नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)। जेएम फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशनल सिक्योरिटीज ने एक रिपोर्ट में कहा कि मुख्य आयात और पूंजीगत वस्तुओं के आयात में गिरावट से घरेलू मांग के परिदृश्य को लेकर चिंता बढ़ गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि गैर-तेल, गैर-स्वर्ण निर्यात और आयात में कमजोरी घरेलू और बाह्य दोनों ही स्तर पर मांग के माहौल पर चिंता पैदा करती है।
इज़रायल और ईरान के साथ भारत के द्विपक्षीय व्यापार संबंध सीमांत हैं। इसके बावजूद युद्ध बढ़ने से मुद्रास्फीति के दबाव में पुनरुत्थान का जोखिम बढ़ जाएगा। अंततः चालू खाता घाटा (सीएडी) जीडीपी के 1.4 प्रतिशत की हमारी उम्मीद से अधिक बढ़ जाएगा।
हाल के दिनों में राजकोषीय उपाय सक्रिय रहे हैं, जिसके परिणाम स्पष्ट हैं। घरेलू स्तर पर उबले और टूटे हुए चावल के निर्यात पर हाल ही में प्रतिबंध, चावल के निर्यात आंकड़ों में परिलक्षित होता है, जो दिसंबर 2020 में 25 प्रतिशत की गिरावट के साथ 58.6 करोड़ डॉलर रह गया जो दिसंबर 2020 के बाद सबसे कम है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसी तरह, पिछले दो वर्षों में दालों का आयात 89 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़कर उच्चतम 31.5 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया। यह दर्शाता है कि फसल में मुद्रास्फीति के दबाव (मासिक आधार पर 4.2 प्रतिशत) को संबोधित करने के लिए आपूर्ति पक्ष के हस्तक्षेप मौजूद हैं।
निर्यात के मोर्चे पर, पेट्रोलियम उत्पादों में सबसे ज्यादा 10.6 प्रतिशत सालाना की गिरावट रही। गैर-पेट्रोलियम निर्यात में 0.5 प्रतिशत की सालाना वृद्धि हुई। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रमुख निर्यात वस्तुओं में, रत्न और आभूषण चार साल की चक्रवृद्धि वार्षिक गिरावट 2.9 प्रतिशत रही।
रिपोर्ट में कहा गया है, “हमें उम्मीद है कि निकट भविष्य में कच्चे तेल की कीमतें ऊंची बनी रहेंगी क्योंकि यह बढ़ोतरी मांग के कारण नहीं है बल्कि तेल उत्पादक देशों द्वारा आपूर्ति में कटौती के कारण हुई है। यदि व्यापार घाटा 20 अरब डॉलर को पार कर जाता है तो चालू खाते का घाटा वित्त वर्ष जीडीपी के 1.4 प्रतिशत की हमारी उम्मीद को पार कर सकता है। वर्तमान में चालू खाता घाटा 19.3 अरब डॉलर है।
–आईएएनएस
एकेजे