कोच्चि, 18 मई (आईएएनएस)। केरल हाईकोर्ट सोमवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करेगा, जिसमें बच्चों द्वारा राज्य के उत्तरी मालाबार जिले में प्रचलित पारंपरिक नृत्य थे चामुंडी थेय्यम के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।
थेय्यम उत्तरी केरल में एक धार्मिक परंपरा है और चामुंडी थेय्यम इसके रूपों में से एक है।
एक एनजीओ धीशा फाउंडेशन द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि इस नृत्य का बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
न्यायालय की एक खंडपीठ ने पहले ही याचिकाकर्ता को मालाबार देवासम बोर्ड और उस मंदिर के न्यासियों को पक्षकार बनाने के लिए कहा है, जिसके तहत नृत्य प्रदर्शन किया जाता है।
जनहित याचिका में कहा गया है कि उक्त प्रथागत नृत्य में प्रदर्शन करने के लिए चुने गए बच्चे एक पिछड़े समुदाय से होते हैं और यह सामंती व्यवस्था की झलक लगता हैं।
–आईएएनएस
पीके/एएनएम
कोच्चि, 18 मई (आईएएनएस)। केरल हाईकोर्ट सोमवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करेगा, जिसमें बच्चों द्वारा राज्य के उत्तरी मालाबार जिले में प्रचलित पारंपरिक नृत्य थे चामुंडी थेय्यम के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।
थेय्यम उत्तरी केरल में एक धार्मिक परंपरा है और चामुंडी थेय्यम इसके रूपों में से एक है।
एक एनजीओ धीशा फाउंडेशन द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि इस नृत्य का बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
न्यायालय की एक खंडपीठ ने पहले ही याचिकाकर्ता को मालाबार देवासम बोर्ड और उस मंदिर के न्यासियों को पक्षकार बनाने के लिए कहा है, जिसके तहत नृत्य प्रदर्शन किया जाता है।
जनहित याचिका में कहा गया है कि उक्त प्रथागत नृत्य में प्रदर्शन करने के लिए चुने गए बच्चे एक पिछड़े समुदाय से होते हैं और यह सामंती व्यवस्था की झलक लगता हैं।
–आईएएनएस
पीके/एएनएम