नई दिल्ली, 19 सितम्बर (आईएएनएस)। कोविड-19 रोगियों के इलाज में सेल थेरेपी अपनाने से मृत्यु के जोखिम को 60 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। एक शोध में इसकी पुष्टि हुई है।
व्यवस्थित समीक्षा और मेटा-विश्लेषण में कोविड-19 को लक्षित करने वाली उन्नत सेल थेरेपी के 195 परीक्षणों को शामिल किया गया। परीक्षण जनवरी 2020 और दिसंबर 2021 के बीच 30 देशों में आयोजित किए गए। साथ ही जुलाई 2022 तक प्रकाशित परिणामों के साथ 26 परीक्षण भी किए गए।
जर्मनी और संयुक्त राज्य अमेरिका में सहयोगियों के साथ साझेदारी में ब्राजील में साओ पाउलो विश्वविद्यालय (यूएसपी) के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन के निष्कर्ष जर्नल फ्रंटियर्स इन इम्यूनोलॉजी में रिपोर्ट दिए गए थे।
सेल थेरेपी हाल के वर्षों में काफी उन्नत हुई है और इसका उपयोग कैंसर और ऑटो-इम्यून, हृदय और संक्रामक रोगों के इलाज के लिए किया गया है। महामारी के दौरान, इसका उपयोग कई परीक्षणों में कोविड-19 के इलाज के लिए किया गया था।
यूएसपी मेडिकल स्कूल में प्रोफेसर ओटावियो कैब्रल-मार्क्स ने कहा, “हमारा अध्ययन दुनियाभर में बिखरे हुए इन अनुभवों पर सभी जानकारी की समीक्षा करने और मेटा-विश्लेषण के माध्यम से सत्यापित करने वाला पहला शोध है। इसमें यह बताया गया है कि सेल थेरेपी कैसे काम करती है, जब कोविड-19 और संबंधित जटिलताओं के इलाज के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
सेल थेरेपी में रोगी (ऑटोलॉगस) या दाता (एलोजेनिक) की स्टेम कोशिकाओं का उपयोग किया जाता है। बदलाव करने से पहले कोशिकाओं को प्रयोगशाला में संशोधित किया जाता है।
शोध के अनुसार इस अवधि में कोविड-19 के उपचार परीक्षणों में सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली कोशिका संयोजी ऊतक (कनेक्टिव टिशु) से बहुशक्तिशाली मेसेनकाइमल स्टेम (स्ट्रोमल) कोशिकाएं थीं।
शोध लेखकों के अनुसार सेल थेरेपी पर ध्यान देने के बावजूद, टीकाकरण सुरक्षा पर जोर दिया जाना चाहिए।
–आईएएनएस
एमकेएस