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Home ताज़ा समाचार

कौन हैं अर्चना कुशवाहा जो बेतिया में फैक्ट्री चलाकर कमा रही हैं सालाना 3 करोड़ रुपये

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December 26, 2024
in ताज़ा समाचार
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बेतिया, 26 दिसंबर (आईएएनएस)। बेतिया में राज्य सरकार की मदद से अर्चना कुशवाहा आज अपनी फैक्ट्री चला रही हैं। इस फैक्ट्री में 25 लोगों को रोजगार भी मिला है। फैक्ट्री में साड़ी, लहंगा और शूट तैयार किया जाता है। यहां से गोरखपुर, सीवान, पटना और पश्चिमी चंपारण कपड़े भेजे जाते हैं।

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अर्चना कुशवाहा जो कभी सूरत में एक फैक्ट्री में काम करती थी। आज वह खुद एक फैक्ट्री की मालकिन हैं और सालाना करोड़ों रुपये का टर्नओवर है।

अचानक अर्चना की किस्मत कैसे बदल गई इसको लेकर उन्होंने आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने बताया कि जब कोरोना काल में कामकाज वहां बंद हो गया तो हम लोग सूरत से यहां लौटे थे। सूरत से बिहार लौटने के दौरान मन में बहुत सारे ख्याल आ रहे थे कि वहां जाकर जीवन यापन के लिए क्या करेंगे। यहां के स्थानीय डीएम और राज्य सरकार की मदद से हमें 25 लाख रुपये का लोन मिला, जिससे हमने अपना स्टार्टअप शुरू किया। आज हम एक फैक्ट्री चला रहे हैं और यहां 25 लोगों को रोजगार भी मिला है। इस फैक्ट्री में लहंगा, साड़ी और शूट तैयार किया जाता है।

हमारे यहां से बिहार के विभिन्न प्रांतों में सामान की डिलिवरी की जाती है। बिहार लौटकर काफी अच्छा लगा है और इस साल फैक्ट्री का 3 करोड़ का टर्नओवर भी हुआ है। मुझे दूसरे प्रदेश में दूसरे की फैक्ट्री में काम करना पड़ता था। आज मैं खुद की फैक्ट्री की मालकिन हूं। आज मुझे जो यह मुकाम मिला है उसके लिए राज्य और केंद्र सरकार को धन्यवाद देना चाहती हूं।

बता दें कि अर्चना कुशवाहा को जिला प्रशासन से 2020 में प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के माध्यम से 25 लाख का ऋण मिला था। सरकार के ओर से मिले ऋण के बाद अर्चना कुशवाहा ने चनपटिया में साड़ी और लहंगा बनाने वाली फैक्ट्री की शुरुआत की। धीरे-धीरे काम शुरू किया। बाहर से मशीन लाई गई। आज वह इस मुकाम पर पहुंच गई हैं।

–आईएएनएस

डीकेएम/जीकेटी

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बेतिया, 26 दिसंबर (आईएएनएस)। बेतिया में राज्य सरकार की मदद से अर्चना कुशवाहा आज अपनी फैक्ट्री चला रही हैं। इस फैक्ट्री में 25 लोगों को रोजगार भी मिला है। फैक्ट्री में साड़ी, लहंगा और शूट तैयार किया जाता है। यहां से गोरखपुर, सीवान, पटना और पश्चिमी चंपारण कपड़े भेजे जाते हैं।

अर्चना कुशवाहा जो कभी सूरत में एक फैक्ट्री में काम करती थी। आज वह खुद एक फैक्ट्री की मालकिन हैं और सालाना करोड़ों रुपये का टर्नओवर है।

अचानक अर्चना की किस्मत कैसे बदल गई इसको लेकर उन्होंने आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने बताया कि जब कोरोना काल में कामकाज वहां बंद हो गया तो हम लोग सूरत से यहां लौटे थे। सूरत से बिहार लौटने के दौरान मन में बहुत सारे ख्याल आ रहे थे कि वहां जाकर जीवन यापन के लिए क्या करेंगे। यहां के स्थानीय डीएम और राज्य सरकार की मदद से हमें 25 लाख रुपये का लोन मिला, जिससे हमने अपना स्टार्टअप शुरू किया। आज हम एक फैक्ट्री चला रहे हैं और यहां 25 लोगों को रोजगार भी मिला है। इस फैक्ट्री में लहंगा, साड़ी और शूट तैयार किया जाता है।

