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केरल मानवाधिकार आयोग ने सरकारी अस्पतालों में शूटिंग पर प्रतिबंध की अनुशंसा की

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September 8, 2024
in राष्ट्रीय
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केरल मानवाधिकार आयोग ने सरकारी अस्पतालों में शूटिंग पर प्रतिबंध की अनुशंसा की
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तिरुवनंतपुरम, 8 सितंबर (आईएएनएस)। केरल राज्य मानवाधिकार आयोग ने राज्य के सरकारी अस्पतालों में फिल्मों की शूटिंग पर प्रतिबंध लगाने की अनुशंसा की है।

आयोग की सदस्य वी.के. बीना कुमारी ने रविवार को एक आदेश जारी किया। आदेश में राज्य सरकार को उन अस्पतालों में शूटिंग से बचने की सिफारिश की गई है, जहां चौबीसों घंटे चलने वाले यूनिट – जैसे आपातकालीन विभाग आदि – हैं।

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दरअसल, अंगमाली के सरकारी तालुक अस्पताल में 4 जुलाई को फहाद फासिल अभिनीत फिल्म ‘पेनकिली’ की शूटिंग के दौरान मरीजों को असुविधा हुई थी। इसे लेकर आयोग ने आदेश जारी किया है।

राज्य मानवाधिकार आयोग ने एर्नाकुलम के जिला चिकित्सा अधिकारी और अस्पताल अधीक्षक से पूछा था कि आपातकालीन विंग में फिल्म की शूटिंग की अनुमति क्यों दी गई। आरोप है कि शूटिंग के दौरान विंग की लाइटें कम कर दी गई थीं। अभिनेताओं समेत करीब 50 लोग मौजूद थे। पता चला है कि डॉक्टरों द्वारा मरीजों का इलाज किए जाने के दौरान भी शूटिंग की गई।

आयोग ने पाया कि आपातकालीन विभाग में जगह सीमित थी। एक बयान में बीना कुमारी ने कहा, “गंभीर रूप से बीमार मरीज के साथ अस्पताल आया एक व्यक्ति को आपातकालीन विभाग में प्रवेश नहीं कर सका। किसी को भी मुख्य द्वार से अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। क्रू ने मरीजों और आसपास खड़े लोगों को फिल्मांकन के दौरान चुप रहने का निर्देश दिया। शूटिंग दो दिन से जारी है।”

इसके बाद राज्य मानवाधिकार आयोग ने अस्पताल के अधीक्षक को ऐसी घटनाओं को न दोहराने की चेतावनी दी थी। साथ ही स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को इस संबंध में राज्य के अस्पतालों के अधीक्षकों को आवश्यक निर्देश देने को कहा था।

जिला स्वास्थ्य विभाग ने घटना पर स्वास्थ्य सेवा निदेशक के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें बताया गया था कि शूटिंग के कारण आपातकालीन विंग का कामकाज प्रभावित नहीं हुआ था।

प्रोडक्शन टीम ने भी आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया था कि काम नियमों के अनुसार किया गया था।

केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने भी घटना के संबंध में स्वास्थ्य सेवा निदेशक से स्पष्टीकरण मांगा है।

–आईएएनएस

डीकेएम/एकेजे

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तिरुवनंतपुरम, 8 सितंबर (आईएएनएस)। केरल राज्य मानवाधिकार आयोग ने राज्य के सरकारी अस्पतालों में फिल्मों की शूटिंग पर प्रतिबंध लगाने की अनुशंसा की है।

आयोग की सदस्य वी.के. बीना कुमारी ने रविवार को एक आदेश जारी किया। आदेश में राज्य सरकार को उन अस्पतालों में शूटिंग से बचने की सिफारिश की गई है, जहां चौबीसों घंटे चलने वाले यूनिट – जैसे आपातकालीन विभाग आदि – हैं।

दरअसल, अंगमाली के सरकारी तालुक अस्पताल में 4 जुलाई को फहाद फासिल अभिनीत फिल्म ‘पेनकिली’ की शूटिंग के दौरान मरीजों को असुविधा हुई थी। इसे लेकर आयोग ने आदेश जारी किया है।

राज्य मानवाधिकार आयोग ने एर्नाकुलम के जिला चिकित्सा अधिकारी और अस्पताल अधीक्षक से पूछा था कि आपातकालीन विंग में फिल्म की शूटिंग की अनुमति क्यों दी गई। आरोप है कि शूटिंग के दौरान विंग की लाइटें कम कर दी गई थीं। अभिनेताओं समेत करीब 50 लोग मौजूद थे। पता चला है कि डॉक्टरों द्वारा मरीजों का इलाज किए जाने के दौरान भी शूटिंग की गई।

आयोग ने पाया कि आपातकालीन विभाग में जगह सीमित थी। एक बयान में बीना कुमारी ने कहा, “गंभीर रूप से बीमार मरीज के साथ अस्पताल आया एक व्यक्ति को आपातकालीन विभाग में प्रवेश नहीं कर सका। किसी को भी मुख्य द्वार से अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। क्रू ने मरीजों और आसपास खड़े लोगों को फिल्मांकन के दौरान चुप रहने का निर्देश दिया। शूटिंग दो दिन से जारी है।”

