की बात कही गई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर राजस्थान सरकार निवेशकों का पैसा वापस लाने को लेकर गंभीर है, तो उसे संसद द्वारा पारित कानून को तुरंत लागू करना चाहिए।

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जयपुर, 20 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोमवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर पलटवार करते हुए कहा कि वह उनके चरित्र की हत्या कर उन्हें राजनीतिक रूप से कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं और जांच एजेंसी का इस्तेमाल एक औजार के रूप में कर रहे हैं।

शेखावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और कई अन्य राज्यों में संचालित होती है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, जब सोसायटी का रजिस्ट्रेशन हुआ था, उस वक्त राजस्थान और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। 2013 में सोसायटी को मल्टी स्टेट कैटेगरी का दर्जा भी मिला था, उस वक्त भी दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी।

कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए शेखावत ने कहा कि 2018 में क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के निदेशक और घोटाले के मुख्य आरोपी पचपदरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की पूरी कोशिश कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के खिलाफ 23 अगस्त, 2019 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और राजस्थान सरकार के अधीन काम करने वाली पुलिस ने मामले की जांच की थी।

इस मामले में पहली चार्जशीट दिसंबर 2019, दूसरी फरवरी 2020 और तीसरी 7 फरवरी 2023 को दाखिल की गई थी।

शेखावत ने आगे कहा, इन हजारों पन्नों की चार्जशीट में न तो मुझे और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य को आरोपी बनाया गया है, ऐसे में क्या मुख्यमंत्री सरेआम झूठ बोलकर पुलिस को कोई संकेत दे रहे हैं?

उन्होंने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री गहलोत अपने बेटे की हार का गुस्सा निकाल रहे हैं?

गहलोत ने रविवार को शेखावत को जेड-सुरक्षा दिए जाने पर हमला बोला था।

उन्होंने कहा था, गजेंद्र सिंह शेखावत ने केंद्र सरकार से जेड सुरक्षा ली है। क्या जरूरत थी कि उन्हें जेड सुरक्षा दी गई? अगर उन्हें किसी से खतरा था, तो उन्हें इस संबंध में हमें पहले बताना चाहिए था, हम उन्हें सुरक्षा प्रदान करते। ऐसा लगता है कि इस मामले में एसओजी द्वारा गिरफ्तारी के डर से उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई गई है।

शेखावत ने गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा, अदालत के आदेश के बावजूद उन्होंने मुझे भगोड़ा कहा और कहा कि मैं जांच में सहयोग नहीं कर रहा हूं। मुझे कई संज्ञाएं दीं, मुझे नालायक, अक्षम और यहां तक कि कायर भी कहा। उन्होंने मुझे वो सारी संज्ञाएं दे दीं, जो उन्होंने कोविड-19 में अपनी पार्टी के नेता को दी थी।

उन्होंने कहा, साढ़े तीन से चार साल की जांच के दौरान एसओजी ने मुझ पर आरोप नहीं लगाया, लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने साढ़े तीन घंटे के भाषण में मुझ पर आरोप लगाया।

शेखावत ने मुख्यमंत्री गहलोत के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने निवेशकों का पैसा वापस पाने के लिए कानून में संशोधन की बात कही थी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री को किसी भी तरह के कानून में संशोधन की जरूरत नहीं है। देश की संसद ने 2019 में एक कानून पारित किया है, जिसे केवल लागू करने की जरूरत है।

2019 में संसद ने अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम, 2019 पारित किया था। संसद में पारित होने के बाद इस कानून को पूरे देश में लागू किया गया।

इस अधिनियम के तहत कंपनी, सोसायटी, चिटफंड कंपनी आदि द्वारा की गई धोखाधड़ी में निवेशकों का पैसा वापस लाना सुनिश्चित किया गया है।

अधिनियम में ऐसे मामलों में प्राथमिकी दर्ज होते ही सक्षम प्राधिकारी को सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं। देश के कई राज्यों ने एक सक्षम प्राधिकारी नियुक्त किया है, लेकिन अब तक राजस्थान सरकार ऐसा नहीं कर पाई है।

एक्ट में ऐसे मामलों की जांच सीबीआई से कराने की बात कही गई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर राजस्थान सरकार निवेशकों का पैसा वापस लाने को लेकर गंभीर है, तो उसे संसद द्वारा पारित कानून को तुरंत लागू करना चाहिए।

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शेखावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और कई अन्य राज्यों में संचालित होती है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, जब सोसायटी का रजिस्ट्रेशन हुआ था, उस वक्त राजस्थान और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। 2013 में सोसायटी को मल्टी स्टेट कैटेगरी का दर्जा भी मिला था, उस वक्त भी दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी।

कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए शेखावत ने कहा कि 2018 में क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के निदेशक और घोटाले के मुख्य आरोपी पचपदरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की पूरी कोशिश कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के खिलाफ 23 अगस्त, 2019 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और राजस्थान सरकार के अधीन काम करने वाली पुलिस ने मामले की जांच की थी।

इस मामले में पहली चार्जशीट दिसंबर 2019, दूसरी फरवरी 2020 और तीसरी 7 फरवरी 2023 को दाखिल की गई थी।

शेखावत ने आगे कहा, इन हजारों पन्नों की चार्जशीट में न तो मुझे और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य को आरोपी बनाया गया है, ऐसे में क्या मुख्यमंत्री सरेआम झूठ बोलकर पुलिस को कोई संकेत दे रहे हैं?

उन्होंने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री गहलोत अपने बेटे की हार का गुस्सा निकाल रहे हैं?

