नई दिल्ली, 18 दिसम्बर (आईएएनएस)। कोविड-19 व अन्य सुपरबग के कारण उत्पन्न गतिरोध से खसरे जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। गौरतलब है कि सुपर बग एक सूक्ष्मजीव है। ये एंटीबायोटिक्स, एंटीवायरल या एंटीफंगल होते हैं, जिसका कोई उपचार नहीं होता।
सुपरबग संक्रमण का कारण बनते हैं, जिनका इलाज करना मुश्किल होता है। एक बार संक्रमित होने पर रोगी के स्वस्थ होने की संभावना कम ही होती है।
इसके अलावा और भी कई बीमारियां हैं, जो मंकीपॉक्स की तरह सामने आ रही हैं। लेकिन यह समझना महत्वपूर्ण है कि ये तथाकथित नए वायरस हमेशा से रहे हैं, खासकर जानवरों में।
इन विषाणुओं के मनुष्यों में बढ़ने और संचरण का कारण जनसंख्या का प्रवासन है। मकान व उद्योग आदि के लिए वनों का विनाश, खाने के पैटर्न में बदलाव के कारण स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा की स्थिति में गिरावट और जलवायु परिवर्तन के कारण भी इन विषाणुओं का प्रकोप बढ़ा है।
पिछले दशक में एंटीबायोटिक दवाओं के गलत उपयोग ने नए जीवों और प्रतिरोधी कीड़ों में वृद्धि और उद्भव को बढ़ावा दिया है।
बुजुर्ग आबादी आमतौर पर कमजोर होती है। इससे ये कुछ जीवों के लिए एक कमजोर लक्ष्य बन जाते हैं, लेकिन युवाओं पर इनका कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
कोविड-19 महामारी ने मानवता के समक्ष अनोखी समस्या पैदा कर दी है। महामारी के कारण जहां, घर से बाहर निकलने में डर लगने लगा, वहीं सामान्य टीकाकरण को बाधित कर दिया।
इससे खसरा जैसे रोग फिर से बढ़ने लगे।
विकास के सिद्धांत के अनुसार वर्णित ये सभी कारक सूक्ष्मजीवों को उत्परिवर्तित करने की संभावना रखते हैं।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि प्रयोगशाला और निदान विज्ञान ने भी अत्यधिक प्रगति की है, और हम ऐसे कई और रोगजनकों का निदान करने में सक्षम हैं, जिन्हें हम अतीत में नहीं कर पाए थे।
–आईएएनएस
सीबीटी