हमारे यहां से बिहार के विभिन्न प्रांतों में सामान की डिलिवरी की जाती है। बिहार लौटकर काफी अच्छा लगा है और इस साल फैक्ट्री का 3 करोड़ का टर्नओवर भी हुआ है। मुझे दूसरे प्रदेश में दूसरे की फैक्ट्री में काम करना पड़ता था। आज मैं खुद की फैक्ट्री की मालकिन हूं। आज मुझे जो यह मुकाम मिला है उसके लिए राज्य और केंद्र सरकार को धन्यवाद देना चाहती हूं।

बता दें कि अर्चना कुशवाहा को जिला प्रशासन से 2020 में प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के माध्यम से 25 लाख का ऋण मिला था। सरकार के ओर से मिले ऋण के बाद अर्चना कुशवाहा ने चनपटिया में साड़ी और लहंगा बनाने वाली फैक्ट्री की शुरुआत की। धीरे-धीरे काम शुरू किया। बाहर से मशीन लाई गई। आज वह इस मुकाम पर पहुंच गई हैं।

–आईएएनएस

डीकेएम/जीकेटी

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बेतिया, 26 दिसंबर (आईएएनएस)। बेतिया में राज्य सरकार की मदद से अर्चना कुशवाहा आज अपनी फैक्ट्री चला रही हैं। इस फैक्ट्री में 25 लोगों को रोजगार भी मिला है। फैक्ट्री में साड़ी, लहंगा और शूट तैयार किया जाता है। यहां से गोरखपुर, सीवान, पटना और पश्चिमी चंपारण कपड़े भेजे जाते हैं।

अर्चना कुशवाहा जो कभी सूरत में एक फैक्ट्री में काम करती थी। आज वह खुद एक फैक्ट्री की मालकिन हैं और सालाना करोड़ों रुपये का टर्नओवर है।

अचानक अर्चना की किस्मत कैसे बदल गई इसको लेकर उन्होंने आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने बताया कि जब कोरोना काल में कामकाज वहां बंद हो गया तो हम लोग सूरत से यहां लौटे थे। सूरत से बिहार लौटने के दौरान मन में बहुत सारे ख्याल आ रहे थे कि वहां जाकर जीवन यापन के लिए क्या करेंगे। यहां के स्थानीय डीएम और राज्य सरकार की मदद से हमें 25 लाख रुपये का लोन मिला, जिससे हमने अपना स्टार्टअप शुरू किया। आज हम एक फैक्ट्री चला रहे हैं और यहां 25 लोगों को रोजगार भी मिला है। इस फैक्ट्री में लहंगा, साड़ी और शूट तैयार किया जाता है।

हमारे यहां से बिहार के विभिन्न प्रांतों में सामान की डिलिवरी की जाती है। बिहार लौटकर काफी अच्छा लगा है और इस साल फैक्ट्री का 3 करोड़ का टर्नओवर भी हुआ है। मुझे दूसरे प्रदेश में दूसरे की फैक्ट्री में काम करना पड़ता था। आज मैं खुद की फैक्ट्री की मालकिन हूं। आज मुझे जो यह मुकाम मिला है उसके लिए राज्य और केंद्र सरकार को धन्यवाद देना चाहती हूं।

बता दें कि अर्चना कुशवाहा को जिला प्रशासन से 2020 में प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के माध्यम से 25 लाख का ऋण मिला था। सरकार के ओर से मिले ऋण के बाद अर्चना कुशवाहा ने चनपटिया में साड़ी और लहंगा बनाने वाली फैक्ट्री की शुरुआत की। धीरे-धीरे काम शुरू किया। बाहर से मशीन लाई गई। आज वह इस मुकाम पर पहुंच गई हैं।

–आईएएनएस

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बेतिया, 26 दिसंबर (आईएएनएस)। बेतिया में राज्य सरकार की मदद से अर्चना कुशवाहा आज अपनी फैक्ट्री चला रही हैं। इस फैक्ट्री में 25 लोगों को रोजगार भी मिला है। फैक्ट्री में साड़ी, लहंगा और शूट तैयार किया जाता है। यहां से गोरखपुर, सीवान, पटना और पश्चिमी चंपारण कपड़े भेजे जाते हैं।

अर्चना कुशवाहा जो कभी सूरत में एक फैक्ट्री में काम करती थी। आज वह खुद एक फैक्ट्री की मालकिन हैं और सालाना करोड़ों रुपये का टर्नओवर है।

