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कोविड-19 से खसरा, ब्रेन डिसऑर्डर का खतरा बढ़ा

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December 24, 2023
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कोविड-19 से खसरा, ब्रेन डिसऑर्डर का खतरा बढ़ा
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लखनऊ, 24 दिसंबर (आईएएनएस)। चिकित्सा विशेषज्ञों ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के दौरान 2020 और 2022 के बीच, खसरे का टीकाकरण नहीं हुआ, जिस कारण खसरा और सबस्यूट स्केलेरोजिंग पैनेंसेफलाइटिस (एसएसपीई) का खतरा बढ़ गया है।

न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर आर.के. गर्ग ने शनिवार को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के न्यूरोलॉजी विभाग द्वारा एसएसपीई पर आयोजित सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रम में कहा, ”एसएसपीई एक दुर्लभ लेकिन प्रगतिशील मस्तिष्क विकार (ब्रेन डिसऑर्डर) है जो मुख्य रूप से उन बच्चों और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है जिन्हें (शैशवावस्था के दौरान) खसरा हुआ था।

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खसरे के टीकों की उपलब्धता के बावजूद, कम टीकाकरण दर या स्वास्थ्य देखभाल तक सीमित पहुंच वाले क्षेत्रों में एसएसपीई एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, एसएसपीई मामलों की संख्या में यमन के बाद भारत दूसरे स्थान पर है।

विशेषज्ञों ने कहा कि महामारी के दौरान टीकाकरण चक्र में रुकावट आई है जिससे खसरे का खतरा बढ़ गया है।

–आईएएनएस

एफजेड/एसकेपी

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लखनऊ, 24 दिसंबर (आईएएनएस)। चिकित्सा विशेषज्ञों ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के दौरान 2020 और 2022 के बीच, खसरे का टीकाकरण नहीं हुआ, जिस कारण खसरा और सबस्यूट स्केलेरोजिंग पैनेंसेफलाइटिस (एसएसपीई) का खतरा बढ़ गया है।

न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर आर.के. गर्ग ने शनिवार को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के न्यूरोलॉजी विभाग द्वारा एसएसपीई पर आयोजित सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रम में कहा, ”एसएसपीई एक दुर्लभ लेकिन प्रगतिशील मस्तिष्क विकार (ब्रेन डिसऑर्डर) है जो मुख्य रूप से उन बच्चों और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है जिन्हें (शैशवावस्था के दौरान) खसरा हुआ था।

खसरे के टीकों की उपलब्धता के बावजूद, कम टीकाकरण दर या स्वास्थ्य देखभाल तक सीमित पहुंच वाले क्षेत्रों में एसएसपीई एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, एसएसपीई मामलों की संख्या में यमन के बाद भारत दूसरे स्थान पर है।

विशेषज्ञों ने कहा कि महामारी के दौरान टीकाकरण चक्र में रुकावट आई है जिससे खसरे का खतरा बढ़ गया है।

–आईएएनएस

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लखनऊ, 24 दिसंबर (आईएएनएस)। चिकित्सा विशेषज्ञों ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के दौरान 2020 और 2022 के बीच, खसरे का टीकाकरण नहीं हुआ, जिस कारण खसरा और सबस्यूट स्केलेरोजिंग पैनेंसेफलाइटिस (एसएसपीई) का खतरा बढ़ गया है।

न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर आर.के. गर्ग ने शनिवार को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के न्यूरोलॉजी विभाग द्वारा एसएसपीई पर आयोजित सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रम में कहा, ”एसएसपीई एक दुर्लभ लेकिन प्रगतिशील मस्तिष्क विकार (ब्रेन डिसऑर्डर) है जो मुख्य रूप से उन बच्चों और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है जिन्हें (शैशवावस्था के दौरान) खसरा हुआ था।

खसरे के टीकों की उपलब्धता के बावजूद, कम टीकाकरण दर या स्वास्थ्य देखभाल तक सीमित पहुंच वाले क्षेत्रों में एसएसपीई एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, एसएसपीई मामलों की संख्या में यमन के बाद भारत दूसरे स्थान पर है।

विशेषज्ञों ने कहा कि महामारी के दौरान टीकाकरण चक्र में रुकावट आई है जिससे खसरे का खतरा बढ़ गया है।

–आईएएनएस

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लखनऊ, 24 दिसंबर (आईएएनएस)। चिकित्सा विशेषज्ञों ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के दौरान 2020 और 2022 के बीच, खसरे का टीकाकरण नहीं हुआ, जिस कारण खसरा और सबस्यूट स्केलेरोजिंग पैनेंसेफलाइटिस (एसएसपीई) का खतरा बढ़ गया है।

न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर आर.के. गर्ग ने शनिवार को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के न्यूरोलॉजी विभाग द्वारा एसएसपीई पर आयोजित सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रम में कहा, ”एसएसपीई एक दुर्लभ लेकिन प्रगतिशील मस्तिष्क विकार (ब्रेन डिसऑर्डर) है जो मुख्य रूप से उन बच्चों और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है जिन्हें (शैशवावस्था के दौरान) खसरा हुआ था।

