नई दिल्ली, 24 दिसंबर (आईएएनएस)। चंदा कोचर मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को पता चला है कि आईसीआईसीआई बैंक द्वारा मंजूर किए गए ऋणों को 1,730 करोड़ रुपये के आरटीएल (रुपये सावधि ऋण) में समायोजित किया गया था।
सीबीआई की एक विशेष अदालत ने शनिवार को आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ-एमडी चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को 26 दिसंबर तक सीबीआई हिरासत में भेज दिया। वीडियोकॉन मनी लॉन्ड्रिंग केस वीडियोकॉन ग्रुप के वेणुगोपाल धूत मामले में सह-आरोपी हैं।
प्रारंभिक जांच के दौरान, सीबीआई को पता चला है कि चंदा कोचर ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम, आरबीआई के दिशानिर्देशों और क्रेडिट नीति के नियमों का उल्लंघन करके 3,250 करोड़ रुपये की ऋण सुविधाएं मंजूर कीं।
आईसीआईसीआई बैंक की विभिन्न स्वीकृति समितियों ने 30 जून, 2009 को वीडियोकॉन समूह की कंपनियों, यानी मिलेनियम अप्लायंसेज इंडिया लिमिटेड (मेल), आरटीएल को 175 करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत किया, 17 नवंबर, 2010 को स्काई एप्लायंसेज लिमिटेड (एसएएल) को 240 करोड़ रुपये का ऋण, 17 नवंबर, 2010 को टेक्नो इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (टीईएल) को 110 करोड़ रुपये का ऋण, 30 मई, 2011 को एप्लिकॉम्प इंडिया लिमिटेड (एआईएल) को 300 करोड़ रुपये का ऋण, और 31 अक्टूबर, 2011 को वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड (वीआईएल) को 750 करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत किया।
विभिन्न समितियों ने 1,575 करोड़ रुपये के इन ऋणों को मंजूरी दी थी।
एसएएल, टीईएल और एआईएल को स्वीकृत ऋण इन कंपनियों द्वारा वीआईएल से लिए गए असुरक्षित ऋण को चुकाने में सक्षम बनाने के लिए दिया गया था। इसने कंपनी के मौजूदा ऋणों को पुनर्वित्त (रिफाइनेंसिंग) करने के लिए वीआईएल को एक ऋण भी स्वीकृत किया।
संदीप बख्शी, के. रामकुमार, सोंजॉय चटर्जी, एन.एस. कन्नन, जरीन दारुवाला, राजीव सभरवाल, के.वी. कामथ और होमी खुसरोखान, आईसीआईसीआई बैंक के सभी वरिष्ठ अधिकारी, उन समितियों का हिस्सा थे, जिन्होंने ऋण स्वीकृत किया था।
सीबीआई ने कहा, ये ऋण गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) बन गए, जिसके कारण आईसीआईसीआई बैंक को नुकसान हुआ और अभियुक्तों ने गलत लाभ कमाया। आईसीआईसीआई बैंक ने स्काई एप्लायंसेज लिमिटेड के खातों में 50 करोड़ रुपये की एफडीआर के रूप में उपलब्ध सुरक्षा भी जारी की थी।
चंदा कोचर ने 1 मई, 2009 को आईसीआईसीआई बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में पदभार ग्रहण किया था। उस वीडियोकॉन समूह की कंपनियों के लिए उस क्रेडिट सीमा को तब मंजूरी दी गई थी, जब चंदा ने बैंक की एमडी-सीईओ के रूप में कार्यभार संभाला था।
इन ऋणों को विभिन्न स्वीकृति समितियों द्वारा स्वीकृत किया गया था, जिसमें चंदा कोचर समिति के सदस्यों में से एक थीं।
समितियों ने वीआईईएल को 300 करोड़ रुपये और वीआईएल को 750 करोड़ रुपये का आरटीएल स्वीकृत किया। 2012 में घरेलू ऋण के पुनर्वित्त के तहत स्वीकृत 1,730 करोड़ रुपये के आरटीएल में छह खातों के मौजूदा बकाया को समायोजित किया गया था। जून 2017 में वीआईएल और उसकी समूह कंपनियों के खातों को एनपीए घोषित कर दिया गया था।
–आईएएनएस
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