इसके बाद राज्य मानवाधिकार आयोग ने अस्पताल के अधीक्षक को ऐसी घटनाओं को न दोहराने की चेतावनी दी थी। साथ ही स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को इस संबंध में राज्य के अस्पतालों के अधीक्षकों को आवश्यक निर्देश देने को कहा था।

जिला स्वास्थ्य विभाग ने घटना पर स्वास्थ्य सेवा निदेशक के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें बताया गया था कि शूटिंग के कारण आपातकालीन विंग का कामकाज प्रभावित नहीं हुआ था।

प्रोडक्शन टीम ने भी आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया था कि काम नियमों के अनुसार किया गया था।

केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने भी घटना के संबंध में स्वास्थ्य सेवा निदेशक से स्पष्टीकरण मांगा है।

–आईएएनएस

डीकेएम/एकेजे

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तिरुवनंतपुरम, 8 सितंबर (आईएएनएस)। केरल राज्य मानवाधिकार आयोग ने राज्य के सरकारी अस्पतालों में फिल्मों की शूटिंग पर प्रतिबंध लगाने की अनुशंसा की है।

आयोग की सदस्य वी.के. बीना कुमारी ने रविवार को एक आदेश जारी किया। आदेश में राज्य सरकार को उन अस्पतालों में शूटिंग से बचने की सिफारिश की गई है, जहां चौबीसों घंटे चलने वाले यूनिट – जैसे आपातकालीन विभाग आदि – हैं।

दरअसल, अंगमाली के सरकारी तालुक अस्पताल में 4 जुलाई को फहाद फासिल अभिनीत फिल्म ‘पेनकिली’ की शूटिंग के दौरान मरीजों को असुविधा हुई थी। इसे लेकर आयोग ने आदेश जारी किया है।

राज्य मानवाधिकार आयोग ने एर्नाकुलम के जिला चिकित्सा अधिकारी और अस्पताल अधीक्षक से पूछा था कि आपातकालीन विंग में फिल्म की शूटिंग की अनुमति क्यों दी गई। आरोप है कि शूटिंग के दौरान विंग की लाइटें कम कर दी गई थीं। अभिनेताओं समेत करीब 50 लोग मौजूद थे। पता चला है कि डॉक्टरों द्वारा मरीजों का इलाज किए जाने के दौरान भी शूटिंग की गई।

आयोग ने पाया कि आपातकालीन विभाग में जगह सीमित थी। एक बयान में बीना कुमारी ने कहा, “गंभीर रूप से बीमार मरीज के साथ अस्पताल आया एक व्यक्ति को आपातकालीन विभाग में प्रवेश नहीं कर सका। किसी को भी मुख्य द्वार से अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। क्रू ने मरीजों और आसपास खड़े लोगों को फिल्मांकन के दौरान चुप रहने का निर्देश दिया। शूटिंग दो दिन से जारी है।”

इसके बाद राज्य मानवाधिकार आयोग ने अस्पताल के अधीक्षक को ऐसी घटनाओं को न दोहराने की चेतावनी दी थी। साथ ही स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को इस संबंध में राज्य के अस्पतालों के अधीक्षकों को आवश्यक निर्देश देने को कहा था।

जिला स्वास्थ्य विभाग ने घटना पर स्वास्थ्य सेवा निदेशक के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें बताया गया था कि शूटिंग के कारण आपातकालीन विंग का कामकाज प्रभावित नहीं हुआ था।

प्रोडक्शन टीम ने भी आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया था कि काम नियमों के अनुसार किया गया था।

केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने भी घटना के संबंध में स्वास्थ्य सेवा निदेशक से स्पष्टीकरण मांगा है।

–आईएएनएस

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आयोग की सदस्य वी.के. बीना कुमारी ने रविवार को एक आदेश जारी किया। आदेश में राज्य सरकार को उन अस्पतालों में शूटिंग से बचने की सिफारिश की गई है, जहां चौबीसों घंटे चलने वाले यूनिट – जैसे आपातकालीन विभाग आदि – हैं।

दरअसल, अंगमाली के सरकारी तालुक अस्पताल में 4 जुलाई को फहाद फासिल अभिनीत फिल्म ‘पेनकिली’ की शूटिंग के दौरान मरीजों को असुविधा हुई थी। इसे लेकर आयोग ने आदेश जारी किया है।

राज्य मानवाधिकार आयोग ने एर्नाकुलम के जिला चिकित्सा अधिकारी और अस्पताल अधीक्षक से पूछा था कि आपातकालीन विंग में फिल्म की शूटिंग की अनुमति क्यों दी गई। आरोप है कि शूटिंग के दौरान विंग की लाइटें कम कर दी गई थीं। अभिनेताओं समेत करीब 50 लोग मौजूद थे। पता चला है कि डॉक्टरों द्वारा मरीजों का इलाज किए जाने के दौरान भी शूटिंग की गई।

