नई दिल्ली, 11 मार्च (आईएएनएस)। 190 से अधिक विश्व नेताओं, नोबेल पुरस्कार विजेताओं, नागरिक समाज संगठनों के प्रतिनिधियों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक समूह ने एक खुले पत्र में सरकारों से मानवता की जरूरतों के समय पर, जैसा कि कोविड-19 के दौरान हुआ, मुनाफाखोरी और राष्ट्रवाद पर लगाम लगाने का आह्वान किया है।
स्वास्थ्य मैगजीन लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, उन्होंने वैक्सीन असमानता की निंदा की। उनके मुताबिक कोविड वैक्सीन रोलआउट के पहले वर्ष में हर 24 सेकंड में एक मौत को रोका जा सकता था।
हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा कि यह दुनिया की अंतरात्मा पर एक धब्बा है कि उन लोगों की जान नहीं बचाई जा सकी।
उन्होंन अफसोस जताया कि कोविड-19 के टीके, परीक्षण और उपचार के समुचित वितरण के बजाय, दवा कंपनियों ने सबसे पहले सबसे अमीर देशों को टीके बेची।
जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के अनुसार, कोविड -19 ने वैश्विक स्तर पर 6.8 मिलियन से अधिक लोगों की जान ली है, यह ऐसा आंकड़ा है, जिसे व्यापक रूप से कम करके आंका गया है।
पत्र में विश्व के नेताओं से यह प्रतिज्ञा करने का आह्वान किया गया है कि फिर कभी भी धनी देशों के लोगों के जीवन को वैश्विक दक्षिण के लोगों के जीवन पर प्राथमिकता नहीं दी जाएगी। मुनाफा से पहले मानवता आती है।
पत्र में तिमोर-लेस्ते लोकतांत्रिक गणराज्य के राष्ट्रपति जोस रामोस-होर्ता ने कहा, कोविड -19 महामारी में, हममें से जो निम्न और मध्यम आय वाले देशों में हैं, उन्हें टीकों के लिए कतार में पीछे धकेल दिया गया और नई तकनीकों के लाभों तक पहुंच से वंचित कर दिया गया।
संयुक्त राष्ट्र के आठवें महासचिव बान की मून ने कहा, हमें अपनी तैयारी और वैश्विक खतरों की प्रतिक्रिया में राष्ट्रों के बीच वास्तविक सहयोग की वापसी की आवश्यकता है। इसके लिए इक्विटी और मानवाधिकारों में निहित एक महामारी समझौते की आवश्यकता है, जो मुट्ठी भर कंपनियों के व्यावसायिक हितों से ऊपर मानवता की जरूरतों को पूरा करता है।
नेताओं ने कहा कि सरकारों को विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण में सार्वजनिक अनुसंधान, विकास और विनिर्माण क्षमता का समर्थन और निवेश करना चाहिए।
पीपुल्स वैक्सीन एलायंस द्वारा समन्वित पत्र 100 से अधिक संगठनों का गठबंधन जिनेवा में उनके प्रतिनिधियों के माध्यम से सभी सरकारों को भेजा जाएगा।
–आईएएनएस
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