तिरुवनंतपुरम, 9 सितंबर (आईएएनएस)। केरल से एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पॉक्सो एक्ट के तहत पंजीकृत 22 प्रतिशत बाल शोषण घरों में हुए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में 4,582 मामले थे, जिनमें 4,642 पीड़ित थे, जिनमें से दुर्व्यवहार के 1,004 मामले पीड़ितों के घर के अंदर हुए।
रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। साल 2020 में 3,030 मामले थे, जो 2021 में बढ़कर 3,322 और फिर 2022 में 4,582 हो गए। केरल राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के लेटेस्ट अध्ययन में यह बात सामने आई है।
पीड़ितों में 4,008 लड़कियां और 578 लड़के शामिल हैं। 93 प्रतिशत आरोपी पुरुष हैं और 16 प्रतिशत (801 मामले) में प्रेमी, 12 प्रतिशत पड़ोसी, 9 प्रतिशत (462 मामले) परिवार के सदस्य, 8 प्रतिशत (389 मामले) रिश्तेदार थे, और 3 प्रतिशत शिक्षक थे।
बच्चों को स्कूलों में (133 मामले), वाहनों में (102 मामले), होटल (99 मामले), धार्मिक संस्थानों (60 मामले), अस्पतालों (29 मामले) आदि में छेड़छाड़ का शिकार होना पड़ा।
राज्य की राजधानी जिले में सबसे अधिक 583 मामले दर्ज किए गए। पथानामथिट्टा 189 मामलों के साथ वह जिला है जहां सबसे कम मामले दर्ज किए गए।
–आईएएनएस
एफजेड/एबीएम
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तिरुवनंतपुरम, 9 सितंबर (आईएएनएस)। केरल से एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पॉक्सो एक्ट के तहत पंजीकृत 22 प्रतिशत बाल शोषण घरों में हुए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में 4,582 मामले थे, जिनमें 4,642 पीड़ित थे, जिनमें से दुर्व्यवहार के 1,004 मामले पीड़ितों के घर के अंदर हुए।
रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। साल 2020 में 3,030 मामले थे, जो 2021 में बढ़कर 3,322 और फिर 2022 में 4,582 हो गए। केरल राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के लेटेस्ट अध्ययन में यह बात सामने आई है।
पीड़ितों में 4,008 लड़कियां और 578 लड़के शामिल हैं। 93 प्रतिशत आरोपी पुरुष हैं और 16 प्रतिशत (801 मामले) में प्रेमी, 12 प्रतिशत पड़ोसी, 9 प्रतिशत (462 मामले) परिवार के सदस्य, 8 प्रतिशत (389 मामले) रिश्तेदार थे, और 3 प्रतिशत शिक्षक थे।
बच्चों को स्कूलों में (133 मामले), वाहनों में (102 मामले), होटल (99 मामले), धार्मिक संस्थानों (60 मामले), अस्पतालों (29 मामले) आदि में छेड़छाड़ का शिकार होना पड़ा।
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रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। साल 2020 में 3,030 मामले थे, जो 2021 में बढ़कर 3,322 और फिर 2022 में 4,582 हो गए। केरल राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के लेटेस्ट अध्ययन में यह बात सामने आई है।
पीड़ितों में 4,008 लड़कियां और 578 लड़के शामिल हैं। 93 प्रतिशत आरोपी पुरुष हैं और 16 प्रतिशत (801 मामले) में प्रेमी, 12 प्रतिशत पड़ोसी, 9 प्रतिशत (462 मामले) परिवार के सदस्य, 8 प्रतिशत (389 मामले) रिश्तेदार थे, और 3 प्रतिशत शिक्षक थे।
बच्चों को स्कूलों में (133 मामले), वाहनों में (102 मामले), होटल (99 मामले), धार्मिक संस्थानों (60 मामले), अस्पतालों (29 मामले) आदि में छेड़छाड़ का शिकार होना पड़ा।