आयोग ने पाया कि आपातकालीन विभाग में जगह सीमित थी। एक बयान में बीना कुमारी ने कहा, “गंभीर रूप से बीमार मरीज के साथ अस्पताल आया एक व्यक्ति को आपातकालीन विभाग में प्रवेश नहीं कर सका। किसी को भी मुख्य द्वार से अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। क्रू ने मरीजों और आसपास खड़े लोगों को फिल्मांकन के दौरान चुप रहने का निर्देश दिया। शूटिंग दो दिन से जारी है।”

इसके बाद राज्य मानवाधिकार आयोग ने अस्पताल के अधीक्षक को ऐसी घटनाओं को न दोहराने की चेतावनी दी थी। साथ ही स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को इस संबंध में राज्य के अस्पतालों के अधीक्षकों को आवश्यक निर्देश देने को कहा था।

जिला स्वास्थ्य विभाग ने घटना पर स्वास्थ्य सेवा निदेशक के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें बताया गया था कि शूटिंग के कारण आपातकालीन विंग का कामकाज प्रभावित नहीं हुआ था।

प्रोडक्शन टीम ने भी आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया था कि काम नियमों के अनुसार किया गया था।

केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने भी घटना के संबंध में स्वास्थ्य सेवा निदेशक से स्पष्टीकरण मांगा है।

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आयोग की सदस्य वी.के. बीना कुमारी ने रविवार को एक आदेश जारी किया। आदेश में राज्य सरकार को उन अस्पतालों में शूटिंग से बचने की सिफारिश की गई है, जहां चौबीसों घंटे चलने वाले यूनिट – जैसे आपातकालीन विभाग आदि – हैं।

दरअसल, अंगमाली के सरकारी तालुक अस्पताल में 4 जुलाई को फहाद फासिल अभिनीत फिल्म ‘पेनकिली’ की शूटिंग के दौरान मरीजों को असुविधा हुई थी। इसे लेकर आयोग ने आदेश जारी किया है।

राज्य मानवाधिकार आयोग ने एर्नाकुलम के जिला चिकित्सा अधिकारी और अस्पताल अधीक्षक से पूछा था कि आपातकालीन विंग में फिल्म की शूटिंग की अनुमति क्यों दी गई। आरोप है कि शूटिंग के दौरान विंग की लाइटें कम कर दी गई थीं। अभिनेताओं समेत करीब 50 लोग मौजूद थे। पता चला है कि डॉक्टरों द्वारा मरीजों का इलाज किए जाने के दौरान भी शूटिंग की गई।

आयोग ने पाया कि आपातकालीन विभाग में जगह सीमित थी। एक बयान में बीना कुमारी ने कहा, “गंभीर रूप से बीमार मरीज के साथ अस्पताल आया एक व्यक्ति को आपातकालीन विभाग में प्रवेश नहीं कर सका। किसी को भी मुख्य द्वार से अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। क्रू ने मरीजों और आसपास खड़े लोगों को फिल्मांकन के दौरान चुप रहने का निर्देश दिया। शूटिंग दो दिन से जारी है।”

इसके बाद राज्य मानवाधिकार आयोग ने अस्पताल के अधीक्षक को ऐसी घटनाओं को न दोहराने की चेतावनी दी थी। साथ ही स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को इस संबंध में राज्य के अस्पतालों के अधीक्षकों को आवश्यक निर्देश देने को कहा था।

जिला स्वास्थ्य विभाग ने घटना पर स्वास्थ्य सेवा निदेशक के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें बताया गया था कि शूटिंग के कारण आपातकालीन विंग का कामकाज प्रभावित नहीं हुआ था।

प्रोडक्शन टीम ने भी आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया था कि काम नियमों के अनुसार किया गया था।

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दरअसल, अंगमाली के सरकारी तालुक अस्पताल में 4 जुलाई को फहाद फासिल अभिनीत फिल्म ‘पेनकिली’ की शूटिंग के दौरान मरीजों को असुविधा हुई थी। इसे लेकर आयोग ने आदेश जारी किया है।

राज्य मानवाधिकार आयोग ने एर्नाकुलम के जिला चिकित्सा अधिकारी और अस्पताल अधीक्षक से पूछा था कि आपातकालीन विंग में फिल्म की शूटिंग की अनुमति क्यों दी गई। आरोप है कि शूटिंग के दौरान विंग की लाइटें कम कर दी गई थीं। अभिनेताओं समेत करीब 50 लोग मौजूद थे। पता चला है कि डॉक्टरों द्वारा मरीजों का इलाज किए जाने के दौरान भी शूटिंग की गई।

आयोग ने पाया कि आपातकालीन विभाग में जगह सीमित थी। एक बयान में बीना कुमारी ने कहा, “गंभीर रूप से बीमार मरीज के साथ अस्पताल आया एक व्यक्ति को आपातकालीन विभाग में प्रवेश नहीं कर सका। किसी को भी मुख्य द्वार से अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। क्रू ने मरीजों और आसपास खड़े लोगों को फिल्मांकन के दौरान चुप रहने का निर्देश दिया। शूटिंग दो दिन से जारी है।”