गहलोत ने रविवार को शेखावत को जेड-सुरक्षा दिए जाने पर हमला बोला था।

उन्होंने कहा था, गजेंद्र सिंह शेखावत ने केंद्र सरकार से जेड सुरक्षा ली है। क्या जरूरत थी कि उन्हें जेड सुरक्षा दी गई? अगर उन्हें किसी से खतरा था, तो उन्हें इस संबंध में हमें पहले बताना चाहिए था, हम उन्हें सुरक्षा प्रदान करते। ऐसा लगता है कि इस मामले में एसओजी द्वारा गिरफ्तारी के डर से उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई गई है।

शेखावत ने गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा, अदालत के आदेश के बावजूद उन्होंने मुझे भगोड़ा कहा और कहा कि मैं जांच में सहयोग नहीं कर रहा हूं। मुझे कई संज्ञाएं दीं, मुझे नालायक, अक्षम और यहां तक कि कायर भी कहा। उन्होंने मुझे वो सारी संज्ञाएं दे दीं, जो उन्होंने कोविड-19 में अपनी पार्टी के नेता को दी थी।

उन्होंने कहा, साढ़े तीन से चार साल की जांच के दौरान एसओजी ने मुझ पर आरोप नहीं लगाया, लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने साढ़े तीन घंटे के भाषण में मुझ पर आरोप लगाया।

शेखावत ने मुख्यमंत्री गहलोत के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने निवेशकों का पैसा वापस पाने के लिए कानून में संशोधन की बात कही थी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री को किसी भी तरह के कानून में संशोधन की जरूरत नहीं है। देश की संसद ने 2019 में एक कानून पारित किया है, जिसे केवल लागू करने की जरूरत है।

2019 में संसद ने अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम, 2019 पारित किया था। संसद में पारित होने के बाद इस कानून को पूरे देश में लागू किया गया।

इस अधिनियम के तहत कंपनी, सोसायटी, चिटफंड कंपनी आदि द्वारा की गई धोखाधड़ी में निवेशकों का पैसा वापस लाना सुनिश्चित किया गया है।

अधिनियम में ऐसे मामलों में प्राथमिकी दर्ज होते ही सक्षम प्राधिकारी को सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं। देश के कई राज्यों ने एक सक्षम प्राधिकारी नियुक्त किया है, लेकिन अब तक राजस्थान सरकार ऐसा नहीं कर पाई है।

एक्ट में ऐसे मामलों की जांच सीबीआई से कराने की बात कही गई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर राजस्थान सरकार निवेशकों का पैसा वापस लाने को लेकर गंभीर है, तो उसे संसद द्वारा पारित कानून को तुरंत लागू करना चाहिए।

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जयपुर, 20 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोमवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर पलटवार करते हुए कहा कि वह उनके चरित्र की हत्या कर उन्हें राजनीतिक रूप से कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं और जांच एजेंसी का इस्तेमाल एक औजार के रूप में कर रहे हैं।

शेखावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और कई अन्य राज्यों में संचालित होती है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, जब सोसायटी का रजिस्ट्रेशन हुआ था, उस वक्त राजस्थान और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। 2013 में सोसायटी को मल्टी स्टेट कैटेगरी का दर्जा भी मिला था, उस वक्त भी दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी।

कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए शेखावत ने कहा कि 2018 में क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के निदेशक और घोटाले के मुख्य आरोपी पचपदरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की पूरी कोशिश कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के खिलाफ 23 अगस्त, 2019 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और राजस्थान सरकार के अधीन काम करने वाली पुलिस ने मामले की जांच की थी।

इस मामले में पहली चार्जशीट दिसंबर 2019, दूसरी फरवरी 2020 और तीसरी 7 फरवरी 2023 को दाखिल की गई थी।

शेखावत ने आगे कहा, इन हजारों पन्नों की चार्जशीट में न तो मुझे और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य को आरोपी बनाया गया है, ऐसे में क्या मुख्यमंत्री सरेआम झूठ बोलकर पुलिस को कोई संकेत दे रहे हैं?

उन्होंने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री गहलोत अपने बेटे की हार का गुस्सा निकाल रहे हैं?

गहलोत ने रविवार को शेखावत को जेड-सुरक्षा दिए जाने पर हमला बोला था।

उन्होंने कहा था, गजेंद्र सिंह शेखावत ने केंद्र सरकार से जेड सुरक्षा ली है। क्या जरूरत थी कि उन्हें जेड सुरक्षा दी गई? अगर उन्हें किसी से खतरा था, तो उन्हें इस संबंध में हमें पहले बताना चाहिए था, हम उन्हें सुरक्षा प्रदान करते। ऐसा लगता है कि इस मामले में एसओजी द्वारा गिरफ्तारी के डर से उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई गई है।

शेखावत ने गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा, अदालत के आदेश के बावजूद उन्होंने मुझे भगोड़ा कहा और कहा कि मैं जांच में सहयोग नहीं कर रहा हूं। मुझे कई संज्ञाएं दीं, मुझे नालायक, अक्षम और यहां तक कि कायर भी कहा। उन्होंने मुझे वो सारी संज्ञाएं दे दीं, जो उन्होंने कोविड-19 में अपनी पार्टी के नेता को दी थी।

उन्होंने कहा, साढ़े तीन से चार साल की जांच के दौरान एसओजी ने मुझ पर आरोप नहीं लगाया, लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने साढ़े तीन घंटे के भाषण में मुझ पर आरोप लगाया।

शेखावत ने मुख्यमंत्री गहलोत के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने निवेशकों का पैसा वापस पाने के लिए कानून में संशोधन की बात कही थी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री को किसी भी तरह के कानून में संशोधन की जरूरत नहीं है। देश की संसद ने 2019 में एक कानून पारित किया है, जिसे केवल लागू करने की जरूरत है।

2019 में संसद ने अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम, 2019 पारित किया था। संसद में पारित होने के बाद इस कानून को पूरे देश में लागू किया गया।

इस अधिनियम के तहत कंपनी, सोसायटी, चिटफंड कंपनी आदि द्वारा की गई धोखाधड़ी में निवेशकों का पैसा वापस लाना सुनिश्चित किया गया है।

अधिनियम में ऐसे मामलों में प्राथमिकी दर्ज होते ही सक्षम प्राधिकारी को सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं। देश के कई राज्यों ने एक सक्षम प्राधिकारी नियुक्त किया है, लेकिन अब तक राजस्थान सरकार ऐसा नहीं कर पाई है।

