तिरुवनंतपुरम, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। केरल में इमरजेंसी रिस्पॉन्स नंबर 108 (एकीकृत चिकित्सा, पुलिस और अग्नि आपातकालीन सेवा) पर जनवरी 2020 से अक्टूबर 2023 तक 45 लाख कॉलों में से 25 लाख ‘फर्जी’ थीं। इससे परेशान होकर, कॉल सेंटर चलाने वाले इसे अधिकारियों के ध्यान में लाये और इसके आधार पर केरल राज्य अधिकार आयोग ने राज्य पुलिस प्रमुख को इस पर गौर करने और तीन सप्ताह में एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया।
फर्जी कॉलों में से एक में कॉल करने वाले ने एक एम्बुलेंस बुलाई, लेकिन उसके कर्मचारी यह देखकर हैरान रह गए कि कॉल करने वाला केवल एक कछुआ ले जाना चाहता था।
अन्य कॉलों में बच्चों के भी थे जो अपने माता-पिता के बंद मोबाइल फोन से खेल रहे थे, क्योंकि बंद मोबाइल से 108 पर कॉल किया जा सकता है।
फिर ऐसे कॉल आते हैं जो लोग नशे की हालत में करते हैं।
बड़ी संख्या में ऐसी कॉलों के कारण, कॉल सेंटर के कर्मचारी फर्जी कॉलों में व्यस्त रहते हैं जबकि वास्तविक जरूरतमंद लोग कॉल उठने की बारी के इंतजार में परेशान होते हैं।
–आईएएनएस
एकेजे
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तिरुवनंतपुरम, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। केरल में इमरजेंसी रिस्पॉन्स नंबर 108 (एकीकृत चिकित्सा, पुलिस और अग्नि आपातकालीन सेवा) पर जनवरी 2020 से अक्टूबर 2023 तक 45 लाख कॉलों में से 25 लाख ‘फर्जी’ थीं। इससे परेशान होकर, कॉल सेंटर चलाने वाले इसे अधिकारियों के ध्यान में लाये और इसके आधार पर केरल राज्य अधिकार आयोग ने राज्य पुलिस प्रमुख को इस पर गौर करने और तीन सप्ताह में एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया।
फर्जी कॉलों में से एक में कॉल करने वाले ने एक एम्बुलेंस बुलाई, लेकिन उसके कर्मचारी यह देखकर हैरान रह गए कि कॉल करने वाला केवल एक कछुआ ले जाना चाहता था।
अन्य कॉलों में बच्चों के भी थे जो अपने माता-पिता के बंद मोबाइल फोन से खेल रहे थे, क्योंकि बंद मोबाइल से 108 पर कॉल किया जा सकता है।
फिर ऐसे कॉल आते हैं जो लोग नशे की हालत में करते हैं।
बड़ी संख्या में ऐसी कॉलों के कारण, कॉल सेंटर के कर्मचारी फर्जी कॉलों में व्यस्त रहते हैं जबकि वास्तविक जरूरतमंद लोग कॉल उठने की बारी के इंतजार में परेशान होते हैं।
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फर्जी कॉलों में से एक में कॉल करने वाले ने एक एम्बुलेंस बुलाई, लेकिन उसके कर्मचारी यह देखकर हैरान रह गए कि कॉल करने वाला केवल एक कछुआ ले जाना चाहता था।
अन्य कॉलों में बच्चों के भी थे जो अपने माता-पिता के बंद मोबाइल फोन से खेल रहे थे, क्योंकि बंद मोबाइल से 108 पर कॉल किया जा सकता है।
फिर ऐसे कॉल आते हैं जो लोग नशे की हालत में करते हैं।
बड़ी संख्या में ऐसी कॉलों के कारण, कॉल सेंटर के कर्मचारी फर्जी कॉलों में व्यस्त रहते हैं जबकि वास्तविक जरूरतमंद लोग कॉल उठने की बारी के इंतजार में परेशान होते हैं।
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फर्जी कॉलों में से एक में कॉल करने वाले ने एक एम्बुलेंस बुलाई, लेकिन उसके कर्मचारी यह देखकर हैरान रह गए कि कॉल करने वाला केवल एक कछुआ ले जाना चाहता था।
अन्य कॉलों में बच्चों के भी थे जो अपने माता-पिता के बंद मोबाइल फोन से खेल रहे थे, क्योंकि बंद मोबाइल से 108 पर कॉल किया जा सकता है।
फिर ऐसे कॉल आते हैं जो लोग नशे की हालत में करते हैं।
बड़ी संख्या में ऐसी कॉलों के कारण, कॉल सेंटर के कर्मचारी फर्जी कॉलों में व्यस्त रहते हैं जबकि वास्तविक जरूरतमंद लोग कॉल उठने की बारी के इंतजार में परेशान होते हैं।