खसरे के टीकों की उपलब्धता के बावजूद, कम टीकाकरण दर या स्वास्थ्य देखभाल तक सीमित पहुंच वाले क्षेत्रों में एसएसपीई एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, एसएसपीई मामलों की संख्या में यमन के बाद भारत दूसरे स्थान पर है।

विशेषज्ञों ने कहा कि महामारी के दौरान टीकाकरण चक्र में रुकावट आई है जिससे खसरे का खतरा बढ़ गया है।

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न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर आर.के. गर्ग ने शनिवार को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के न्यूरोलॉजी विभाग द्वारा एसएसपीई पर आयोजित सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रम में कहा, ”एसएसपीई एक दुर्लभ लेकिन प्रगतिशील मस्तिष्क विकार (ब्रेन डिसऑर्डर) है जो मुख्य रूप से उन बच्चों और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है जिन्हें (शैशवावस्था के दौरान) खसरा हुआ था।

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न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर आर.के. गर्ग ने शनिवार को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के न्यूरोलॉजी विभाग द्वारा एसएसपीई पर आयोजित सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रम में कहा, ”एसएसपीई एक दुर्लभ लेकिन प्रगतिशील मस्तिष्क विकार (ब्रेन डिसऑर्डर) है जो मुख्य रूप से उन बच्चों और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है जिन्हें (शैशवावस्था के दौरान) खसरा हुआ था।

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न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर आर.के. गर्ग ने शनिवार को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के न्यूरोलॉजी विभाग द्वारा एसएसपीई पर आयोजित सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रम में कहा, ”एसएसपीई एक दुर्लभ लेकिन प्रगतिशील मस्तिष्क विकार (ब्रेन डिसऑर्डर) है जो मुख्य रूप से उन बच्चों और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है जिन्हें (शैशवावस्था के दौरान) खसरा हुआ था।

खसरे के टीकों की उपलब्धता के बावजूद, कम टीकाकरण दर या स्वास्थ्य देखभाल तक सीमित पहुंच वाले क्षेत्रों में एसएसपीई एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, एसएसपीई मामलों की संख्या में यमन के बाद भारत दूसरे स्थान पर है।

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न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर आर.के. गर्ग ने शनिवार को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के न्यूरोलॉजी विभाग द्वारा एसएसपीई पर आयोजित सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रम में कहा, ”एसएसपीई एक दुर्लभ लेकिन प्रगतिशील मस्तिष्क विकार (ब्रेन डिसऑर्डर) है जो मुख्य रूप से उन बच्चों और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है जिन्हें (शैशवावस्था के दौरान) खसरा हुआ था।

खसरे के टीकों की उपलब्धता के बावजूद, कम टीकाकरण दर या स्वास्थ्य देखभाल तक सीमित पहुंच वाले क्षेत्रों में एसएसपीई एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, एसएसपीई मामलों की संख्या में यमन के बाद भारत दूसरे स्थान पर है।

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खसरे के टीकों की उपलब्धता के बावजूद, कम टीकाकरण दर या स्वास्थ्य देखभाल तक सीमित पहुंच वाले क्षेत्रों में एसएसपीई एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, एसएसपीई मामलों की संख्या में यमन के बाद भारत दूसरे स्थान पर है।

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न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर आर.के. गर्ग ने शनिवार को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के न्यूरोलॉजी विभाग द्वारा एसएसपीई पर आयोजित सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रम में कहा, ”एसएसपीई एक दुर्लभ लेकिन प्रगतिशील मस्तिष्क विकार (ब्रेन डिसऑर्डर) है जो मुख्य रूप से उन बच्चों और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है जिन्हें (शैशवावस्था के दौरान) खसरा हुआ था।

खसरे के टीकों की उपलब्धता के बावजूद, कम टीकाकरण दर या स्वास्थ्य देखभाल तक सीमित पहुंच वाले क्षेत्रों में एसएसपीई एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, एसएसपीई मामलों की संख्या में यमन के बाद भारत दूसरे स्थान पर है।

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न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर आर.के. गर्ग ने शनिवार को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के न्यूरोलॉजी विभाग द्वारा एसएसपीई पर आयोजित सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रम में कहा, ”एसएसपीई एक दुर्लभ लेकिन प्रगतिशील मस्तिष्क विकार (ब्रेन डिसऑर्डर) है जो मुख्य रूप से उन बच्चों और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है जिन्हें (शैशवावस्था के दौरान) खसरा हुआ था।

खसरे के टीकों की उपलब्धता के बावजूद, कम टीकाकरण दर या स्वास्थ्य देखभाल तक सीमित पहुंच वाले क्षेत्रों में एसएसपीई एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, एसएसपीई मामलों की संख्या में यमन के बाद भारत दूसरे स्थान पर है।

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न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर आर.के. गर्ग ने शनिवार को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के न्यूरोलॉजी विभाग द्वारा एसएसपीई पर आयोजित सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रम में कहा, ”एसएसपीई एक दुर्लभ लेकिन प्रगतिशील मस्तिष्क विकार (ब्रेन डिसऑर्डर) है जो मुख्य रूप से उन बच्चों और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है जिन्हें (शैशवावस्था के दौरान) खसरा हुआ था।

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