एक्ट में ऐसे मामलों की जांच सीबीआई से कराने की बात कही गई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर राजस्थान सरकार निवेशकों का पैसा वापस लाने को लेकर गंभीर है, तो उसे संसद द्वारा पारित कानून को तुरंत लागू करना चाहिए।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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जयपुर, 20 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोमवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर पलटवार करते हुए कहा कि वह उनके चरित्र की हत्या कर उन्हें राजनीतिक रूप से कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं और जांच एजेंसी का इस्तेमाल एक औजार के रूप में कर रहे हैं।

शेखावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और कई अन्य राज्यों में संचालित होती है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, जब सोसायटी का रजिस्ट्रेशन हुआ था, उस वक्त राजस्थान और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। 2013 में सोसायटी को मल्टी स्टेट कैटेगरी का दर्जा भी मिला था, उस वक्त भी दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी।

कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए शेखावत ने कहा कि 2018 में क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के निदेशक और घोटाले के मुख्य आरोपी पचपदरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की पूरी कोशिश कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के खिलाफ 23 अगस्त, 2019 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और राजस्थान सरकार के अधीन काम करने वाली पुलिस ने मामले की जांच की थी।

इस मामले में पहली चार्जशीट दिसंबर 2019, दूसरी फरवरी 2020 और तीसरी 7 फरवरी 2023 को दाखिल की गई थी।

शेखावत ने आगे कहा, इन हजारों पन्नों की चार्जशीट में न तो मुझे और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य को आरोपी बनाया गया है, ऐसे में क्या मुख्यमंत्री सरेआम झूठ बोलकर पुलिस को कोई संकेत दे रहे हैं?

उन्होंने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री गहलोत अपने बेटे की हार का गुस्सा निकाल रहे हैं?

गहलोत ने रविवार को शेखावत को जेड-सुरक्षा दिए जाने पर हमला बोला था।

उन्होंने कहा था, गजेंद्र सिंह शेखावत ने केंद्र सरकार से जेड सुरक्षा ली है। क्या जरूरत थी कि उन्हें जेड सुरक्षा दी गई? अगर उन्हें किसी से खतरा था, तो उन्हें इस संबंध में हमें पहले बताना चाहिए था, हम उन्हें सुरक्षा प्रदान करते। ऐसा लगता है कि इस मामले में एसओजी द्वारा गिरफ्तारी के डर से उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई गई है।

शेखावत ने गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा, अदालत के आदेश के बावजूद उन्होंने मुझे भगोड़ा कहा और कहा कि मैं जांच में सहयोग नहीं कर रहा हूं। मुझे कई संज्ञाएं दीं, मुझे नालायक, अक्षम और यहां तक कि कायर भी कहा। उन्होंने मुझे वो सारी संज्ञाएं दे दीं, जो उन्होंने कोविड-19 में अपनी पार्टी के नेता को दी थी।

उन्होंने कहा, साढ़े तीन से चार साल की जांच के दौरान एसओजी ने मुझ पर आरोप नहीं लगाया, लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने साढ़े तीन घंटे के भाषण में मुझ पर आरोप लगाया।

शेखावत ने मुख्यमंत्री गहलोत के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने निवेशकों का पैसा वापस पाने के लिए कानून में संशोधन की बात कही थी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री को किसी भी तरह के कानून में संशोधन की जरूरत नहीं है। देश की संसद ने 2019 में एक कानून पारित किया है, जिसे केवल लागू करने की जरूरत है।

2019 में संसद ने अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम, 2019 पारित किया था। संसद में पारित होने के बाद इस कानून को पूरे देश में लागू किया गया।

इस अधिनियम के तहत कंपनी, सोसायटी, चिटफंड कंपनी आदि द्वारा की गई धोखाधड़ी में निवेशकों का पैसा वापस लाना सुनिश्चित किया गया है।

अधिनियम में ऐसे मामलों में प्राथमिकी दर्ज होते ही सक्षम प्राधिकारी को सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं। देश के कई राज्यों ने एक सक्षम प्राधिकारी नियुक्त किया है, लेकिन अब तक राजस्थान सरकार ऐसा नहीं कर पाई है।

एक्ट में ऐसे मामलों की जांच सीबीआई से कराने की बात कही गई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर राजस्थान सरकार निवेशकों का पैसा वापस लाने को लेकर गंभीर है, तो उसे संसद द्वारा पारित कानून को तुरंत लागू करना चाहिए।

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जयपुर, 20 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोमवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर पलटवार करते हुए कहा कि वह उनके चरित्र की हत्या कर उन्हें राजनीतिक रूप से कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं और जांच एजेंसी का इस्तेमाल एक औजार के रूप में कर रहे हैं।

शेखावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और कई अन्य राज्यों में संचालित होती है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, जब सोसायटी का रजिस्ट्रेशन हुआ था, उस वक्त राजस्थान और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। 2013 में सोसायटी को मल्टी स्टेट कैटेगरी का दर्जा भी मिला था, उस वक्त भी दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी।

कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए शेखावत ने कहा कि 2018 में क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के निदेशक और घोटाले के मुख्य आरोपी पचपदरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की पूरी कोशिश कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के खिलाफ 23 अगस्त, 2019 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और राजस्थान सरकार के अधीन काम करने वाली पुलिस ने मामले की जांच की थी।

इस मामले में पहली चार्जशीट दिसंबर 2019, दूसरी फरवरी 2020 और तीसरी 7 फरवरी 2023 को दाखिल की गई थी।

शेखावत ने आगे कहा, इन हजारों पन्नों की चार्जशीट में न तो मुझे और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य को आरोपी बनाया गया है, ऐसे में क्या मुख्यमंत्री सरेआम झूठ बोलकर पुलिस को कोई संकेत दे रहे हैं?

उन्होंने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री गहलोत अपने बेटे की हार का गुस्सा निकाल रहे हैं?

