नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। कोयला मंत्रालय कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) और एससीसीएल के लिए 33 करोड़ टन क्षमता वाली 19 फस्र्ट माइल कनेक्टिविटी (एफएमसी) अतिरिक्त परियोजनाएं शुरू करेगा। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
इन परियोजनाओं को 2026-27 तक क्रियान्वित किया जाएगा।
मंत्रालय पहले ही 18,000 करोड़ रुपये के निवेश से 52.6 करोड़ टन सालाना क्षमता की 55 एफएमसी परियोजनाएं शुरू कर चुका है।
इनमें से 95.5 मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता की आठ परियोजनाएं चालू की जा चुकी हैं और शेष 2025 तक चालू हो जाएंगी।
मंत्रालय ने खानों में कोयले के सड़क परिवहन को खत्म करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करने के लिए एक रणनीति तैयार की है और एफएमसी परियोजनाओं के तहत मशीनीकृत कोयला परिवहन और लोडिंग सिस्टम को अपग्रेड करने के लिए कदम उठाए हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि कोल हैंडलिंग प्लांट्स (सीएचपी) और रैपिड लोडिंग सिस्टम वाले साइलो से क्रशिंग, कोयले की साइजिंग और तेज कंप्यूटर एडेड लोडिंग जैसे फायदे होंगे।
भविष्य में कुशल और पर्यावरण के अनुकूल कोयले की निकासी सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय कोयला खदानों के पास रेलवे साइडिंग के माध्यम से एफएमसी सहित राष्ट्रीय कोयला रसद योजना के विकास और कोयला क्षेत्रों में रेल नेटवर्क को मजबूत करने पर काम कर रहा है।
कोल इंडिया लिमिटेड ने 2024-25 तक 1.31 अरब टन शुष्क ईंधन और 2029-30 में 1.5 अरब टन कोयले का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
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नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। कोयला मंत्रालय कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) और एससीसीएल के लिए 33 करोड़ टन क्षमता वाली 19 फस्र्ट माइल कनेक्टिविटी (एफएमसी) अतिरिक्त परियोजनाएं शुरू करेगा। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
इन परियोजनाओं को 2026-27 तक क्रियान्वित किया जाएगा।
मंत्रालय पहले ही 18,000 करोड़ रुपये के निवेश से 52.6 करोड़ टन सालाना क्षमता की 55 एफएमसी परियोजनाएं शुरू कर चुका है।
इनमें से 95.5 मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता की आठ परियोजनाएं चालू की जा चुकी हैं और शेष 2025 तक चालू हो जाएंगी।
मंत्रालय ने खानों में कोयले के सड़क परिवहन को खत्म करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करने के लिए एक रणनीति तैयार की है और एफएमसी परियोजनाओं के तहत मशीनीकृत कोयला परिवहन और लोडिंग सिस्टम को अपग्रेड करने के लिए कदम उठाए हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि कोल हैंडलिंग प्लांट्स (सीएचपी) और रैपिड लोडिंग सिस्टम वाले साइलो से क्रशिंग, कोयले की साइजिंग और तेज कंप्यूटर एडेड लोडिंग जैसे फायदे होंगे।
भविष्य में कुशल और पर्यावरण के अनुकूल कोयले की निकासी सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय कोयला खदानों के पास रेलवे साइडिंग के माध्यम से एफएमसी सहित राष्ट्रीय कोयला रसद योजना के विकास और कोयला क्षेत्रों में रेल नेटवर्क को मजबूत करने पर काम कर रहा है।
कोल इंडिया लिमिटेड ने 2024-25 तक 1.31 अरब टन शुष्क ईंधन और 2029-30 में 1.5 अरब टन कोयले का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है।
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इन परियोजनाओं को 2026-27 तक क्रियान्वित किया जाएगा।
मंत्रालय पहले ही 18,000 करोड़ रुपये के निवेश से 52.6 करोड़ टन सालाना क्षमता की 55 एफएमसी परियोजनाएं शुरू कर चुका है।