इसके बाद राज्य मानवाधिकार आयोग ने अस्पताल के अधीक्षक को ऐसी घटनाओं को न दोहराने की चेतावनी दी थी। साथ ही स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को इस संबंध में राज्य के अस्पतालों के अधीक्षकों को आवश्यक निर्देश देने को कहा था।

जिला स्वास्थ्य विभाग ने घटना पर स्वास्थ्य सेवा निदेशक के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें बताया गया था कि शूटिंग के कारण आपातकालीन विंग का कामकाज प्रभावित नहीं हुआ था।

प्रोडक्शन टीम ने भी आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया था कि काम नियमों के अनुसार किया गया था।

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दरअसल, अंगमाली के सरकारी तालुक अस्पताल में 4 जुलाई को फहाद फासिल अभिनीत फिल्म ‘पेनकिली’ की शूटिंग के दौरान मरीजों को असुविधा हुई थी। इसे लेकर आयोग ने आदेश जारी किया है।

राज्य मानवाधिकार आयोग ने एर्नाकुलम के जिला चिकित्सा अधिकारी और अस्पताल अधीक्षक से पूछा था कि आपातकालीन विंग में फिल्म की शूटिंग की अनुमति क्यों दी गई। आरोप है कि शूटिंग के दौरान विंग की लाइटें कम कर दी गई थीं। अभिनेताओं समेत करीब 50 लोग मौजूद थे। पता चला है कि डॉक्टरों द्वारा मरीजों का इलाज किए जाने के दौरान भी शूटिंग की गई।

आयोग ने पाया कि आपातकालीन विभाग में जगह सीमित थी। एक बयान में बीना कुमारी ने कहा, “गंभीर रूप से बीमार मरीज के साथ अस्पताल आया एक व्यक्ति को आपातकालीन विभाग में प्रवेश नहीं कर सका। किसी को भी मुख्य द्वार से अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। क्रू ने मरीजों और आसपास खड़े लोगों को फिल्मांकन के दौरान चुप रहने का निर्देश दिया। शूटिंग दो दिन से जारी है।”

इसके बाद राज्य मानवाधिकार आयोग ने अस्पताल के अधीक्षक को ऐसी घटनाओं को न दोहराने की चेतावनी दी थी। साथ ही स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को इस संबंध में राज्य के अस्पतालों के अधीक्षकों को आवश्यक निर्देश देने को कहा था।

जिला स्वास्थ्य विभाग ने घटना पर स्वास्थ्य सेवा निदेशक के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें बताया गया था कि शूटिंग के कारण आपातकालीन विंग का कामकाज प्रभावित नहीं हुआ था।

प्रोडक्शन टीम ने भी आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया था कि काम नियमों के अनुसार किया गया था।

केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने भी घटना के संबंध में स्वास्थ्य सेवा निदेशक से स्पष्टीकरण मांगा है।

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आयोग की सदस्य वी.के. बीना कुमारी ने रविवार को एक आदेश जारी किया। आदेश में राज्य सरकार को उन अस्पतालों में शूटिंग से बचने की सिफारिश की गई है, जहां चौबीसों घंटे चलने वाले यूनिट – जैसे आपातकालीन विभाग आदि – हैं।

दरअसल, अंगमाली के सरकारी तालुक अस्पताल में 4 जुलाई को फहाद फासिल अभिनीत फिल्म ‘पेनकिली’ की शूटिंग के दौरान मरीजों को असुविधा हुई थी। इसे लेकर आयोग ने आदेश जारी किया है।

राज्य मानवाधिकार आयोग ने एर्नाकुलम के जिला चिकित्सा अधिकारी और अस्पताल अधीक्षक से पूछा था कि आपातकालीन विंग में फिल्म की शूटिंग की अनुमति क्यों दी गई। आरोप है कि शूटिंग के दौरान विंग की लाइटें कम कर दी गई थीं। अभिनेताओं समेत करीब 50 लोग मौजूद थे। पता चला है कि डॉक्टरों द्वारा मरीजों का इलाज किए जाने के दौरान भी शूटिंग की गई।

आयोग ने पाया कि आपातकालीन विभाग में जगह सीमित थी। एक बयान में बीना कुमारी ने कहा, “गंभीर रूप से बीमार मरीज के साथ अस्पताल आया एक व्यक्ति को आपातकालीन विभाग में प्रवेश नहीं कर सका। किसी को भी मुख्य द्वार से अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। क्रू ने मरीजों और आसपास खड़े लोगों को फिल्मांकन के दौरान चुप रहने का निर्देश दिया। शूटिंग दो दिन से जारी है।”

इसके बाद राज्य मानवाधिकार आयोग ने अस्पताल के अधीक्षक को ऐसी घटनाओं को न दोहराने की चेतावनी दी थी। साथ ही स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को इस संबंध में राज्य के अस्पतालों के अधीक्षकों को आवश्यक निर्देश देने को कहा था।

जिला स्वास्थ्य विभाग ने घटना पर स्वास्थ्य सेवा निदेशक के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें बताया गया था कि शूटिंग के कारण आपातकालीन विंग का कामकाज प्रभावित नहीं हुआ था।

प्रोडक्शन टीम ने भी आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया था कि काम नियमों के अनुसार किया गया था।

केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने भी घटना के संबंध में स्वास्थ्य सेवा निदेशक से स्पष्टीकरण मांगा है।

–आईएएनएस

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तिरुवनंतपुरम, 8 सितंबर (आईएएनएस)। केरल राज्य मानवाधिकार आयोग ने राज्य के सरकारी अस्पतालों में फिल्मों की शूटिंग पर प्रतिबंध लगाने की अनुशंसा की है।

आयोग की सदस्य वी.के. बीना कुमारी ने रविवार को एक आदेश जारी किया। आदेश में राज्य सरकार को उन अस्पतालों में शूटिंग से बचने की सिफारिश की गई है, जहां चौबीसों घंटे चलने वाले यूनिट – जैसे आपातकालीन विभाग आदि – हैं।

दरअसल, अंगमाली के सरकारी तालुक अस्पताल में 4 जुलाई को फहाद फासिल अभिनीत फिल्म ‘पेनकिली’ की शूटिंग के दौरान मरीजों को असुविधा हुई थी। इसे लेकर आयोग ने आदेश जारी किया है।

राज्य मानवाधिकार आयोग ने एर्नाकुलम के जिला चिकित्सा अधिकारी और अस्पताल अधीक्षक से पूछा था कि आपातकालीन विंग में फिल्म की शूटिंग की अनुमति क्यों दी गई। आरोप है कि शूटिंग के दौरान विंग की लाइटें कम कर दी गई थीं। अभिनेताओं समेत करीब 50 लोग मौजूद थे। पता चला है कि डॉक्टरों द्वारा मरीजों का इलाज किए जाने के दौरान भी शूटिंग की गई।

आयोग ने पाया कि आपातकालीन विभाग में जगह सीमित थी। एक बयान में बीना कुमारी ने कहा, “गंभीर रूप से बीमार मरीज के साथ अस्पताल आया एक व्यक्ति को आपातकालीन विभाग में प्रवेश नहीं कर सका। किसी को भी मुख्य द्वार से अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। क्रू ने मरीजों और आसपास खड़े लोगों को फिल्मांकन के दौरान चुप रहने का निर्देश दिया। शूटिंग दो दिन से जारी है।”

इसके बाद राज्य मानवाधिकार आयोग ने अस्पताल के अधीक्षक को ऐसी घटनाओं को न दोहराने की चेतावनी दी थी। साथ ही स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को इस संबंध में राज्य के अस्पतालों के अधीक्षकों को आवश्यक निर्देश देने को कहा था।

जिला स्वास्थ्य विभाग ने घटना पर स्वास्थ्य सेवा निदेशक के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें बताया गया था कि शूटिंग के कारण आपातकालीन विंग का कामकाज प्रभावित नहीं हुआ था।

प्रोडक्शन टीम ने भी आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया था कि काम नियमों के अनुसार किया गया था।

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दरअसल, अंगमाली के सरकारी तालुक अस्पताल में 4 जुलाई को फहाद फासिल अभिनीत फिल्म ‘पेनकिली’ की शूटिंग के दौरान मरीजों को असुविधा हुई थी। इसे लेकर आयोग ने आदेश जारी किया है।

राज्य मानवाधिकार आयोग ने एर्नाकुलम के जिला चिकित्सा अधिकारी और अस्पताल अधीक्षक से पूछा था कि आपातकालीन विंग में फिल्म की शूटिंग की अनुमति क्यों दी गई। आरोप है कि शूटिंग के दौरान विंग की लाइटें कम कर दी गई थीं। अभिनेताओं समेत करीब 50 लोग मौजूद थे। पता चला है कि डॉक्टरों द्वारा मरीजों का इलाज किए जाने के दौरान भी शूटिंग की गई।

आयोग ने पाया कि आपातकालीन विभाग में जगह सीमित थी। एक बयान में बीना कुमारी ने कहा, “गंभीर रूप से बीमार मरीज के साथ अस्पताल आया एक व्यक्ति को आपातकालीन विभाग में प्रवेश नहीं कर सका। किसी को भी मुख्य द्वार से अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। क्रू ने मरीजों और आसपास खड़े लोगों को फिल्मांकन के दौरान चुप रहने का निर्देश दिया। शूटिंग दो दिन से जारी है।”

इसके बाद राज्य मानवाधिकार आयोग ने अस्पताल के अधीक्षक को ऐसी घटनाओं को न दोहराने की चेतावनी दी थी। साथ ही स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को इस संबंध में राज्य के अस्पतालों के अधीक्षकों को आवश्यक निर्देश देने को कहा था।

जिला स्वास्थ्य विभाग ने घटना पर स्वास्थ्य सेवा निदेशक के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें बताया गया था कि शूटिंग के कारण आपातकालीन विंग का कामकाज प्रभावित नहीं हुआ था।

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दरअसल, अंगमाली के सरकारी तालुक अस्पताल में 4 जुलाई को फहाद फासिल अभिनीत फिल्म ‘पेनकिली’ की शूटिंग के दौरान मरीजों को असुविधा हुई थी। इसे लेकर आयोग ने आदेश जारी किया है।