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तिरुवनंतपुरम, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। केरल में इमरजेंसी रिस्पॉन्स नंबर 108 (एकीकृत चिकित्सा, पुलिस और अग्नि आपातकालीन सेवा) पर जनवरी 2020 से अक्टूबर 2023 तक 45 लाख कॉलों में से 25 लाख ‘फर्जी’ थीं। इससे परेशान होकर, कॉल सेंटर चलाने वाले इसे अधिकारियों के ध्यान में लाये और इसके आधार पर केरल राज्य अधिकार आयोग ने राज्य पुलिस प्रमुख को इस पर गौर करने और तीन सप्ताह में एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया।
फर्जी कॉलों में से एक में कॉल करने वाले ने एक एम्बुलेंस बुलाई, लेकिन उसके कर्मचारी यह देखकर हैरान रह गए कि कॉल करने वाला केवल एक कछुआ ले जाना चाहता था।
अन्य कॉलों में बच्चों के भी थे जो अपने माता-पिता के बंद मोबाइल फोन से खेल रहे थे, क्योंकि बंद मोबाइल से 108 पर कॉल किया जा सकता है।
फिर ऐसे कॉल आते हैं जो लोग नशे की हालत में करते हैं।
बड़ी संख्या में ऐसी कॉलों के कारण, कॉल सेंटर के कर्मचारी फर्जी कॉलों में व्यस्त रहते हैं जबकि वास्तविक जरूरतमंद लोग कॉल उठने की बारी के इंतजार में परेशान होते हैं।
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फर्जी कॉलों में से एक में कॉल करने वाले ने एक एम्बुलेंस बुलाई, लेकिन उसके कर्मचारी यह देखकर हैरान रह गए कि कॉल करने वाला केवल एक कछुआ ले जाना चाहता था।
अन्य कॉलों में बच्चों के भी थे जो अपने माता-पिता के बंद मोबाइल फोन से खेल रहे थे, क्योंकि बंद मोबाइल से 108 पर कॉल किया जा सकता है।
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बड़ी संख्या में ऐसी कॉलों के कारण, कॉल सेंटर के कर्मचारी फर्जी कॉलों में व्यस्त रहते हैं जबकि वास्तविक जरूरतमंद लोग कॉल उठने की बारी के इंतजार में परेशान होते हैं।
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बड़ी संख्या में ऐसी कॉलों के कारण, कॉल सेंटर के कर्मचारी फर्जी कॉलों में व्यस्त रहते हैं जबकि वास्तविक जरूरतमंद लोग कॉल उठने की बारी के इंतजार में परेशान होते हैं।
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फिर ऐसे कॉल आते हैं जो लोग नशे की हालत में करते हैं।
बड़ी संख्या में ऐसी कॉलों के कारण, कॉल सेंटर के कर्मचारी फर्जी कॉलों में व्यस्त रहते हैं जबकि वास्तविक जरूरतमंद लोग कॉल उठने की बारी के इंतजार में परेशान होते हैं।
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फर्जी कॉलों में से एक में कॉल करने वाले ने एक एम्बुलेंस बुलाई, लेकिन उसके कर्मचारी यह देखकर हैरान रह गए कि कॉल करने वाला केवल एक कछुआ ले जाना चाहता था।
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फर्जी कॉलों में से एक में कॉल करने वाले ने एक एम्बुलेंस बुलाई, लेकिन उसके कर्मचारी यह देखकर हैरान रह गए कि कॉल करने वाला केवल एक कछुआ ले जाना चाहता था।
अन्य कॉलों में बच्चों के भी थे जो अपने माता-पिता के बंद मोबाइल फोन से खेल रहे थे, क्योंकि बंद मोबाइल से 108 पर कॉल किया जा सकता है।
फिर ऐसे कॉल आते हैं जो लोग नशे की हालत में करते हैं।
बड़ी संख्या में ऐसी कॉलों के कारण, कॉल सेंटर के कर्मचारी फर्जी कॉलों में व्यस्त रहते हैं जबकि वास्तविक जरूरतमंद लोग कॉल उठने की बारी के इंतजार में परेशान होते हैं।
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फर्जी कॉलों में से एक में कॉल करने वाले ने एक एम्बुलेंस बुलाई, लेकिन उसके कर्मचारी यह देखकर हैरान रह गए कि कॉल करने वाला केवल एक कछुआ ले जाना चाहता था।
अन्य कॉलों में बच्चों के भी थे जो अपने माता-पिता के बंद मोबाइल फोन से खेल रहे थे, क्योंकि बंद मोबाइल से 108 पर कॉल किया जा सकता है।
फिर ऐसे कॉल आते हैं जो लोग नशे की हालत में करते हैं।
बड़ी संख्या में ऐसी कॉलों के कारण, कॉल सेंटर के कर्मचारी फर्जी कॉलों में व्यस्त रहते हैं जबकि वास्तविक जरूरतमंद लोग कॉल उठने की बारी के इंतजार में परेशान होते हैं।