नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई से दुर्व्यवहार करने वाले वकील राकेश किशोर ने मंगलवार को बताया कि आखिर उन्होंने ऐसा क्यों किया। साथ ही उन्होंने वकालत का लाइसेंस रद्द किए जाने को ‘तुगलकी फरमान’ करार दिया।
समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में वकील राकेश किशोर ने इस घटना को ईश्वरीय कृत्य बताया। उन्होंने कहा कि यह सबकुछ मेरे द्वारा नहीं किया गया, बल्कि परमात्मा ने मुझसे कराया। मेरा ऐसा करने का बिल्कुल भी मन नहीं था।
उन्होंने कहा कि मेरी इस हरकत के पीछे एक संदेश छुपा था, जो मैं वहां तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा था। सीजेआई गवई ने 16 सितंबर को एक पीआईएल की सुनवाई की थी। मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है कि आखिर किसने पीआईएल दाखिल की थी। आखिर कौन वकील था?
वकील राकेश किशोर ने दावा किया कि सुनवाई के दौरान सीजेआई ने सनातन धर्म का अपमान किया था। खुजराहो में सात फीट की भगवान विष्णु की एक मूर्ति है। इस मूर्ति का सिर धड़ से अलग है। जब विदेशी आक्रांता भारत आए थे, तो उन्होंने कई हिंदू मंदिरों पर हमला किया था। इनमें यह मंदिर भी शामिल था। हमले में भगवान विष्णु की मूर्ति क्षतिग्रस्त हो गई थी। मैं खुद उस मूर्ति के पास जाकर रो चुका हूं। मुझे इस बात का दुख है कि इतनी सुंदर मूर्ति का सिर गायब है। यह हम सभी लोगों के लिए दुख का विषय है।
राकेश किशोर ने कहा कि इस मूर्ति को ठीक करने की मांग जब सीजेआई के सामने उठाई गई तो उन्होंने कहा कि ‘तुम तो इतने बड़े भगवान के भक्त हो। तुम ही जाकर मूर्ति से कहो कि ‘वो ही कुछ कर लें, अपने आपको ठीक कर लें।’ मुझे ये टिप्पणी ठीक नहीं लगी। इससे भी ज्यादा दुख मुझे इस बात का हुआ कि सीजेआई ने याचिकाकर्ता की याचिका खारिज कर दी।
इसके बाद अगले दिन इस संबंध में बयान जारी किया गया। ऐसा करके इस पूरे विवाद को विराम देने की कोशिश की गई। हम इस बात पर भी सहमत हो गए, लेकिन इसके बाद उन्होंने तीन दिन पहले मॉरीशस में कह दिया कि बुलडोजर से देश नहीं चलेगा। अब आप सभी को पता है कि बुलडोजर कहां और क्यों चल रहा है?
वकील राकेश किशोर ने कहा कि मैं बरेली में पैदा हुआ, वहीं रहा। मुझे पता है कि बुलडोजर की कार्रवाई उन लोगों पर हो रही है, जिन्होंने अवैध रूप से जमीन पर बड़े-बड़े घर और होटल बनवा रखे हैं। अब अगर ऐसी स्थिति में किसी को लगता है कि बुलडोजर की कार्रवाई उनके खिलाफ है, तो वे सामने आकर कहें कि उनके साथ गलत हुआ है, लेकिन वे ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि यह जानते हैं कि उन्होंने अवैध रूप से जमीन पर कब्जा कर रखा है।
वहीं, बार काउंसिल की तरफ से लाइसेंस रद्द किए जाने पर वकील राकेश किशोर ने कहा कि कोई बात नहीं। बार काउंसिल के चेयरमैन ने कल रात ही मुझे इस संबंध में पत्र भेजा है। मैं तो इसे ‘तुगलकी फरमान’ कहूंगा, क्योंकि एडवोकेट एक्ट 1961 के तहत यह कार्रवाई की गई है। इसके सेक्शन 35 में साफ कहा गया है कि जब भी किसी वकील के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी, तो उसे पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। इसके बाद उसे डिसिप्लिनरी कमेटी के सामने पेश किया जाएगा, जहां पर उसे अपनी बात रखने का मौका दिया जाएगा। इसके बाद ही किसी वकील को डिसमिस करने का फैसला लिया जाएगा।
राकेश किशोर ने कहा कि इन लोगों ने न ही डिसिप्लिनरी कमेटी बनाई और न ही मुझे अपनी बात रखने का मौका दिया। मुझे सीधा सस्पेंड कर दिया गया। अब अगर मैं इस मामले में चुनौती भी दूंगा तो क्या होगा? कुछ नहीं होगा, क्योंकि कमेटी में शामिल तीन वकील और जज भी उन्हीं के होंगे। ऐसी स्थिति में फैसला भी उन्हीं का होगा।
उन्होंने कहा कि अब मैं आगे क्या कदम उठाता हूं, यह परमात्मा पर निर्भर है। परामात्मा जो आज्ञा देगा, वह करूंगा। अब अगर उन्होंने मेरा करियर बर्बाद करने के बारे में सोचा है, तो वह सोच सकते हैं, कोई बात नहीं। कुछ होने वाला नहीं है।
–आईएएनएस
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