राज्य मानवाधिकार आयोग ने एर्नाकुलम के जिला चिकित्सा अधिकारी और अस्पताल अधीक्षक से पूछा था कि आपातकालीन विंग में फिल्म की शूटिंग की अनुमति क्यों दी गई। आरोप है कि शूटिंग के दौरान विंग की लाइटें कम कर दी गई थीं। अभिनेताओं समेत करीब 50 लोग मौजूद थे। पता चला है कि डॉक्टरों द्वारा मरीजों का इलाज किए जाने के दौरान भी शूटिंग की गई।

आयोग ने पाया कि आपातकालीन विभाग में जगह सीमित थी। एक बयान में बीना कुमारी ने कहा, “गंभीर रूप से बीमार मरीज के साथ अस्पताल आया एक व्यक्ति को आपातकालीन विभाग में प्रवेश नहीं कर सका। किसी को भी मुख्य द्वार से अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। क्रू ने मरीजों और आसपास खड़े लोगों को फिल्मांकन के दौरान चुप रहने का निर्देश दिया। शूटिंग दो दिन से जारी है।”

इसके बाद राज्य मानवाधिकार आयोग ने अस्पताल के अधीक्षक को ऐसी घटनाओं को न दोहराने की चेतावनी दी थी। साथ ही स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को इस संबंध में राज्य के अस्पतालों के अधीक्षकों को आवश्यक निर्देश देने को कहा था।

जिला स्वास्थ्य विभाग ने घटना पर स्वास्थ्य सेवा निदेशक के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें बताया गया था कि शूटिंग के कारण आपातकालीन विंग का कामकाज प्रभावित नहीं हुआ था।

प्रोडक्शन टीम ने भी आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया था कि काम नियमों के अनुसार किया गया था।

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तिरुवनंतपुरम, 8 सितंबर (आईएएनएस)। केरल राज्य मानवाधिकार आयोग ने राज्य के सरकारी अस्पतालों में फिल्मों की शूटिंग पर प्रतिबंध लगाने की अनुशंसा की है।

आयोग की सदस्य वी.के. बीना कुमारी ने रविवार को एक आदेश जारी किया। आदेश में राज्य सरकार को उन अस्पतालों में शूटिंग से बचने की सिफारिश की गई है, जहां चौबीसों घंटे चलने वाले यूनिट – जैसे आपातकालीन विभाग आदि – हैं।

दरअसल, अंगमाली के सरकारी तालुक अस्पताल में 4 जुलाई को फहाद फासिल अभिनीत फिल्म ‘पेनकिली’ की शूटिंग के दौरान मरीजों को असुविधा हुई थी। इसे लेकर आयोग ने आदेश जारी किया है।

राज्य मानवाधिकार आयोग ने एर्नाकुलम के जिला चिकित्सा अधिकारी और अस्पताल अधीक्षक से पूछा था कि आपातकालीन विंग में फिल्म की शूटिंग की अनुमति क्यों दी गई। आरोप है कि शूटिंग के दौरान विंग की लाइटें कम कर दी गई थीं। अभिनेताओं समेत करीब 50 लोग मौजूद थे। पता चला है कि डॉक्टरों द्वारा मरीजों का इलाज किए जाने के दौरान भी शूटिंग की गई।

आयोग ने पाया कि आपातकालीन विभाग में जगह सीमित थी। एक बयान में बीना कुमारी ने कहा, “गंभीर रूप से बीमार मरीज के साथ अस्पताल आया एक व्यक्ति को आपातकालीन विभाग में प्रवेश नहीं कर सका। किसी को भी मुख्य द्वार से अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। क्रू ने मरीजों और आसपास खड़े लोगों को फिल्मांकन के दौरान चुप रहने का निर्देश दिया। शूटिंग दो दिन से जारी है।”

इसके बाद राज्य मानवाधिकार आयोग ने अस्पताल के अधीक्षक को ऐसी घटनाओं को न दोहराने की चेतावनी दी थी। साथ ही स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को इस संबंध में राज्य के अस्पतालों के अधीक्षकों को आवश्यक निर्देश देने को कहा था।

जिला स्वास्थ्य विभाग ने घटना पर स्वास्थ्य सेवा निदेशक के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें बताया गया था कि शूटिंग के कारण आपातकालीन विंग का कामकाज प्रभावित नहीं हुआ था।

प्रोडक्शन टीम ने भी आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया था कि काम नियमों के अनुसार किया गया था।

केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने भी घटना के संबंध में स्वास्थ्य सेवा निदेशक से स्पष्टीकरण मांगा है।

–आईएएनएस

डीकेएम/एकेजे

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तिरुवनंतपुरम, 8 सितंबर (आईएएनएस)। केरल राज्य मानवाधिकार आयोग ने राज्य के सरकारी अस्पतालों में फिल्मों की शूटिंग पर प्रतिबंध लगाने की अनुशंसा की है।

आयोग की सदस्य वी.के. बीना कुमारी ने रविवार को एक आदेश जारी किया। आदेश में राज्य सरकार को उन अस्पतालों में शूटिंग से बचने की सिफारिश की गई है, जहां चौबीसों घंटे चलने वाले यूनिट – जैसे आपातकालीन विभाग आदि – हैं।