गहलोत ने रविवार को शेखावत को जेड-सुरक्षा दिए जाने पर हमला बोला था।

उन्होंने कहा था, गजेंद्र सिंह शेखावत ने केंद्र सरकार से जेड सुरक्षा ली है। क्या जरूरत थी कि उन्हें जेड सुरक्षा दी गई? अगर उन्हें किसी से खतरा था, तो उन्हें इस संबंध में हमें पहले बताना चाहिए था, हम उन्हें सुरक्षा प्रदान करते। ऐसा लगता है कि इस मामले में एसओजी द्वारा गिरफ्तारी के डर से उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई गई है।

शेखावत ने गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा, अदालत के आदेश के बावजूद उन्होंने मुझे भगोड़ा कहा और कहा कि मैं जांच में सहयोग नहीं कर रहा हूं। मुझे कई संज्ञाएं दीं, मुझे नालायक, अक्षम और यहां तक कि कायर भी कहा। उन्होंने मुझे वो सारी संज्ञाएं दे दीं, जो उन्होंने कोविड-19 में अपनी पार्टी के नेता को दी थी।

उन्होंने कहा, साढ़े तीन से चार साल की जांच के दौरान एसओजी ने मुझ पर आरोप नहीं लगाया, लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने साढ़े तीन घंटे के भाषण में मुझ पर आरोप लगाया।

शेखावत ने मुख्यमंत्री गहलोत के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने निवेशकों का पैसा वापस पाने के लिए कानून में संशोधन की बात कही थी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री को किसी भी तरह के कानून में संशोधन की जरूरत नहीं है। देश की संसद ने 2019 में एक कानून पारित किया है, जिसे केवल लागू करने की जरूरत है।

2019 में संसद ने अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम, 2019 पारित किया था। संसद में पारित होने के बाद इस कानून को पूरे देश में लागू किया गया।

इस अधिनियम के तहत कंपनी, सोसायटी, चिटफंड कंपनी आदि द्वारा की गई धोखाधड़ी में निवेशकों का पैसा वापस लाना सुनिश्चित किया गया है।

अधिनियम में ऐसे मामलों में प्राथमिकी दर्ज होते ही सक्षम प्राधिकारी को सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं। देश के कई राज्यों ने एक सक्षम प्राधिकारी नियुक्त किया है, लेकिन अब तक राजस्थान सरकार ऐसा नहीं कर पाई है।

एक्ट में ऐसे मामलों की जांच सीबीआई से कराने की बात कही गई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर राजस्थान सरकार निवेशकों का पैसा वापस लाने को लेकर गंभीर है, तो उसे संसद द्वारा पारित कानून को तुरंत लागू करना चाहिए।

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जयपुर, 20 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोमवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर पलटवार करते हुए कहा कि वह उनके चरित्र की हत्या कर उन्हें राजनीतिक रूप से कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं और जांच एजेंसी का इस्तेमाल एक औजार के रूप में कर रहे हैं।

शेखावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और कई अन्य राज्यों में संचालित होती है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, जब सोसायटी का रजिस्ट्रेशन हुआ था, उस वक्त राजस्थान और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। 2013 में सोसायटी को मल्टी स्टेट कैटेगरी का दर्जा भी मिला था, उस वक्त भी दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी।

कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए शेखावत ने कहा कि 2018 में क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के निदेशक और घोटाले के मुख्य आरोपी पचपदरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की पूरी कोशिश कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के खिलाफ 23 अगस्त, 2019 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और राजस्थान सरकार के अधीन काम करने वाली पुलिस ने मामले की जांच की थी।

इस मामले में पहली चार्जशीट दिसंबर 2019, दूसरी फरवरी 2020 और तीसरी 7 फरवरी 2023 को दाखिल की गई थी।

शेखावत ने आगे कहा, इन हजारों पन्नों की चार्जशीट में न तो मुझे और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य को आरोपी बनाया गया है, ऐसे में क्या मुख्यमंत्री सरेआम झूठ बोलकर पुलिस को कोई संकेत दे रहे हैं?

उन्होंने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री गहलोत अपने बेटे की हार का गुस्सा निकाल रहे हैं?

गहलोत ने रविवार को शेखावत को जेड-सुरक्षा दिए जाने पर हमला बोला था।

उन्होंने कहा था, गजेंद्र सिंह शेखावत ने केंद्र सरकार से जेड सुरक्षा ली है। क्या जरूरत थी कि उन्हें जेड सुरक्षा दी गई? अगर उन्हें किसी से खतरा था, तो उन्हें इस संबंध में हमें पहले बताना चाहिए था, हम उन्हें सुरक्षा प्रदान करते। ऐसा लगता है कि इस मामले में एसओजी द्वारा गिरफ्तारी के डर से उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई गई है।

शेखावत ने गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा, अदालत के आदेश के बावजूद उन्होंने मुझे भगोड़ा कहा और कहा कि मैं जांच में सहयोग नहीं कर रहा हूं। मुझे कई संज्ञाएं दीं, मुझे नालायक, अक्षम और यहां तक कि कायर भी कहा। उन्होंने मुझे वो सारी संज्ञाएं दे दीं, जो उन्होंने कोविड-19 में अपनी पार्टी के नेता को दी थी।

उन्होंने कहा, साढ़े तीन से चार साल की जांच के दौरान एसओजी ने मुझ पर आरोप नहीं लगाया, लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने साढ़े तीन घंटे के भाषण में मुझ पर आरोप लगाया।

शेखावत ने मुख्यमंत्री गहलोत के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने निवेशकों का पैसा वापस पाने के लिए कानून में संशोधन की बात कही थी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री को किसी भी तरह के कानून में संशोधन की जरूरत नहीं है। देश की संसद ने 2019 में एक कानून पारित किया है, जिसे केवल लागू करने की जरूरत है।

2019 में संसद ने अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम, 2019 पारित किया था। संसद में पारित होने के बाद इस कानून को पूरे देश में लागू किया गया।

इस अधिनियम के तहत कंपनी, सोसायटी, चिटफंड कंपनी आदि द्वारा की गई धोखाधड़ी में निवेशकों का पैसा वापस लाना सुनिश्चित किया गया है।

अधिनियम में ऐसे मामलों में प्राथमिकी दर्ज होते ही सक्षम प्राधिकारी को सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं। देश के कई राज्यों ने एक सक्षम प्राधिकारी नियुक्त किया है, लेकिन अब तक राजस्थान सरकार ऐसा नहीं कर पाई है।