इनमें से 95.5 मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता की आठ परियोजनाएं चालू की जा चुकी हैं और शेष 2025 तक चालू हो जाएंगी।
मंत्रालय ने खानों में कोयले के सड़क परिवहन को खत्म करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करने के लिए एक रणनीति तैयार की है और एफएमसी परियोजनाओं के तहत मशीनीकृत कोयला परिवहन और लोडिंग सिस्टम को अपग्रेड करने के लिए कदम उठाए हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि कोल हैंडलिंग प्लांट्स (सीएचपी) और रैपिड लोडिंग सिस्टम वाले साइलो से क्रशिंग, कोयले की साइजिंग और तेज कंप्यूटर एडेड लोडिंग जैसे फायदे होंगे।
भविष्य में कुशल और पर्यावरण के अनुकूल कोयले की निकासी सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय कोयला खदानों के पास रेलवे साइडिंग के माध्यम से एफएमसी सहित राष्ट्रीय कोयला रसद योजना के विकास और कोयला क्षेत्रों में रेल नेटवर्क को मजबूत करने पर काम कर रहा है।
कोल इंडिया लिमिटेड ने 2024-25 तक 1.31 अरब टन शुष्क ईंधन और 2029-30 में 1.5 अरब टन कोयले का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है।
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इन परियोजनाओं को 2026-27 तक क्रियान्वित किया जाएगा।
मंत्रालय पहले ही 18,000 करोड़ रुपये के निवेश से 52.6 करोड़ टन सालाना क्षमता की 55 एफएमसी परियोजनाएं शुरू कर चुका है।
इनमें से 95.5 मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता की आठ परियोजनाएं चालू की जा चुकी हैं और शेष 2025 तक चालू हो जाएंगी।
मंत्रालय ने खानों में कोयले के सड़क परिवहन को खत्म करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करने के लिए एक रणनीति तैयार की है और एफएमसी परियोजनाओं के तहत मशीनीकृत कोयला परिवहन और लोडिंग सिस्टम को अपग्रेड करने के लिए कदम उठाए हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि कोल हैंडलिंग प्लांट्स (सीएचपी) और रैपिड लोडिंग सिस्टम वाले साइलो से क्रशिंग, कोयले की साइजिंग और तेज कंप्यूटर एडेड लोडिंग जैसे फायदे होंगे।
भविष्य में कुशल और पर्यावरण के अनुकूल कोयले की निकासी सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय कोयला खदानों के पास रेलवे साइडिंग के माध्यम से एफएमसी सहित राष्ट्रीय कोयला रसद योजना के विकास और कोयला क्षेत्रों में रेल नेटवर्क को मजबूत करने पर काम कर रहा है।
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इन परियोजनाओं को 2026-27 तक क्रियान्वित किया जाएगा।
मंत्रालय पहले ही 18,000 करोड़ रुपये के निवेश से 52.6 करोड़ टन सालाना क्षमता की 55 एफएमसी परियोजनाएं शुरू कर चुका है।
इनमें से 95.5 मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता की आठ परियोजनाएं चालू की जा चुकी हैं और शेष 2025 तक चालू हो जाएंगी।
मंत्रालय ने खानों में कोयले के सड़क परिवहन को खत्म करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करने के लिए एक रणनीति तैयार की है और एफएमसी परियोजनाओं के तहत मशीनीकृत कोयला परिवहन और लोडिंग सिस्टम को अपग्रेड करने के लिए कदम उठाए हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि कोल हैंडलिंग प्लांट्स (सीएचपी) और रैपिड लोडिंग सिस्टम वाले साइलो से क्रशिंग, कोयले की साइजिंग और तेज कंप्यूटर एडेड लोडिंग जैसे फायदे होंगे।
भविष्य में कुशल और पर्यावरण के अनुकूल कोयले की निकासी सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय कोयला खदानों के पास रेलवे साइडिंग के माध्यम से एफएमसी सहित राष्ट्रीय कोयला रसद योजना के विकास और कोयला क्षेत्रों में रेल नेटवर्क को मजबूत करने पर काम कर रहा है।
कोल इंडिया लिमिटेड ने 2024-25 तक 1.31 अरब टन शुष्क ईंधन और 2029-30 में 1.5 अरब टन कोयले का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है।