दरअसल, अंगमाली के सरकारी तालुक अस्पताल में 4 जुलाई को फहाद फासिल अभिनीत फिल्म ‘पेनकिली’ की शूटिंग के दौरान मरीजों को असुविधा हुई थी। इसे लेकर आयोग ने आदेश जारी किया है।

राज्य मानवाधिकार आयोग ने एर्नाकुलम के जिला चिकित्सा अधिकारी और अस्पताल अधीक्षक से पूछा था कि आपातकालीन विंग में फिल्म की शूटिंग की अनुमति क्यों दी गई। आरोप है कि शूटिंग के दौरान विंग की लाइटें कम कर दी गई थीं। अभिनेताओं समेत करीब 50 लोग मौजूद थे। पता चला है कि डॉक्टरों द्वारा मरीजों का इलाज किए जाने के दौरान भी शूटिंग की गई।

आयोग ने पाया कि आपातकालीन विभाग में जगह सीमित थी। एक बयान में बीना कुमारी ने कहा, “गंभीर रूप से बीमार मरीज के साथ अस्पताल आया एक व्यक्ति को आपातकालीन विभाग में प्रवेश नहीं कर सका। किसी को भी मुख्य द्वार से अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। क्रू ने मरीजों और आसपास खड़े लोगों को फिल्मांकन के दौरान चुप रहने का निर्देश दिया। शूटिंग दो दिन से जारी है।”

इसके बाद राज्य मानवाधिकार आयोग ने अस्पताल के अधीक्षक को ऐसी घटनाओं को न दोहराने की चेतावनी दी थी। साथ ही स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को इस संबंध में राज्य के अस्पतालों के अधीक्षकों को आवश्यक निर्देश देने को कहा था।

जिला स्वास्थ्य विभाग ने घटना पर स्वास्थ्य सेवा निदेशक के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें बताया गया था कि शूटिंग के कारण आपातकालीन विंग का कामकाज प्रभावित नहीं हुआ था।

प्रोडक्शन टीम ने भी आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया था कि काम नियमों के अनुसार किया गया था।

केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने भी घटना के संबंध में स्वास्थ्य सेवा निदेशक से स्पष्टीकरण मांगा है।

–आईएएनएस

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तिरुवनंतपुरम, 8 सितंबर (आईएएनएस)। केरल राज्य मानवाधिकार आयोग ने राज्य के सरकारी अस्पतालों में फिल्मों की शूटिंग पर प्रतिबंध लगाने की अनुशंसा की है।

आयोग की सदस्य वी.के. बीना कुमारी ने रविवार को एक आदेश जारी किया। आदेश में राज्य सरकार को उन अस्पतालों में शूटिंग से बचने की सिफारिश की गई है, जहां चौबीसों घंटे चलने वाले यूनिट – जैसे आपातकालीन विभाग आदि – हैं।

दरअसल, अंगमाली के सरकारी तालुक अस्पताल में 4 जुलाई को फहाद फासिल अभिनीत फिल्म ‘पेनकिली’ की शूटिंग के दौरान मरीजों को असुविधा हुई थी। इसे लेकर आयोग ने आदेश जारी किया है।

राज्य मानवाधिकार आयोग ने एर्नाकुलम के जिला चिकित्सा अधिकारी और अस्पताल अधीक्षक से पूछा था कि आपातकालीन विंग में फिल्म की शूटिंग की अनुमति क्यों दी गई। आरोप है कि शूटिंग के दौरान विंग की लाइटें कम कर दी गई थीं। अभिनेताओं समेत करीब 50 लोग मौजूद थे। पता चला है कि डॉक्टरों द्वारा मरीजों का इलाज किए जाने के दौरान भी शूटिंग की गई।

आयोग ने पाया कि आपातकालीन विभाग में जगह सीमित थी। एक बयान में बीना कुमारी ने कहा, “गंभीर रूप से बीमार मरीज के साथ अस्पताल आया एक व्यक्ति को आपातकालीन विभाग में प्रवेश नहीं कर सका। किसी को भी मुख्य द्वार से अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। क्रू ने मरीजों और आसपास खड़े लोगों को फिल्मांकन के दौरान चुप रहने का निर्देश दिया। शूटिंग दो दिन से जारी है।”

इसके बाद राज्य मानवाधिकार आयोग ने अस्पताल के अधीक्षक को ऐसी घटनाओं को न दोहराने की चेतावनी दी थी। साथ ही स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को इस संबंध में राज्य के अस्पतालों के अधीक्षकों को आवश्यक निर्देश देने को कहा था।

जिला स्वास्थ्य विभाग ने घटना पर स्वास्थ्य सेवा निदेशक के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें बताया गया था कि शूटिंग के कारण आपातकालीन विंग का कामकाज प्रभावित नहीं हुआ था।

प्रोडक्शन टीम ने भी आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया था कि काम नियमों के अनुसार किया गया था।

केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने भी घटना के संबंध में स्वास्थ्य सेवा निदेशक से स्पष्टीकरण मांगा है।