अचानक अर्चना की किस्मत कैसे बदल गई इसको लेकर उन्होंने आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने बताया कि जब कोरोना काल में कामकाज वहां बंद हो गया तो हम लोग सूरत से यहां लौटे थे। सूरत से बिहार लौटने के दौरान मन में बहुत सारे ख्याल आ रहे थे कि वहां जाकर जीवन यापन के लिए क्या करेंगे। यहां के स्थानीय डीएम और राज्य सरकार की मदद से हमें 25 लाख रुपये का लोन मिला, जिससे हमने अपना स्टार्टअप शुरू किया। आज हम एक फैक्ट्री चला रहे हैं और यहां 25 लोगों को रोजगार भी मिला है। इस फैक्ट्री में लहंगा, साड़ी और शूट तैयार किया जाता है।

हमारे यहां से बिहार के विभिन्न प्रांतों में सामान की डिलिवरी की जाती है। बिहार लौटकर काफी अच्छा लगा है और इस साल फैक्ट्री का 3 करोड़ का टर्नओवर भी हुआ है। मुझे दूसरे प्रदेश में दूसरे की फैक्ट्री में काम करना पड़ता था। आज मैं खुद की फैक्ट्री की मालकिन हूं। आज मुझे जो यह मुकाम मिला है उसके लिए राज्य और केंद्र सरकार को धन्यवाद देना चाहती हूं।

बता दें कि अर्चना कुशवाहा को जिला प्रशासन से 2020 में प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के माध्यम से 25 लाख का ऋण मिला था। सरकार के ओर से मिले ऋण के बाद अर्चना कुशवाहा ने चनपटिया में साड़ी और लहंगा बनाने वाली फैक्ट्री की शुरुआत की। धीरे-धीरे काम शुरू किया। बाहर से मशीन लाई गई। आज वह इस मुकाम पर पहुंच गई हैं।

–आईएएनएस

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बेतिया, 26 दिसंबर (आईएएनएस)। बेतिया में राज्य सरकार की मदद से अर्चना कुशवाहा आज अपनी फैक्ट्री चला रही हैं। इस फैक्ट्री में 25 लोगों को रोजगार भी मिला है। फैक्ट्री में साड़ी, लहंगा और शूट तैयार किया जाता है। यहां से गोरखपुर, सीवान, पटना और पश्चिमी चंपारण कपड़े भेजे जाते हैं।

अर्चना कुशवाहा जो कभी सूरत में एक फैक्ट्री में काम करती थी। आज वह खुद एक फैक्ट्री की मालकिन हैं और सालाना करोड़ों रुपये का टर्नओवर है।

अचानक अर्चना की किस्मत कैसे बदल गई इसको लेकर उन्होंने आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने बताया कि जब कोरोना काल में कामकाज वहां बंद हो गया तो हम लोग सूरत से यहां लौटे थे। सूरत से बिहार लौटने के दौरान मन में बहुत सारे ख्याल आ रहे थे कि वहां जाकर जीवन यापन के लिए क्या करेंगे। यहां के स्थानीय डीएम और राज्य सरकार की मदद से हमें 25 लाख रुपये का लोन मिला, जिससे हमने अपना स्टार्टअप शुरू किया। आज हम एक फैक्ट्री चला रहे हैं और यहां 25 लोगों को रोजगार भी मिला है। इस फैक्ट्री में लहंगा, साड़ी और शूट तैयार किया जाता है।

हमारे यहां से बिहार के विभिन्न प्रांतों में सामान की डिलिवरी की जाती है। बिहार लौटकर काफी अच्छा लगा है और इस साल फैक्ट्री का 3 करोड़ का टर्नओवर भी हुआ है। मुझे दूसरे प्रदेश में दूसरे की फैक्ट्री में काम करना पड़ता था। आज मैं खुद की फैक्ट्री की मालकिन हूं। आज मुझे जो यह मुकाम मिला है उसके लिए राज्य और केंद्र सरकार को धन्यवाद देना चाहती हूं।

बता दें कि अर्चना कुशवाहा को जिला प्रशासन से 2020 में प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के माध्यम से 25 लाख का ऋण मिला था। सरकार के ओर से मिले ऋण के बाद अर्चना कुशवाहा ने चनपटिया में साड़ी और लहंगा बनाने वाली फैक्ट्री की शुरुआत की। धीरे-धीरे काम शुरू किया। बाहर से मशीन लाई गई। आज वह इस मुकाम पर पहुंच गई हैं।

