पटना, 30 सितंबर (आईएएनएस)। बिहार के पूर्वी चंपारण जिले की केसरिया विधानसभा सीट, पूर्वी चंपारण लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। केसरिया विधानसभा सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है और 1951 में अस्तित्व में आई थी। वर्ष 2008 में हुए परिसीमन के बाद इसका नया स्वरूप सामने आया, जिसमें केसरिया प्रखंड के साथ-साथ संग्रामपुर और कल्याणपुर प्रखंड के कुछ हिस्से भी शामिल किए गए।
केसरिया का नाम विश्व प्रसिद्ध बौद्ध स्तूप के कारण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान रखता है। यह वही स्थल है जो भगवान बुद्ध की अंतिम यात्रा से जुड़ा है। भौगोलिक रूप से यह क्षेत्र मोतिहारी से करीब 40 किलोमीटर दूर है। निकटतम रेलवे स्टेशन चकिया है, जो लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
यह इलाका मुख्यतः ग्रामीण और कृषि-प्रधान है। यहां धान, गेहूं और मक्का प्रमुख फसलें हैं। बड़े उद्योगों की कमी है, लेकिन छोटे व्यापार और प्रवासी मजदूरों से आने वाली धनराशि स्थानीय अर्थव्यवस्था को सहारा देती है। आधारभूत संरचना और ग्रामीण सड़क संपर्क को लेकर समस्याएं हैं।
2020 के विधानसभा चुनाव में यहां 2,67,733 मतदाता दर्ज थे, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में बढ़कर 2,72,436 हो गए। चुनाव आयोग के अनुसार, 2020 के बाद 1,936 मतदाता क्षेत्र से बाहर चले गए। इस सीट पर औसतन मतदान प्रतिशत 55 से 57 के बीच रहा है। सामाजिक समीकरण में अनुसूचित जातियों की हिस्सेदारी करीब 11.4 प्रतिशत (30,522 मतदाता), अनुसूचित जनजातियों की 0.35 प्रतिशत (937 मतदाता) और मुस्लिम समुदाय की 13.9 प्रतिशत (37,215 मतदाता) है। शहरी मतदाता 5 प्रतिशत से भी कम हैं।
अब तक के चुनावी इतिहास में केसरिया सीट पर 17 बार मतदान हो चुका है। इनमें सबसे ज्यादा बार जीत भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने 6 बार दर्ज की, जबकि कांग्रेस को 4 बार सफलता मिली। जनता दल (यू) और इसकी पूर्ववर्ती समता पार्टी ने 3 बार, राजद ने 2 बार, और जनता पार्टी और भाजपा ने एक-एक बार जीत हासिल की है।
हाल के चुनावों में मुकाबला बहुकोणीय रहा है। 2020 में जेडीयू उम्मीदवार शालिनी मिश्रा ने राजद प्रत्याशी संतोष कुशवाहा को 9,227 वोटों से हराया था। लोजपा और रालोसपा ने भी उल्लेखनीय वोट हासिल किए थे। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा नेता राधामोहन सिंह ने केसरिया क्षेत्र में विपक्षी आईएनडीआई गठबंधन उम्मीदवार राजेश कुमार (वीआईपी) को 20,892 वोटों से मात दी।
केसरिया विधानसभा की खासियत यह है कि यहां मतदाता आम तौर पर स्पष्ट जनादेश देते हैं। 2020 का विधानसभा चुनाव इस मायने में अपवाद रहा, जब जीत का अंतर केवल 9,227 वोटों का था।
2025 के विधानसभा चुनाव की ओर बढ़ते हुए, एनडीए गठबंधन यहां मजबूत स्थिति में नजर आ रहा है। हालांकि राजद-कांग्रेस गठबंधन भी संघर्ष में है, लेकिन जीत के लिए उसे अपने वोट बैंक को और सघन करना होगा। वहीं प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी कुछ हिस्सों में असर डाल सकती है, हालांकि इसका वोट समीकरण पर क्या असर पड़ेगा, यह फिलहाल साफ नहीं है।
–आईएएनएस
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