–आईएएनएस

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तिरुवनंतपुरम, 8 सितंबर (आईएएनएस)। केरल राज्य मानवाधिकार आयोग ने राज्य के सरकारी अस्पतालों में फिल्मों की शूटिंग पर प्रतिबंध लगाने की अनुशंसा की है।

आयोग की सदस्य वी.के. बीना कुमारी ने रविवार को एक आदेश जारी किया। आदेश में राज्य सरकार को उन अस्पतालों में शूटिंग से बचने की सिफारिश की गई है, जहां चौबीसों घंटे चलने वाले यूनिट – जैसे आपातकालीन विभाग आदि – हैं।

दरअसल, अंगमाली के सरकारी तालुक अस्पताल में 4 जुलाई को फहाद फासिल अभिनीत फिल्म ‘पेनकिली’ की शूटिंग के दौरान मरीजों को असुविधा हुई थी। इसे लेकर आयोग ने आदेश जारी किया है।

राज्य मानवाधिकार आयोग ने एर्नाकुलम के जिला चिकित्सा अधिकारी और अस्पताल अधीक्षक से पूछा था कि आपातकालीन विंग में फिल्म की शूटिंग की अनुमति क्यों दी गई। आरोप है कि शूटिंग के दौरान विंग की लाइटें कम कर दी गई थीं। अभिनेताओं समेत करीब 50 लोग मौजूद थे। पता चला है कि डॉक्टरों द्वारा मरीजों का इलाज किए जाने के दौरान भी शूटिंग की गई।

आयोग ने पाया कि आपातकालीन विभाग में जगह सीमित थी। एक बयान में बीना कुमारी ने कहा, “गंभीर रूप से बीमार मरीज के साथ अस्पताल आया एक व्यक्ति को आपातकालीन विभाग में प्रवेश नहीं कर सका। किसी को भी मुख्य द्वार से अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। क्रू ने मरीजों और आसपास खड़े लोगों को फिल्मांकन के दौरान चुप रहने का निर्देश दिया। शूटिंग दो दिन से जारी है।”

इसके बाद राज्य मानवाधिकार आयोग ने अस्पताल के अधीक्षक को ऐसी घटनाओं को न दोहराने की चेतावनी दी थी। साथ ही स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को इस संबंध में राज्य के अस्पतालों के अधीक्षकों को आवश्यक निर्देश देने को कहा था।

जिला स्वास्थ्य विभाग ने घटना पर स्वास्थ्य सेवा निदेशक के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें बताया गया था कि शूटिंग के कारण आपातकालीन विंग का कामकाज प्रभावित नहीं हुआ था।

प्रोडक्शन टीम ने भी आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया था कि काम नियमों के अनुसार किया गया था।

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आयोग की सदस्य वी.के. बीना कुमारी ने रविवार को एक आदेश जारी किया। आदेश में राज्य सरकार को उन अस्पतालों में शूटिंग से बचने की सिफारिश की गई है, जहां चौबीसों घंटे चलने वाले यूनिट – जैसे आपातकालीन विभाग आदि – हैं।

दरअसल, अंगमाली के सरकारी तालुक अस्पताल में 4 जुलाई को फहाद फासिल अभिनीत फिल्म ‘पेनकिली’ की शूटिंग के दौरान मरीजों को असुविधा हुई थी। इसे लेकर आयोग ने आदेश जारी किया है।

राज्य मानवाधिकार आयोग ने एर्नाकुलम के जिला चिकित्सा अधिकारी और अस्पताल अधीक्षक से पूछा था कि आपातकालीन विंग में फिल्म की शूटिंग की अनुमति क्यों दी गई। आरोप है कि शूटिंग के दौरान विंग की लाइटें कम कर दी गई थीं। अभिनेताओं समेत करीब 50 लोग मौजूद थे। पता चला है कि डॉक्टरों द्वारा मरीजों का इलाज किए जाने के दौरान भी शूटिंग की गई।

आयोग ने पाया कि आपातकालीन विभाग में जगह सीमित थी। एक बयान में बीना कुमारी ने कहा, “गंभीर रूप से बीमार मरीज के साथ अस्पताल आया एक व्यक्ति को आपातकालीन विभाग में प्रवेश नहीं कर सका। किसी को भी मुख्य द्वार से अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। क्रू ने मरीजों और आसपास खड़े लोगों को फिल्मांकन के दौरान चुप रहने का निर्देश दिया। शूटिंग दो दिन से जारी है।”

इसके बाद राज्य मानवाधिकार आयोग ने अस्पताल के अधीक्षक को ऐसी घटनाओं को न दोहराने की चेतावनी दी थी। साथ ही स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को इस संबंध में राज्य के अस्पतालों के अधीक्षकों को आवश्यक निर्देश देने को कहा था।

जिला स्वास्थ्य विभाग ने घटना पर स्वास्थ्य सेवा निदेशक के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें बताया गया था कि शूटिंग के कारण आपातकालीन विंग का कामकाज प्रभावित नहीं हुआ था।

प्रोडक्शन टीम ने भी आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया था कि काम नियमों के अनुसार किया गया था।

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