कोच्चि, 27 जनवरी (आईएएनएस)। केरल हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति शाजी पी चैली की पीठ ने शुक्रवार को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को एक महीने के भीतर एक ट्रांसजेंडर छात्र के 10वीं और 12वीं कक्षा के प्रमाणपत्रों में नाम और लिंग परिवर्तन के आवेदन पर फैसला करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति चैली ने आगे आदेश दिया कि अगर याचिकाकर्ता से किसी भी स्पष्टीकरण या अन्य दस्तावेजों की जरूरत होती है, तो सीबीएसई को दो सप्ताह के भीतर इसका अनुरोध करना चाहिए।
अदालत ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता के वकील और सीबीएसई के स्थायी वकील को सुनने के बाद इस मामले को सीबीएसई क्षेत्रीय कार्यालय तिरुवनंतपुरम को इस फैसले की प्रति प्राप्त होने की तारीख से एक महीने के भीतर याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत आवेदन को अंतिम रूप देने का निर्देश देने का निस्तारण किया जाता है। मैं यह भी स्पष्ट करता हूं कि यदि याचिकाकर्ता से किसी स्पष्टीकरण की आवश्यकता है तो सीबीएसई द्वारा आज से पर्याप्त अनुरोध किया जाएगा।
अदालत एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें सीबीएसई को उसके 10वीं और 12वीं के प्रमाणपत्रों में नाम, लिंग और फोटो बदलने के आदेश देने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता जन्म के समय एक महिला के रूप में पैदा हुआ था लेकिन उसने हाल ही में अपना लिंग और नाम बदल लिया था।
याचिकाकर्ता एक युवा स्नातक डिग्री धारक है। उसका कहना है कि वह स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल करने के लिए उत्सुक है। उन्होंने आगे कहा कि पीजी (स्नातकोत्तर) कोर्स में प्रवेश के लिए उन्हें अपने हाल ही में चुने गए नाम के अनुरूप सीबीएसई के तहत अपने 10वीं और 12वीं के प्रमाणपत्रों को बदलना होगा और एक नई फोटो लगानी होगी। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020 के तहत, एक बार जब कोई व्यक्ति लिंग बदलता है, तो परिवर्तन सभी सरकारी दस्तावेजों में परिलक्षित होना चाहिए।
व्यक्ति ने अपने दस्तावेजों को बदलने के लिए सीबीएसई से संपर्क किया था, लेकिन सीबीएसई ने उससे कहा कि उसके स्कूल प्रमाणपत्रों में संशोधन के लिए पहले उसका जन्म प्रमाण पत्र बदला जाना चाहिए। याचिकाकर्ता ने कहा कि हालांकि, जब जन्म प्रमाण पत्र में संशोधन किया गया था, तब भी सीबीएसई ने उसके 10वीं और 12वीं कक्षा के प्रमाणपत्रों में विवरण नहीं बदला।
–आईएएनएस
एफजेड/एएनएम