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पीड़ितों में 4,008 लड़कियां और 578 लड़के शामिल हैं। 93 प्रतिशत आरोपी पुरुष हैं और 16 प्रतिशत (801 मामले) में प्रेमी, 12 प्रतिशत पड़ोसी, 9 प्रतिशत (462 मामले) परिवार के सदस्य, 8 प्रतिशत (389 मामले) रिश्तेदार थे, और 3 प्रतिशत शिक्षक थे।
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पीड़ितों में 4,008 लड़कियां और 578 लड़के शामिल हैं। 93 प्रतिशत आरोपी पुरुष हैं और 16 प्रतिशत (801 मामले) में प्रेमी, 12 प्रतिशत पड़ोसी, 9 प्रतिशत (462 मामले) परिवार के सदस्य, 8 प्रतिशत (389 मामले) रिश्तेदार थे, और 3 प्रतिशत शिक्षक थे।
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पीड़ितों में 4,008 लड़कियां और 578 लड़के शामिल हैं। 93 प्रतिशत आरोपी पुरुष हैं और 16 प्रतिशत (801 मामले) में प्रेमी, 12 प्रतिशत पड़ोसी, 9 प्रतिशत (462 मामले) परिवार के सदस्य, 8 प्रतिशत (389 मामले) रिश्तेदार थे, और 3 प्रतिशत शिक्षक थे।
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पीड़ितों में 4,008 लड़कियां और 578 लड़के शामिल हैं। 93 प्रतिशत आरोपी पुरुष हैं और 16 प्रतिशत (801 मामले) में प्रेमी, 12 प्रतिशत पड़ोसी, 9 प्रतिशत (462 मामले) परिवार के सदस्य, 8 प्रतिशत (389 मामले) रिश्तेदार थे, और 3 प्रतिशत शिक्षक थे।
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रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। साल 2020 में 3,030 मामले थे, जो 2021 में बढ़कर 3,322 और फिर 2022 में 4,582 हो गए। केरल राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के लेटेस्ट अध्ययन में यह बात सामने आई है।
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रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में 4,582 मामले थे, जिनमें 4,642 पीड़ित थे, जिनमें से दुर्व्यवहार के 1,004 मामले पीड़ितों के घर के अंदर हुए।
रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। साल 2020 में 3,030 मामले थे, जो 2021 में बढ़कर 3,322 और फिर 2022 में 4,582 हो गए। केरल राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के लेटेस्ट अध्ययन में यह बात सामने आई है।
पीड़ितों में 4,008 लड़कियां और 578 लड़के शामिल हैं। 93 प्रतिशत आरोपी पुरुष हैं और 16 प्रतिशत (801 मामले) में प्रेमी, 12 प्रतिशत पड़ोसी, 9 प्रतिशत (462 मामले) परिवार के सदस्य, 8 प्रतिशत (389 मामले) रिश्तेदार थे, और 3 प्रतिशत शिक्षक थे।
बच्चों को स्कूलों में (133 मामले), वाहनों में (102 मामले), होटल (99 मामले), धार्मिक संस्थानों (60 मामले), अस्पतालों (29 मामले) आदि में छेड़छाड़ का शिकार होना पड़ा।
राज्य की राजधानी जिले में सबसे अधिक 583 मामले दर्ज किए गए। पथानामथिट्टा 189 मामलों के साथ वह जिला है जहां सबसे कम मामले दर्ज किए गए।
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रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। साल 2020 में 3,030 मामले थे, जो 2021 में बढ़कर 3,322 और फिर 2022 में 4,582 हो गए। केरल राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के लेटेस्ट अध्ययन में यह बात सामने आई है।
पीड़ितों में 4,008 लड़कियां और 578 लड़के शामिल हैं। 93 प्रतिशत आरोपी पुरुष हैं और 16 प्रतिशत (801 मामले) में प्रेमी, 12 प्रतिशत पड़ोसी, 9 प्रतिशत (462 मामले) परिवार के सदस्य, 8 प्रतिशत (389 मामले) रिश्तेदार थे, और 3 प्रतिशत शिक्षक थे।
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