कोच्चि, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)। केरल उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि यदि सरकारी स्कूलों में दोपहर का भोजन कार्यक्रम केंद्र और राज्य के बीच एक सहयोग है, तो स्कूल के प्रधानाध्यापक इसका बोझ क्यों उठा रहे हैं।
उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी शिक्षकों के एक अग्रणी संगठन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान की जिसने इस मामले में हस्तक्षेप की मांग करते हुए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार बड़े पैमाने पर नकदी संकट से जूझ रही है, जिसके कारण लगभग 163 करोड़ रुपये का बकाया लंबित है। कई सरकारी स्कूलों के प्रमुख दोपहर का भोजन कार्यक्रम का खर्च खुद वहन करने के लिए मजबूर हैं।
जब राज्य सरकार के वकील ने बताया कि केंद्र से फंड समय पर नहीं आ रहा है तो कोर्ट ने कहा, ”अगर ऐसा है तो कार्यक्रम के नाम से केंद्र का नाम हटा दें और इसे मुख्यमंत्री की योजना का नाम दें।”
लंबे समय से, यह राज्य के सरकारी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों/प्रधानाध्यापिकाओं के लिए एक बड़ी समस्या रही है क्योंकि स्कूली बच्चों को दोपहर का भोजन प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार से स्कूलों में धनराशि आने में भारी देरी होती है। इसका दायित्व शिक्षकों पर है और अपनी जेब से इसका खर्च उठाते हैं।
यह एक बड़ा मुद्दा बन गया और शिक्षकों के एक अग्रणी संगठन ने अदालत से हस्तक्षेप की मांग की।
राज्य सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि स्कूलों को शीघ्र ही 81 करोड़ रुपये वितरित करने के लिए कदम उठाए गए हैं।
मामले की अगली सुनवाई बुधवार को तय की गई है।
–आईएएनएस
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