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इन परियोजनाओं को 2026-27 तक क्रियान्वित किया जाएगा।
मंत्रालय पहले ही 18,000 करोड़ रुपये के निवेश से 52.6 करोड़ टन सालाना क्षमता की 55 एफएमसी परियोजनाएं शुरू कर चुका है।
इनमें से 95.5 मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता की आठ परियोजनाएं चालू की जा चुकी हैं और शेष 2025 तक चालू हो जाएंगी।
मंत्रालय ने खानों में कोयले के सड़क परिवहन को खत्म करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करने के लिए एक रणनीति तैयार की है और एफएमसी परियोजनाओं के तहत मशीनीकृत कोयला परिवहन और लोडिंग सिस्टम को अपग्रेड करने के लिए कदम उठाए हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि कोल हैंडलिंग प्लांट्स (सीएचपी) और रैपिड लोडिंग सिस्टम वाले साइलो से क्रशिंग, कोयले की साइजिंग और तेज कंप्यूटर एडेड लोडिंग जैसे फायदे होंगे।
भविष्य में कुशल और पर्यावरण के अनुकूल कोयले की निकासी सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय कोयला खदानों के पास रेलवे साइडिंग के माध्यम से एफएमसी सहित राष्ट्रीय कोयला रसद योजना के विकास और कोयला क्षेत्रों में रेल नेटवर्क को मजबूत करने पर काम कर रहा है।
कोल इंडिया लिमिटेड ने 2024-25 तक 1.31 अरब टन शुष्क ईंधन और 2029-30 में 1.5 अरब टन कोयले का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है।
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इन परियोजनाओं को 2026-27 तक क्रियान्वित किया जाएगा।
मंत्रालय पहले ही 18,000 करोड़ रुपये के निवेश से 52.6 करोड़ टन सालाना क्षमता की 55 एफएमसी परियोजनाएं शुरू कर चुका है।
इनमें से 95.5 मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता की आठ परियोजनाएं चालू की जा चुकी हैं और शेष 2025 तक चालू हो जाएंगी।
मंत्रालय ने खानों में कोयले के सड़क परिवहन को खत्म करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करने के लिए एक रणनीति तैयार की है और एफएमसी परियोजनाओं के तहत मशीनीकृत कोयला परिवहन और लोडिंग सिस्टम को अपग्रेड करने के लिए कदम उठाए हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि कोल हैंडलिंग प्लांट्स (सीएचपी) और रैपिड लोडिंग सिस्टम वाले साइलो से क्रशिंग, कोयले की साइजिंग और तेज कंप्यूटर एडेड लोडिंग जैसे फायदे होंगे।
भविष्य में कुशल और पर्यावरण के अनुकूल कोयले की निकासी सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय कोयला खदानों के पास रेलवे साइडिंग के माध्यम से एफएमसी सहित राष्ट्रीय कोयला रसद योजना के विकास और कोयला क्षेत्रों में रेल नेटवर्क को मजबूत करने पर काम कर रहा है।
कोल इंडिया लिमिटेड ने 2024-25 तक 1.31 अरब टन शुष्क ईंधन और 2029-30 में 1.5 अरब टन कोयले का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है।
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इन परियोजनाओं को 2026-27 तक क्रियान्वित किया जाएगा।
मंत्रालय पहले ही 18,000 करोड़ रुपये के निवेश से 52.6 करोड़ टन सालाना क्षमता की 55 एफएमसी परियोजनाएं शुरू कर चुका है।
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मंत्रालय ने खानों में कोयले के सड़क परिवहन को खत्म करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करने के लिए एक रणनीति तैयार की है और एफएमसी परियोजनाओं के तहत मशीनीकृत कोयला परिवहन और लोडिंग सिस्टम को अपग्रेड करने के लिए कदम उठाए हैं।
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भविष्य में कुशल और पर्यावरण के अनुकूल कोयले की निकासी सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय कोयला खदानों के पास रेलवे साइडिंग के माध्यम से एफएमसी सहित राष्ट्रीय कोयला रसद योजना के विकास और कोयला क्षेत्रों में रेल नेटवर्क को मजबूत करने पर काम कर रहा है।