एक्ट में ऐसे मामलों की जांच सीबीआई से कराने की बात कही गई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर राजस्थान सरकार निवेशकों का पैसा वापस लाने को लेकर गंभीर है, तो उसे संसद द्वारा पारित कानून को तुरंत लागू करना चाहिए।

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जयपुर, 20 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोमवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर पलटवार करते हुए कहा कि वह उनके चरित्र की हत्या कर उन्हें राजनीतिक रूप से कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं और जांच एजेंसी का इस्तेमाल एक औजार के रूप में कर रहे हैं।

शेखावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और कई अन्य राज्यों में संचालित होती है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, जब सोसायटी का रजिस्ट्रेशन हुआ था, उस वक्त राजस्थान और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। 2013 में सोसायटी को मल्टी स्टेट कैटेगरी का दर्जा भी मिला था, उस वक्त भी दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी।

कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए शेखावत ने कहा कि 2018 में क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के निदेशक और घोटाले के मुख्य आरोपी पचपदरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की पूरी कोशिश कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के खिलाफ 23 अगस्त, 2019 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और राजस्थान सरकार के अधीन काम करने वाली पुलिस ने मामले की जांच की थी।

इस मामले में पहली चार्जशीट दिसंबर 2019, दूसरी फरवरी 2020 और तीसरी 7 फरवरी 2023 को दाखिल की गई थी।

शेखावत ने आगे कहा, इन हजारों पन्नों की चार्जशीट में न तो मुझे और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य को आरोपी बनाया गया है, ऐसे में क्या मुख्यमंत्री सरेआम झूठ बोलकर पुलिस को कोई संकेत दे रहे हैं?

उन्होंने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री गहलोत अपने बेटे की हार का गुस्सा निकाल रहे हैं?

गहलोत ने रविवार को शेखावत को जेड-सुरक्षा दिए जाने पर हमला बोला था।

उन्होंने कहा था, गजेंद्र सिंह शेखावत ने केंद्र सरकार से जेड सुरक्षा ली है। क्या जरूरत थी कि उन्हें जेड सुरक्षा दी गई? अगर उन्हें किसी से खतरा था, तो उन्हें इस संबंध में हमें पहले बताना चाहिए था, हम उन्हें सुरक्षा प्रदान करते। ऐसा लगता है कि इस मामले में एसओजी द्वारा गिरफ्तारी के डर से उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई गई है।

शेखावत ने गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा, अदालत के आदेश के बावजूद उन्होंने मुझे भगोड़ा कहा और कहा कि मैं जांच में सहयोग नहीं कर रहा हूं। मुझे कई संज्ञाएं दीं, मुझे नालायक, अक्षम और यहां तक कि कायर भी कहा। उन्होंने मुझे वो सारी संज्ञाएं दे दीं, जो उन्होंने कोविड-19 में अपनी पार्टी के नेता को दी थी।

उन्होंने कहा, साढ़े तीन से चार साल की जांच के दौरान एसओजी ने मुझ पर आरोप नहीं लगाया, लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने साढ़े तीन घंटे के भाषण में मुझ पर आरोप लगाया।

शेखावत ने मुख्यमंत्री गहलोत के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने निवेशकों का पैसा वापस पाने के लिए कानून में संशोधन की बात कही थी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री को किसी भी तरह के कानून में संशोधन की जरूरत नहीं है। देश की संसद ने 2019 में एक कानून पारित किया है, जिसे केवल लागू करने की जरूरत है।

2019 में संसद ने अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम, 2019 पारित किया था। संसद में पारित होने के बाद इस कानून को पूरे देश में लागू किया गया।

इस अधिनियम के तहत कंपनी, सोसायटी, चिटफंड कंपनी आदि द्वारा की गई धोखाधड़ी में निवेशकों का पैसा वापस लाना सुनिश्चित किया गया है।

अधिनियम में ऐसे मामलों में प्राथमिकी दर्ज होते ही सक्षम प्राधिकारी को सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं। देश के कई राज्यों ने एक सक्षम प्राधिकारी नियुक्त किया है, लेकिन अब तक राजस्थान सरकार ऐसा नहीं कर पाई है।

एक्ट में ऐसे मामलों की जांच सीबीआई से कराने की बात कही गई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर राजस्थान सरकार निवेशकों का पैसा वापस लाने को लेकर गंभीर है, तो उसे संसद द्वारा पारित कानून को तुरंत लागू करना चाहिए।

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जयपुर, 20 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोमवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर पलटवार करते हुए कहा कि वह उनके चरित्र की हत्या कर उन्हें राजनीतिक रूप से कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं और जांच एजेंसी का इस्तेमाल एक औजार के रूप में कर रहे हैं।

शेखावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और कई अन्य राज्यों में संचालित होती है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, जब सोसायटी का रजिस्ट्रेशन हुआ था, उस वक्त राजस्थान और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। 2013 में सोसायटी को मल्टी स्टेट कैटेगरी का दर्जा भी मिला था, उस वक्त भी दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी।

कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए शेखावत ने कहा कि 2018 में क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के निदेशक और घोटाले के मुख्य आरोपी पचपदरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की पूरी कोशिश कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के खिलाफ 23 अगस्त, 2019 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और राजस्थान सरकार के अधीन काम करने वाली पुलिस ने मामले की जांच की थी।

इस मामले में पहली चार्जशीट दिसंबर 2019, दूसरी फरवरी 2020 और तीसरी 7 फरवरी 2023 को दाखिल की गई थी।

शेखावत ने आगे कहा, इन हजारों पन्नों की चार्जशीट में न तो मुझे और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य को आरोपी बनाया गया है, ऐसे में क्या मुख्यमंत्री सरेआम झूठ बोलकर पुलिस को कोई संकेत दे रहे हैं?

