दमिश्क, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। इस्लामी विद्रोही ग्रुप हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) ने रविवार को सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद के शासन के पतन और दमिश्क पर कब्जा करने के बाद ‘एक नए युग की शुरुआत’ की घोषणा की। अब सभी की निगाहें इसके नेता अबू मोहम्मद अल-जुलानी के अगले कदमों पर टिकी हैं।
एचटीएस को पहले नुसरा फ्रंट के नाम से जाना जाता था और यह अल-कायदा से संबद्ध था। इसे संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य देशों ने आतंकवादी संगठन घोषित किया है।
‘स्पेशल डिजाइंड ग्लोबल टेररिस्ट’ अबू मोहम्मद अल-जुलानी के सिर पर 10 मिलियन डॉलर का इनाम है। वह कभी इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के संस्थापक और नेता अबू बक्र अल-बगदादी के साथ काम कर चुका है।
अहमद हुसैन अल-शरा के रूप में जन्मे जुलानी को मोहम्मद अल-जवलानी और अबू मुहम्मद अल-गोलानी के नाम से भी जाना जाता है। उसने इराक में अल-कायदा के लिए काम किया और अमेरिका की जेल में पांच साल भी बिताए।
जुलानी ने अल-कायदा और उसके नेता अयमान अल-जवाहिरी के प्रति निष्ठा की शपथ ली। अल-नुसरा फ्रंट ने 2012 की शुरुआत में ही सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद के शासन को उखाड़ फेंकने की कसम खाई थी।
बगदादी ने ही जुलानी को सीरिया में अल-कायदा के लिए एक मोर्चा स्थापित करने का निर्देश दिया था। इराक में अल-कायदा ने नुसरा फ्रंट को लड़ाके, धन, हथियार और सलाह प्रदान की।
मई 2013 में, जुलानी को अमेरिकी विदेश विभाग ने ‘स्पेशल डिजाइंड ग्लोबल टेररिस्ट’ के रूप में नामित किया था।
अमेरिकी विदेश विभाग के न्याय पुरस्कार कार्यक्रम के तहत जुलानी की पहचान या स्थान के बारे में जानकारी देने के लिए 10 मिलियन डॉलर तक के इनाम की घोषणा की गई।
24 जुलाई, 2013 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आईएसआईएल (दाएश) और अल-कायदा प्रतिबंध समिति ने जुलानी को प्रतिबंधित आतंकवादियों की सूची में डाल दिया। इससे जुलानी पर अंतरराष्ट्रीय संपत्ति जब्ती, यात्रा प्रतिबंध और हथियार प्रतिबंध लागू हो गए।
जुलाई 2016 में, जुलानी ने एक ऑनलाइन वीडियो में अल-कायदा और जवाहिरी की तारीफ की। उसने घोषणा की कि सीरिया में अल-कायदा का सहयोगी एएनएफ अपना नाम बदलकर जबात फतह अल शाम (लेवेंट फ़्रंट की विजय) कर रहा है। अगले वर्ष, इसे कई अन्य कट्टरपंथी विपक्षी समूहों के साथ मिलाकर ‘हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस)’ का गठन किया गया, जिसका नियंत्रण अल-जुलानी के हाथ में था।
स्थानीय मीडिया के अनुसार, जिहादी संगठन एचटीएस और जुलानी ने लगभग पांच साल बाद वापसी की है। इस दौरान संगठन ने कई चुनौतियों का समाना किया- इनमें अन्य समूहों के साथ रिश्तों में बदलाव, कोविड-19, यूक्रेनी युद्ध और अल-अक्सा बाढ़ जैसे हालात शामिल हैं।
रूस, ईरान और लेबनान के हिजबुल्लाह की मदद से वर्षों तक विरोधियों का सफलतापूर्व मुकाबला करने वाले असद पिछले दिनों शुरू किए गए विद्रोही गुटों के ऑपरेशन का सामना नहीं कर पाए।
एचटीएस ने 27 नवंबर को उत्तरी सीरिया में एक बड़ा ऑपरेशन शुरू करने वाले विद्रोही समूहों का नेतृत्व किया। विद्रोही गुटों ने अलेप्पो, हामा जैसे प्रमुख शहरों पर कब्जा कर लिया और अंत में दमिश्क पर हमला किया।
असर इस बार नाकाम रहे क्योंकि उसके तीन सहयोगी- रूस, हिजबुल्लाह और ईरान इजरायल खुद के संघर्षों में उलझे हुए थे।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक असद की सेना वर्षों के युद्ध से नष्ट हो चुकी थी और कई सैनिक तो उनके पक्ष में लड़ना भी नहीं चाहते थे।
असद की सत्ता का पतन रूस और ईरान के लिए बड़ा झटका है, जिन्होंने इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सहयोगी खो दिया है।
सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद के ठिकाने के बारे में कई विरोधाभासी रिपोर्टें सामने आ रही हैं। विद्रोही गुटों ने दावा किया है कि वह देश छोड़ कर भाग चुके हैं।
–आईएएनएस
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