कोल इंडिया लिमिटेड ने 2024-25 तक 1.31 अरब टन शुष्क ईंधन और 2029-30 में 1.5 अरब टन कोयले का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है।
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इन परियोजनाओं को 2026-27 तक क्रियान्वित किया जाएगा।
मंत्रालय पहले ही 18,000 करोड़ रुपये के निवेश से 52.6 करोड़ टन सालाना क्षमता की 55 एफएमसी परियोजनाएं शुरू कर चुका है।
इनमें से 95.5 मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता की आठ परियोजनाएं चालू की जा चुकी हैं और शेष 2025 तक चालू हो जाएंगी।
मंत्रालय ने खानों में कोयले के सड़क परिवहन को खत्म करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करने के लिए एक रणनीति तैयार की है और एफएमसी परियोजनाओं के तहत मशीनीकृत कोयला परिवहन और लोडिंग सिस्टम को अपग्रेड करने के लिए कदम उठाए हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि कोल हैंडलिंग प्लांट्स (सीएचपी) और रैपिड लोडिंग सिस्टम वाले साइलो से क्रशिंग, कोयले की साइजिंग और तेज कंप्यूटर एडेड लोडिंग जैसे फायदे होंगे।
भविष्य में कुशल और पर्यावरण के अनुकूल कोयले की निकासी सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय कोयला खदानों के पास रेलवे साइडिंग के माध्यम से एफएमसी सहित राष्ट्रीय कोयला रसद योजना के विकास और कोयला क्षेत्रों में रेल नेटवर्क को मजबूत करने पर काम कर रहा है।
कोल इंडिया लिमिटेड ने 2024-25 तक 1.31 अरब टन शुष्क ईंधन और 2029-30 में 1.5 अरब टन कोयले का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है।
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इन परियोजनाओं को 2026-27 तक क्रियान्वित किया जाएगा।
मंत्रालय पहले ही 18,000 करोड़ रुपये के निवेश से 52.6 करोड़ टन सालाना क्षमता की 55 एफएमसी परियोजनाएं शुरू कर चुका है।
इनमें से 95.5 मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता की आठ परियोजनाएं चालू की जा चुकी हैं और शेष 2025 तक चालू हो जाएंगी।
मंत्रालय ने खानों में कोयले के सड़क परिवहन को खत्म करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करने के लिए एक रणनीति तैयार की है और एफएमसी परियोजनाओं के तहत मशीनीकृत कोयला परिवहन और लोडिंग सिस्टम को अपग्रेड करने के लिए कदम उठाए हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि कोल हैंडलिंग प्लांट्स (सीएचपी) और रैपिड लोडिंग सिस्टम वाले साइलो से क्रशिंग, कोयले की साइजिंग और तेज कंप्यूटर एडेड लोडिंग जैसे फायदे होंगे।
भविष्य में कुशल और पर्यावरण के अनुकूल कोयले की निकासी सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय कोयला खदानों के पास रेलवे साइडिंग के माध्यम से एफएमसी सहित राष्ट्रीय कोयला रसद योजना के विकास और कोयला क्षेत्रों में रेल नेटवर्क को मजबूत करने पर काम कर रहा है।
कोल इंडिया लिमिटेड ने 2024-25 तक 1.31 अरब टन शुष्क ईंधन और 2029-30 में 1.5 अरब टन कोयले का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है।
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मंत्रालय पहले ही 18,000 करोड़ रुपये के निवेश से 52.6 करोड़ टन सालाना क्षमता की 55 एफएमसी परियोजनाएं शुरू कर चुका है।
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मंत्रालय ने खानों में कोयले के सड़क परिवहन को खत्म करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करने के लिए एक रणनीति तैयार की है और एफएमसी परियोजनाओं के तहत मशीनीकृत कोयला परिवहन और लोडिंग सिस्टम को अपग्रेड करने के लिए कदम उठाए हैं।
