नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। भाजपा ने संसद में पेश किए गए कैग रिपोर्ट का हवाला देते हुए पश्चिम बंगाल की सरकार पर 2 लाख करोड़ रुपये के लगभग का घोटाला करने का आरोप लगाया है। भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया और पश्चिम बंगाल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने पार्टी मुख्यालय में संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस कर ममता सरकार पर जमकर हमला बोला।
भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने इसे विचारधारा की लड़ाई बताते हुए कहा कि एक तरफ ईमानदार और जनता के प्रति समर्पित केंद्र सरकार है, जिसका एक ही लक्ष्य है कि भारत को भ्रष्टाचार से मुक्त करेंगे और दूसरी तरफ इंडी अलायंस का हर घटक दल भारत की जनता और भारत के मजबूत लोकतंत्र के खिलाफ काम कर रहा है।
उन्होंने कहा कि कैग की जो रिपोर्ट सामने आई है, उससे एक बार फिर यह स्पष्ट हो गया है। यह चिंताजनक बात है कि ममता बनर्जी जो ‘मां-माटी-मानुष’ की बात करती हैं, आज उन्हीं के प्रदेश से सबसे बड़ा भ्रष्टाचार का मामला सामने आ रहा है। भ्रष्टाचारी चाहे कांग्रेस या आरजेडी या जेएमएम का हो, सबको एक-एक रुपये का हिसाब देना होगा।
पश्चिम बंगाल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कैग रिपोर्ट का हवाला देते हुए टीएमसी सरकार पर 2 लाख करोड़ रुपये के लगभग का घोटाला करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कैग रिपोर्ट को ध्यान से देखने पर यह पता चलता है कि हर जगह पर पैसे लूटने की कोशिश ममता बनर्जी की सरकार द्वारा की गई और ये रिपोर्ट ममता सरकार के मुंह पर तमाचा है।
मजूमदार ने कहा कि सरकार ने आकस्मिकता निधि से स्वीकृत 3,400 करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया है। यह लोगों की मेहनत की कमाई है। उन्होंने ममता बनर्जी द्वारा वेतन के तौर पर एक भी पैसा नहीं लेने के दावे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस पैसे का एक तिहाई हिस्सा राज्य के गृह मंत्रालय ने इस्तेमाल किया है। विडम्बना यह है कि राज्य की गृह मंत्री स्वयं ममता बनर्जी हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि सीएजी को ‘पर्सनल अकाउंट’ और ‘पर्सनल लीजर अकाउंट’ के नाम से खाते मिले। इन खातों में मौजूद पैसे का उपयोग कैसे किया जा रहा है, इसका कोई हिसाब-किताब नहीं है।
उन्होंने कई योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि सरकारी फंड से काम हो जाने के बाद एक साल के अंदर उसका यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट देना होता है, लेकिन, ममता सरकार ने ग्रामीण विकास, शहरी विकास और शिक्षा जैसे विभागों में यह सर्टिफिकेट दिया ही नहीं है।
–आईएएनएस
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