नई दिल्ली, 2 मार्च (आईएएनएस)। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में केंद्र, त्रिपुरा सरकार और टीआईपीआरए मोथा के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता हुआ, जिसका उद्देश्य राज्य में स्वदेशी समुदायों के सामने आने वाली चुनौतियों का “स्थायी समाधान” करना है।
इस अवसर पर अमित शाह ने कहा कि यह समझौता ऐतिहासिक अन्यायों को सुधारने और उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने के लिए वास्तविकताओं को अपनाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
इससे पहले टीआईपीआरए मोथा के नेता प्रद्योत देबबर्मा ने स्वदेशी लोगों के सामने आने वाले मुद्दों के स्थायी समाधान की मांग करते हुए ‘आमरण अनशन’ का सहारा लिया था।
हालांकि, केंद्र सरकार के वार्ताकारों के आश्वासन के बाद देबबर्मा राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे और अंततः समझौते पर सहमति जताई।
प्रद्योत देबबर्मा ने समझौते के महत्व पर विचार करते हुए आभार जताया और कहा, “यह मेरे लोगों के लिए उन गरीब ग्रामीणों के लिए एक जीत है, जो बेहतर कल की आकांक्षा रखते हैं, जो मुख्यधारा में एकीकरण चाहते हैं और जो बच्चों के उज्जवल भविष्य हासिल करने में विश्वास करते हैं। मैं अगरतला लौटूंगा और अपना उपवास खत्म करूंगा।”
त्रिपुरा में सभी हितधारकों को आश्वस्त करते हुए देबबर्मा ने कहा, “अब आपको अपने अधिकारों के लिए लड़ने की जरूरत नहीं होगी। केंद्र सरकार आपके हितों की रक्षा के लिए सक्रिय रूप से तंत्र स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है।”
केंद्रीय गृहमंत्री ने इस समझौते तक पहुंचने की दिशा में त्रिपुरा स्वदेशी प्रगतिशील क्षेत्रीय गठबंधन टीआईपीआरए मोथा और सभी आदिवासी दलों के साथ-साथ त्रिपुरा सरकार के ईमानदार प्रयासों द्वारा निभाई गई रचनात्मक भूमिका की भी सराहना की।
अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 11 शांति और सीमा समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने का हवाला देते हुए यह भी कहा कि पूर्वोत्तर में शांति और स्थिरता के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।
उन्होंने घोषणा की कि विद्रोही संगठन नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) के साथ शांति समझौता एक महत्वपूर्ण कदम है और आगामी लोकसभा चुनाव से पहले यह अंतिम समझौता होगा।
–आईएएनएस
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