नई दिल्ली, 3 अप्रैल (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने रिवॉल्वर के बट से एक व्यक्ति को पीटने के आरोप में पांच लोगों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के प्रयास के आरोप को खारिज कर दिया है, यह देखते हुए कि चोट शायद रिवाल्वर के बट से नहीं लगी है, और रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं था, जिससे यह दिखाया जा सके कि आरोपी की मंशा उसे चोट पहुंचाने की थी।
रिवॉल्वर के बट से एक व्यक्ति को पीटने के आरोप में पांच लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 341, 323, 308, 427, 34 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
अदालत ने धारा 427 और 506 के तहत दंडनीय आरोपों को भी हटा दिया, यह देखते हुए कि पीड़ित को धमकी नहीं दी गई थी, और पीड़िता का कोई पूरक बयान नहीं था।
अदालत ने कहा, इस तथ्य के मद्देनजर कि शिकायतकर्ता के चेहरे (साइनस) पर फ्रैक्चर था, जो गंभीर चोट के बराबर है। आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 325 के तहत अपराध बनता है।
15 दिसंबर, 2017 को शिकायतकर्ता राजेश तनेजा अपनी कार से काम से घर जा रहे थे, जब उन्हें बाइक पर जा रहे दो लोगों ने रोक लिया।
एक आरोपी ने रिवॉल्वर के बट से तनेजा की बायीं आंख पर वार कर दिया।
इसी बीच तरुण शर्मा उर्फ मोनू, राजा उर्फ बोधी सहित तीन अन्य व्यक्ति भी वहां पहुंच गए।
सभी पांचों ने उस व्यक्ति को अपनी कार से बाहर खींच लिया और बेरहमी से उसकी पिटाई की। युवक को चोटें आईं, जबकि आरोपी मौके से फरार हो गया।
बाद में पीड़िता के बयान के आधार पर आईपीसी की धारा 341, 323, 308, 427 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।
पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। सहगल अस्पताल के डॉक्टर ने शिकायतकर्ता की चोटों को गंभीर बताया।
पुलिस ने आईपीसी की धारा 341, 323, 308, 427, 506 और 34 के तहत आरोप पत्र दायर किया।
बाद में घटना के सीसीटीवी फुटेज के संबंध में एक पूरक आरोपपत्र भी दायर किया गया था। हालांकि एफएसएल को घटना के दिन का कोई फुटेज नहीं मिला है।
आरोपियों की ओर से पेश हुए वकील दीपक शर्मा ने तर्क दिया कि प्रथम दृष्टया उनके मुवक्किलों के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है और उन्हें आरोपमुक्त किया जा सकता है।
शर्मा ने बताया कि आईपीसी की धारा 308 के तहत दंडनीय कोई अपराध नहीं बनता है।
अदालत ने यह भी कहा कि अश्मीत सिंह ने पहचान परेड कराने से इनकार कर दिया लेकिन पुलिस को उसकी पहचान नहीं मिली।
–आईएएनएस
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