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गहलोत ने रविवार को शेखावत को जेड-सुरक्षा दिए जाने पर हमला बोला था।

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शेखावत ने गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा, अदालत के आदेश के बावजूद उन्होंने मुझे भगोड़ा कहा और कहा कि मैं जांच में सहयोग नहीं कर रहा हूं। मुझे कई संज्ञाएं दीं, मुझे नालायक, अक्षम और यहां तक कि कायर भी कहा। उन्होंने मुझे वो सारी संज्ञाएं दे दीं, जो उन्होंने कोविड-19 में अपनी पार्टी के नेता को दी थी।

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शेखावत ने मुख्यमंत्री गहलोत के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने निवेशकों का पैसा वापस पाने के लिए कानून में संशोधन की बात कही थी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री को किसी भी तरह के कानून में संशोधन की जरूरत नहीं है। देश की संसद ने 2019 में एक कानून पारित किया है, जिसे केवल लागू करने की जरूरत है।

2019 में संसद ने अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम, 2019 पारित किया था। संसद में पारित होने के बाद इस कानून को पूरे देश में लागू किया गया।

इस अधिनियम के तहत कंपनी, सोसायटी, चिटफंड कंपनी आदि द्वारा की गई धोखाधड़ी में निवेशकों का पैसा वापस लाना सुनिश्चित किया गया है।

अधिनियम में ऐसे मामलों में प्राथमिकी दर्ज होते ही सक्षम प्राधिकारी को सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं। देश के कई राज्यों ने एक सक्षम प्राधिकारी नियुक्त किया है, लेकिन अब तक राजस्थान सरकार ऐसा नहीं कर पाई है।

एक्ट में ऐसे मामलों की जांच सीबीआई से कराने की बात कही गई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर राजस्थान सरकार निवेशकों का पैसा वापस लाने को लेकर गंभीर है, तो उसे संसद द्वारा पारित कानून को तुरंत लागू करना चाहिए।

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जयपुर, 20 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोमवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर पलटवार करते हुए कहा कि वह उनके चरित्र की हत्या कर उन्हें राजनीतिक रूप से कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं और जांच एजेंसी का इस्तेमाल एक औजार के रूप में कर रहे हैं।

शेखावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और कई अन्य राज्यों में संचालित होती है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, जब सोसायटी का रजिस्ट्रेशन हुआ था, उस वक्त राजस्थान और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। 2013 में सोसायटी को मल्टी स्टेट कैटेगरी का दर्जा भी मिला था, उस वक्त भी दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी।

कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए शेखावत ने कहा कि 2018 में क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के निदेशक और घोटाले के मुख्य आरोपी पचपदरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की पूरी कोशिश कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के खिलाफ 23 अगस्त, 2019 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और राजस्थान सरकार के अधीन काम करने वाली पुलिस ने मामले की जांच की थी।

इस मामले में पहली चार्जशीट दिसंबर 2019, दूसरी फरवरी 2020 और तीसरी 7 फरवरी 2023 को दाखिल की गई थी।

शेखावत ने आगे कहा, इन हजारों पन्नों की चार्जशीट में न तो मुझे और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य को आरोपी बनाया गया है, ऐसे में क्या मुख्यमंत्री सरेआम झूठ बोलकर पुलिस को कोई संकेत दे रहे हैं?

उन्होंने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री गहलोत अपने बेटे की हार का गुस्सा निकाल रहे हैं?

गहलोत ने रविवार को शेखावत को जेड-सुरक्षा दिए जाने पर हमला बोला था।

उन्होंने कहा था, गजेंद्र सिंह शेखावत ने केंद्र सरकार से जेड सुरक्षा ली है। क्या जरूरत थी कि उन्हें जेड सुरक्षा दी गई? अगर उन्हें किसी से खतरा था, तो उन्हें इस संबंध में हमें पहले बताना चाहिए था, हम उन्हें सुरक्षा प्रदान करते। ऐसा लगता है कि इस मामले में एसओजी द्वारा गिरफ्तारी के डर से उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई गई है।

शेखावत ने गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा, अदालत के आदेश के बावजूद उन्होंने मुझे भगोड़ा कहा और कहा कि मैं जांच में सहयोग नहीं कर रहा हूं। मुझे कई संज्ञाएं दीं, मुझे नालायक, अक्षम और यहां तक कि कायर भी कहा। उन्होंने मुझे वो सारी संज्ञाएं दे दीं, जो उन्होंने कोविड-19 में अपनी पार्टी के नेता को दी थी।

उन्होंने कहा, साढ़े तीन से चार साल की जांच के दौरान एसओजी ने मुझ पर आरोप नहीं लगाया, लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने साढ़े तीन घंटे के भाषण में मुझ पर आरोप लगाया।

शेखावत ने मुख्यमंत्री गहलोत के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने निवेशकों का पैसा वापस पाने के लिए कानून में संशोधन की बात कही थी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री को किसी भी तरह के कानून में संशोधन की जरूरत नहीं है। देश की संसद ने 2019 में एक कानून पारित किया है, जिसे केवल लागू करने की जरूरत है।

2019 में संसद ने अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम, 2019 पारित किया था। संसद में पारित होने के बाद इस कानून को पूरे देश में लागू किया गया।

इस अधिनियम के तहत कंपनी, सोसायटी, चिटफंड कंपनी आदि द्वारा की गई धोखाधड़ी में निवेशकों का पैसा वापस लाना सुनिश्चित किया गया है।

अधिनियम में ऐसे मामलों में प्राथमिकी दर्ज होते ही सक्षम प्राधिकारी को सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं। देश के कई राज्यों ने एक सक्षम प्राधिकारी नियुक्त किया है, लेकिन अब तक राजस्थान सरकार ऐसा नहीं कर पाई है।

एक्ट में ऐसे मामलों की जांच सीबीआई से कराने की बात कही गई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर राजस्थान सरकार निवेशकों का पैसा वापस लाने को लेकर गंभीर है, तो उसे संसद द्वारा पारित कानून को तुरंत लागू करना चाहिए।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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जयपुर, 20 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोमवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर पलटवार करते हुए कहा कि वह उनके चरित्र की हत्या कर उन्हें राजनीतिक रूप से कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं और जांच एजेंसी का इस्तेमाल एक औजार के रूप में कर रहे हैं।

शेखावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और कई अन्य राज्यों में संचालित होती है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, जब सोसायटी का रजिस्ट्रेशन हुआ था, उस वक्त राजस्थान और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। 2013 में सोसायटी को मल्टी स्टेट कैटेगरी का दर्जा भी मिला था, उस वक्त भी दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी।

कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए शेखावत ने कहा कि 2018 में क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के निदेशक और घोटाले के मुख्य आरोपी पचपदरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की पूरी कोशिश कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के खिलाफ 23 अगस्त, 2019 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और राजस्थान सरकार के अधीन काम करने वाली पुलिस ने मामले की जांच की थी।

इस मामले में पहली चार्जशीट दिसंबर 2019, दूसरी फरवरी 2020 और तीसरी 7 फरवरी 2023 को दाखिल की गई थी।

शेखावत ने आगे कहा, इन हजारों पन्नों की चार्जशीट में न तो मुझे और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य को आरोपी बनाया गया है, ऐसे में क्या मुख्यमंत्री सरेआम झूठ बोलकर पुलिस को कोई संकेत दे रहे हैं?

उन्होंने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री गहलोत अपने बेटे की हार का गुस्सा निकाल रहे हैं?

गहलोत ने रविवार को शेखावत को जेड-सुरक्षा दिए जाने पर हमला बोला था।

उन्होंने कहा था, गजेंद्र सिंह शेखावत ने केंद्र सरकार से जेड सुरक्षा ली है। क्या जरूरत थी कि उन्हें जेड सुरक्षा दी गई? अगर उन्हें किसी से खतरा था, तो उन्हें इस संबंध में हमें पहले बताना चाहिए था, हम उन्हें सुरक्षा प्रदान करते। ऐसा लगता है कि इस मामले में एसओजी द्वारा गिरफ्तारी के डर से उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई गई है।

शेखावत ने गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा, अदालत के आदेश के बावजूद उन्होंने मुझे भगोड़ा कहा और कहा कि मैं जांच में सहयोग नहीं कर रहा हूं। मुझे कई संज्ञाएं दीं, मुझे नालायक, अक्षम और यहां तक कि कायर भी कहा। उन्होंने मुझे वो सारी संज्ञाएं दे दीं, जो उन्होंने कोविड-19 में अपनी पार्टी के नेता को दी थी।

उन्होंने कहा, साढ़े तीन से चार साल की जांच के दौरान एसओजी ने मुझ पर आरोप नहीं लगाया, लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने साढ़े तीन घंटे के भाषण में मुझ पर आरोप लगाया।

शेखावत ने मुख्यमंत्री गहलोत के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने निवेशकों का पैसा वापस पाने के लिए कानून में संशोधन की बात कही थी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री को किसी भी तरह के कानून में संशोधन की जरूरत नहीं है। देश की संसद ने 2019 में एक कानून पारित किया है, जिसे केवल लागू करने की जरूरत है।

2019 में संसद ने अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम, 2019 पारित किया था। संसद में पारित होने के बाद इस कानून को पूरे देश में लागू किया गया।

इस अधिनियम के तहत कंपनी, सोसायटी, चिटफंड कंपनी आदि द्वारा की गई धोखाधड़ी में निवेशकों का पैसा वापस लाना सुनिश्चित किया गया है।

अधिनियम में ऐसे मामलों में प्राथमिकी दर्ज होते ही सक्षम प्राधिकारी को सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं। देश के कई राज्यों ने एक सक्षम प्राधिकारी नियुक्त किया है, लेकिन अब तक राजस्थान सरकार ऐसा नहीं कर पाई है।

एक्ट में ऐसे मामलों की जांच सीबीआई से कराने की बात कही गई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर राजस्थान सरकार निवेशकों का पैसा वापस लाने को लेकर गंभीर है, तो उसे संसद द्वारा पारित कानून को तुरंत लागू करना चाहिए।

–आईएएनएस

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जयपुर, 20 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोमवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर पलटवार करते हुए कहा कि वह उनके चरित्र की हत्या कर उन्हें राजनीतिक रूप से कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं और जांच एजेंसी का इस्तेमाल एक औजार के रूप में कर रहे हैं।

शेखावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और कई अन्य राज्यों में संचालित होती है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, जब सोसायटी का रजिस्ट्रेशन हुआ था, उस वक्त राजस्थान और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। 2013 में सोसायटी को मल्टी स्टेट कैटेगरी का दर्जा भी मिला था, उस वक्त भी दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी।

कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए शेखावत ने कहा कि 2018 में क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के निदेशक और घोटाले के मुख्य आरोपी पचपदरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की पूरी कोशिश कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के खिलाफ 23 अगस्त, 2019 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और राजस्थान सरकार के अधीन काम करने वाली पुलिस ने मामले की जांच की थी।

इस मामले में पहली चार्जशीट दिसंबर 2019, दूसरी फरवरी 2020 और तीसरी 7 फरवरी 2023 को दाखिल की गई थी।

शेखावत ने आगे कहा, इन हजारों पन्नों की चार्जशीट में न तो मुझे और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य को आरोपी बनाया गया है, ऐसे में क्या मुख्यमंत्री सरेआम झूठ बोलकर पुलिस को कोई संकेत दे रहे हैं?

उन्होंने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री गहलोत अपने बेटे की हार का गुस्सा निकाल रहे हैं?

