नई दिल्ली, 14 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने 2005 में नेफरेक्टोमी के दौरान दो साल के बच्चे की किडनी निकालने के आरोप में एक बाल रोग विशेषज्ञ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द कर दिया है। डॉक्टर पर आपराधिक चिकित्सा लापरवाही का आरोप था।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि लोक नायक अस्पताल में बाल चिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ. वाई.के. सरीन ने अपनी टीम के साथ शिकायतकर्ता के बेटे की बायीं किडनी निकाल दी, जब वह नेफरेक्टोमी से गुजर रहा था।
यह आरोप लगाया गया था कि जिस समय किडनी निकाली गई थी, वह क्रियाशील थी, इसके कारण आपराधिक चिकित्सा लापरवाही हुई। शिकायत पढ़ी गई।
2021 में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (एमएम) ऋषभ कपूर ने मामले में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया।
तीस हजारी अदालत के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश धीरज मोर के समक्ष दायर पुनरीक्षण याचिका में अभियुक्त (डॉ. सरीन) की ओर से पेश अधिवक्ता नमित सक्सेना ने तर्क दिया कि दिल्ली मेडिकल काउंसिल, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और स्वास्थ्य विज्ञान महानिदेशक सहित विभिन्न स्तरों पर पांच जांच की गई थी।
सक्सेना ने कहा, पूछताछ में डॉ. सरीन को क्लीन चिट दे दी गई, जो इस क्षेत्र में बेहद प्रतिष्ठित चिकित्सक हैं।
उन्होंने तर्क दिया कि जैकब मैथ्यू के मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित अनुपात के मद्देनजर, एमएम को सभी विशेषज्ञ चिकित्सा बोडरें की राय पर अपनी राय नहीं बदलनी चाहिए थी और किसी स्वतंत्र चिकित्सा जांच के अभाव में प्राथमिकी का निर्देश नहीं दिया जा सकता था।
अपर जिला न्यायालय ने 25 नवंबर 2021 को उक्त चिकित्सक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश पर रोक लगा दी थी।
पक्षों को विस्तार से सुनने के बाद, न्यायाधीश मोर ने एमएम द्वारा पारित आदेश को रद्द कर दिया और कहा कि प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश नहीं दिया जा सकता है।
–आईएएनएस
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