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कोल इंडिया लिमिटेड ने 2024-25 तक 1.31 अरब टन शुष्क ईंधन और 2029-30 में 1.5 अरब टन कोयले का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है।
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नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। कोयला मंत्रालय कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) और एससीसीएल के लिए 33 करोड़ टन क्षमता वाली 19 फस्र्ट माइल कनेक्टिविटी (एफएमसी) अतिरिक्त परियोजनाएं शुरू करेगा। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
इन परियोजनाओं को 2026-27 तक क्रियान्वित किया जाएगा।
मंत्रालय पहले ही 18,000 करोड़ रुपये के निवेश से 52.6 करोड़ टन सालाना क्षमता की 55 एफएमसी परियोजनाएं शुरू कर चुका है।
इनमें से 95.5 मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता की आठ परियोजनाएं चालू की जा चुकी हैं और शेष 2025 तक चालू हो जाएंगी।
मंत्रालय ने खानों में कोयले के सड़क परिवहन को खत्म करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करने के लिए एक रणनीति तैयार की है और एफएमसी परियोजनाओं के तहत मशीनीकृत कोयला परिवहन और लोडिंग सिस्टम को अपग्रेड करने के लिए कदम उठाए हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि कोल हैंडलिंग प्लांट्स (सीएचपी) और रैपिड लोडिंग सिस्टम वाले साइलो से क्रशिंग, कोयले की साइजिंग और तेज कंप्यूटर एडेड लोडिंग जैसे फायदे होंगे।
भविष्य में कुशल और पर्यावरण के अनुकूल कोयले की निकासी सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय कोयला खदानों के पास रेलवे साइडिंग के माध्यम से एफएमसी सहित राष्ट्रीय कोयला रसद योजना के विकास और कोयला क्षेत्रों में रेल नेटवर्क को मजबूत करने पर काम कर रहा है।
कोल इंडिया लिमिटेड ने 2024-25 तक 1.31 अरब टन शुष्क ईंधन और 2029-30 में 1.5 अरब टन कोयले का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
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नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। कोयला मंत्रालय कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) और एससीसीएल के लिए 33 करोड़ टन क्षमता वाली 19 फस्र्ट माइल कनेक्टिविटी (एफएमसी) अतिरिक्त परियोजनाएं शुरू करेगा। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
इन परियोजनाओं को 2026-27 तक क्रियान्वित किया जाएगा।
मंत्रालय पहले ही 18,000 करोड़ रुपये के निवेश से 52.6 करोड़ टन सालाना क्षमता की 55 एफएमसी परियोजनाएं शुरू कर चुका है।
इनमें से 95.5 मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता की आठ परियोजनाएं चालू की जा चुकी हैं और शेष 2025 तक चालू हो जाएंगी।
मंत्रालय ने खानों में कोयले के सड़क परिवहन को खत्म करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करने के लिए एक रणनीति तैयार की है और एफएमसी परियोजनाओं के तहत मशीनीकृत कोयला परिवहन और लोडिंग सिस्टम को अपग्रेड करने के लिए कदम उठाए हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि कोल हैंडलिंग प्लांट्स (सीएचपी) और रैपिड लोडिंग सिस्टम वाले साइलो से क्रशिंग, कोयले की साइजिंग और तेज कंप्यूटर एडेड लोडिंग जैसे फायदे होंगे।
भविष्य में कुशल और पर्यावरण के अनुकूल कोयले की निकासी सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय कोयला खदानों के पास रेलवे साइडिंग के माध्यम से एफएमसी सहित राष्ट्रीय कोयला रसद योजना के विकास और कोयला क्षेत्रों में रेल नेटवर्क को मजबूत करने पर काम कर रहा है।
कोल इंडिया लिमिटेड ने 2024-25 तक 1.31 अरब टन शुष्क ईंधन और 2029-30 में 1.5 अरब टन कोयले का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है।