गहलोत ने रविवार को शेखावत को जेड-सुरक्षा दिए जाने पर हमला बोला था।

उन्होंने कहा था, गजेंद्र सिंह शेखावत ने केंद्र सरकार से जेड सुरक्षा ली है। क्या जरूरत थी कि उन्हें जेड सुरक्षा दी गई? अगर उन्हें किसी से खतरा था, तो उन्हें इस संबंध में हमें पहले बताना चाहिए था, हम उन्हें सुरक्षा प्रदान करते। ऐसा लगता है कि इस मामले में एसओजी द्वारा गिरफ्तारी के डर से उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई गई है।

शेखावत ने गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा, अदालत के आदेश के बावजूद उन्होंने मुझे भगोड़ा कहा और कहा कि मैं जांच में सहयोग नहीं कर रहा हूं। मुझे कई संज्ञाएं दीं, मुझे नालायक, अक्षम और यहां तक कि कायर भी कहा। उन्होंने मुझे वो सारी संज्ञाएं दे दीं, जो उन्होंने कोविड-19 में अपनी पार्टी के नेता को दी थी।

उन्होंने कहा, साढ़े तीन से चार साल की जांच के दौरान एसओजी ने मुझ पर आरोप नहीं लगाया, लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने साढ़े तीन घंटे के भाषण में मुझ पर आरोप लगाया।

शेखावत ने मुख्यमंत्री गहलोत के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने निवेशकों का पैसा वापस पाने के लिए कानून में संशोधन की बात कही थी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री को किसी भी तरह के कानून में संशोधन की जरूरत नहीं है। देश की संसद ने 2019 में एक कानून पारित किया है, जिसे केवल लागू करने की जरूरत है।

2019 में संसद ने अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम, 2019 पारित किया था। संसद में पारित होने के बाद इस कानून को पूरे देश में लागू किया गया।

इस अधिनियम के तहत कंपनी, सोसायटी, चिटफंड कंपनी आदि द्वारा की गई धोखाधड़ी में निवेशकों का पैसा वापस लाना सुनिश्चित किया गया है।

अधिनियम में ऐसे मामलों में प्राथमिकी दर्ज होते ही सक्षम प्राधिकारी को सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं। देश के कई राज्यों ने एक सक्षम प्राधिकारी नियुक्त किया है, लेकिन अब तक राजस्थान सरकार ऐसा नहीं कर पाई है।

एक्ट में ऐसे मामलों की जांच सीबीआई से कराने की बात कही गई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर राजस्थान सरकार निवेशकों का पैसा वापस लाने को लेकर गंभीर है, तो उसे संसद द्वारा पारित कानून को तुरंत लागू करना चाहिए।

–आईएएनएस

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जयपुर, 20 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोमवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर पलटवार करते हुए कहा कि वह उनके चरित्र की हत्या कर उन्हें राजनीतिक रूप से कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं और जांच एजेंसी का इस्तेमाल एक औजार के रूप में कर रहे हैं।

शेखावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और कई अन्य राज्यों में संचालित होती है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, जब सोसायटी का रजिस्ट्रेशन हुआ था, उस वक्त राजस्थान और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। 2013 में सोसायटी को मल्टी स्टेट कैटेगरी का दर्जा भी मिला था, उस वक्त भी दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी।

कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए शेखावत ने कहा कि 2018 में क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के निदेशक और घोटाले के मुख्य आरोपी पचपदरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की पूरी कोशिश कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के खिलाफ 23 अगस्त, 2019 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और राजस्थान सरकार के अधीन काम करने वाली पुलिस ने मामले की जांच की थी।

इस मामले में पहली चार्जशीट दिसंबर 2019, दूसरी फरवरी 2020 और तीसरी 7 फरवरी 2023 को दाखिल की गई थी।

शेखावत ने आगे कहा, इन हजारों पन्नों की चार्जशीट में न तो मुझे और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य को आरोपी बनाया गया है, ऐसे में क्या मुख्यमंत्री सरेआम झूठ बोलकर पुलिस को कोई संकेत दे रहे हैं?

उन्होंने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री गहलोत अपने बेटे की हार का गुस्सा निकाल रहे हैं?

गहलोत ने रविवार को शेखावत को जेड-सुरक्षा दिए जाने पर हमला बोला था।

उन्होंने कहा था, गजेंद्र सिंह शेखावत ने केंद्र सरकार से जेड सुरक्षा ली है। क्या जरूरत थी कि उन्हें जेड सुरक्षा दी गई? अगर उन्हें किसी से खतरा था, तो उन्हें इस संबंध में हमें पहले बताना चाहिए था, हम उन्हें सुरक्षा प्रदान करते। ऐसा लगता है कि इस मामले में एसओजी द्वारा गिरफ्तारी के डर से उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई गई है।

शेखावत ने गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा, अदालत के आदेश के बावजूद उन्होंने मुझे भगोड़ा कहा और कहा कि मैं जांच में सहयोग नहीं कर रहा हूं। मुझे कई संज्ञाएं दीं, मुझे नालायक, अक्षम और यहां तक कि कायर भी कहा। उन्होंने मुझे वो सारी संज्ञाएं दे दीं, जो उन्होंने कोविड-19 में अपनी पार्टी के नेता को दी थी।

उन्होंने कहा, साढ़े तीन से चार साल की जांच के दौरान एसओजी ने मुझ पर आरोप नहीं लगाया, लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने साढ़े तीन घंटे के भाषण में मुझ पर आरोप लगाया।

शेखावत ने मुख्यमंत्री गहलोत के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने निवेशकों का पैसा वापस पाने के लिए कानून में संशोधन की बात कही थी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री को किसी भी तरह के कानून में संशोधन की जरूरत नहीं है। देश की संसद ने 2019 में एक कानून पारित किया है, जिसे केवल लागू करने की जरूरत है।

2019 में संसद ने अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम, 2019 पारित किया था। संसद में पारित होने के बाद इस कानून को पूरे देश में लागू किया गया।

इस अधिनियम के तहत कंपनी, सोसायटी, चिटफंड कंपनी आदि द्वारा की गई धोखाधड़ी में निवेशकों का पैसा वापस लाना सुनिश्चित किया गया है।

अधिनियम में ऐसे मामलों में प्राथमिकी दर्ज होते ही सक्षम प्राधिकारी को सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं। देश के कई राज्यों ने एक सक्षम प्राधिकारी नियुक्त किया है, लेकिन अब तक राजस्थान सरकार ऐसा नहीं कर पाई है।

एक्ट में ऐसे मामलों की जांच सीबीआई से कराने की बात कही गई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर राजस्थान सरकार निवेशकों का पैसा वापस लाने को लेकर गंभीर है, तो उसे संसद द्वारा पारित कानून को तुरंत लागू करना चाहिए।

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