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बेतिया, 26 दिसंबर (आईएएनएस)। बेतिया में राज्य सरकार की मदद से अर्चना कुशवाहा आज अपनी फैक्ट्री चला रही हैं। इस फैक्ट्री में 25 लोगों को रोजगार भी मिला है। फैक्ट्री में साड़ी, लहंगा और शूट तैयार किया जाता है। यहां से गोरखपुर, सीवान, पटना और पश्चिमी चंपारण कपड़े भेजे जाते हैं।

अर्चना कुशवाहा जो कभी सूरत में एक फैक्ट्री में काम करती थी। आज वह खुद एक फैक्ट्री की मालकिन हैं और सालाना करोड़ों रुपये का टर्नओवर है।

अचानक अर्चना की किस्मत कैसे बदल गई इसको लेकर उन्होंने आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने बताया कि जब कोरोना काल में कामकाज वहां बंद हो गया तो हम लोग सूरत से यहां लौटे थे। सूरत से बिहार लौटने के दौरान मन में बहुत सारे ख्याल आ रहे थे कि वहां जाकर जीवन यापन के लिए क्या करेंगे। यहां के स्थानीय डीएम और राज्य सरकार की मदद से हमें 25 लाख रुपये का लोन मिला, जिससे हमने अपना स्टार्टअप शुरू किया। आज हम एक फैक्ट्री चला रहे हैं और यहां 25 लोगों को रोजगार भी मिला है। इस फैक्ट्री में लहंगा, साड़ी और शूट तैयार किया जाता है।

हमारे यहां से बिहार के विभिन्न प्रांतों में सामान की डिलिवरी की जाती है। बिहार लौटकर काफी अच्छा लगा है और इस साल फैक्ट्री का 3 करोड़ का टर्नओवर भी हुआ है। मुझे दूसरे प्रदेश में दूसरे की फैक्ट्री में काम करना पड़ता था। आज मैं खुद की फैक्ट्री की मालकिन हूं। आज मुझे जो यह मुकाम मिला है उसके लिए राज्य और केंद्र सरकार को धन्यवाद देना चाहती हूं।

बता दें कि अर्चना कुशवाहा को जिला प्रशासन से 2020 में प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के माध्यम से 25 लाख का ऋण मिला था। सरकार के ओर से मिले ऋण के बाद अर्चना कुशवाहा ने चनपटिया में साड़ी और लहंगा बनाने वाली फैक्ट्री की शुरुआत की। धीरे-धीरे काम शुरू किया। बाहर से मशीन लाई गई। आज वह इस मुकाम पर पहुंच गई हैं।

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अर्चना कुशवाहा जो कभी सूरत में एक फैक्ट्री में काम करती थी। आज वह खुद एक फैक्ट्री की मालकिन हैं और सालाना करोड़ों रुपये का टर्नओवर है।

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बता दें कि अर्चना कुशवाहा को जिला प्रशासन से 2020 में प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के माध्यम से 25 लाख का ऋण मिला था। सरकार के ओर से मिले ऋण के बाद अर्चना कुशवाहा ने चनपटिया में साड़ी और लहंगा बनाने वाली फैक्ट्री की शुरुआत की। धीरे-धीरे काम शुरू किया। बाहर से मशीन लाई गई। आज वह इस मुकाम पर पहुंच गई हैं।

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हमारे यहां से बिहार के विभिन्न प्रांतों में सामान की डिलिवरी की जाती है। बिहार लौटकर काफी अच्छा लगा है और इस साल फैक्ट्री का 3 करोड़ का टर्नओवर भी हुआ है। मुझे दूसरे प्रदेश में दूसरे की फैक्ट्री में काम करना पड़ता था। आज मैं खुद की फैक्ट्री की मालकिन हूं। आज मुझे जो यह मुकाम मिला है उसके लिए राज्य और केंद्र सरकार को धन्यवाद देना चाहती हूं।

बता दें कि अर्चना कुशवाहा को जिला प्रशासन से 2020 में प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के माध्यम से 25 लाख का ऋण मिला था। सरकार के ओर से मिले ऋण के बाद अर्चना कुशवाहा ने चनपटिया में साड़ी और लहंगा बनाने वाली फैक्ट्री की शुरुआत की। धीरे-धीरे काम शुरू किया। बाहर से मशीन लाई गई। आज वह इस मुकाम पर पहुंच गई हैं।

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