कोच्चि, 13 नवंबर (आईएएनएस)। केएचसीएए के पूर्व अध्यक्ष सैबी जोस किदांगूर ने सोमवार को तब राहत की सांस ली, जब राज्य सरकार ने केरल उच्च न्यायालय को सूचित किया कि वह उनके खिलाफ आरोप वापस ले लेगी।
इसके बाद अदालत ने लोक अभियोजक (पीपी) को जांच एजेंसी की अंतिम रिपोर्ट की एक प्रति पेश करने का निर्देश दिया।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, “पीपी का कहना है कि जांच एजेंसी ने ‘आगे की कार्रवाई छोड़ दी गई’ शीर्षक के तहत एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है। पीपी अंतिम रिपोर्ट की एक प्रति पेश करेगी।” मामले को एक सप्ताह के लिए टाल दिया गया।
अदालत किदंगूर द्वारा केरल उच्च न्यायालय के कुछ न्यायाधीशों को रिश्वत देने के बहाने ग्राहकों से बड़ी रकम हड़पने के आरोप में उनके खिलाफ दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) को रद्द करने के लिए दायर याचिका पर विचार कर रही है।
प्रारंभिक जांच करने के बाद, एर्नाकुलम सेंट्रल पुलिस स्टेशन ने 1 फरवरी को उच्च न्यायालय के वकील के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की और इसके तुरंत बाद, किदंगूर ने केरल उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ (केएचसीसीए) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
संयोग से, उनके लिए परेशानी तब शुरू हुई, जब एक साथी वकील ने उनके फेसबुक पर कहा कि किदंगूर कुछ ग्राहकों से, जिनमें कुछ सेलिब्रिटी ग्राहक भी शामिल हैं, बड़ी रकम इकट्ठा कर रहा था और कह रहा था कि वह इसका इस्तेमाल न्यायाधीशों को रिश्वत देने के लिए करेगा।
उसी का अनुसरण करते हुए, न्यायाधीशों में से एक न्यायमूर्ति पी.वी. कुन्हिकृष्णन ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल से आरोपों की जांच करने को कहा।
रजिस्ट्रार जनरल ने एक प्रारंभिक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसे उन्होंने मुख्य न्यायाधीश को भेजा, जिन्होंने बदले में उच्च न्यायालय की सतर्कता शाखा को जांच शुरू करने का निर्देश दिया।
सतर्कता विंग की जांच में प्रथमदृष्टया सबूत मिले कि किदंगूर ने अपने ग्राहकों से यह कहकर पैसे लिए थे कि वह इसका इस्तेमाल कुछ न्यायाधीशों को रिश्वत देने के लिए करेगा।
इसके बाद सतर्कता रिपोर्ट केरल पुलिस को भेजी गई, जिसने अपनी जांच शुरू की। इसमें संकेत मिला कि किदंगूर के खिलाफ आरोपों में दम था, इसके कारण एफआईआर दर्ज की गई, लेकिन विस्तृत जांच में उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला।
–आईएएनएस
सीबीटी
कोच्चि, 13 नवंबर (आईएएनएस)। केएचसीएए के पूर्व अध्यक्ष सैबी जोस किदांगूर ने सोमवार को तब राहत की सांस ली, जब राज्य सरकार ने केरल उच्च न्यायालय को सूचित किया कि वह उनके खिलाफ आरोप वापस ले लेगी।
इसके बाद अदालत ने लोक अभियोजक (पीपी) को जांच एजेंसी की अंतिम रिपोर्ट की एक प्रति पेश करने का निर्देश दिया।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, “पीपी का कहना है कि जांच एजेंसी ने ‘आगे की कार्रवाई छोड़ दी गई’ शीर्षक के तहत एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है। पीपी अंतिम रिपोर्ट की एक प्रति पेश करेगी।” मामले को एक सप्ताह के लिए टाल दिया गया।
अदालत किदंगूर द्वारा केरल उच्च न्यायालय के कुछ न्यायाधीशों को रिश्वत देने के बहाने ग्राहकों से बड़ी रकम हड़पने के आरोप में उनके खिलाफ दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) को रद्द करने के लिए दायर याचिका पर विचार कर रही है।
प्रारंभिक जांच करने के बाद, एर्नाकुलम सेंट्रल पुलिस स्टेशन ने 1 फरवरी को उच्च न्यायालय के वकील के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की और इसके तुरंत बाद, किदंगूर ने केरल उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ (केएचसीसीए) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
संयोग से, उनके लिए परेशानी तब शुरू हुई, जब एक साथी वकील ने उनके फेसबुक पर कहा कि किदंगूर कुछ ग्राहकों से, जिनमें कुछ सेलिब्रिटी ग्राहक भी शामिल हैं, बड़ी रकम इकट्ठा कर रहा था और कह रहा था कि वह इसका इस्तेमाल न्यायाधीशों को रिश्वत देने के लिए करेगा।
उसी का अनुसरण करते हुए, न्यायाधीशों में से एक न्यायमूर्ति पी.वी. कुन्हिकृष्णन ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल से आरोपों की जांच करने को कहा।
रजिस्ट्रार जनरल ने एक प्रारंभिक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसे उन्होंने मुख्य न्यायाधीश को भेजा, जिन्होंने बदले में उच्च न्यायालय की सतर्कता शाखा को जांच शुरू करने का निर्देश दिया।
सतर्कता विंग की जांच में प्रथमदृष्टया सबूत मिले कि किदंगूर ने अपने ग्राहकों से यह कहकर पैसे लिए थे कि वह इसका इस्तेमाल कुछ न्यायाधीशों को रिश्वत देने के लिए करेगा।
इसके बाद सतर्कता रिपोर्ट केरल पुलिस को भेजी गई, जिसने अपनी जांच शुरू की। इसमें संकेत मिला कि किदंगूर के खिलाफ आरोपों में दम था, इसके कारण एफआईआर दर्ज की गई, लेकिन विस्तृत जांच में उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला।
–आईएएनएस
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